अब मैं फिर से एक कहानी ले उपस्थित हूँ. यह कहानी मेरी नहीं है. मेरी कहानी पढ़ने के बाद मुझे एक मेल आया और उन्होंने मुझे उनकी कहानी लिखने की रिक्वेस्ट की, जो मैंने मान ली.
आगे कहानी उन्हीं की ज़ुबानी:
मैं अर्पित आपके लिए अपनी प्रेम कहानी को लेकर हाजिर हूँ. मेरी इस प्रेम कहानी में कैसे हम दोनों ने आपस में शारीरिक सम्बन्ध बनाए. इस पूरी कहानी को मैं विस्तार से सुनाना चाहूंगा, उम्मीद है आपको मेरी ये सेक्स कहानी पसंद आएगी.
मैं अर्पित इंदौर का रहने वाला उच्च शिक्षित युवा हूँ और एक सम्पन्न परिवार से सम्बन्ध रखता हूँ. मैं जयपुर में एक बैंक में ब्रांच मैनेजर के पद पर कार्यरत हूँ. मैं अभी अविवाहित हूँ.
मेरी पहली पोस्टिंग जयपुर में हुई थी. मैं अपनी ज्वाइनिंग के लिए इंदौर से ट्रेन से जयपुर जा रहा था. मेरी ट्रेन रात को 12.30 बजे रतलाम स्टेशन पे रुकी. मैं सेकंड एसी में सफर कर रहा था. रतलाम से मेरे सामने वाली बर्थ खाली हो गयी. रतलाम से ही एक लड़की मेरे सामने वाली बर्थ पे आके बैठ गई.
क्या बताऊं दोस्तो … क्या मस्त लड़की थी. उसका रंग थोड़ा सांवला था, पर उसकी आंखें बहुत सुन्दर और बड़ी बड़ी थीं. उसके होंठ तो बहुत सेक्सी थे. निचला होंठ थोड़ा मोटा और ऊपर का होंठ थोड़ा पतला. इतने रसीले होंठ थे कि देखते ही उनको चूमने और चूसने का दिल करने लगा था. उसने होंठों पे बेहद हल्के रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी. उसके बाल कंधों तक खुले थे. माथे पे सफ़ेद रंग की छोटी से बिंदी उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थी. उसने सफ़ेद रंग का पजामी सूट पहन रखा था. सूट की कमीज पे हल्के लाल रंग के फूल और उसी रंग का उसका दुपट्टा, उस पे बहुत फब रहा था.
उसने अपना सामान सैट किया और वाशरूम जाने लगी.
जब वो जाने को उठी तब मुझे उसके पूरी जिस्म का मुयायना करने का अवसर मिला. उसका फिगर भी बहुत सेक्सी था. कोई 32 साइज के उसके बूब्स, उसकी कमर की साइज 28 की रही होगी और 34 साइज के उसके उभरे हुए चूतड़ मटक रहे थे. चलते वक्त मैंने नजर भर के देखा कि उसकी अच्छी भरी हुई गुंदाज जांघें थीं, जो उसकी चुस्त पजामी में से साफ़ दिख रही थीं. उसकी कमर के कर्व्स भी उसकी टाईट फिट कमीज में से अच्छी तरह से दिख रहे थे. उसकी हाइट कोई साढ़े पांच फीट की रही होगी. ऊंची ऐड़ी के स्लीपर पहनने के कारण वो बहुत सेक्सी लग रही थी. कुल मिला कर यह कहना ठीक रहेगा कि उसे देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए.
कुछ पल बाद वो वाशरूम से आकर अपनी सीट पे बैठ गयी. उसने अपने हैंडबैग से एक इंग्लिश नॉवेल निकाला और पढ़ने लगी. मैं उसे चोर नज़रों से देख रहा था और सोच रहा था कि काश यह माल मेरी गर्लफ्रेंड बन जाए.
शायद उसको भी पता चल गया था कि मैं उसे चोर नज़रों से देख रहा हूँ, पर वो फिर भी अनजान बनी हुई थी और अपनी किताब पढ़ने में मस्त थी. बीच बीच में वो अपने पे माथे पे आ रहे बालों को पीछे करती तो और भी सुन्दर लगती.
हमारी बोगी में एक चाय वाला आया तो उसने चाय का कप लिया और सीधी बैठ के चाय पीने लगी. मैं अभी भी तिरछी नज़रों से उसे देख रहा था.
तभी उसने मुझे बुलाया- एक्सक्यूज़ मी!
मैंने उसकी तरफ देखा, तो वो बोली- गाड़ी जयपुर कितने बजे पहुंचेगी?
मैंने बोला- सुबह 4 के आस पास.
उसने ओके बोला और फिर से अपनी किताब पढ़ने में व्यस्त हो गयी. मैं भी अपने मोबाइल पे हेड फ़ोन लगा के गाने सुनने लगा.
पता नहीं कब मेरी आंख लग गयी. जब मेरी आंख खुली, तो गाड़ी जयपुर पहुंचने वाली थी, सुबह के 4 बज चुके थे. मैंने उस लड़की की तरफ देखा, तो वो किताब अपनी छाती पे रख के सो रही थी. उसके बाल उसके गालों पे आ गए थे. इस वक्त वो बहुत प्यारी लग रही थी. दिल तो किया कि उसके गालों पे किस कर लूँ पर मैं अभी कुछ कर नहीं सकता था.
मैं पहले वाशरूम गया, फ्रेश होकर वापिस आया … तो उसको जगाने के लिए ‘एक्सक्यूज़ मी..’ कह के आवाज़ लगायी.
उसने आंखें खोली तो मैंने बताया कि जयपुर आने वाला है.
वो जल्दी से उठी और फ्रेश होने चली गयी. वापिस आके उसने मुझे थैंक्स बोला और अपना सामान निकालने लगी. उसने मुझे अपना सामान गाड़ी से उतरने के लिए रिक्वेस्ट की जिसे मैंने भी तुरंत मान लिया.
जब हम प्लेटफार्म उतर के बाहर टैक्सी या ऑटो रिक्शा लेने के लिए जाने लगे, तो वो बोली- अभी तो बाहर बहुत अंधेरा है … और मैं तो पहली बार इस अनजान शहर में आयी हूँ. मुझको अभी टैक्सी या ऑटो रिक्शा में जाना सेफ नहीं लग रहा है. अगर आप भी अभी प्लेटफार्म पे बैठ के मेरे साथ जरा दिन निकलने का इंतज़ार कर लो, तो मैं इसे आपका एहसान मानूंगी.
मैंने उसे प्लेटफार्म पे खाली पड़े बेंच पे बैठने का इशारा किया. तो वो मुझे धन्यवाद करते हुए वहां बैठ गयी. मैंने उसे चाय के लिए पूछा, तो उसने हां कर दी.
मैं जा के दो चाय ले आया. चाय पीते हुए उसी ने बात शुरू कि वो यहां पे एम बी ए करने आयी है और उसका नाम अदिति है.
मैंने बोला- आपका नाम भी आपकी तरह ही खूबसूरत है.
तो वो शरमाते हुए मुस्कराने लगी और मुझे थैंक्स बोला. साथ ही मेरी तरफ मेरा परिचय जानने की नजर से देखा.
मैंने उसे अपने बारे में बताया- मैं इंदौर से अर्पित … यहां बैंक में मेरी नौकरी लगी है और मुझे आज ही ब्राँच मैनेजर का पद ज्वाइन करना है.
मेरे पूछने पर अदिति ने बताया कि वो हॉस्टल में नहीं, उसकी एक फ्रेंड पहले से यहीं पढ़ रही है, वो उसके साथ ही फ्लैट में रहेगी.
मैंने बताया कि मैं अभी बैंक के गेस्ट हाउस में रहूंगा, फिर बाद में कोई अपना इंतज़ाम कर लूँगा.
कुछ ही देर में दिन का उजाला हो गया, तो हम स्टेशन से बाहर आकर टैक्सी वाले से अपना अपना पता दिखा के पूछने लगे.
टैक्सी वाला बोला- ये दोनों एड्रेस एक ही तरफ एक ही रोड पे हैं.
ये सुनकर हमने एक ही टैक्सी कर ली. अदिति टैक्सी में भी बात करती रही और बीच बीच में वो अपनी ही बात पे हंस देती.
मैं मंत्र मुग्ध सा उसे देखता रहा. मेरी नज़र तो उसके चेहरे से हट ही नहीं रही थी. जब वो हंसती, तो उसके गालों में दोनों तरफ गड्ढे पड़ते और उसके सफ़ेद दांत मोतियों की तरह चमक उठते.
उसकी हंसी ऐसी लग रही थी, जैसे पायल के घुंघरू खनक रहे हों.
मैं तो बस उसका दीवाना हो रहा था और वो इस बात से बेखबर अपने में मस्त थी. जब कभी वो अपने चेहरे से अपने बाल पीछे हटाती तो और भी क़यामत लगती.
कब उसकी मंज़िल आ गयी, मुझे पता ही नहीं लगा. टैक्सी वाला बोला- मैडम, आपकी सोसाइटी आ गयी है.
अदिति ने मुझे बाई बोला और टैक्सी वाले को अपने हिस्से का किराया देने लगी. मैंने एक बार उसे रोका, पर उसने मेरी बात नहीं मानी.
गेस्ट हाउस पहुंच कर भी मैं अदिति के ख्यालों में ही डूबा रहा. मुझे अपने आप पे गुस्सा भी आ रहा था कि मैंने उसका मोबाइल नंबर क्यों नहीं लिया.
खैर … अब हो भी क्या सकता था.
मैंने अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली और कुछ दिन बैंक में ही काम में बिजी हो गया. इसी बीच मैंने अपने लिए दो रूम का फ्लैट किराये पे ले लिया था और घर से अपनी कार भी ड्राइवर से मंगवा ली थी.
जिस सोसाइटी में मेरा फ्लैट था, वो सोसाइटी अदिति की सोसाइटी से कुछ ही दूरी पे थी, पर उससे अभी तक मुलाकात नहीं हुई थी.
एक दिन संडे को मैं जिम से निकल रहा था तो मार्किट में अदिति दिखाई पड़ गयी. मैं उसके करीब गया और उसको हैलो बोला तो वो भी मुझे देख के मुस्करायी और हैलो बोली.
वो बोली- अरे आप यहां कैसे?
मैंने उसे बताया- मैं यहीं जिम में आता हूँ और थोड़ी दूर पे सोसाइटी में किराये पे फ्लैट ले लिया है.
वो बोली- फिर तो बढ़िया है, मेरा भी यहां से फ्लैट नज़दीक ही है.
हम दोनों पास के ही कॉफ़ी हाउस में कॉफ़ी पीने चले गए.
वो बोली- आप तो उस दिन के बाद ऐसे गायब हुए कि आज 2 महीने बाद मिले हो.
मैंने बोला- मेरे पास आपका नंबर ही नहीं था.
अदिति ने मुझे अपना नंबर दे दिया. मैं तो उसके चेहरे में ही खोया था, जिसे अदिति भी नोटिस कर रही थी … पर वो बोली कुछ नहीं. उसने वाइट टी शर्ट एंड ब्लू कलर की जीन्स पहन रखी थी. वो बहुत स्मार्ट एंड सेक्सी लग रही थी.
वो बोली- उसके पास सुबह सुबह काफी खाली वक़्त होता है.
इस बात पर मैंने उसे जिम ज्वाइन करने की सलाह दे डाली कि पास में ही जिम है, जहां और भी लेडीज आती हैं, तो वो भी आराम से वहां जिम कर सकती है.
उसने बोला- ओके … गुड आईडिया.
फिर हम अपने अपने घर आ गए. मैं तो सारा दिन अदिति के बारे में ही सोचता रहा.
शाम को मैंने व्हाट्सैप पे उसे मैसेज किया, तो उसका भी रिप्लाई आ गया. उसने मुझे बताया कि अब वो भी जिम में आया करेगी. उसने मेरे वाले टाइम मॉर्निंग 6.30 से 8 बजे को ही चुना था.
मैं खुश हो गया कि अब अदिति से रोज़ मुलाकात होगी.
अगली सुबह जब मैं जिम पहुंचा, तो अदिति मेरा इंतज़ार कर रही थी. मैंने उसका परिचय करवाया और सारी फॉर्मलटीज पूरी करवा दीं.
अब सुबह हम रोज़ ही मिलने लगे, जिम में ही जूस कार्नर पे जूस पीते. मेरा और अदिति का ट्रेनर भी एक ही था. अदिति जिम करने वाले कपड़ों में और भी सेक्सी लगती. बिल्कुल फिट स्पोर्ट्स कैपरी में उसके उभरे हुए चूतड़ और गदरायी हुई जांघें तो क़यामत लगती थीं. उसके ऊपर स्लीवलेस फिट टॉप में से उसके बूब्स उसकी फिगर को परफेक्ट बनाते थे. चेहरे पे मासूमियत और उसकी मुस्कान किसी का भी चैन उड़ा सकते थे.
जब भी मैं अदिति के साथ होता, तो मैं अपने आपको प्राउड फील करता.
अगले संडे सुबह ही अदिति का कॉल आ गया. वो पूछने लगी कि मैं आज दिन में फ्री हूँ क्या?
तो मैंने हां बोला, तो वो बोली- यार दो महीने हो गए जयपुर आये हुए … मैंने अभी जयपुर ही नहीं देखा है. क्या तुम मेरे साथ घूमने चल सकते हो?
मैंने तुरंत हां बोल दिया. ऐसा मौका तो मैं मिस ही नहीं कर सकता था.
वो बोली कि मेरी फ्रेंड भी साथ चलेगी.
मैंने ओके कह दिया.
मैंने ठीक 10 बजे उसकी सोसाइटी के बाहर पहुंच कर उसको कॉल किया, तो उसने बोला कि बस पांच मिनट.
मैं कार से बाहर निकल कर उसका इंतज़ार करने लगा. मैं भी उस दिन अदिति के लिए कुछ ख़ास तैयार होके आया था. ब्लू जीन्स के साथ वाइट शर्ट और रे-बैन के सनग्लासेस.
तभी गेट से अदिति आती दिखाई दी. उसे देखते ही मेरे तो जैसे होश उड़ गए. येलो कलर का लॉन्ग कुरता, उसके नीचे ऊंचा प्लाज़ो पैन्ट टाइप और बालों में फंसा धूप का चश्मा. वो तो आज प्रियंका चोपड़ा को भी मात दे रही थी. मैं तो उसको देखने में ही खोया था.
तभी वो पास आकर बोली- क्या बात है … आज बहुत हैंडसम लग रहे हो, किसको कत्ल करने का इरादा है?
मैं हंस पड़ा और वो भी हंसने लगी.
हम दोनों कार में बैठे, तो मैं बोला- क़ातिल तो आज मेरे साथ वाली सीट पे बैठा है. आज तो जयपुर में कई कत्ल होंगे.
मेरी बात पर वो मुस्करा दी और बोली- लगता है आप शायरी करना भी सीख गए हैं.
मैंने उसकी सहेली के बारे में पूछा, तो वो बोली- नहीं वो नहीं आई, उसका बॉय फ्रेंड फ्लैट पे आएगा और फिर दोनों वो मस्ती करेंगे, इसीलिए तो वो मेरे साथ आयी नहीं है.
मैं थोड़ा सा मुस्कराया, तो वो भी आँख दबा कर हंसने लगी.
हम दिन भर जयपुर के टूरिस्ट स्पॉट्स पे घूमते रहे, हम दोनों ने साथ में ही लंच किया. शाम को अदिति ने कुछ शॉपिंग की. जब वापिस उसे उसके फ्लैट पे छोड़ने आया, तो वो मुझे ज़बरदस्ती अपने फ्लैट में ले गयी. उसने अपनी सखी नीला से मिलवाया. वो भी गज़ब की खूबसूरत थी.
नीला ने मुझे डिनर करके जाने के लिए बोला, तो अदिति के ज़ोर देने पे मैं भी रुक गया. नीला ने खाना तैयार कर रखा था, तो वो फ्रिज में से वाइन की बोतल निकाल लायी.
किसी लड़की के साथ बैठ के वाइन पीने का ये मेरा पहला अनुभव था. हमने साथ में वाइन पी और एक दूसरे के बारे में बात करते रहे. साथ साथ सिंपल जोक्स भी चल रहे थे … जिन पे अदिति खुल के हंस देती. उस वक्त तो मैं सिर्फ उसको हंसते हुए ही देखता रहता.
यह बात नीला ने नोटिस कर ली. सिंपल जोक्स से हम कुछ नॉनवेज जोक्स पे भी आ गए. मेरा ध्यान तो बस अदिति के चेहरे पे ही रहता, ये बात बराबर नीला नोटिस कर रही थी.
हमने डिनर खत्म किया मैं अपने फ्लैट लौटने लगा तो नीला और अदिति मुझे सोसाइटी में नीचे तक छोड़ने आईं. मेरी कार की चाबी ऊपर फ्लैट में ही रह गयी, तो अदिति लेने चली गयी.
उस वक्त नीला मुझे अकेले देख कर बोली- क्या तुम अदिति को चाहते हो?
मैंने हां बोला, पर ये भी बोला कि मुझे अदिति का नहीं पता है कि क्या वो मेरे बारे में ऐसा सोचती है.
नीला बोली- जल्दी से अदिति को प्रपोज़ कर दो. क्योंकि अदिति ने मुझे तुम्हारे बारे में खूब बताया है. इससे मुझे लगता है कि तुम्हारे लिए भी उसके दिल में कुछ तो है.
इतने में अदिति आ गयी और मैं दोनों हसीनाओं को गुड नाईट बोल के आ गया.
इस तरह मेरी और अदिति की दोस्ती काफी करीबी हो गयी थी.
इस कहानी का अगला भाग : ट्रेन में एक हसीना से मुलाक़ात-2