गर्लफ्रेंड की कुंवारी चूत उसी के घर में फाड़ी

नमस्कार दोस्तो, मैं आपका दोस्त प्रतोष सिंह हाज़िर हूं एक और चूत और लंड को कड़क कर देने वाली कहानी के साथ!

अन्तर्वासना सेक्स कहानी का सच्चे दिल से आभार व्यक्त करता हूं जिनकी वजह से हमें लंड हिलाने और चूत में अंगुली करने को मिलता और ऐसी रोचक कहानियां एक दूसरे के सामने पेश कर पाते हैं.

तो चलिए गौर फरमाते हैं एक और हसीना की चीखों पर!
बात कुछ दिनों पहले की है जब मेरी मुलाकात एक और हसीना. जिसका नाम अनिता है, से हुई।

वाकया कुछ इस तरह हुआ कि मैं जब काल सेन्टर के दूसरे कम्पनी में ट्रेनिंग में था।

मुझे एक डायरी दिखी. तो मैंने जब उसे खोल कर देखा. उसमें एक लड़की का नाम लिखा था अनिता राय और उसके नीचे उसका मोबाइल नंबर भी दिया था.

तो मैंने झटपट पहले उसका मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में सेव करके उसे मेसेज किया- हाय!
उसने रिप्लाई किया- कौन है?
तो मैंने थोड़ा चांस मारते हुए कहा- तुम्हारा दोस्त!
फिर उसने सवाल किया- ये कौन सा दोस्त है जिसे मैं जानती नहीं और पहचानती नहीं हूं।
मैंने झट से रिप्लाई किया- पहचान बना लेते हैं, इसमें हर्ज ही क्या है.

उसका कुछ जवाब नहीं आया तो मैंने झट से पूछा- तुम कहां हो?
तो उसने कहा- बस घर के लिए निकल रही हूँ।
मैंने झट से रिप्लाई किया- गेट पर रूक जाओ, अभी आता हूं.
तो उसका रिप्लाई आया- ओके, वेटिंग कम फास्ट!

मैं झटपट उसके पास गया।
मैंने सोचा तो था कि कोई जबरदस्त पटाखा होगी. लेकिन वो दिखने में कुछ खास सुन्दर नहीं थी और उसका बदन भी दुबला पतला था।
सच कहूं तो मैंने उसे देखते ही सोच लिया कि इसकी तो मैं चूत सुजा दूँगा. ऐसे चोदूँगा कि मेरे नाम की दीवानी हो जायेगी।

फिर हमारी थोड़ी सी बातचीत हुई जैसे कि ‘मुझे मैसेज क्यों भेजा था?’ और ‘मिलना क्यों चाहते थे?’
तो मैंने कहा- तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं.
वो यह बोल कर चली गई- सोच कर बताऊंगी.
और उसके बाद मैं भी जल्दी से ट्रेनिंग रूम में पहुंच गया.

और ट्रेनिंग खत्म होने के बाद मैंने अपने दोस्तों के साथ थोड़ा समय बिताया.

उसके बाद जब मैं घर जाने के लिए बस में बैठा तो हेडफोन लगाया और मैंने अनिता को मैसेज किया- हाय!
जैसा कि हमारी जान-पहचान हो चुकी थी तो उसका भी रिप्लाई आया- हाय!

फिर मैंने उससे पूछा- डीसाईड कर लिया?
तो उसका रिप्लाई आया- बहुत जल्दी में हो?
मैंने कहा- कहीं मौका हाथ से ना निकल जाए!
तो उसने कहा- कल मिल कर बताऊंगी.
मैंने कहा- ठीक है।

अगले दिन मैं ब्लैक पैंट और नेवी ब्लू कलर की शर्ट पहन कर गया.
उसने मुझे देखा और कहा- जवाब सुनने के लिए इतना सज धज कर आये हो?
मैंने उसे कहा- नहीं यार, ऐसी कोई बात नहीं है.
तो वो हंस कर बोली- ठीक है, मंजूर है तुम्हारी दोस्ती।

फिर मैं ये बोल कर चला गया कि कहीं चलते हैं घूमने के लिए!
तो वह झट से मान गई.

फिर मैंने घूमने का या फिर यूं कहिए कि अनिता को भोग करने का प्लान बनाया।

उसके बाद आया वो दिन जिसका मैं कितने दिन से इन्तजार कर रहा था. हम दोनों निकल पड़े.

रास्ते में मैंने उससे पूछा- कहां जाना है?
तो वह बोली कि तुम जहां ले चलो.
मैंने डरते-डरते पूछा- पार्क में चलते हैं. थोड़ी देर बैठ कर फिर कहीं और चलेंगे.
तो वह राजी हो गई।

फिर वहां से मैं उसे पास ही के नलबन पार्क में ले गया. जो लोग कोलकाता में रहते हैं या जानते हैं वो यह बात भी अच्छे से जानते हैं कि नलबन पार्क कितना खुश मिजाज पार्क है.

तो आते हैं दर्द भरी चुदाई की कहानी पर!

थोड़ी देर पार्क में बैठने के बाद मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने हाथ के ऊपर रख दिया और उसे धीरे-धीरे रगड़ने लगा.
वो मुझे देखकर हंसने लगी.
मैं समझ गया कि रास्ता साफ है.

तो मैंने उसे गले लगा लिया और उसे चूमने लगा. कभी उसकी गर्दन पर तो कभी उसके गाल पर तो कभी उसके बूब्स दबाने लगा.

और उसके बाद मैं थोड़ा और आगे बढ़ा. उसके ऊपर से थोड़ा सा कपड़ा हटा कर उसके बूब्स बाहर निकाल लिया और उसे चूसने लगा और दबाने लगा.
फिर वो मेरा साथ देने लगी और मुझे कस कर पकड़ लिया. वो भी मुझे बेतहाशा चूमने और चाटने लगी.

फिर मेरे दिमाग में एक खुरापात सूझी.
मैंने उसे कहा- चलो कार्निवल चलते हैं.
जो वहां से कुछ दस मिनट की पैदल दूरी पर था।

वहां पहुंच कर मैंने देखा कि नवाजू दिन सिद्दीकी की मदारी फिल्म लगी थी. मैंने उसकी दो कार्नर सीट ले ली और फिर हम सिनेमा घर में पहुंच गए.

अब वहां जाकर मैंने देखा कि वहां ज्यादा लोग नहीं थे. टिकट चेकर ने हमें बता दिया कि हमारी सीट कहां है.
और हम बैठ गये.

मैं थोड़ा सा ए सी का मजा लेकर सुस्ताने लगा. या फिर यूं कहिए कि अनिता को थोड़ा और ललचाने लगा.

कुछ देर बाद वह बोल पड़ी- क्या हुआ? अब कुछ नहीं करना है क्या? वहां पर इतने सारे लोगों थे तो मुझे नंगी कर देना चाहते थे. और अब यहां कोई नहीं है तो चुपचाप आकर बैठ गए हो। जब चुप चाप बैठना ही हैं तो यहां लेकर क्यों आते हो?

मैं कुछ नहीं बोला और ना ही उसके तरफ देखा. मेरे इस रियक्शन से वह एकदम आग बबूला हो गई और मेरे हाथ को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझे पागलों की तरह चूमने और चाटने लगी.
मैंने फिर भी कुछ नहीं किया.

इसके बाद उसने मेरी जिप खोली और मेरा लौड़ा अपने हाथों में लेकर हिलाने लगी और फिर उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. मुझे बहुत मजा आ रहा था.
वो मेरा लन्ड चूसने में बिजी थी और मैं देख रहा था कि कहीं कोई आ तो नहीं रहा है ना!

तकरीबन पांच मिनट तक लन्ड चूसने के बाद मैं उसके मुंह में ही झड़ गया और उसके सर को कस कर पकड़ लिया. वो थोड़ा अकबका गई लेकिन उसी तरह रूकी रही और आखिरी बूंद तक मेरा लन्ड से निकलते हुए कामरस को अपने गले के अन्दर उतारती रही।

उसके बाद मैं उठ गया और अपने कपड़े ठीक कर के टायलेट गया. रास्ते में मुझे टिकट चेकर दिखाई दिया तो मैंने उससे पूछा- कोई है नहीं क्या सिनेमा हॉल में?
उसने कहा- दो-चार लड़कियों का झुंड था, वो भी अभी यह कहते हुए निकल गई कि बकवास फिल्म है.

उसके बाद मैंने झट से अपना बटुआ निकाला और उसे सौ का एक नोट दिया और कहा- बस कार्नर साइड मत आना.
उसने मुस्कुराते हुए कहा- ठीक है, नहीं आयेंगे.
और साथ ही ये भी कहा- लिमिट में रह कर कुछ करियेगा.
वह चला गया.

फिर मैं झटपट टायलेट कर के अनिता के पास गया और उसे देख कर हंसने लगा.
तो वह बोली- क्या हुआ? बहुत देर लगा दी?
मैंने कहा- तुम्हारे लिए इंतजाम करने गया था.

वो कुछ समझी नहीं.
मैंने बोला- थोड़ी देर में समझ जाओगी.
फिर मैंने उसे पकड़ा और उसे अपने गोद में बैठा दिया और उसे किस करते हुए उसके कपड़े उतारने लगा.
तो वो बोली- कोई आ जाएगा.

मैंने उसे सारी बात बताई तो वह खुश हो गई और अपने कपड़े हटाने में मेरी मदद करने लगी। मैं उसे चूस रहा था, अपने दांतों से काट रहा था.

धीरे-धीरे मैंने नीचे से उसकी सलवार हटायी तो वह मेरा हाथ पकड़ कर रोकने लगी. फिर मैं उसके दोनों हाथ को पकड़ कर अपने लन्ड को जबरदस्ती उसकी चूत में घुसाने लगा.
पहले तो उसने रोकने की कोशिश बहुत की लेकिन जब वह समझ गई कि कोई फायदा नहीं है तो वह भी मेरा साथ देने लगी. वह अपने पैर थोड़ा और फैलाकर बैठ गई.

मैंने किसी तरह उसे चोदने की कोशिश की लेकिन जब नहीं हो पाया तो हम वहां से निकल पड़े।

बाहर निकलने के बाद अनिता ने बताया कि उसके घर वाले बाहर गये हुए हैं.
तो मैंने कहा- चलो घर!
उसने कहा- छोटा भाई है घर पर, आज नहीं हो सकता. कल हम दोनों आफिस नहीं जायेंगे, आप काली घाट आ जाना. मैं वहां से आपको अपने घर ले चलूंगी.

तो मैंने उसके कहे अनुसार अगले दिन काली घाट पहुंच गया मेट्रो से और उसका इन्तज़ार करने लगा. वो झटपट आई और मेरे गले लग गई.
मैंने उसे कहा- रूक जाओ, मुझे कुछ काम है.
मैं मेडिकल स्टोर में गया और जाकर एक पैकेट कंडोम ले लिया और एक डायरी मिल्क चाकलेट भी ले लिया. आखिर चूत चटाई भी तो करनी थी ना!

हम वहां से निकल पड़े।
पहले मैंने उसे कहा कि पूछ लो तुम्हारा भाई कहां है.
तो उसने उसे काल किया तो वह घर पर ही था.
मैंने कहा- उसे कुछ पैसे दे दो और कहो कि खेलने चला जाये. और आने से पहले तुम्हें काल कर ले कि तुम घर में हो या नहीं!

वो घर गयी और अपने भाई को पैसे दिए. पैसे मिलते ही उसका भाई खुशी से झूम उठा और खेलने चला गया.

वो किसी तरह मुझे छुपते-छुपाते अपने घर तक ले गई और जाते ही मैंने पहले खुद से ही गेट लाक करके अपने जूते और मोजे उतार कर अलग साइड में रख दिये. उसके बाद मैंने अनिता को कस के पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसे चूमने लगा और उसकी चूचियों को कस-कस के दबाने लगा.

इस पर वह बोली- दर्द हो रहा है.
तो मैंने कहा- शुरुआत में थोड़ा दर्द होगा.

वह बर्दाश्त कर गई और इस बात का फायदा उठाते हुए मैंने थोड़ा और जोर से उसकी चूचियों को गूथने लगा. फिर मैंने उसके सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे उतार कर एक साइड में फेंका और उसकी चूत पर एक जबरदस्त चुम्बन जड़ते हुए उसकी चूत चटाई शुरू की.

शुरुआत में तो वह एकदम शांत थी लेकिन दो-चार मिनट के बाद ही वह अजीब-अजीब आवाजें निकाल रही थी- उम्म याह उम्म याह ओह इइइइइ आईईईई ओ मां!
और मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर पूरी ताकत से दबाने लगी.

मैं भी और मजे से चूस-चूस कर उसकी चूत को चाट रहा था.
सच में दोस्तो … जो मजा चूत चटाई में है वो किसी और चीज में नहीं।

बीच-बीच में मैं उसकी चूत चटाई को छोड़ कर उसके चूत के दानों को हाथ से सहला रहा था और कभी कभी तो अपनी अंगुलियों को अन्दर बाहर कर रहा था. काफी देर तक चूत चाटने और अंगुली करने की वजह से अनिता कांपते हुए अपने कामरस की वर्षा कर गई जिसे मैं अमृत की तरह पीता चला गया.

अनिता ने सोचा कि शायद अब मैं छोड़ दूँगा. लेकिन मैंने उसे फिर भी नहीं छोड़ा।
कुछ देर तक और चूत चाटने के बाद अनिता कहने लगी- मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है. या तो आप करो नहीं तो मैं कुछ कर लूंगी.

फिर मैंने अपनी पैंट उतारी और साइड में रख दी.
मैंने उसे कहा- लो खुद से ही इसे बाहर निकालो.
एक अच्छी लड़की की तरह उसने वैसा ही किया.

और जैसे ही उसने मेरा अंडरवियर खोल कर अलग किया, वह टूट पड़ी मेरे लौड़े पर और आईसक्रीम की तरह चूसने लगी. जो मुझे और पागल बनाने लगी.
कुछ देर तक तो मैंने उसे कुछ नहीं कहा लेकिन कुछ देर बाद मैंने उसे रोक दिया क्योंकि मैं आज ऐसे ही ठंडा नहीं होना चाहता था.

जब वह रूकी तो उसने मुझे गुस्से से देखा और पूछने लगी- अब क्या हुआ आपको?
तो मैं पहले हंसा और अपनी तरफ खींच कर उसके पूरे बदन पर कुत्ते की तरह चूमने और चाटने लगा जो कि उसे बहुत अच्छा लगा.

उसके बाद जब मुझे आभास हो गया कि अनिता पूरी तरह से गर्म हो चुकी है तो मैंने फिर से उसकी चूत चाटी और अपने लन्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

कुछ देर चूत पर रगड़ने के बाद अनिता मेरे लन्ड को पकड़ कर खुद ही घुसेड़ने लगी. लेकिन मैंने उसे घुसाने नहीं दिया.
तो उसने मुझे गुस्से में छाती पर दांतों से काट दिया. मुझे बहुत जलन हुई, मैंने खुद को संभाला.

और उसके बाद
मैं उठा और पूरी ताकत से अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत में डालने लगा. लेकिन लंड उसकी चूत में नहीं गया.
तो मैंने फिर दूसरी बार फिर उसी तरह से घुसा दिया.

वो पहले तो वो जोर से चीखी- आइइइ इइइइइ … इइउइइ इइइ … आह हहह हहह … आहआहहहह हहह!

उसे मेरी इस हरकत से काफी दर्द हुआ जिससे मुझे सुकून मिल रहा था.

साथ ही में मैं उसके होंठ चूसने लगा और इसी अवस्था में लंड थोड़ा सा बाहर निकाल कर एक जोरदार धक्का मारा. तो जैसे वो एकदम से अपनी सुधबुध खो बैठी और शान्त पड़ी रही।

उसकी चूत अंदर से जल रही थी; लग रहा था जैसे लिंग को आग के शोलों में डाल दिया हो।

पहले ही धक्के से उसकी सील टूट गयी; उसका पूरा शरीर धक्के के साथ ही तन के टाइट हो गया। उसके चेहरे से उसके दर्द का साफ अंदाजा लग रहा था.

पर उसने अपने दर्द को मुँह में ही दबा दिया. उसकी आँखों से आंसू की धार निकल रही थी। एक हाथ से उसने नीचे बिछे चादर को कस कर पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मेरा लन्ड एकदम जोर से पकड़ा हुआ था।

उधर मेरा भी यही हाल हुआ पड़ा था, मुझे भी बहुत दर्द हो रहा था. मैं उसके चेहरे और चूचियों को तब तक चाटता रहा जब तक उसका दर्द कम नहीं हुआ।
साथ ही उसको दिलासा देता रहा।

थोड़ी देर में दर्द कम हुआ तो उसने अपनी आँखें खोली और मेरे लन्ड को छोड़कर मेरा पीठ सहला रही थी।

तभी उसके होंठों पर होंठ रखकर दूसरा धक्का मारा तो आधा से अधिक लंड उसकी चूत में उतर गया।
फिर मैं वैसे ही रुक गया।

मैंने फिर से कोशिश की और पूरा लन्ड एक बार में ही उसके अंदर डाल दिया. कुछ देर के लिए तो जैसे अनिता एकदम से चुप हो गई और एक जिंदा लाश की तरह पड़ी रही.

जरा भी रहम ना दिखाते हुए मैंने और दो-चार धक्के लगा दिए और उसके बाद मैंने धक्के लगाने थोड़ा धीरे कर दिये लेकिन बंद नहीं किया.

वह अन्तर्वासना के पूरे आगोश में खो गई थी। मैं इसी तरह उसे धक्के लगाये जा रहा था और मैंने उसके बदन को कस कर पकड़ रखा था. साथ ही साथ मैं उसे चूम रहा था.

इसी दौरान उसने मुझे फिर से काट लिया. इस बार मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके कंधों को कस कर पकड़ा और अंधा-धुंध धक्के लगाने लगा.
वो बस यही कहती रही- प्लीज मुझे छोड़ दो! बहुत दर्द हो रहा है!
‘आहह हह ईइइ इइ ऊइइ इइइ ऊइइ मां मोरे जाबो रे उरी मां गो आहह हहह ईइइ इइ ऊइइ इइइइ छेरे दाव!’ उसने बहुत मिन्नतें की लेकिन मैंने जरा भी रहम नहीं किया.

धीरे धीरे उसकी मोनिंग तेज़ हो गई- आहह उम्म्ह… अहह… हाय … याहह हहह और चोदो मुझे कस कर चोदो … चोद दो मुझे प्लीज़ … मुझे चोदो और मत तड़पाओ।

जब उसने ऐसा कहा कि और मत तड़पाओ तब मुझे पता चला कि उसे कुछ नहीं हुआ है. बस वो वासनाओं के वशीभूत हो गई थी.

कुछ देर और चुदाई का रंगारंग कार्यक्रम चला. तब मुझे कहीं थोड़ी थकान महसूस हुई तो मैंने थोड़ा विश्राम लेने की और अनिता को थोड़ा और गर्म करने की सोची.
तो मैंने अपना आखिरी अस्त्र यानि डेरी मिल्क सिल्क चाकलेट निकाला और जैसे ही उसके चूत पर रगड़ना चाहा तो देखा कि उसकी चूत पूरी तरह से खून से लथपथ हो गई थी और चादर पर भी सभी जगह खून लगा हुआ था

तो मैंने उसे उठाया और कहा- जाओ और अपनी चूत को अच्छे से साफ कर के आओ.
उससे ठीक से उठा नहीं जा रहा था तो मैंने उसकी मदद की और उसे बाथरूम तक ले गया.

अंदर मैंने उसे जमीन पर बिठा दिया फिर बाहर आने लगा तो अनिता बोली- इतना सब कुछ कर ही चुके हो तो यह भी कर ही दो.
फिर मैंने उसकी चूत अच्छे से पानी से साफ की और वहीं पर अंगुली करने लगा.
उसे शायद बहुत जोर से जलन हो रही थी लेकिन वह कसमसा कर रह गई लेकिन कुछ नहीं कहा.

फिर मैं उसे उठा कर बेड पर ले आया और उसे आराम से लिटा दिया. अब मैं उसकी चूत पर चाकलेट रगड़ कर मजे से चूस-चूस कर खाने लगा। जहां मुझे चूत चटाई में अपार आनंद प्राप्त हो रहा था, वहीं उसे बहुत दर्द हो रहा था. वो बस कामुक होकर ‘उमम्म्ह … आहह हहह ईइ इइह कर रही थी.

लेकिन मैं उसकी चूत पर चाकलेट लगा कर मजे से चूस-चूस कर खाने लगा। जहां मुझे चूत चटाई में अपार आनंद प्राप्त हो रहा था वहीं उसे बहुत दर्द हो रहा था वो बस कामुक होकर ‘उमम्म्ह … आहहहह ईइइइ इइ … याहह हहहह ओहहह हहह उइइइ इइइइ करती रही और चूत चटाई का मजा लेती रही।

अब वो पागलों की तरह बर्ताव करने लगी थी और मुझे नोंचने लगी थी. वो मेरा लंड पकड़ कर आगे पीछे करने लगी.
लेकिन मैंने उसे ये सब नहीं करने दिया. मैं अनिता की टांगें खोल कर उसकी चूत पर से बाकी बची चॉकलेट को चूस चूस कर खाने लगा.
अनिता टांगें खोले ‘आहहह हहहहह उम्म्हह … अहह … उफ हायय आहह आहहह उम्म्म माहह …’ करने लगी और अपने ही होंठों को को दांत से काटने लगी. और उसके काटने से उसके होंठों से खून निकल रहा था

.

लेकिन मैं ये सब अनदेखा करते हुए अपने काम में लगा रहा. मैं पूरे मज़े लेकर उसकी चूत में जीभ डाल कर उसका पूरा रस निचोड़ लेना चाहता था.

अनिता की चूत एक बार झड़ चुकी थी तो मुझे उसे फिर से चुदाई के लिए तैयार भी करना था. मुझे उसकी चूत से चॉकलेट मिक्स चूतरस का इतना मस्त स्वाद आ रहा था कि मैं सब भूल ही गया था.

काफी देर तक अनिता इस चॉकलेट चूत चुसाई के बाद कांपते हुए मेरे मुँह को जोरों से पकड़ कर दूसरी बार झड़ गई. और दूसरी बार झड़ते ही एकदम से शान्त हो गई और अपनी आंखें बंद करके लेटी गयी.

मैं उसकी चूत से निकली एक एक बूंद पानी को अमृत समझ कर पी गया. और उसकी चूत से निकला थोड़ा सा पानी जो चॉकलेट से मिला हुआ था, उसके मुँह में डाल दिया.
वह पीना नहीं चाहती थी, लेकिन मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को बन्द करके रखा था. जिसकी वजह से उसे पीना पड़ा.

उसके बाद मैं थक कर उसके बगल में लेट गया और
अब वह भी पूरी तरह से थक चुकी थी क्योंकि वह बहुत बार झड़ चुकी थी.

मैं भी थक गया था लेकिन मैं फिर भी उसे छोड़ना नहीं चाहता था. तो मैंने सोचा कि चलो इसी से पूछ लो कि क्या बोलती है.
जैसे ही मैंने उससे पूछना चाहा, उससे पहले ही वह बोल पड़ी- हो गया या अभी कुछ और भी बाकी है?
तो मैंने उसे कहा- मन तो भरा नहीं है लेकिन शरीर साथ नहीं दे रहा है.

फिर अनिता बोली- मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूं. अगर आप और मुझे तकलीफ़ देना ही चाहते हैं तो मैं उसके लिए भी तैयार हूँ.
मैंने विनती भरी निगाहों से देखा और कहा- एक राउंड और हो जाये, पता नहीं फिर ये मौका दोबारा मिले या ना मिले?

इस बार मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरा लैंड अपनी चूत में लेती हुई बैठ गयी. गप-गप की ध्वनि के साथ पूरा कमरा गूंजने लगा.

उसने मेरे हाथ पकड़ कर खुद से ही अपने चुचियों पर रखवा दिये और उसे मसलने का इशारा कर दिया. मैं उसके कहे अनुसार ही उसकी चूचियां मसलने में लगा रहा और वह मुझे संतुष्ट करने में! मैं पहले झड़ चुका था इसी लिए मुझे झड़ने में काफ़ी वक्त लग रहा था.

इसी बीच अनिता एक और बार झड़ गई और कहने लगी- अब मुझसे नहीं हो पायेगा!
और शांत बैठ गई मेरे लंड पर!

फिर मैंने हिम्मत जुटाई और उसे नीचे लेटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और धीरे धीरे उसकी चूत चोदने लगा. तकरीबन पांच मिनट तक मैंने उसे चोदा और जब मुझे अहसास हुआ कि मैं फिर से झड़ने वाला हूं तो मैंने अपनी स्पीड थोड़ी तेज कर दी.

अनिता को दर्द हुआ और मुझे धकेलने लगी लेकिन मेरी पकड़ मजबूत होने के कारण वह कुछ नहीं कर सकी.
और मैं उसकी चूत के अंदर झड़ गया और अनिता को छोड़ दिया और उसके बगल में लेट गया।

कुछ देर तक सुस्ताने के बाद मैंने उसके चूचों को पकड़ा और पूरी ताकत से दांत काट लिया.
उसकी तेज सिसकी निकल पड़ी- आआआ ईइइइ उइइ आह हहह उम्म्ह! मेरे जाबो गो मां!
और उसे यह कहते हुए छोड़ दिया कि अब हिसाब बराबर।

उसकी चूत गर्म रोटी की तरह फूल कर सूज गई थी और उससे हिला भी नहीं जा रहा था.

कुछ देर तक तो मैं और अनिता ऐसे ही लेटे रहे उसके बाद अनिता बोली- आज जिस तरह से आपने मुझे चोदा है, वो मैं कभी नहीं भुला सकती. आई लव यू प्रतोष!
मैंने भी कहा- सेम टू यू डार्लिंग।

तो दोस्तो कैसी लगी मेरी यह कहानी आप सब अन्तर्वासना सेक्स कहानी पाठकों को?
मुझे आपके जवाब का इंतजार रहेगा।

आप सबका दोस्त प्रतोष सिंह फिर अगली बार हाज़िर होऊंगा एक भाभी की चुदाई के साथ!

तब तक के आप सब अपना ध्यान रखिए और पढ़ते रहिये कामुक और मजेदार कहानियां!