दोस्तो, मैं राहुल एक बार फिर अपनी भाभी के साथ की चुदाई की कहानी आपके लिए लेकर आया हूँ।
अपनी भाभी के साथ चुदाई करते हुए मैं पूरा चोदू बन चुका था, अब तो बस हर गोरी औरत मुझे भाभी लगती थी।
वैसे भी हर मर्द इस बात को जानता है कि भाभियों का गदराया बदन बहुत अच्छा और मदमस्त होता है।
इन दिनों मैं चुदाई के लिए बेक़रार रहने लगा था। मुझे एक शादीशुदा औरत मिली, वो पास की ही एक कंपनी में काम करती थी, उसका शरीर बहुत ही खूबसूरत था, वो नए-नए सेक्सी सूट सलवार पहन कर आती थी।
हमारी नजरें मिलती रहती थीं। मुझे मालूम हो चुका था कि उस कंपनी में उसको देख कर सबके लंड खड़े हो जाते थे। ये देख कर मुझे बहुत बुरा लगता था क्योंकि मुझे लगता था कि इस हसीना को बस मैं चोदूँ, ये मेरा माल बन कर ही रहे।
मैंने उससे बात करने की ठानी.. मैं उसके साथ ऑटो में आने-जाने लगा.. मैं वहीं उतर जाता, जहाँ वो उतरती। उसको भी समझ में आने लगा था कि मैं उसके पीछे पड़ा हूँ। तब भी वो मुझसे गुस्सा नहीं होती थी, जिससे मुझे लगने लगा था कि ये भी मुझसे राजी सी है।
एक दिन उसके पास पैसे खुले नहीं थे। ऑटो वाले ने दो हजार का नोट नहीं लिया। उस वक्त सुबह का टाइम था तो कहीं से छुट्टे मिलना भी सम्भव नहीं था। मैंने जल्दी से ऑटो वाले को उसके पैसे दे दिए.. उसने मना किया, पर सब ठीक हो गया।
इसके बाद मैंने दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो वो मान गई। मैंने जब हाथ मिलाया तो मजा आ गया.. यार क्या क्या मक्खन हाथ था।
फिर ऐसे ही हम दोनों मिलते रहे, हमारे बीच काफी खुल कर बातें भी होने लगीं। मैं उसके शरीर को छूने भी लगा था जिसका वो बुरा नहीं मानती थी, उलटे मुझे भी कहीं कहीं छू देती थी।
एक बार वो घर जाने के लिए स्टैंड पर खड़ी थी, तो मैं बाइक लेकर आ गया और उससे चलने का बोला, वो झट से बैठ गई।
अब मुझे बहुत मजा आ रहा था.. मेरे साथ एक मस्त हसीना जो बैठी थी। उसके चूतड़ मुझे अहसास दे रहे थे कि काश इसे चोद पाऊँ.. तो कितना मज़ा आए।
ऐसे ही सोचते हुए मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैंने एक होटल में जाने की सोची, मैं उसे होटल ले गया तो वो मना करने लगी। मैंने उसे मना लिया.. हम दोनों अन्दर जाकर रेस्तरां में बैठ गए और आर्डर दे दिया।
मैं उससे बातें करने लगा और उससे घर के बारे में चर्चा होने लगी, तो उसने बताया कि उसके पति बैंक में हैं, घर पर सास-ससुर रहते हैं।
इसी के साथ वो बोली- कभी घर पर मिलो.. इधर मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।
उसकी इस बात से मुझे समझ में आ गया कि ये घर पर चुदने की बात कर रही है।
मैंने हँस कर पूछा- अभी चलूं?
तो बोली- अभी नहीं.. मैं बुला लूँगी।
फिर इसी तरह की बातों के साथ हमने कुछ खाया और मैं उसको अपने साथ ले जाकर उसके घर से थोड़ी दूर उतार दिया। मैंने जाने से पहले उसका फ़ोन नंबर भी ले लिया।
रात को मैंने कॉल की, उसने उठाया.. तो मैंने उससे सेक्सी बातें की।
वो फुसफुसा कर बोली- अभी मेरे पति हैं.. मैं आपको दिन में कॉल करती हूँ।
मैं मुठ मार कर सो गया। दूसरे दिन में उसने कॉल की और बताया कि तुम मेरे घर पर मेरे कंपनी के मेंबर बन कर आ जाओ।
मैं जल्दी से उसके घर गया, तो उसकी सास ने दरवाजा खोला तो मैंने कहा- मैं नेहा से मिलने आया हूँ।
सास बोलीं- हाँ बेटा, तुम कंपनी से आए हो ना!
मैंने कहा- हाँ आंटी जी!
तो उन्होंने अन्दर बुला लिया, तभी नेहा भी आ गई, वो बोली- रोहन तुम मेरे कमरे में आ जाओ.. कुछ फ़ाइलें ठीक करनी है।
तो हम दोनों उसके कमरे में आ गए।
अब नेहा फ्री होकर बैठ गई और बोली- बोलो.. अब क्या करना चाहते हो?
मैंने पूछा- अपने मेरा नाम रोहन क्यों कहा?
तो बोली- रोहन मेरी कंपनी में काम करता है ना।
मैं समझते हुए खुश हो गया कि आज ये चुदना चाहती है। मैंने नेहा को जल्दी से अपनी बांहों में भर लिया।
उफ्फ्फ… मस्त एहसास था कि अचानक उसकी सास आ गई, तो मैं अलग हो गया।
सास बोली- बेटा चाय लोगे या दूध?
तो मैं नेहा की चुची की तरफ देख कर हँसने लगा और बोला- आंटी जी दूध पी लूँगा।
आंटी चली गई तो मैंने नेहा की चुची पकड़ लीं और दबाने लगा और उसके कान में कहा- दूध पिला दो?
वो हँसने लगी.. मैं ज़ोर-ज़ोर से उसके मम्मों को दबाने लगा और चूमने लगा। वो मस्त होती जा रही थी।
इतने में वो बोली- मैं दूध लेकर आती हूँ तुम रुको.. नहीं तो मेरी सास को शक हो जाएगा।
वो अपने मस्त चूतड़ों को हिलाती हुई चली गई।
मैं बिस्तर पर लेट गया.. बड़ा ही नर्म बिस्तर था।
थोड़ी देर में नेहा गिलास लेकर आ गई और मुझे देकर बोली- लो पी लो!
मैंने कहा- मुझे ये दूध नहीं.. चुची का दूध पीना है।
नेहा को मैंने पकड़ लिया और उसको लेकर बिस्तर पर लेटने लगा, तो नेहा बोली- अरे दूध का गिलास तो रख देने दो।
मैंने उससे दूध का गिलास लेकर एक तरफ रख दिया और जी भर कर उसको चूमने लगा।
बहुत चूमाचाटी के बाद मैंने नेहा से पूछा- मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तुमने ये सब कैसे किया और मुझे अपने घर बुला कर अपने मदमस्त शरीर को मुझसे चुदवा रही हो?
नेहा ने कहा- मुझे तुमसे ऐसी जगह चुदवाना था कि जहाँ कोई बदनामी ना हो। मैंने फिर ये प्लान बनाया कि तुम्हें अपनी कंपनी का मेंबर बना कर बुलाया जाए।
मैं खुश हो गया और ज़ोर से नेहा की चुची दबा दीं।
इतने में नेहा की सास के आने की आहट हुई.. तो हम दोनों अलग हो गए।
मैं जल्दी से फ़ाइल उठा कर देखने लगा ताकि उनको शक ना हो।
नेहा भी मुझे बताने लगी कि ये फ़ाइल ठीक करनी है।
नेहा की सास आकर बोली- नेहा, मैं पड़ोस में कीर्तन में जा रही हूँ.. तुम रोहन के साथ काम कर लो और घर का भी ध्यान रखना।
नेहा ने ‘ठीक है मम्मी..’ कहा और वो चली गईं।
उनके जाते ही मैंने नेहा को गले लगा लिया और चूमने लगा। धीरे-धीरे मैंने नेहा को नंगी कर दिया और मैं भी नंगा हो गया। क्या मस्त माल लग रही थी।
मैंने उसे सब जगह चूमा, उसके चूतड़ तो बहुत मुलायम और गोरे थे ‘नेहा भाभी तेरे तो बड़े मस्त चूतड़ हैं।’
‘अच्छा मुझे भाभी बना लिया देवर जी!’
‘हाँ नेहा.. तुम मेरी भाभी जैसी ही हो वो भी खूब मजे से देती हैं।’
मैं ये कह कर हंसते हुए उसके चूतड़ों के गुलाबी छेद को चूमने लगा.. बहुत देर तक उसके चूतड़ों को चूमता रहा। फिर गोरी कमर को चूमता हुआ ऊपर आया और अपने लंड को उसके चूतड़ों से सैट कर के चुची को दबाने लगा, साथ ही नेहा भाभी के गालों को चूमने लगा।
फिर नेहा बोली- तुमने मुझे भाभी कहा है.. पर तेरी ये भाभी कौन है राहुल?
मैंने बताया- तुमको देख कर मुझे अपनी भाभी याद आ गई।
नेहा बोली- मुझे देख कर या मेरे चूतड़ों को देख कर!
फिर मैं हँस कर जोश में आ गया और कहा- हाँ नेहा मुझे तेरे चूतड़ों को देख कर भाभी की याद आ गई.. तुम भी मेरी भाभी बन जाओ.. मुझे भाभी की चुदाई पसन्द है।
नेहा ने पूछा- तुम भी अपनी भाभी की चुदाई कैसे करते हो?
मैंने कहा- मैंने भाभी की बहुत चुदाई की है.. उनको मैंने हर तरह से चोदा है।
नेहा गनगना गई और मुझसे लिपट गई।
मैंने नेहा को खूब चूमा.. उसके पूरे बदन को.. चूत गांड को चाट-चाट कर मस्त कर दिया।
‘ओह भाभी.. क्या मस्त माल हो तुम.. आओ तुमको अब जन्नत की सैर करा दूँ।’
फिर मैंने लंड को नेहा की चूत में लगाया और लंड का अहसास पाते ही नेहा ने चुत पसार दी। मैं एक ही शॉट में अन्दर पेल दिया उम्म्ह… अहह… हय… याह… और बहुत कस-कस कर उसे चोदा। कभी नेहा के ऊपर चढ़ कर चोदा तो कभी उसे अपने ऊपर चढ़ा कर चोदा।
नेहा हैरान थी कि मैं कैसे-कैसे उसको चुदाई का मजा दे रहा था। अलग-अलग तरीके से अपनी चुत की चुदाई से वो खुश हो गई थी।
नेहा के पूरे बदन पर मैंने अपने प्यार की मोहर लगा दी थी। मैंने उसको दो बार बहुत देर-देर तक चोदा और दोनों बार उसकी चूत में रस निकाला।
अब मुझे बहुत देर हो चुकी थी उसकी सास कभी भी आ सकती थीं, तो हम दोनों ने कपड़े पहने और नार्मल हो कर बैठ गए। कुछ ही देर में उसकी सास भी आ गईं.. मैं उनसे थोड़ी बात करके चला गया।
इसके बाद हम दोनों मिलते रहे और चूमाचाटी भी कर लेते थे। नेहा ने मुझे अपने पति से भी मिलवाया, उसका पति ठीक-ठाक ही था।
अब तक मैं नेहा की चुदाई उसके पति से भी ज्यादा बार कर चुका हूँ।
दोस्तो यह थी मेरी चुदाई की कहानी.. आपको कैसी लगी, मेल कीजिएगा।
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