मेरा प्यार का नाम प्रिंस है। मैं दिल्ली के पास फरीदाबाद (हरियाणा) में रहता हूं। यह मेरी पहली कहानी है अगर इसमें कोई गलती होती है तो माफ कर दें। वैसे तो मैं अन्तर्वासना सेक्स कहानी डॉट कॉम का पुराना पाठक हूं लेकिन पहली कहानी लिखने की हिम्मत आज हुई है।
कहानी को शुरू करने से पहले मैं अपने बारे में कुछ और भी बताना चाहूंगा.
मेरी उम्र 21 साल है. कद 5 फीट 8 इंच है. दिखने में अच्छा और रंग का भी गोरा हूँ. शरीर एकदम फिट है क्योंकि मैं एक राष्ट्रीय खिलाड़ी हूं. पढ़ाई के साथ-साथ मुझे खेल-कूद का शौक हमेशा से ही रहा है. मुझे देख कर सेक्सी भाभियां और आंटियां भी अपनी चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाती हैं। मेरे लंड की लम्बाई 6.5 इंच है जो किसी औरत या भाभी की प्यास बुझाने के लिए काफी है। अब आपको बोर न करते हुए सीधे कहानी की शुरूआत करते हैं।
कहानी है आज से एक साल पहले की. एक दिन मैं कोचिंग क्लास जा रहा था. मैं कोचिंग क्लास लेने अपनी खुद की बाइक पर जाता था. मगर उस दिन बारिश का मौसम था तो मैं बाइक लेकर नहीं गया. मैंने कोचिंग जाने के लिए एक ऑटो लिया. कुछ दूर चलने के बाद उसमें एक बहुत ही सुन्दर लड़की आकर मेरे साथ बैठ गई।
क्या बताऊं दोस्तो, उसकी उम्र 21-22 साल के आस-पास थी. दूध सा सफेद रंग, काली-काली झील सी गहरी आंखें थी उसकी. पहली नजर में उसको देखा तो नजर उसके चेहरे से हटी ही नहीं. कुछ देर तक मैंने उसको देखा. जब अंदर की हवस जागी तो नजरों ने उसके शरीर का माप लेना शुरू कर दिया. उसका शरीर लगभग 30-28-32 होगा।
वह देखने में बहुत ज्यादा सुंदर थी. कहीं से कोई कमी नहीं थी. उसके सामने तो मेरा छरहरा बदन फीका पड़ गया था. देखने के बाद मुझे लगा कि ये मुझसे नहीं पटेगी लेकिन फिर भी मैंने हिम्मत करके बात करने की कोशिश की. उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम सोनू (बदला हुआ) बताया। धीरे-धीरे मैंने उससे उसके बारे में पूछा तो पता लगा कि वो भी मेरे कोचिंग सेंटर में ऑटो कैड सीखने जा रही है।
मैंने उसे अपना परिचय दिया और बताया कि मैं भी वहीं से कोचिंग ले रहा हूं।
मगर मेरे मन एक सवाल चल रहा था कि मैंने उसको कभी पहले अपने कोचिंग सेंटर में नहीं देखा था. अगर देखा होता तो जरूर मैं उसके चेहरे को पहचान जाता. मैं तो लड़कियों को ताड़ता रहता था लेकिन उसका चेहरा मुझे कहीं भी याद नहीं आ रहा था.
मैंने कन्फर्म करने के लिए उससे पूछ ही लिया- मैंने उसको इसके पहले कभी कोचिंग सेंटर में नहीं देखा.
मेरे पूछने पर उसने बताया कि आज उसका पहला ही दिन है.
उस दिन उससे बात होने के बाद अक्सर उससे बात हो जाया करती थी. कभी वो कोचिंग सेंटर में मिल जाती थी तो कभी क्लास से बाहर निकलते वक्त. धीरे-धीरे हम दोनों एक-दूसरे के साथ सहज होने लगे. मुझे उसकी आदतों के बारे में पता लगने लगा था और वह मेरे बारे में जानने लगी थी.
लेकिन यहां पर एक समस्या और आन खड़ी हो गई कि हम दोनों को अक्सर आपस में बात करते देख कर क्लास के बाकी लड़के जलने लगे क्योंकि सोनू थी ही इतनी खूबसूरत. उधर दूसरी तरफ जो लड़कियां मुझ पर ट्राई करने की कोशिश किया करती थीं उनको भी सोनू आंख में खटकने लगी. लेकिन लड़कियां फिर भी अपनी भावनाओं को छिपा जाती थीं लेकिन लड़कों की गांड से उठते धुंए की गंध मुझे साफ-साफ महसूस हो जाती थी.
चूंकि मैं सोनू को पहली नजर से ही पसंद करने लगा था इसलिए मैंने मौका देख कर उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया जिसे सोनू ने स्वीकार भी कर लिया. सोनू को मेरा अच्छा स्वभाव शायद भा गया था.
दोस्ती धीरे-धीरे गहरी होने लगी. हम दोनों अक्सर साथ ही रहने लगे थे. कभी बाहर घूमने चले जाते तो कभी साथ में आइसक्रीम खाने के लिए निकल जाते थे. इस तरह से मैं उसके और करीब आने लगा था. अभी तक सोनू के बारे में मैं कुछ ज्यादा आश्वस्त नहीं था कि उसके मन में मेरे लिए किस तरह की भावनाएं हैं लेकिन मैं तो उसको बहुत पसंद करने लगा था.
फिर धीरे-धीरे हम घंटों तक फोन पर बातें करने लगे. पढ़ाई कहीं पीछे छूटने लगी और मुझे सिर्फ सोनू ही दिखाई देती थी.
एक दिन उसको मूवी दिखाने ले गया तो मैं थियेटर में मैंने उसके हाथ पर हाथ रख लिया. उसने कुछ भी नहीं कहा. उस दिन के बाद से मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई. फिर जब दूसरी बार हम अकेले में मिले तो मैंने उसके गालों पर हल्का सा किस कर दिया. अबकी बार भी उसने कुछ नहीं कहा. अब शायद मैं आश्वस्त हो गया था कि उसे भी मैं पसंद हूँ क्योंकि अगर ऐसा न होता तो वो मुझे इतना आगे नहीं बढ़ने देती.
वैसे भी लड़कियाँ अपनी तरफ से कभी पहल नहीं करती हैं. इसलिए अगला कदम भी मुझे ही लेना था. मैंने एक दिन पार्क में बैठे हुए उसके चूचों पर हाथ रख दिया. तब भी उसने कुछ नहीं कहा.
मेरे अंदर वासना जागने लगी थी और मैंने उसको ‘आई लव यू’ बोल दिया.
मेरी बात का जवाब देते हुए उसने भी मुझसे ‘आई लव यू टू’ कह दिया.
फिर मैंने उसके स्तनों पर अच्छे से हाथ रख दिया. उसके चूचे बहुत ही नर्म थे. मेरा लंड तो वहीं पर मेरे अंडरवियर में तड़प उठा. लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को बड़ी मुश्किल से काबू में कर ही लिया.
अब मैं उससे बाहर कहीं अकेले में मिलने का मौका ढूंढने लगा. शायद वह भी उसी इंतजार में थी. फिर एक दिन कोचिंग वाले सर नहीं आये थे. उस दिन हमने फिल्म देखने का प्लान कर लिया. मूवी तो हम पहले भी जा चुके थे लेकिन तब की बात कुछ और थी. अब तो मुझे सोनू की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिल गया था. उसने भी मूवी के लिए तुरंत हां कर दी.
हम दोनों फिल्म देखने चले गये. फिल्म नई तो नहीं थी लेकिन इतनी पुरानी भी नहीं हुई थी. फिल्म का नाम था बद्रीनाथ की दुल्हनिया. सिनेमा हॉल के अंदर काफी कम लोग थे. फिल्म रोमांटिक थी. मैंने भी सोनू के साथ रोमांस का मौका देखना शुरू कर दिया. पहले मैंने उसके हाथ को सहलाना शुरू किया. फिर मैंने उसके गाल पर किस किया.
जब मुझसे रुका न गया तो मैंने उसका मुंह अपनी तरफ घुमा लिया और उसके होंठों को चूसने लगा. सोनू ने एक बार तो पीछे हटने की कोशिश की मगर मैंने उसकी गर्दन को नहीं छोड़ा. फिर कुछ पल के बाद उसने भी मेरे होंठों को बदले में चूसना शुरू कर दिया.
हॉल में अंधेरा था इसलिए किसी का कोई डर भी नहीं था. फिर मैंने प्यार से उसके मुंह को पकड़ा और उसको होंठों को पूरा का पूरा अपने मुंह में ले लिया ताकि बाहर किसी तरह की आवाज न निकल सके. मैं बड़े ही प्यार से उसके होंठों को चूसने लगा. उसके रसीले होंठों को पीने के बाद मैंने उसके चूचों को दबाना शुरू कर दिया. उसके चूचों पर हाथ लगते ही मेरा लंड मेरी पैंट को ऊपर उछालने लगा. बार-बार उठ कर कह रहा था कि मुझे चेन खोल कर बाहर निकालो. मगर अभी मैंने उसको पैंट के अंदर ही रखा.
फिर मैंने उसका टॉप ऊपर उठा के उसकी चूचियों को अच्छे ऐ सहलाया और फिर चूसा. कुछ देर तक उसके चूचों को चूसने के बाद जब बात मेरे कंट्रोल से बाहर होने लगी तो मैंने एक हाथ से अपनी पैंट की चेन खोल दी और सोनू का हाथ पकड़ कर अपनी पैंट की जिप पर रखवा दिया. सोनू ने मेरे तने हुए लंड पर हाथ रख लिया.
उसका नर्म हाथ लगते ही मेरा लंड तड़प उठा. मैं चाह रहा था कि सोनू खुद मेरे लंड को मेरी पैंट से बाहर निकाल ले लेकिन वो ऐसा नहीं कर रही थी और मेरे अंडरवियर में अंदर ही अंदर मेरे लंड का दम घुट रहा था.
फिर मैंने ही सोनू के हाथ को अपने हाथ में लिया और उसके हाथ को अपनी चेन के अंदर डाल दिया. सोनू ने मेरे तने हुए लंड को पकड़ लिया और उसको अंडरवियर के ऊपर से ही सहलाने लगी. आह्ह् … मेरा जोश बढ़ने लगा और मेरी टांगें फैलने लगीं. इधर मेरा मन सोनू की चूत को छूने के लिए कर रहा था. फिर सोनू ने उत्तेजित होकर मेरे अंडरवियर के कट के अंदर हाथ डाल दिया और मेरे गर्म लौड़े पर उसके नर्म कोमल हाथों के स्पर्श ने मेरे मुंह से एक स्स्स … की आवाज बाहर निकाल दी.
उसके बाद सोनू ने आखिरकार मेरे लंड को खींच कर बाहर निकाल लिया और उसको अपने हाथ में लेकर टोपे को आगे-पीछे करने लगी. आह्ह … क्या बताऊं दोस्तो, बड़ा ही कमाल का आनंद आ रहा था. अगर वो दो मिनट भी मेरे लंड को इतने प्यार से हिला देती तो मेरा लंड पिचकारी उसके सिर के बालों तक फेंक देता. मगर फिर मैंने सोनू की जीन्स की चेन खोल दी और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहला दिया. फिर मैंने सोनू की पैंट का हुक भी खोल दिया और उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया.
हाथ डालते ही उसकी चूत का गीलापन मेरी उंगलियों पर लगने लगा. ओह्ह … मजा आ गया उसकी गीली चिपचिपी चूत को छूकर. मैंने उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया. अब बात मेरे काबू से बाहर हो चुकी थी. मैं बस किसी भी तरह सोनू की चूत को चोद देना चाहता था. हमारे होंठ जोरों से एक दूसरे के मुंह से लार को खींचने में लगे हुए थे. बड़ा मजा आ रहा था.
फिर मैं तेजी के साथ उसकी चूत में उंगली करने लगा और पांच मिनट के बाद सोनू सिकुड़ने सी लगी. गर्म-गर्म सा पानी उसकी चूत से निकल कर मेरे हाथ को भिगोने लगा. सोनू शांत होकर ठंडी पड़ने लगी तो मेरे लंड पर रखे उसके हाथ पर मैंने अपना हाथ भी रख दिया और उसके हाथ को नीचे दबा कर अपने लंड पर खुद ही चलवाने लगा.
उसने भी मेरे हाथ को लंड पर दोबारा से चलाना शुरू किया और तीन-चार मिनट की हस्त मैथुन के बाद मेरे लंड ने भी अपना गर्म लावा उगल दिया. हम दोनों के हाथ मेरे वीर्य से सन गये. उसके बाद मैंने रूमाल निकाल कर सोनू को दिया और उसने अपना हाथ साफ किया. फिर मैंने अपने हाथ को साफ करने के बाद अपने लंड को भी साफ किया और मैंने लंड को वापस जिप के अंदर डाल लिया.
सोनू भी संभल कर अपने कपड़े ठीक करने लगी. उसके बाद इंटरवल में ही हम बाहर आ गये. मेरे अंदर की हवस अब पूरी तरह से सोनू की चूत चुदाई करने पर उतारू थी लेकिन उस दिन जगह का जुगाड़ नहीं हो पाया और तब तक क्लास का टाइम हो गया. सोनू अपने घर चली गई और मैं अपने घर.
घर जाकर मैंने सोनू के साथ हुई थियेटर वाली घटना को याद करके लगातार दो बार मुट्ठ मारी तब जाकर मुझे कहीं थोड़ी बहुत शांति मिली. उसके बाद तो किसी भी तरह उसकी चूत को चोदने का मौका देखने लगा. अब उसके बिना मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
फिर एक दिन सोनू ने बताया कि उसके पेरेंट्स कहीं बाहर जा रहे हैं. मैंने सोचा कि क्यों न आज क्लास बंक कर ली जाये.
उस दिन मैंने सोनू को कोचिंग की छुट्टी करके क्लास बंक करने के लिए मना लिया. हम घर से कोचिंग के लिए निकले लेकिन बाहर सीधे होटल में चले गये.
होटल के कमरे में जाते ही हमने दरवाजा अंदर से लॉक किया और एक-दूसरे को चूमने-चाटने लगे. आग दोनों ही तरफ बराबर की लगी हुई थी. कुछ ही देर में हम दोनों के कपड़े उतर चुके थे. सोनू केवल काली ब्रा और पैंटी में थी जो उसके गोरे बदन पर ऐसी लग रही थी जैसे वह कोई इच्छाधारी नागिन हो. मैं तो उसको इस रूप में देख कर पागल हो गया.
मैंने उसे बेड पर पटक कर उसको चूसना शुरू कर दिया. मेरे अंडरवियर में तना हुआ मेरा लौड़ा जैसे अंडरवियर समेत ही उसकी चूत में घुसना चाहता था. मैंने अच्छी तरह से सोनू के गोरे बदन को चूमा और चाटा. फिर मैंने उसकी ब्रा को उतारा और उसके चूचों के बीच में तने हुए उसके भूरे रंग के निप्पलों को दांतों से काटा तो उसने मेरा सिर पकड़ कर अपने चूचों पर दबाते हुए मुझे अपने सीने में छिपा लिया.
सोनू भी पूरी गर्म हो चुकी थी. मैंने उसकी पैंटी उतार दी और उसकी चूत में उंगली करने लगा. उसके बाद मैंने तेजी से उंगली करनी शुरू की तो सोनू पांच मिनट के अंदर ही झड़ गई. उसकी चूत का पानी चाटने के बहाने मैंने अपनी जीभ उसकी लाल चूत में घुसा दी. तेजी से उसकी चूत में जीभ को अंदर-बाहर करते हुए मैंने उस हसीना को फिर से गर्म कर दिया. वो अपने चूतड़ उठा-उठा कर अपनी चूत को मेरे मुंह में धकेलने लगी. दस मिनट बाद वो फिर से झड़ गई.
मगर मैंने उसको आराम नहीं करने दिया. मैंने उसे उठाया और अपने अंडरवियर पर उसके होंठों को फिराने लगा. फिर मैंने अपना अंडरवियर उतार कर अपना कामरस से सना हुआ लौड़ा उसके गर्म मुंह में दे दिया. एक बार तो सोनू ने उसे चूसने से मना करते हुए बाहर निकाल दिया लेकिन मैंने उससे कहा कि उसकी चूत को भी तो मैंने दो बार शांत किया है. इतना कहने पर सोनू ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में उसको लंड चूसने में मजा आने लगा.
फिर मैंने उसको बेड पर पटक दिया और अपना लंड उसकी चूत पर लगा कर एक जोर का धक्का मारा. उम्म्ह… अहह… हय… याह… सोनू उछल कर मुझसे लिपट गई. अभी आधा लंड ही चूत में गया था. उसके बाद मैंने उसको दोबारा से नीचे पटका और दूसरा धक्का दिया तो सोनू की चीख निकलने को हुई और मैंने उसके मुंह पर हाथ रख कर उसके चूचों को काटा और फिर उसके होंठों को चूसने लगा. जब दो मिनट के बाद वो शांत हुई तो मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को अंदर-बाहर करना शुरू किया.
अपने लौड़े से उसकी गर्म चूत की चुदाई करते हुए मैं जोरदार धक्के लगाने लगा. दस मिनट में ही उसकी चूत ने मेरे वीर्य को मेरे अंडकोषों से बाहर खींच लिया और मेरा लंड उसकी चूत में वीर्य की पिचकारी मारने लगा. मैं झड़ कर शांत हो गया. कुछ देर तक हम नंगे पड़े रहे लेकिन मेरा मन अभी नहीं भरा था. मैंने उसके बाद सोनू को फिर से गर्म किया और उसको घोड़ी बनाया. मगर दो तीन धक्के उसकी चूत में लगाने के बाद मैंने उसकी गांड पर लंड को सेट कर दिया. वो मना करने लगी.
लेकिन अब मैं नहीं रुकने वाला था. मैंने उसकी गांड को कस कर पकड़ लिया उसकी गांड में धीरे-धीरे लंड को उतारना शुरू कर दिया. वो मेरी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी. मगर मेरा मजा इतना ज्याद बढ़ गया था कि मैं उसके ऊपर ही लेट गया और मैंने उसको अपने शरीर के भार के नीचे दबा लिया. फिर जब वो शांत हुई तो मैंने उसकी गांड को चोदना शुरू किया.
दस मिनट में उसकी गांड को चोदते हुए मैंने अपनी वीर्य उसकी गांड में भी भर दिया. जब हम होटल से बाहर निकलने लगे तो सोनू से चला भी नहीं जा रहा था. मगर उसके चेहरे पर एक खुशी थी. ऑटो में साथ में बैठे हुए उसने मेरे कंधे पर अपना सिर रखा हुआ था.
उसके बाद मैंने करीबन 10-12 बार उसकी चुदाई की. उसकी चूत को चोदने के साथ-साथ मैं उसकी गांड भी मार लेता था. उसके बाद कभी-कभी हमारा झगड़ा भी होने लगा. कुछ दिन के बाद फिर हमारा ब्रेक-अप हो गया. अब मैं अकेले ही अपने लंड को हिला कर काम चलाता हूँ.
आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी इस पर अपनी राय दें और कहानी में अगर कहीं गलती हो गई हो तो मुझे माफ करें. अगली बार मैं फिर किसी सेक्सी भाभी या आंटी की चुदाई की कहानी आपके लिए लेकर आऊंगा. मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा.