मेरी कामुकता भरी कहानी के पहले भाग
वासना के वशीभूत पति से बेवफाई-1
अचानक … एक हाथ मेरे कंधे पर आया, मैं डर कर पीछे की तरफ हो गयी और पीछे खड़े अमित से टकरा गई।
“भाभी …” उसने कंधे पर के हाथ हटाकर मेरी कमर पर ले आया और मुझे करीब खींचा।
मैंने भी कामुकता के वशीभूत कुछ प्रतिकार नहीं किया, उसने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया। उसके हाथ मेरे स्तनों पर आ गए और मेरे अंदर कब से दबी हुई वासना का विस्फोट हो गया, किसी भूखे इंसान की तरह हम एक दूसरे को किस करने लगे।
अमित ने अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा दी, अब हम दोनों की जीभ एक दूसरे से द्वंद्व कर रही थी। पतले ब्लाऊज़ के अंदर उसने मेरा निप्पल आसानी से ढूंढ लिया और उसे मसलने लगा. मैं भी सब भूल कर अपनी बांहों का हार उसके गले में डाल कर सब कुछ भूल कर उसे चूम रही थी।
अचानक पीछे से किसी कड़क चीज का स्पर्श मेरे नितम्ब पर महसूस हुआ. युवराज पीछे खड़ा था और अपना खड़ा लंड मेरे नितम्ब पर रगड़ रहा था। वो पीछे से मेरी गर्दन पर और पीठ पर खुली जगह पर चुम्बन करने लगा.
मेरे अंदर की आग और भड़क गई और मैंने अमित को और कस कर पकड़ लिया। मेरी तरफ से हरी बत्ती मिलने पर उनका भी जोश बढ़ गया और वे और जोर से मेरे नाजुक अंग मसलने लगे।
युवराज नीचे बैठ गया और मेरी साड़ी ऊपर कर के मेरी जांघे चूमने मसलने लगा तो ऊपर अमित ने मेरा पल्लू नीचे गिराकर मेरे स्तन मसलने लगा। इस दोहरे हमले से मैं पूरी चुदासी होने लगी थी।
“सस्सऽऽ… आह…” मेरे सीत्कार उनमें और जोश भर रहे थे.
पीछे युवराज ने मेरी साड़ी और पेटीकोट कमर तक ऊपर कर दी थी। अंदर पैंटी नहीं थी तो मेरे नितंब उसके सामने नंगे हो गए थे, नितिन मजे से उन को दबा रहा था, उन गोलाइयों पर किस करते हुए उन्हें दाँतों से काट रहा था।
“ससऽऽह… धीरे… काटो मत…”
“सॉरी भाभी… आपकी गां… आप के कूल्हे … हैं ही इतने परफेक्ट … जी कर रहा है कि खा जाऊं … जरा सीधी होना … आपकी चूत देख लूं …”
“इधर नहीं रे … चल बैडरूम में चलते हैं.” अमित बोला।
जिस तरह मैं अमित को साथ दे रही थी और युवराज को गांड को सहलाने से नहीं रोका था तो उन्होंने मेरी सहमति पूछना जरूरी नहीं समझा।
उन दोनों ने मुझे छोड़ दिया तभी मुझे खुल कर सांस लेने का मौका मिल गया. पर अमित वासना के जोश में आ गया था, उसने मुझे पास खींचा और मुझे गोद में उठा कर बैडरूम की तरफ जाने लगा। अमित बीच बीच में झुककर मुझे किस करता, युवराज बेताबी से पीछे चलने लगा, उसे कुछ चांस नहीं मिल रहा था जितना हो सके वह मेरे स्तनों को दबा रहा था।
दोनों को मुझे भोगने की जल्दी थी, उनकी कामुकता, उनका उतावलापन देख कर मुझे हँसी आने लगी थी।
अमित ने मुझे बेड के पास खड़ा किया और अपनी फूली हुई सांस को काबू में करने लगा. तब तक युवराज ने मेरा पल्लू पकड़ कर खींचा और मेरी साड़ी उतार दी। अब मैं सिर्फ पेटीकोट और ब्लाऊज़ में थी।
नितिन ने मेरे नितम्बो का मोर्चा संभाला, वो मेरे कूल्हों को पेटीकोट के ऊपर से मसलने लगा. तभी ऊपर युवराज ने एक झटके से मेरा ब्लाऊज़ फाड़ दिया और उसे मेरे शरीर से अलग कर दिया। मैंने अपने दोनों हाथों से मेरे बड़े गोल बूब्स ढकने की कोशिश की और मेरी पेटीकोट पर से हाथ हटाया।
अमित ने इसी बात का फायदा उठाया और मेरे पेटिकोट के नाड़े को खींच कर खोल दिया तो मेरा पेटिकोट नीचे जमीन पर गिर गया।
युवराज ने तब तक अपने पूरे कपड़े उतार कर फेंक दिए. उसका बदन कसरती था और उसका लंड खड़ा होकर पैरों के बीच डौल रहा था। मैं उसे देखती रही और वो मेरे करीब आने लगा. उसने सामने से मुझे गले लगाया और उसका लंड मेरे पेट पर धक्के देने लगा।
अमित ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और पीछे से मेरे नंगे गोल कूल्हों पर हाथ साफ करने लगा, बीच बीच में वह मेरी चूत को छूने की कोशिश करता पर मैं अपनी जांघें भींच कर उसे वहाँ पर पहुँचने नहीं दे रही थी।
युवराज ने मेरे स्तनों का मोर्चा संभाला और उन्हें बारी बारी से चूसने लगा. उसने अपने दोनों हाथों से मेरे हाथों को जोर से पकड़ा हुआ था। दोनों ओर से मेरे ऊपर हमला हो रहा था और मुझे प्रतिकार करने का मौका ही नहीं मिल रहा था।
युवराज मेरे दांयें निप्पल को चूसता, फिर स्तनों के बीच की घाटी को चूमते हुए बांयें निप्पल को मुँह में पकड़ता, दूसरी तरफ अमित मेरे पैरों को किस कर रहा था। घुटनों से शुरू करते हुए वह जांघों तक किस करता रहा और फिर मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा.
उसने हल्के से मेरी चूत पर एक किस जड़ा तो मेरा रोम रोम मचल गया।
“आह … भाभी … कितनी सेक्सी हो आप …” अमित मेरे पैरों को अपनी बाँहों में जकड़ते हुए बोला।
अमित का शरीर भी कसरती था, उसके सीने पर और पीठ पर घने काले बाल थे।
मैं उन दोनों नंगे पुरुषों के बीच में नंगी खड़ी थी. अमित अब खड़ा हुआ और मुझे पीछे से चिपका। उसके सीने के बाल मेरी पीठ पर गुदगुदी कर रहे थे और उसका हथियार मेरे गांड की दरार में घुसने की कोशिश कर रहा था।
दोनों जैसा मौका मिले वैसे मेरे बदन को सहला रहे थे.
मेरी तरफ से विरोध करना अब बंद हो गया था। मैं आँखें बंद करके दो तगड़े मर्दों के बीच मसले जाने का सुख महसूस कर रही थी।
“चल अमित जल्दी से एक राउंड कर लेते हैं … नितिन आ गया तो परेशानी होगी.” युवराज बोला और हम सभी होश में आ गए.
दोनों ने मिलकर मुझे उठाया और बेड पर लिटाया।
अब युवराज मेरी टाँगों के बीच आ गया और मेरी बालों में छुपी चूत में अपनी उंगली घुसाई।
“सस्सह … आह … धीरे …” युवराज तेजी से चूत में उंगली कर रहा था और मेरी उत्तेजना चरम पर पहुंचा रहा था।
अमित मेरे मुँह के पास बैठ गया और अपना लंड मेरे मुँह के पास ले आया- भाभीजी … प्लीज एक बार चूसो ना!
उसका लंड अच्छा खासा लंबा और मोटा था. उसके बड़े गुलाबी सुपारे को देख कर मेरे मुँह में पानी आ रहा था। पर मैं अपना उतावलापन उन्हें नहीं दिखाने वाली थी, मैंने सिर्फ उसके लंड पर हल्का सा किस किया।
“ऐसे नहीं भाभीजी … ठीक से चूसो!” अमित अपना लंड मेरे मुँह में घुसाने की कोशिश करने लगा.
मैं मजबूरी दर्शाते हुए उसका आधा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।
उधर नीचे युवराज ने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत से निकाल दी और चूत पर अपना मुँह रख दिया. उसकी जीभ जब मेरे चूत के दाने से टकराती तो मैं उछल जाती। अमित मेरे नितम्ब, स्तन मसलते हुए मजे से अपना लंड मुझसे चुसवा रहा था. मैं मेरी उत्तेजना छुपाने की कितनी भी कोशिश करूँ पर मेरी बहती चूत सब दास्तां बयाँ कर रही थी।
अमित ने अपना पूरा लंड मेरे मुँह में ठूँस दिया था और मेरे स्तन मसलकर लाल कर दिए थे. युवराज ने जी भर कर मेरी चूत के रस का पान किया और खड़ा हो गया. उसका वह काला नाग खड़ा हो कर उसकी जांघों के बीच में डोल रहा था।
“अमित … अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है … मैं अब भाभी के अंदर डालने वाला हूँ … भाभीजी आप घोड़ी बन जाओ.” वो मुझे अपनी बीबी की तरह हुकुम दे रहा था.
वासना में मैं उन दोनों के हाथ की कठपुतली बन गयी थी और उनकी हर बात मान रही थी।
अमित अब हमारे किंग साइज बेड के हेडरेस्ट पर पीठ लगाकर बैठ गया और मुझे अपने सामने घोड़ी बनने को बोला. उसका लंड बिल्कुल मेरे सामने था। उसने मेरे सर को पकड़ते हुए उसे मेरे मुँह में डाला, युवराज मेरे पीछे आकर घुटनों के बल बैठ गया और अपना लंड मेरी गांड पर घिसने लगा।
मेरी चूत पूरी गीली हो गई थी, मैं अब वासना से बैचैन होकर लंड के अंदर घुसने का इंतजार कर रही थी।
युवराज ने मेरी चूत में उंगली डाल कर गीलेपन का अंदाजा लिया, मेरे गांड की हाइट एडजस्ट कर के उसने अपना लंड मेरी चूत की दरार पर रखा और एक ही झटके में पूरा अंदर पेल दिया। अमित का लंड से मेरा मुँह भरा था इसलिए मैं चिल्ला भी नहीं पाई।
“युवराज … यार … धीरे, मेरे लंड को दांत लग जाएंगे.” अमित बोला।
“दांत लग जायेंगे?” मेरे दर्द की दोनों को परवाह ही नहीं थी तो मैंने जानबूझकर उसके लंड को हल्के से काटा।
“आह … नहीं भाभी … धीरे से करेंगे हम दोनों …” अमित दर्द से कराहते हुए बोला।
पीछे युवराज की गाड़ी ने अपनी स्पीड पकड़ ली थी, नीचे झुककर वह अपने हाथों से मेरे लटकते हुए मम्मे मसलते हुए मुझे मजे से चोद रहा था। मेरी वासना भी चरम पर थी, मैं भी अपनी कमर को आगे पीछे कर कर उसे साथ दे रही थी।
अमित ने मेरा मुँह अपने लंड पर से हटाया और युवराज से बोला- साले, अकेले अकेले ही लगा रहा है … हट अब मुझे चोदना है.
कह कर अमित नीचे खिसक गया और मेरे नीचे आ गया.
उधर युवराज ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया तो मैं मचल उठी। मैं झट से नीचे लेटे अमित के ऊपर चढ़ गई और उसके लंड पर अपनी चूत रगड़ने लगी. मैंने नीचे हाथ डाल कर अमित का लंड चूत की दरार पर सेट किया और धीरे धीरे नीचे होते हुए उसे चूत के अंदर लेने लगी।
अमित ने मुझे आगे झुकाया और नीचे लेटे हुए मजे से मेरे स्तन चूसने लगा. मैं अपनी कमर हिलाते हुए उसके लंड पर कूदने लगी। अमित भी नीचे से अपनी कमर उठा उठाकर मुझे चोद रहा था. मेरे स्तनों पर, जांघों पर, कमर पर गांड पर किस के हाथ दौड़ रहे थे, मुझे पता ही नहीं चल रहा था, मैं अपनी आँखें बंद करके चुदाई का आनंद ले रही थी।
“भाभी … मेरा होने वाला है.” मेरे स्तनों को बेरहमी से चूसते, मसलते हुए अमित चिल्लाया और तेजी से धक्के लगाने लगा.
मैं भी दो बार झड़ चुकी थी और चूत में तेजी से अंदर बाहर होते लंड का मजा ले रही थी।
अमित ने मुझे कस कर सीने से लगाया और अपने होठों से मेरे होंठ बंद करते हुए मेरी चूत में अपना पानी छोड़ने लगा। उसके वीर्य की गर्माहट से मैं फिर एक बार झड़ गयी। थोड़ी देर तक मैं उसके शरीर पर पड़ी रही, अमित मेरी पीठ सहलाते हुए मुझे किस कर रहा था।
युवराज बेचैनी से अपना लंड हिलाते हुए खड़ा था, अमित का होने के बाद वो भी जल्दबाजी दिखाने लगा।
“अमित साले … दूर हट … तेरा हो गया ना … नितिन आ गया तो मैं भूखा रह जाऊंगा.” युवराज बेड के ऊपर चढ़ गया.
“भाभीजी देखो ना कितना बेताब है आपकी चूत के अंदर घुसने को…” बोल कर वो मेरे बूब्स दबाने लगा और पीठ पर किस करने लगा।
उसका उतावलापन देखकर मुझे अपने आप पर हंसीं आ गयी, मैं अमित के ऊपर से उठी। उसका लंड अब ढीला पड़ गया था और आसानी से चूत के बाहर आ गया.
उसके साथ ही हम दोनों का काम रस बाहर निकल कर जांघों से नीचे बहने लगा।
मैं अमित के ऊपर से हटी और उसके बाजु में पीठ के बल लेट गयी, युवराज घुटनों पर दौड़ते हुए मेरी जांघों के बीच आ गया और मेरी टाँगों को फैलाकर मेरी चूत पर लंड रगड़ने लगा। उसका उतावलापन देख कर मुझे हँसी आ गयी।
“अरे रुको … मुझे … आसस्सऽऽ …” मेरा मुस्कुराना मेरे गले में ही रह गया, युवराज ने एक ही झटके में अपना लंड चूत के अंदर घुसेड़ दिया था।
“शसस्सऽऽ … भाभी धीरे … कोई सुन लेगा.” मेरे साथ लेटा अमित मेरी करफ मुड़ते हुए बोला।
अमित मेरे गाल पर और होठों पर किस करते हुए मेरे निप्पल मसलने लगा और स्तन सहलाने लगा। युवराज जोश में आ गया था, मेरी जांघें अपने हाथों में पकड़कर दनादन धक्के लगा रहा था।
नितिन के वापस आने के डर से, दो मर्दों से चुदने की उत्तेजना से और अमित के सहलाने से मेरी चूत फिर से पानी छोड़ने को तैयार हो गयी।
युवराज ने अच्छी स्पीड पकड़ ली थी, अपने होंठ दांतों तले दबाकर आँखें बंद करके वह एक लय में धक्के दे रहा था। मुझे भी मजा आने लगा था, मैंने पास लेटे अमित के सिर को पकड़ कर मेरे चेहरे के करीब ले आयी और उसे चूमने लगी।
वो लगातार मेरे स्तन मसले जा रहा था, मैंने एक हाथ नीचे डाल कर उसके लंड पर रख दिया। अमित का लंड दोबारा खड़ा होने लगा था, मैं उसके लंड को सहलाने लगी। युवराज ने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.
वैसे मेरी चूत अब अपने चरम की ओर जाने लगी, मैंने अपना मुँह अमित के मुँह से हटाया और चिल्लाने लगी।
“आह… युव…ऽऽराज… और तेज … मेरा … होने … आह …” मेरी सिसकारियां सुनकर उसका बांध छुटा और वो गर्म तेज वीर्य की पिचकारियां मेरी चूत में छोड़ने लगा। तूफानी स्पीड में दस बारह धक्के लगाने के बाद युवराज शांत होकर मेरे ऊपर गिर गया।
मैं कितनी बार झड़ी, उसकी गिनती ही भूल गयी थी. हम दोनों कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में पड़े रहे। थोड़ी देर बाद युवराज मेरे ऊपर से हटा और नीचे लेट गया पर मैं उसी अवस्था में लेटी रही. बहुत दिनों बाद किये हुए जबरदस्त सेक्स की वजह से मुझे सुस्ती आ गयी थी।
थोड़ी देर बाद मैं अंगड़ाई लेते हुए उठी तो देखा अमित मेरी टाँगों के बीच बैठा हुआ था, उसका लंड दूसरे राउंड के लिए तैयार खड़ा था।
“नहीं … अब नहीं … मैं थक गयी हूँ … नितिन भी अभी आते ही होंगे.” मैं मना कर रही थी पर अमित कहाँ मानने वाला था, वो मेरे स्तन दबाकर और किस करके मुझे मनाने की कोशिश करने लगा- एक बार भाभीजी … प्लीज … नीचे नहीं तो एक बार मुँह में ले लो … प्लीज … एक बार …
उसका खड़ा लंड देख कर मैं भी पिघल गयी और पेट के बल सोते हुए मैं उसका लंड चूसने लगी. अमित बेड के नीचे खड़ा होकर मेरे सिर पकड़े हुए अपना लंड मेरे मुँह के अंदर बाहर कर रहा था। तभी अचानक मेरी गांड को किसी ने छुआ, मैं अमित का लंड चूसते हुए ही पीछे देखा तो पीछे युवराज था।
युवराज का लंड भी फिर से तैयार हो गया था और वो पीछे से अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ रहा था, मैं कुछ बोलने की कोशिश करती तब तक अमित ने मेरा सिर फिर से पकड़ कर मेरे मुँह में अपना लंड जड़ तक घुसा दिया।
मेरी गीली चूत में युवराज ने अपना लंड घुसाया और धक्के देने लगा. हम तीनों वासना की आगोश में एक दूसरे को भरपूर कामसुख दे रहे थे। दोनों ही झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे, मैं दोनों तरफ से हो रहे हमले का मजा लेते हुवे पानी छोड़े जा रही थी।
आखिर कार वो दोनों झड़ने के करीब पहुंच गए, अमित का लंड फूल कर मेरे मुँह में फड़फड़ाने लगा। अमित अपना लंड मुँह से बाहर निकाल कर हाथों से तेज हिलाने लगा, फिर मुँह से घुर्राते हुए वीर्य की पिचकारियां मेरे मुँह पर छोड़ने लगा।
पीछे युवराज की अवस्था भी ऐसी ही थी, उसने भी अपना लंड बाहर निकालकर अपना पानी मेरी गांड पर छोड़ दिया।
हम तीनों बहुत थक गए थे और बेड पर लेट गए थे, रूम में हम तीनों की तेज सांसों की आवाज गूंज रही थी।
थोड़ी देर बाद दोनों उठे और कपड़े पहनने लगे, मैं भी उठ कर बाथरूम चली गयी और अच्छे से शावर लिया। सिर्फ टॉवेल लपेटकर बाहर आई तो देखा दोनों बाहर हॉल में बैठे थे।
मैंने जल्दी से कपबोर्ड से दूसरी साड़ी निकली और पहन ली, फिर बेडरूम ठीक से साफ करके हॉल में आ गयी। कोई किसी से बातें नहीं कर रहा था.
बाद में अमित मेरे पास आया और मुझे किस करते हुए बोला- थैंक्स भाभीजी … ऐसा अनुभव हमने पहले कभी लिया था … यू आर रियली सो सेक्सी…
युवराज भी मेरे पास आ गया और मुझे किस किया।
तभी दरवाजे की घंटी बजी और हम तीनों होश में आ गए, दरवाजा खोल कर देखा तो नितिन आया हुआ था।
मैंने उससे कुछ बात नहीं की और सीधा बेडरूम में जाकर सो गई.
नितिन ने थोड़ी देर तक उन दोनों से बातें की और उन्हें एयरपोर्ट छोड़ने के लिए चला गया।
अंधेरा पड़ते ही मैं उठी और खाना बनाया, नितिन अपने पति को धोखा देने का दुख था पर उससे भी ज्यादा मजे से चुदने की खुशी थी। मैं खाना खाकर फिर से सो गई.
नितिन रात को लौटा तो मैंने उससे बात नहीं की, उसे लगा कि मैं नाराज हूँ और वो भी सो गया।
दूसरे दिन सब नार्मल हो गया और हम फिर से राजा रानी की तरह रहने लगे।
दोस्तो, मेरी वासना, कामुकता भरी कहानी कैसी लगी? मुझे कमेंट करके अवश्य बतायें.