सभी पाठक पाठिकाओं को मेरा प्रणाम,
मेरे बहुत सारे दोस्त मुझे काफी समय से कमेंट कर रहे थे कि कुछ लिखो, कुछ लिखो.
लेकिन लिखने का मज़ा भी तो तब है जब उसमें सत्यता हो. अब पाठक काफी समझदार हो चुके हैं. कहानी पढ़ सत्य असत्य आसानी से समझ जाते हैं इसलिये 6 महीने में एक बार लिखो लेकिन सत्य लिखो जिसे पढ़ने पर पाठक कामुक होते हुए हिलाते रहें और पाठिकाओं की योनियों से रस टपक पड़े.
यह कहानी नवम्बर 2019 की है. उस दौरान एक मेल प्राप्त हुआ जिसमें एक पाठक रोहिताश जो कि दिल्ली के पास से है उसने बीवी सीमांशी को मेरे साथ सेक्स करने की इच्छा जताई.
शुरू शुरू में मैंने उन्हें अन्य पाठकों की भांति ही लिया, चूंकि मुझे रोज इस तरह के कमेंट आते थे जो अपनी बीवी को मेरे साथ बिस्तर में देखना चाहते थे.
लेकिन धीरे धीरे उनके अंदर की आग फुस्स हो जाती.
मुझे लगा कि यह भी उन्हीं की भांति होगा.
लेकिन एक दिन रोहिताश ने मुझसे आग्रह किया कि यदि मेरी बीवी तुम्हारे साथ बिस्तर में होगी तो तुम क्या करोगे?
मैंने भी कह दिया- तुम्हारी बीवी के जिस्म को तुम्हारे सामने ही नंगा कर उसके पूरे जिस्म को चूम लूंगा.
जवाब सुनते ही वो आतुर सा हो गया और अपनी बीवी के जिस्म की नंगी तस्वीरें भेजने लगा!
नग्न कामुक बदन देख मेरे मुंह से भी लार निकल पड़ी. निकले भी क्यूँ न … मर्द की कमजोरी ही औरत होती है!
कुछ समय तक ऐसा ही चलता रहा. फिर एक दिन रोहिताश ने खुद ही मुझे गाजियाबाद आने का निमंत्रण दिया.
जल्दी ही उनसे मिलने गाजियाबाद जाने का प्रोग्राम बना!
वहाँ पहुँचकर मैंने रोहिताश को कॉल की उसने पहले से ही अपने और मेरे लिए रूम बुक कर लिया था. रूम पर पहुँचकर मैंने स्नान किया और फिर मैं रोहिताश के रूम में जा पहुँचा!
रोहिताश ने गले से लगाते हुए मेरा स्वागत किया. रोहिताश से गले लगते वक्त मेरे निगाहें सीमांशी पर गयी, सीमांशी को देख मेरी आँखें एकटक उसे देखने लगी मानो शिकार करने से पहले ही उसके भोग की की कल्पना में डूब गया.
सीमांशी ने बैंगनी साड़ी और ब्लाउज़ पहन रखा था. उसपर उसका सफेद बदन इस तरह लग रहा था मानो दूध किसी कपड़े में लपेट रखा हो!
कुछ देर बाद बातें करते हुए रोहिताश ने बैग से एक शराब की बोतल और स्नेक्स निकाल कर मेज पर रख दिये. मेरे ना ना करने के बाद भी तीनों के लिए एक एक पेग बनाया गया.
रोहिताश ने मुझे ओर सीमांशी को पेग देते हुए चियर बोला और मुझे आखँ मार दी!
मैं समझ चुका था कि सब नॉर्मल है, सीमांशी भी तैयार है!
देखते देखते हम तीनों दो दो पेग ले बैठे.
अब बारी थी असली काम की … नशा भी चढ़ चुका था!
सीमांशी उठते हुए बोली- आप लोग लीजिये, मैं अभी आती हूँ!
उसके जाते ही रोहिताश ने मुझे बोला- अब आगे क्या विचार है?
मैंने उसे समझाया- तुम बाथरूम में जाकर ही सीमांशी को किस करो, उसमें थोड़ा जोश जगाओ!
रोहिताश ने तुरंत ही मेरा कहा मान कर उसको चूमना शुरू कर दिया. वो भी सी सी करती रोहिताश से चिपकने लगी.
मैं धीरे से उठ कर बाथरूम के दरवाजे पर चुपचाप खड़ा होकर सीमांशी को गर्म होती देखता रहा. रोहिताश ने धीरे धीरे उसका ब्लाउज़ निकाल दिया और साड़ी खोलने लगा. सीमांशी भी उसका साथ देने लगी. देती भी क्यों नहीं … वो खुद काम वासना में डूब रही थी, उसके तन को एक लंड की जरूरत थी.
रोहिताश ने सीमांशी की साड़ी पेटीकोट उतार दिया था!
अब मुझसे भी बरदाश्त नहीं हो रहा था, मैं पीछे से जाकर सीमांशी के बदन से चिपक गया.
सीमांशी सकपका गयी.
दूसरे पुरुष का स्पर्श उसे और अधिक उत्तेजित और शर्मशार करने लगा.
वो जैसे जैसे सिमटने की कोशिश करती, मैं उसके जिस्म को चूम कर उसे उत्तेजित करता.
जैसे ही मेरे हाथ उसके स्तनों पर पहुँचे, उसने अपने दोनों हाथों से उन्हें बचाने की कोशिश की. करती भी क्यों नहीं … आखिरकार भारतीय नारी जो थी. काम के वश में होकर भी लज्जा वश प्रयास तो करती ही!
उसने भी किया.
लेकिन तभी मैंने उसके दोनों हाथ फैला कर ऊपर को कर दिए और रोहिताश को दोनों हाथ पकड़ने का इशारा कर दिया.
इशारा पाते ही रोहिताश ने सीमांशी के दोनों हाथों को कसकर पकड़ लिया. अब मैंने धीरे धीरे उसके बदन को चूमते हुए उसकी ब्रा खोल दी! उसका सफेद जिस्म मेरे सामने था. समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे जिस्म को पूरा का पूरा चाट जाऊं या काट खाऊँ.
हवस भी क्या चीज़ होती है, यह अहसास उस वक्त होता है जब हम हवस में कुछ गलत कर जाते हैं. इसलिये आतुर न होकर थोड़ा आराम से सोच समझ कर काम लीजिये!
मैंने सीमांशी के बदन को चाटना शुरू कर दिया. मैं उसकी गर्दन से लेकर पीठ तक चाटता रहा चूमता रहा और स्तनों को पीछे से ही दबाता रहा. फिर मैंने नीचे घुटनों के बल बैठ कर उसकी पैंटी के ऊपर से ही गांड के उभारों को सहलाना शुरू कर दिया.
और देखते ही देखते उसकी मदमस्त गांड पर भी मेरे होंठ चूमने लगे. मैंने धीरे से उसकी पैंटी उतार दी. वो अपनी गांड को हिला हिला कर अपने चढ़ते जोश को मुझे दर्शाने लगी. मानो कोई मादा बाघिन किस बाघ को संभोग के लिए इशारे कर रही हो!
अब मेरा हाथ उसकी चूत पर भी जा पहुँचा. सीमांशी की सिसकारियों को सुन रोहिताश और मैं दोनों उत्तेजित हो रहे थे.
सेक्स में जितना मज़ा करने का आता है उससे ज्यादा उत्तेजित करती है महिला साथी की मादक आवाजें … जिन्हें सुन कर ही मर्द बेकाबू हो जाते हैं.
कुछ ऐसा ही हाल था रोहिताश और मेरा. हम दोनों ही उत्तेजित हो चुके थे. मैं सीमांशी का बदन चूमकर और उसकी सिसकारियां सुनकर तो रोहिताश किसी पराये मर्द के साथ अपनी बीवी को देखकर!
तभी मैंने सीमांशी को अपनी और पलटा. वो मुझसे ऐसे लिपट गयी मानो कोई बेल किसी पेड़ से.
अब मैं सीमांशी के गले मे चूमते हुए उसकी गांड दबा रहा था सहला रहा था!
मैंने सीमांशी को बांहों में उठा लिया और रोहिताश को बाथरूम में ही रुकने का इशारा किया.
जैसे ही मैं सीमांशी को लेकर बिस्तर में आया, वो रोहिताश रोहिताश पुकारने लगी.
रोहिताश बोला- मैं आ रहा हूँ.
अभी सीमांशी सिमटी हुई सी बिस्तर पर बैठ गयी मानो उसका सारा जोश ठंडा हो गया हो.
मैंने एक बार फिर से उसके बदन से चिपक कर उसे चूमना शुरू कर दिया. कुछ न नुकर के बाद मैंने धीरे धीरे सीमांशी की जांघों को सहलाना शुरू कर दिया.
सीमांशी अब फिर से मदहोश होने लगी. उसका विरोध अब सिसकारियों में बदल गया.
मैंने मौका पाते ही उसकी जांघों को चूमना चालू कर दिया.
धीरे धीरे मैं उसकी चूत की ओर बढ़ चला. उसने अपनी चूत के बालों को साफ किया हुआ था. मुलायम कोमल सी फाँकें मेरी जीभ को ललचा रही थी.
मैंने धीरे से जीभ को उसकी चूत पर फेरा, सीमांशी तड़प उठी. मानो उनकी वासना को मजबूर किया जा रहा हो कि वो नारी लाज छोड़कर एक कामुक स्त्री की तरह बर्ताव करे!
उसकी दोनों जाँघों पर मैंने हाथ रख थोड़ा सा खोलने का प्रयास किया. सीमांशी ने सहज होते हुए दोनों पैर खोल दिये मानो वासना के वशीभूत एक नारी एक मर्द को निमंत्रण दे रही हो कि आओ मुझे भोग लो मेरे शरीर को चरमसुख दो!
रोहिताश यह सब देख रहा था उससे भी खुद पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था!
मैंने जीभ पूरी अंदर तक डालनी शुरू कर दी. सीमांशी मस्त होकर लेट गयी मानो अब उसे कोई लोकलाज का भय न हो, पति के सामने सामने दूसरे मर्द से चुदने में कोई आपत्ति न हो!
सीमांशी दोनों हाथ मेरे सर पर रख कर चूत की तरफ धकेलने की कोशिश करने लगी मानो पूरा सर अंदर डाल देना चाहती हो.
काफी देर तक चूत में जीभ अंदर बाहर कर के मैं भी थक गया था, लिहाजा सांस लेने के लिये पीठ के बल लेट गया.
तभी सीमांशी मेरे ऊपर आ गई और मेरे लन्ड पर बैठ कर अपनी गांड को रगड़ते हुए मेरे गालों पर किस करने लगी. कभी मेरे मुंह में अपने स्तनों को डालती, कभी अपनी जीभ को.
हम दोनों ऐसे मदमस्त हुए एक दूसरे को चूम चाट रहे थे जैसे कई बार सम्भोग कर चुके हों.
अब सीमांशी अपनी चूत को मेरे मुंह पर रगड़ने लगी. मैंने फिर से जीभ को उसकी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.
तभी रोहिताश भी नंगा होकर बिस्तर में आ पहुँचा और सीमांशी को पीछे से ही किस करने लगा. रोहिताश ने मेरा मेरा लोवर और अंडरवियर दोनों निकाल दिए और मेरे लंड को सहलाने लगा.
मुझे लगा कि रोहिताश अब सीमांशी को मुझसे चुदवाना चाहता है.
लेकिन तभी मेरे लन्ड के ऊपर मुझे जीभ फेरने का एहसास हुआ मानो कोई लन्ड को चाट रहा हो. एक पल को मैं सन्न सा रह गया. तभी वो एहसास दुबारा हुआ.
इससे पहले मैं कुछ और समझ पाता, रोहिताश मेरे लन्ड को गपागप चूसने लगा. उसका पूरा लन्ड मुँह में लेना और फिर जीभ फेरना मुझे आनंदित कर रहा था. मैं चाहता था कि वो ऐसा न करे लेकिन उसके लन्ड चूसने से मिलने वाले मज़े ने मुझे ऐसा न करने से रोक दिया.
मैं फिर से रोहिताश की नंगी बीवी की चूत के अंदर जीभ डालने लगा. अब मेरे हाथ कभी सीमांशी की गांड को नोचते, कभी रोहिताश के बालों को.
एक अनुभव आप लोगों के साथ साझा करूं. मुझे ऐसा लगता है कि जिस कामुकता हवस और दिल्लगी से लन्ड को कोई लन्ड का शौकीन पुरुष चूसता है उतना कोई महिला शायद ही करती होगी.
रोहिताश मेरे लन्ड को अंडकोष को चाट चाट कर मुझे पागल कर रहा था.
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं सीमांशी को नीचे पटक कर उसके ऊपर चढ़ गया. सीमांशी ने अपनी दोनों टांगें खोलकर मेरा स्वागत ऐसा किया मानो वो खुद इस पल की प्रतीक्षा में रही हो मैंने लन्ड उसकी चूत के बाहर ही रगड़ना शुरू कर दिया
काम के वशीभूत सीमांशी से रह नहीं गया. उसने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ा और अपनी गांड ऊपर उठा कर लन्ड को चूत में घुसा देने के लिए पूरा दम लगा दिया.
लन्ड अंदर जाते ही सीमांशी का मुँह खुला रह गया मानो उसने उम्मीद न हो कि इतना दर्द होगा. झटके से लन्ड बाहर निकाल कर उसने अपनी गर्दन उठा कर मेरे लन्ड को देखा और बोली- ये तो फाड़ ही देता आज! लेकिन राजा, इसमें मज़ा भी आएगा.
और मैं धीरे धीरे उसके स्तन सहलाते हुए अपना लंड उसकी चूत के अंदर डालने लगा.
उधर रोहिताश सामने कुर्सी पर बैठ कर अपना लंड हिलाते हुए सीमांशी को देखने लगा. सीमांशी कभी मुझे नोचती, कभी अपने स्तनों को, कभी बालों को!
उसकी बहकी बहकी हरकतें उसके जोशीले गर्म स्वाभाव को दर्शा रही थी.
एक बार फिर से रोहिताश हम दोनों के पास आया और फिर मेरे अंडकोषों को सहलाते हुए मेरा उत्साह बढ़ाने लगा.
फिर वो अपनी बीवी की जाँघों को सहलाने लगा.
सीमांशी अब चरम पर थी, उसने मुझे तेज तेज चुदाई करने का इशारा किया. उसका इशारा पाते ही मैंने उसे घोड़ी बनने को बोला क्योंकि मैं जानता था जो झटके ओर तेजी से घोड़ी बना कर मिलेगी वो ऐसे में सम्भव नहीं थी.
वह झड़ने को बेचैन थी, लिहाजा एकदम से घोड़ी बन गयी.
तभी रोहिताश उसकी चूत की फांकों को चाटने लगा और मेरे लन्ड को एक बार फिर से सहलाने लगा. मैंने रोहिताश के हाथ को अपने लन्ड से हटाया और उसके सामने ही उसकी बीवी की चूत में एक बार फिर से डाल दिया.
इस बार मैंने एक ही झटके में सीमांशी की चूत में लन्ड डाल दिया.
कल्पना कीजिये सीमांशी को कैसा अहसास हुआ होगा उस वक्त … और कैसा महसूस किया होगा. उसके पति रोहिताश ने जिसकी आँखों के आगे उसकी कामुक इच्छा पूर्ति हो रही थी.
सीमांशी के साथ साथ रोहिताश भी मदहोश हो रहा था. होता भी क्यों नहीं … उसकी यही तो इच्छा थी कि उसकी बीवी की चुदाई कोई दूसरा मर्द करे और वो देखे. जो मर्द ऐसी कामुक कॉकोल्ड इच्छा रखते है सचमुच कमाल के होते हैं!
सीमांशी की कमर को पकड़ते ही मैंने तेज तेज झटके मारने शुरू कर दिये. सीमांशी तेज तेज चीखने लगी. अब वो दर्द में चीख रही थी या मज़े में … यह जानने की कोशिश मैंने भी नहीं की.
मैंने उसकी आवाज को अनसुना कर तेज तेज धक्के लगाना चालू रखा! सीमांशी जोर जोर से आगे पीछे हो रही थी वो जोर जोर से अपनी गर्दन भी हिला रही थी.
उसकी चोटी पकड़ कर मैंने इस तरह थाम लिया मानो घुड़सवार ने घोड़े की लगाम थाम ली हो.
और मैंने उसकी मस्त सफेद गांड पर एक बार जोर से थप्पड़ मारा. उसके मुंह से अहह सुनकर मैंने पूछा- अच्छा लगा क्या?
सीमांशी बोल पड़ी- हाँ मारो … और मारो.
मैं एक हाथ से उसकी चोटी कस कर पकड़ के खींचते हुए दूसरे हाथ से उसकी गांड पर थप्पड़ पर थप्पड़ मारने लगा मानो घुड़सवार को रेस जीतने के लिए घोड़े पर चाबुक मार रहा हो. उसकी सफेद गांड लाल हो चुकी थी. उसकी गांड पर मेरी उंगलियों के निशान छप चुके थे लेकिन उसे मज़ा आ रहा था.
देखते देखते सीमांशी एक तेज आवाज के साथ नीचे लेट गयी और हांफने लगी. उसकी स्थिति देख मैं समझ चुका था कि उसका स्खलन हो गया था.
लेकिन हवस में अंधा मैं एक अंतिम बार जोर से उसे चोदने लगा.
तभी मेरी आवाज में भारीपन आने लगा. सीमांशी नहीं चाहती थी कि मै वीर्य अंदर डालूं, उसने मुझे हटाने की कोशिश भी की लेकिन मैं उस पर हावी हो चुका था.
मैं उसके अंदर ही स्खलित हो गया और उसके जिस्म पर ही चिपक गया.
कुछ देर बाद मैं सीमांशी के ऊपर से हटा तो मैंने देखा रोहिताश मुस्कुरा रहा है. मैंने भी मुस्कुराते हुए उसे आंख मार दी.
कुछ ही देर में नींद कब आयी, पता ही नहीं चला. तीन घण्टे बाद बाद जब मुझे महसूस हुआ कि मेरे लन्ड पर कुछ हलचल हो रही है तो मैं जागा. देखा तो रोहिताश मेरा लन्ड चूस रहा था और सीमांशी सब देख रही थी.
मुझे जागता देख रोहिताश मेरी और बड़ा धीरे धीरे उसने मेरे पेट और छाती पर चूमना शुरू कर दिया. मैं कुछ समझ पाता उस से पहले रोहिताश मेरे ऊपर बैठ चुका था और सीमांशी मेरे लन्ड को रोहिताश की गांड में सेट कर रही थी.
रोहिताश ने धीरे धीरे लन्ड अपनी गांड में लेना शुरु कर दिया. वो थोड़ा सा अंदर डालता दर्द होने पर रुक जाता. उधर सीमांशी मेरे अंडकोष और मेरी जाँघों को सहला रही थी ताकि मेरा लन्ड कड़क रहे और आसानी से अंदर चला जाये.
मैंने उसे लन्ड गीला करने को कहा जिसे सुन कर वो उठ गया और लन्ड साफ करते हुए चूसने लगा.
उसे देख सीमांशी बोली- रुको, सब कुछ तुम ही करोगे? मुझे भी तो देख लेने दो इसे अच्छे से!
कहते हुए उसने लन्ड मुँह में डाल दिया और गपागप चूसने लगी.
मेरा पूरा लन्ड उसकी लार से गीला हो चुका था! अब मैंने रोहिताश को पेट के बल लेटने को कहा और खुद उसके ऊपर जाकर उसकी गांड में लन्ड सटा दिया. गीला होने के कारण लन्ड आराम से रोहिताश की गांड में घुसने लगा.
उसकी स्ससस की आवाज सुनकर मैं समझ गया कि रोहिताश पुराना खिलाड़ी है इस खेल का! नहीं तो पहली बार मे बड़ा लन्ड ले लेना आसान काम नहीं है
कुछ ही पलों में रोहिताश अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगा. मैंने उसे घोड़ी बनने के लिए इशारा किया. वो घोड़ी बन कर लन्ड को पूरा जड़ तक लेने लगा. उसकी आँखें बंद थी, वो गांड के सुख में खोया हुआ था.
मेरे साथ ऐसा पहली बार ऐसा हुआ कि किसी पति ने अपनी पत्नी की चूत के साथ अपनी गांड का भी मज़ा मुझे दिया. लन्ड तो पहले भी चूसा था पतियो ने … लेकिन गांड का मज़ा आज मिला.
रोहिताश को मज़ा लेते देख सीमांशी उसके आगे खड़ी हो गई. रोहिताश कभी सीमांशी के स्तन दबाता कभी उसकी चूत को छेड़ता. गांड में लन्ड चूत की अपेक्षा ज्यादा टाइट जाता है. जिसके कारण ज्यादा मज़ा भी आता है और झड़ता भी जल्दी है.
लिहाजा मैंने भी तेजी से करते हुए रोहिताश और खुद को सन्तुष्ट कर दिया. फिर हम तीनों बिस्तर में लेट गए. रोहिताश सन्तुष्ट था, उसे मोटे लन्ड का सुख मिल चुका था. रोहिताश ने बताया कि जब उसने फ़ोटो में मेरा लन्ड देखा, तभी सोच लिया था कि तुम्हें बुलाऊंगा और सीमांशी की आड़ में मेरा भी काम हो जायेगा.
हम तीनों हंस पड़े.
इस तरह मैंने अपने पाठक की इच्छा को पूरा किया. और उसकी गोरी जवान बीवी के साथ एक अच्छा समय गुजारा.
दोस्तो, यह कहानी थी मेरे मित्र रोहिताश ओर उसकी बीवी की चुदाई की.
आशा है आपको पसंद आई होगी. मुझे आपकी कमेंट का इंतजार रहेगा.