इस ड्राईवर हिंदी सेक्स कहानी में पढ़ें कि एक विधवा अमीर लड़की सेक्स की प्यासी थी. उसका यार भी उसकी प्यास नहीं बुझा पाया तो उसने अपने ड्राईवर को उकसाया.
दोस्तो,
आज फिर एक नई सेक्स कहानी के साथ मैं शिवम हाजिर हूँ.
लेखक की पिछली कहानी थी: गर्म रजाई में अनजान लड़की की चुदाई
ये गरम Driver Hindi Sex Kahani मुझे मेरे एक दोस्त अशोक ने बताई है जो दिल्ली से ही है.
आप उसी की जुबानी इसका लुत्फ़ उठाएं.
मैं अशोक 35 साल का एक गबरू जवान हूँ. मैं दिल्ली में एक मैडम के यहां ड्राइवर हूं.
वो मैडम तलाकशुदा हैं और उन्होंने दूसरी शादी भी नहीं की है. उनकी एक जवान बेटी है.
मैडम की उम्र का तो नहीं पता है पर वो बिजनेस करती हैं, काफी मॉडर्न कपड़े पहनती हैं, तो उनकी उम्र मुझसे भी कम लगती हैं.
मैं काफी दिनों से उनके यहां नौकरी कर रहा हूं. वैसे तो उनके घर में 3 कार हैं, पर उनकी बेटी खुद ड्राइव करती है, तो ड्राइवर सिर्फ एक ही है.
मैं दिल्ली में कमरा लेकर रहता हूं और एक मेड भी सुबह को काम करने आती है.
मैं रोज की तरह ही मैडम को ऑफिस ले जाता हूं और शाम को घर लाता हूँ.
कभी किसी फंक्शन या पार्टी में जाना होता तो वापसी में काफी देर भी हो जाती है.
उस दिन भी हम नोएडा में एक शादी में गए थे.
उधर पार्टी में मैडम को काफी देर हो गई थी … सुबह के 3 बज गए थे.
इसलिए मैं गाड़ी में ही सो गया था.
पार्टी से वापस जाने के लिए मैडम कार के पास आईं और उन्होंने आवाज देकर काफी देर तक मुझे उठाने की कोशिश की, पर मैं उठा नहीं.
कार के शीशे चढ़े थे, तो आवाज मुझ तक आ ही नहीं रही थी.
फिर उन्होंने फोन किया और फोन की घंटी सुनकर मैं उठ गया.
मैंने खिड़की खोली और कार से नीचे आ गया.
मैं- सॉरी मैडम वो काफी देर हो गई थी, इसलिए गहरी नींद लग गई थी.
मैडम- नो प्रोब्लम, चलो घर चलते हैं.
मुझे ऐसे लगा, जैसे मैडम ने शराब पी रखी है.
वो आते ही पीछे की सीट पर बिल्कुल पसर गईं जिससे उनकी मॉडर्न ड्रेस में से एक टांग जांघ तक नंगी दिख रही थी.
वो बेसुध होकर आंख बंद किए लेटी थीं.
मेरी तो नींद ही उड़ गई थी, मैंने कभी मैडम को इस तरह से नहीं देखा था.
वो काफी स्ट्रिक्ट थीं और सिर्फ काम करने में लगी रहती थीं.
मैंने सोचा शायद मैडम की तबियत खराब है तो गाड़ी को साइड में लगा दी.
पानी की बोतल लेकर मैंने पीछे की खिड़की खोली और मैडम को जगाने लगा.
तो मैडम को थोड़ा होश आया.
मैं- मैडम आप ठीक तो हैं ना!
मैडम- उन्हह … हां!
वो कुछ इंग्लिश में बड़बड़ाईं पर मुझे ज्यादा समझ नहीं आया तो मैंने पानी की बोतल उन्हें दे दी.
मैडम ने थोड़ा सा पानी पिया और फिर गाड़ी से बाहर मुँह निकाल कर उल्टी कर दी.
अब मुझे यकीन हो गया कि उन्होंने पी हुई थी.
फिर उन्होंने बोतल में से कुल्ला किया, मुँह धोया और सीधी होकर बैठने लगीं.
तभी उनका ध्यान अपनी नंगी जांघ पर गया.
मैडम ने अपनी ड्रेस ठीक की, पर वो अब भी पूरी तरह होश में नहीं थीं, तो मुझे उनकी जांघ के अन्दर वाला हिस्सा दिखने लगा.
मैंने ध्यान दिया कि मैडम ने पैंटी भी नहीं पहनी थी.
ये सब देखते हुए मैडम ने मुझे देख लिया.
मैंने उनकी नजर बचा कर खिड़की बंद की और फिर से गाड़ी चलाने लगा.
मैडम ने फिर से खिसक कर अपनी ड्रेस ठीक की.
वो मुझे देख रही थीं.
मैं मिरर से मैडम को देख रहा था.
कुछ देर बाद हम घर आ गए, पर मैडम मुझसे कुछ नहीं बोलीं.
घर आने पर वो उतर कर अन्दर चली गईं और मुझसे बोलीं- आज तुम घर नहीं जाओ, सुबह बाहर जाना है.
मैंने हां कही और वहीं पर सो गया.
अगली सुबह मैडम ने बैग पैक कर रखे थे.
मैं उन्हें रख कर मैडम को लेकर चल दिया.
सबसे पहले मैंने फ्यूल भरवा लिया. फिर मैडम से पूछा- कहां चलना है?
तो वो बोलीं- शिमला जाना है या जहां तुम चाहो. मेरा बस घूमने का मन है … मैं इस लाइफ से परेशान हो गई हूँ.
मैं- ठीक है मैडम.
मैडम- चलो पहले मॉल चलो, अपने लिए कुछ कपड़े खरीद लो. वहां टी-शर्ट में नहीं रह पाओगे, उधर काफी ठंड होती है.
मैंने इतने महंगे कपड़े कभी नहीं खरीदे थे तो मैडम ने मुझे दिला दिए.
ये मुझे काफी अच्छा लगा.
अब हम काफी दूर आ गए.
तो मैडम बोलीं- कहीं किसी दुकान पर गाड़ी रोक लेना, थोड़ा पीने का मन है.
मैंने रास्ते में एक वाइन शॉप पर रोक दी.
मैडम ने शराब मंगाई और कार में ही पीने लगीं.
उन्होंने मुझे भी ऑफर की, तो मैंने मना कर दिया.
कुछ और दूरी पर जाने के बाद मैडम बोलीं- अशोक, मुझे वाशरूम जाना है. कहीं देख लेना.
मैंने ओके कहा, पर कई किलोमीटर तक कोई ऐसा शहर नहीं मिला, जहां कोई होटल या मॉल हो.
मैडम बोलीं- अब वेट नहीं कर सकती, जल्दी से कहीं भी रोको.
मैंने कहा- मैडम, ऐसे खुले में कहां जाओगी?
मैडम- बस एक नंबर करना है, खाली जगह देख कर रोक लो.
कुछ दूर जाने के बाद खेत थे, तो मैंने साइड में कार को रोक दिया.
मैडम अन्दर खेत में गईं और वापस आकर गाड़ी की अगली सीट पर बैठ गईं.
मैंने उन्हें सीट बेल्ट पहनने को बोला, तो वो नशे में ठीक से बांध नहीं पाईं.
मैं पकड़ कर बांधने लगा.
मेरा हाथ उनकी जांघ पर लग गया, तो मैंने सॉरी कहा.
मैडम बोलीं- अशोक तुम बहुत डीसेंट हो. गलती से भी हाथ लगे, तो सॉरी बोल देते हो और एक वो है जिसके सामने ड्रेस खोल दी … अह … पर उसमें पावर ही नहीं था.
मैं चुप होकर सुनता रहा.
मैडम- रात को तुमने देखा, मैंने अपनी पैंटी नहीं पहनी थी.
मैं कुछ नहीं बोला.
मैडम- तुम तो इतने अच्छे हो कि सब देख कर भी ऐसे रिएक्ट करते हो जैसे कुछ नहीं देखा. बोलो देखा था न!
मैं- हां मैडम.
मैडम- वो कल कई सालों के बाद मन हुआ कि थोड़ा कर लूं और उसके साथ बाथरूम में भी गई, पर मेरी पैंटी उतारने के बाद वो तो फिंगर से टच करने लगा. मैंने खुद उसका बाबूलाल पकड़ा, पर उसका तो दम ही नहीं था. मेरा तो मूड खराब हो गया. उसके लिए कितनी देर तक पार्टी में रुकी, पर वो जीरो निकला.
मैं- तो इसलिए रात में अपने ज्यादा पी ली?
मैडम- हां … मन खट्टा हो गया था, तो थोड़ा ज्यादा हो गया.
मैं- ओके मैडम.
मैडम- पर रात मैंने तुम्हें देखा तो समझ आया कि मैं तुम्हारे साथ तो कर ही सकती हूं.
मैं- नहीं मैडम, ऐसा मत बोलिए.
मैडम- अशोक तुम अब कुछ और बहाने मत बनाना प्लीज, रात में जो उसके बाद तुमसे प्यार हो गया मुझे … और आज हम दोनों बस इसी लिए ही घूमने जा रहे हैं.
मैं कुछ भी नहीं सोच सकता था, न ही कुछ बोल पाया.
मैडम पूरे रास्ते बोलती रहीं कि कब उनकी शादी हुई, कैसे सेक्स किया और उनके पति के साथ झगड़ा, फिर तलाक.
मैं बस ‘हां, ओके मैडम …’ ही बोलता रहा.
दो तीन बार तो उन्होंने मुझे किस किया, मेरी जांघ पर हाथ रख कर मुझे उकसाया, पर मैं बस चुप रहा.
हम लोग अब शिमला आ गए थे.
होटल में जाकर मैडम ने कमरे की चाभी ले ली.
मैं बैग लेकर उनके पीछे पीछे गया.
कमरे में जाते ही वहां का नजारा देखा तो किसी सुहागरात वाले कमरे की तरह सजा हुआ था.
शायद ये उन्होंने फोन पर सैट करवा दिया था.
मैडम ने कमरे में जाते ही गेट बंद किया और अपनी ड्रेस उतारने लगीं.
मैं ये देख कर बहुत अजीब महसूस कर रहा था.
मैंने मैडम को ध्यान से देखा, उनका जिस्म बिल्कुल गोरा था.
वो उम्र में मुझसे बड़ी थीं पर शरीर की बनावट के हिसाब से 30 साल की लगती थीं.
उनके चूचे बिल्कुल तने हुए थे, शायद 34 या 35 के होंगे. कमर तो बिल्कुल पतली थी.
मेरा मन कर रहा था कि चबा चबाकर खा जाऊं.
वो मेरे पास आईं और मेरी टी-शर्ट उतार कर मेरे होंठ चूसने लगीं.
मैं थोड़ा संभला और पीछे हट गया.
मैडम कुछ बोलतीं, उससे पहले दरवाजे की घंटी बज गई.
तब मैडम ने कहा- वेटर होगा, मैं बाथरूम में जा रही हूं. तुम सामान ले लो और गेट बंद कर देना.
मैडम बाथरूम में घुस गईं तो मैंने दरवाजा खोला.
वेटर 8 ग्लास में शराब और सिगरेट और खाने का सामान देकर चला गया.
मैं अब गेट पर खड़ा था.
मेरा मन किया कि अभी भाग जाऊं, मुझे अपनी पत्नी और बच्चे याद आ गए थे.
तभी नौकरी और रात को मैडम का सेक्स की आग में तड़पना याद आ गया. और मैं ड्राईवर सेक्स के लिए तैयार हो गया.
मैं गेट बंद करके अन्दर हुआ और फिर से लॉक कर दिया.
मैंने मैडम को बुलाया तो वो बाहर आ गईं.
बाहर आकर उन्होंने एक ग्लास उठाया और एक झटके में पी गईं.
अब मेरे मन में भी आया कि होश में रहा, तो अजीब बात दिल में आएगी.
तो मैंने भी दो ग्लास गटगट करके खाली कर दिए.
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फिर मैडम ने मेरी पैंट को खोल दिया और अंडरवियर नीचे कर दिया.
वो मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगीं.
अभी उसमें ज्यादा तनाव नहीं था.
पता नहीं मैडम को क्या हुआ, उन्होंने लंड छोड़ कर एक ग्लास उठाया.
तब मैंने भी सारे कपड़े उतार दिए.
मैडम की थिरकती चूचियां और मोटी गांड का नजारा देख कर अब मुझे भी अच्छा लगने लगा.
तभी मैडम ने ग्लास से थोड़ी शराब लंड पर डाली और चूसने लगीं. वो ऐसे ही डाल कर लंड चूसती रहीं.
मुझे भी उत्तेजना बढ़ने लगी तो मैंने भी एक और ग्लास पी लिया.
अब मेरे लंड में पूरा तनाव आ गया था.
मैडम लंड रेडी देख कर चुत खोल कर लेट गईं और मुझे अपने ऊपर बुलाने लगीं.
मैंने भी मैडम के ऊपर चढ़ कर धीरे से लंड को उनकी चूत में रगड़ा वो तड़प उठीं और बार बार कमर उठा कर अन्दर पेलने को बोलने लगीं- आह अशोक पेलो न … क्यों तड़फा रहे हो!
तब मैंने भी देर न करते हुए लंड को अन्दर ठेल दिया.
चुत चिकनी थी तो लंड अन्दर घुसता चला गया.
मैडम एकदम से तड़फ उठीं और बोलीं- आंह धीरे धीरे … तुम्हारा बहुत मोटा है.
ये उन्होंने अंग्रेजी में कहा था. मगर मैं समझ गया कि लंड आराम से डालने की कह रही हैं.
मैंने लंड को आराम आराम से अन्दर पेलना शुरू कर दिया और उनकी एक चूची को चूसने लगा.
इससे मैडम को दर्द में राहत मिल गई और उन्होंने लंड को अन्दर झेलना शुरू कर दिया.
इसी तरह मैंने थोड़ा थोड़ा करके पूरा लंड अन्दर डाल दिया और कमर हिलाने लगा.
कुछ देर बाद मैडम भी लंड के मजे लेने लगीं.
अब मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी तो मैडम ने भी अपनी कमर हिला कर साथ देना शुरू कर दिया.
हम दोनों चुदाई की मस्ती में डूब कर मजा लेते रहे.
मैडम किसी तरसी हुई भूखी शेरनी की तरह आवाज निकालती जा रही थीं और मेरे होंठों को काट रही थीं.
दस मिनट बाद मैडम ने हार मान ली और वो झड़ कर शांत हो गईं.
मैं नशे में अभी भी धक्के लगा रहा था.
मैडम ने कुछ देर बाद फिर से कमान संभाली और कमर को हिलाने लगीं.
अब मैं भी बहुत तेज तेज धक्के लगा रहा था.
मैडम की चूचियां गजब हिल रही थीं और मैं उनके मम्मों के बीच में अपना चेहरा रगड़ कर उन्हें मजा दे रहा था.
मैं मैडम के हिलते हुए मम्मों पर अपने चेहरे को ज्यादा से ज्यादा रगड़ने की कोशिश कर रहा था.
इस तरह मैंने और मैडम ने अपनी पहली चुदाई को पूरा किया.
हम दोनों एक साथ झड़ कर निढाल हो गए.
मैं वहीं मैडम के बाजू में थक कर लेट गया.
मैडम भी अब शांत हो कर लेटी थीं.
कुछ देर बाद मैंने फिर से मैडम की चूची पर हाथ रख कर सहलाना शुरू किया तो मैडम खुद मेरी तरफ खिसक आईं और अपनी चूची चूसने को बोलीं.
मैंने भी उठ कर एक ग्लास उठाया और मैडम की चूची पर डाल कर चूसने लगा.
मैडम सिसकारी भरने लगीं.
मैं मैडम की चूची चूसते हुए उसमें से रस निकालने की कोशिश करता रहा.
मैडम पागलों की तरह आवाज करती रहीं.
फिर मैंने मैडम के पूरे जिस्म को चूसना शुरू कर दिया.
उनकी गर्दन, होंठ, गाल, चूची, पेट, कमर चूत शायद ही कोई हिस्सा छोड़ा होगा.
इस दौरान मैडम की मदभरी सिसकारियां निकलती रहीं.
मैडम इतनी सुंदर थीं, जैसे अप्सरा हो … और मैं इस तरह उनको चूस रहा था, जैसे आज के बाद वो मुझे कभी ना मिलें.
मैडम ने मुझे ‘प्लीज प्लीज …’ कह कर रोका और चूत में लंड डालने को बोला.
मैं लंड चुत में डाल कर मैडम को चोदने लगा.
मैडम भी मस्ती में नीचे से गांड हिला रही थीं.
इस बार काफी देर तक चुदाई का मजा लेने के बाद मैडम बोलीं- कोई और पोजिशन ट्राई करें.
ये सुनकर मैंने मैडम के दोनों पैर पकड़ कर ऊपर कर दिए और तेजी से धक्के लगाने लगा.
मैडम की आवाज अब और भी मादक लगने लगी.
उनके पैर उनके सिर की तरफ मुड़ गए और उनकी गांड और कमर वाला हिस्सा बेड से ऊपर उठा हुआ था.
उनका वजन गर्दन और कंधों पर था.
मैं ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था और मैडम पागलों की तरह आवाज निकाल रही थीं.
मुझे लगा शायद मैडम को दर्द हो रहा है.
क्योंकि मैं भी नशे में चूर था तो वहशी की तरह मैडम को चोद रहा था.
इसलिए मैंने मैडम के पैर छोड़ दिए और लंड बाहर निकाल लिया.
मैडम ने राहत की सांस ली और वो बिल्कुल शांत लेट गईं.
अब मैं उठा और दो ग्लास उठा लाया, जिसमें से एक मैडम को दिया और एक खुद पीने लगा.
मैडम ने हाथ में पकड़ तो लिया पर पिया नहीं.
मैंने अपना खाली करने के बाद
मैडम को बोला तो वो बोलीं- मुझे तुम्हारी गोद में बैठ कर पीना है.
मैं बिस्तर पर बैठ गया.
मैडम मेरी तरफ सामने से चेहरा करके मेरी गोद में बैठने लगीं.
वो गांड हिला कर लंड चुत में लेना चाह रही थीं.
मैंने भी लंड हाथ से पकड़ कर अन्दर डालने में उनकी मदद की.
अब मैडम लंड को अन्दर लेकर बैठ गईं और धीरे धीरे पूरा ग्लास गटक गईं.
फिर ग्लास बाजू में रख कर, मेरे कंधे को पकड़ कर हिलने लगीं.
वो धक्के तो नहीं लगा रही थीं, पर लंड को चूत में अन्दर रगड़ रही थीं.
उफ्फ … मेरे लिए ये बिल्कुल नया आसन था. मैं तो मस्त हो गया.
मैडम झड़ने तक चूत में लंड हिलाती रहीं और मेरे होंठों को चूसती रहीं.
हमारी मस्ती ऐसे ही चलती रही. फिर हम दोनों सो गए.
सुबह उठे तो नित्य क्रिया से फारिग होकर नाश्ता किया.
दो दिन तक हम दोनों ने एक दूसरे को हर तरह से सुख दिया.
अब हम वापस लौट आए थे.
दिन सामान्य गुजरने लगे थे.
दो तीन दिन में एक बार मैडम मुझसे चुदवाने लगी थीं.
एक दिन मैंने मैडम से पीछे से करने के लिए बोला तो वो मना करने लगीं.
उन्होंने कहा- उधर से कभी किया नहीं, दर्द होगा.
मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया.
फिर एक दिन पता नहीं क्या हुआ, सेक्स करते हुए मैडम ने खुद ही कहा- चलो पीछे से कर लो.
ये कह कर मैडम डॉगी स्टाइल में झुक गईं.
मैंने पहले मैडम की गांड के छेद को देखा तो वो बिल्कुल सिकुड़ा हुआ था.
मैंने उसमें उंगली डाली, तो ज्यादा चिकना नहीं लगा.
मैंने देसी स्टाइल में थूक से गांड को चिकना किया.
वैसे भी मैडम के चूत के पानी से चिकना हो गया था तो ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी.
मैं लंड को पकड़ कर गांड के छेद में डालने लगा.
पहले थोड़ा सा डाला तो मैडम कुछ नहीं बोलीं.
मुझे लगा कि कुछ नहीं होगा इसलिए मैंने मैडम की जांघों को पकड़ा और एक तेज धक्का लगा दिया.
मैडम चिल्ला पड़ीं और हाथ से लंड हटाने लगीं जिसकी वजह से वो आगे की तरफ गिर गईं.
अब उनका चेहरा और कंधे बेड पर थे और गांड और ज्यादा ऊपर उठ गई थी.
मैंने जांघ नहीं छोड़ी और धक्के लगाता रहा.
मैडम मुझे रोकना चाहती थीं, पर रोक नहीं पाईं.
गांड का छेद इतना टाइट था कि मैं ज्यादा देर नहीं रुक सका और झड़ गया.
जब मैंने मैडम को छोड़ा तो वो सीधी खड़ी हो गईं और अपनी गांड पर हाथ रख कर दर्द महसूस करने लगीं.
मैंने मैडम को पकड़ा और अपने ऊपर खींच लिया.
वो बोलीं- अशोक दर्द हो रहा है.
मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और जोर से पकड़ लिया.
तभी मेरे मन में एक विचार आया और मैंने मैडम को एक ग्लास शराब बना कर दी.
वो भी शायद इस समय शराब की जरूरत महसूस कर रही थीं, उन्होंने एक ही बार में पूरा गिलास खाली कर दिया.
एक ग्लास मैंने भी पिया और लेट गया.
मैडम मेरे ऊपर लेट गईं, हम दोनों की नींद लग गई और काफी देर तक सोए.
उसके बाद मैडम मेरे लंड को दोनों तरफ से लेने लगी थीं. उन्हें मैं एक मस्त चोदू के रूप में जो मिल गया था.
मेरा जीवन भी खुशहाल हो गया था.
मेरी बीवी को भी पता चल गया था कि मैं मैडम का हर किस्म का ड्राइवर हूँ.
मैं और मैडम अब कभी भी चुदाई कर लेते थे. मैं उनके घर में या बाहर कहीं भी उनकी मर्जी के मुताबिक़ चोद देता था.
ये एकदम सच्ची ड्राईवर हिंदी सेक्स कहानी है, मुझे उम्मीद है कि आपको पसंद आई होगी, मुझे मेल करें.
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