मेरी सेक्सी कहानी के पहले भाग
एक दिन की ड्राईवर बनी और सवारी से चुदी-1
में आपने पढ़ा कि मैं अपने पापा की कैब लेकर सवारी लेने निकल पड़ी. एक खूबसूरत नौजवान मुझे मिला सवारी के रूप में. उसे जल्दी स्टेशन तक पहुंचाने के चक्कर में मैं उसे शार्टकट से ले जाने लगी लेकिन वो सड़क बंद थी. उसकी ट्रेन छुट गयी. तो मैं उसकी क्षतिपूर्ति कर रही थी.
अब आगे:
मैं नीचे झुकते हुए बोली- पहले लंड की मोटाई नापने के लिए उसके टोपे पर इस तरह जीभ घुमाते हैं.” कहकर मैंने उसके सूखे टोपे पर मेरी जीभ को चारों तरफ से घुमाई और उसे पूरा गीला कर दिया- फिर लंड को ऐसे मुँह में लेकर उसकी लंबाई नापते हैं.
कह कर मैं धीरे धीरे उसका लंड मेरे मुँह में लेकर चूसने लगी. मैं उसका पूरा लंड मुँह के अंदर लेने की कोशिश कर रही थी।
जैसे जैसे उसका लंड मेरे मुँह में घुस रहा था वैसे वैसे मेरा मुँह भरने लगा था, उसका लंड अब मेरे गले को टकरा रहा था।
मैं उसके लंड को मुँह के अंदर बाहर करने लगी, नितिन की आँखें उत्तेजनावश बंद हो गई थी और वह सीट पर सर रख कर एन्जॉय कर रहा था। उसका एक हाथ मेरे सिर पर था जो मुझे अपने लंड पर धकेल रहा था तो दूसरा हाथ साइड से मेरे मम्मे मसल रहा था।
थोड़ी देर की चुसाई के बाद उसका लंड लोहे के रॉड की तरह कड़क हो गया था, मेरी भी चुत लंड के लिए मचलने लगी थी।
मैंने उसके लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल लिया और सीट पर बैठ गई, उसने अपनी आँखें खोली और वह मेरी तरफ देखने लगा, उसके चेहरे पर नाराजगी साफ साफ दिख रही थी।
मैंने उसकी ओर मुस्कुराते हुए देखा और उसे कपड़े उतारने को बोला और मैं खुद भी कपड़े उतारने लगी।
उसने अपने जूते उतारे और फिर पैरों में अटकी पैंट उतारकर अगली सीट पर रख दी. फिर शर्ट के बटन उतारने लगा. जैसे जैसे बटन उतरते गए, उसका बालों से भरा चौड़ा सीना मुझे दिखाई देने लगा।
उसने अपनी शर्ट उतारकर आगे रख दी.
उफ … क्या कसरती बदन था उसका … चौड़ा भरा हुआ सीना … उसपे छोटे छोटे निप्पल्स, मजबूत बाहें। लगता है रोज जिम जाता होगा, पेट पर भी कोई चरबी नहीं, मजबूत जांघें … एकदम पहलवानों की तरह बदन था उसका।
मैंने भी अपनी टीशर्ट उतार दी, नितिन की आँखें जैसे उसके सर से बाहर निकलने वाली थी.
मेरे ब्रा से निकलने को बेताब 32 इंच के गोले, गोरा सपाट पेट, नाजुक 24 इंच की कमर उसके सामने नंगे हो गये थे।
मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोला, मेरी ब्रा मानो उछलकर अपने आप नीचे गिर गयी और मेरे गोरे गोरे गोल स्तन उसके सामने नंगे गए।
नितिन का मुँह खुला का खुला ही रह गया, मेरे चॉकलेटी रंग के निप्पल्स मेरे गोरे स्तनों के बीचोंबीच तन कर खड़े थे।
मैं अपने घुटनों पर बैठ गयी और मेरी जीन्स को पैंटी के साथ नीचे घुटनों तक किया. वह मेरे स्तन देखने में इतना व्यस्त था कि मेरे नीचे उसका ध्यान ही नहीं गया।
अब मैं सीट पर बैठ गयी और मेरी जीन्स पूरी उतार कर आगे की सीट पर डाल दी. अब मैं नितिन के सामने पूरी नंगी हो गयी थी। नितिन को बस एक साइड से मेरी गोल गोल 32 इंच की गांड दिख रही थी, मेरे जांघों के बीच का खजाना अभी तक उसकी नजरों के सामने नहीं आया था।
उसकी नजरें भी उसे देखने को तरस रही थी, और मैं भी उसे तरसाना चाहती थी।
मैंने उसे धकेल कर सीट के बैक रेस्ट पर गिराया, वह वैसा बैठा था जैसे लोग कार में बैठते है फर्क सिर्फ इतना था कि वो बिल्कुल नंगा था और उसका लंड छत की ओर तन कर खड़ा था।
मैंने उसकी आँखों में देखते हुए अपने पैर उसके जांघों के आजु बाजू रखे और उसकी जांघों पर बैठ गयी, मैंने अपने हाथ उसके कंधों पर रखे।
अब मेरी चुत उसके लंड के नजदीक थी और मेरे मम्मे उसके मुँह के सामने थे। मैं अपनी कमर हिलाकर मेरी गीली चुत को उसके लंड के ऊपर घिसती तो कभी आगे झुक कर मेरा स्तन उसके होठों के नजदीक ले जा कर वापस पीछे चली जाती।
वह बहुत कंफ्यूज़ हो रहा था, नीचे चुत का लंड पर हो रहे मुलायम गीले स्पर्श का आनंद ले या फिर मेरे मम्मे चूसने की कोशिश करे।
मैं भी उसे तड़पाते हुए मजा ले रही थी।
अब मैंने अपनी कमर हिलाते हुए उसके लंड के टोपे को अपनी चुत के छेद में फंसाया, मेरी पानी छोड़ती चुत ने उसकी जांघों और पेट को गीला कर दिया था। उसने भी अपने हाथ मेरी कमर पर रख दिये थे, मैं धीरे धीरे अपनी कमर को नीचे की ओर धकेलने लगी।
“आह …” हम दोनों की सिसकारी एक साथ निकली। उसका बड़ा टोपा धीरे धीरे मेरी गीली चुत में घुसने लगा था, मेरी चुत की त्वचा उसके लंड पर चिपक कर अंदर तक खिंची चली जाती और फिर गीलेपन की वजह से लंड से रगड़ कर फिर अपनी जगह पर आ जाती।
मेरी चुत कितने दिनों बाद किसी गर्म और सख्त चीज का अनुभव कर रही थी.
जैसे जैसे मैं नीचे हो रही थी, वैसे वैसे उसकी बेचैनी और बढ़ने लगी थी। उसका आधे से ज्यादा लंड मेरी चुत के अंदर था, अब मैं ऊपर होकर उसे बाहर निकालने लगी। अब खिंचाव और रगड़ने की प्रक्रिया दूसरी दिशा से होने लगी. मैंने उस अनुभूति का आनंद लेते हुए अपनी आँखें बंद कर ली थी।
मैं फ़िर से नीचे की ओर झुकी, इस बार मैंने उसका पूरा लंड मेरी चुत में लिया। उसके बड़े लंड से मेरी पूरी चुत फैल गयी थी और उसका टोपा मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था।
मैं वैसे ही ऊपर नीचे होने लगी. नितिन ने भी अपनी आंखें बंद कर ली थी और वह हाथों से मेरी कमर सहला रहा था।
थोड़ी देर बाद मेरी चुत उसके लंड की आदी हो गयी और वह आसानी से उसे चुत के अंदर बाहर होने लगा।
अब मैंने अपनी आँखें खोली, नितिंन अपना सर हेडरेस्ट पर रख कर मजे ले रहा था।
“आह …” दर्द की वजह से वह चिल्लाया, दरअसल मैंने उसके बाल जोर से खींचे थे उसका ध्यान मेरी और खींचने के लिए।
“हाँ तो अगला सवाल … जब कोई लड़की तुम्हारे लंड पर घुड़सवारी कर रही हो तब तुम क्या करोगे?”
“म … मैं … अपने हाथ उसके ग … गांड के नीचे डालकर ऊपर नीचे होने में उसकी मदद करूँगा.”
“ओके … और क्या करोगे?”
“और … मैं मेरे सामने ऊपर नीचे होते हुए उसके चुचे चुसूं … गा … आऽऽ … “मैंने उसके बाल फिर एक बार जोर से खींचे।
“सब पता है तो किस चीज का इंतजार है?”
मेरी तरफ से सिग्नल मिलने पर उसने अपना हाथ मेरी गांड पर रखा और उसके लंड के ऊपर कूदने में मेरी मदद करने लगा। मैंने आगे झुककर अपना एक स्तन उसके मुँह के आगे किया और एक हाथ से उसके सर को पकड़ कर मेरे मम्मे पर दबाया।
“उफ्फ …” मेरे गर्म सुर्ख निप्पल पर उसके गीले होठों का स्पर्श हुआ। मेरे कड़क हुए निप्पल उसकी मुँह में मानो घुलने लगे, नितिन ने उसे अपने होंठो में पकड़ कर रखा था और अब वह उसे जीभ से छेड़ने लगा.
“आह …” मेरी फिर एक बार सिसकारी निकली।
अब वह मेरे निप्पल को चूसने लगा, मेरे निप्पल उसके मुँह के अंदर कुछ देर खिंचे चले जाते, फिर थोड़ी देर बाहर आकर वापस खिंच जाते। मेरे स्तनों में खून तेजी से बहने लगा था, जैसे मानो उसकी चुसाई से अंदर से दूध बह रहा हो।
मैंने उसके मुँह को मेरे निप्पल से हटाकर दूसरे वाले पर रख दिया- आह … चूसो नितिन … पूरा पी जाओ!
मैं बहकी बहकी बातें करने लगी थी।
उसकी मदद से मैं अब तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी और अपने दोनों मम्मे बारी बारी उससे चुसवा रही थी. न जाने कितनी देर से मैं उसके लंड पर कूद रही थी।
आखिर में मैं अपने दोनों हाथों से अपने दोनों निप्पल करीब लायी और एक साथ उसके मुँह में डाल दिये. उसने अपनी जीभ से दोनों निप्पल्स को एक साथ छेड़ना शुरू कर दिया और नीचे से कमर हिलाते हुए तेजी से अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।
इस दोहरी चढ़ाई से मेरा बांध छूटने लगा था और मैंने उसके सर को पकड़ कर उसके होठों पर जोरदार किस करनी शुरू कर दी और नीचे से तेजी से कमर हिलाने लगी।
कुछ ही पलों में एक तेज बिजली जैसे लहर मेरे पूरे बदन में दौड़ी और मैं फूट फूट कर झड़ने लगी। न जाने कितनी देर मेरा ओर्गास्म चला, मैं उतनी देर तक उसके होठों को बेदर्दी से चूस रही थी। मेरी कमर ने हिलना रोक दिया था पर उसका नीचे से धक्के देना लगातार चालू था।
अंत में मैं थक कर उसके बदन पर गिर पड़ी और अपना सर उसके कंधे पर रखा, हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में कस कर पकड़ा था।
थोड़ी देर बाद मेरा जोश ठंडा हुआ और मैं होश में आयी, मेरी साँसें अभी भी तेजी से चल रही थीं। मैं ऊपर की तरफ हुई तो उसका लंड मेरी चुत से फिसलकर उसके पेट से टकराया, नीचे देखा तो पूरी सीट मेरे चुत के रस से गीली हो गयी थी।
मैं उसके बदन से हट गई और उसके पास बैठ कर मेरी सांसों को नार्मल करने की कोशिश करने लगी. थोड़ी देर बाद मैंने अपनी आंखें खोली. नितिन अभी भी मेरी ओर ही देख रहा था।
उसके लंड पर मेरा रस सुख गया था और सफेद दाग दिखने लगे थे.
उसके चेहरे पर प्रश्नचिन्ह साफ साफ नजर आ रहा था- नीतू तुम्हारा तो हो गया … पर मेरा नहीं हुआ … क्या वो मुझे आगे करने देगी?
शायद यही सवाल उसके मन में चल रहे थे।
“अब आगे का सवाल … अभी अभी दो मिनट पहले झड़ी हुई चुत को दोबारा कैसे तैयार करोगे?” मैं सीट पर लेटते हुए अपना एक पैर हेड रेस्ट पर रखा तो दूसरा पैर आगे वाले हेड रेस्ट पर रखा।
अब मेरी चिकनी चुत उसके सामने थी. नितिन उसको पहली बार देख रहा था। दोनों टांगो के बीच बसी हुई मेरी नन्ही सी नाजुक गाजरी गुलाबी रंग की चुत के ऊपर छोटा सा मदनमणि चुत के गीलेपन से चमक रहा था।
अभी अभी हुई चुदाई की वजह से उसका छेद खुला ही रह गया था और अंदर का गुलाबी मांस दिख रहा था, टांगें फैलाने से उसकी नाजुक पंखुड़ियाँ भी फैल गयी थी।
नितिन मेरी चुत को बिना पलक झपकाए देखे जा रहा था.
बाद में वह मेरी टाँगों के बीच आया और नीचे झुकने लगा। मैं भी यही चाहती थी कि वह मेरे सवाल का जवाब प्रैक्टिकल कर के दे।
नितिन नीचे झुका, उसका मुँह अब मेरी चुत से एक दो इंच दूर था, मैं उसकी गर्म सांसों को मेरी चुत के नजदीक महसूस कर रही थी। वह और नीचे झुका और अपने होंठ मेरी चुत पर रख दिये … ऊफ … क्या मखमली अहसास था।
मेरी चुत को हल्के से चूमते हुए उसने धीरे से अपनी जीभ मेरी खुली हुई चुत के अंदर डाली।
“उम्म …” मेरे पूरे बदन में करंट दौड़ने लगा था.
धीरे धीरे उसने मेरी मदनमणि को अपने होठों में पकड़ा और उसे जीभ से छेड़ने लगा। मैंने अपने हाथों से उसके बालों को पकड़ा और उसके सर की मेरी चुत पर दबाने लगी. वह भी अब जोश में मेरी चुत को चाटने लगा था।
थोड़ी देर की चुसाई के बाद मेरी चुत फिर से मचलने लगी, मुझे अब जीभ की जगह लंड चाहिए था। मैंने उसके बालों को पकड़ कर ऊपर खींचा और उसके सर को ऊपर किया, उसके होंठ ठोड़ी तक मेरे रस से गीला हो गया था।
मैंने उसे अपने ऊपर खींचा और उसके होठों को अपने होठों पर ले आयी, अब हमारा पूरा बदन एक दूसरे से रगड़ खा रहा था। मैंने उसे अपनी बांहों में भींच लिया था और उसे किस किये जा रही थी, वह भी अपनी कमर को हिलाते हुए अपने लंड से मेरी चुत ढूंढने की कोशिश कर रहा था।
थोड़ी देर बाद कि नाकामयाबी के बाद वह थोड़ा ऊपर हुआ और मुझे रिक्वेस्ट करने लगा, मैंने अपना हाथ दोनों के बीच ले जाते हुए उसके लंड को पकड़ कर मेरी चुत की दरार में फंसाया और उसे धक्का देने का इशारा किया।
उसने धीरे धीरे करके अपना पूरा लंड मेरी चुत के अंदर घुसा दिया उम्म्ह… अहह… हय… याह… फिर धीरे धीरे गति बढ़ाने लगा। नितिन ने दोनों हाथों से मेरे कांधों को पकड़ा हुआ था जिस वजह से वह और तेजी से धक्के लगा सकता था.
मैंने उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया था जिस वजह से हमारा पूरा शरीर एक दूसरे से चिपक गया था और मेरे चुचे उसकी छाती में गड़ गए थे। उसके सीने के बाल मेरे निप्पल्स पर घिस कर अलग ही संवेदना दे रहे थे.
मैंने अपना हाथ उसके कूल्हों पर रखा और उसे और तेज करने का इशारा किया।
उसके तेज हो रहे धक्कों से मेरे अंदर एक तूफान बनने लगा था, मैं भी नीचे से अपनी कमर उठाकर उसके धक्कों से ताल मिलने लगी थी।
आखिरकार मेरा सब्र टूटा और मैं उसके होठों को अपने होठों में पकड़ते हुए फिर से झड़ने लगी, मेरा पूरा बदन थरथरा रहा था। नितिन भी उसी जोश से मुझे किस करते हुए मेरा साथ दे रहा था, उसने भी अपने धक्कों की गति तेज कर दी थी. शायद वह भी झड़ने के करीब पहुंच गया था।
कुछ देर दनादन धक्के देने के बाद उसका बदन भी अकड़ने लगा, उसने कंडोम नहीं लगाया था तो मैंने उसके कमर पर थपथपाते हुए उसे बाहर निकलने का इशारा किया। नितिन ने तेज दो चार धक्के लगाए और अपना लंड बाहर निकालकर हिलाने लगा.
अगले ही पल तेज गर्म वीर्य की पिचकारी मेरे पेट पर स्तन पर छूटने लगी। लग रहा था जैसे पिघली हुई मोम बदन पर गिर रही हो और बदन को जलाते हुए ठंडी हो रही हो।
न जाने कितनी पिचकारियां मेरे शरीर पर गिरी हुई होगी.
नितिन अपना पूरा माल गिराकर मेरी तरफ देखने लगा। उसका सारा माल मेरे पेट पर, स्तन पर गिरा हुआ था।
मैंने उसके वीर्य को अपनी उंगलियों पर जमा किया और उसे अपने मुँह में डाला. नितिन मेरी इस हरकत से शॉक रह गया। धीरे धीरे मैंने सब वीर्य अपनी उँगलियों पर जमा कर के उसे चाट लिया और बचा हुआ माल मेरे शरीर पर रगड़ लिया.
फिर उठ कर मैं नितिंन के लंड को मुँह में लेकर लंड के अंदर बचा हुआ वीर्य भी चूसने लगी। मैंने उसका पूरा लंड चाट कर साफ किया और नितिन की ओर देखा, वह बहुत खुश लग रहा था।
तभी नितिन का फ़ोन बजा, उसने फ़ोन देखा तो वह उसी कंपनी से था जिसमें वह इंटरव्यू देने के लिए जाने वाला था।
फ़ोन पर बात करने पर पता चला कि वह आज शाम को वो इंटरव्यू दे सकता है, अब उसकी खुशी दोगुनी हो गयी थी।
हमने फटाफट कपड़े पहने और मैंने कार स्टार्ट की, मैंने कार सही रास्ते में ली और उसे स्टेशन पर छोड़ा।
घड़ी में देखा तो दोपहर के डेढ़ बजे हुए थे, मैं चुदाई की वजह से थक गई थी और भूख भी बहुत लगी थी।
मैं नितिन को छोड़ कर सीधे घर चली गयी, घर जाते ही कार की चाबी और डॉक्युमेन्ट्स देने समीर अंकल के यहाँ गयी।
“शाबाश बेटी … काम के पहले ही फाइव स्टार रेटिंग ले ली!” समीर अंकल बोले।
मैं सिर्फ उनकी ओर देख कर मुस्कुराई.
अब उन्हें क्या बताती फाइव स्टार रेटिंग के लिए मैंने सवारी को कौनसी फाइव स्टार परफॉर्मेंस दी थी।
आज मैं फिर से कार लेकर निकली हूँ, किसी को कैब सर्विस चाहिए क्या?
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