दोस्तो, मेरा नाम राहुल मोदी है. मैं अन्तर्वासना सेक्स कहानी डॉट कॉम वेबसाइट का एक नियमित पाठक हूं. आज मैं आप सभी को अपनी एक वास्तविक घटना बताने जा रहा हूं. आपको पसंद आई या नहीं, प्लीज़ कमेंट करके जरूर रिप्लाई दीजिएगा.
दोस्तो, मैं अभी अट्ठाई वर्ष का हुआ हूँ. दो साल पहले की घटना है. मैं एक बांका आकर्षक युवा, छैला किस्म का लड़का हूँ. मेरी लम्बाई पौने छह फुट की है. मेरा शरीर देखने में खूबसूरत है, स्लिम बॉडी है. जिससे लड़कियां दीवानी हो जाती हैं.
मैंने एक कोचिंग क्लासेज में पढ़ाने का काम करना शुरू किया था, जहां बहुत खूबसूरत ख़ूबसूरत जवान लड़कियां पढ़ने आती थीं. मुझे देख कर बहुत सारी लड़कियां आहें भरती थीं, ये मुझे मालूम था. मगर मैं उन सब पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था.
मैंने पढ़ाते समय मैंने कई बार इस बात को महसूस भी किया था कि कोई कोई लड़की इतनी अधिक चुदैल किस्म की आ जाती थी कि उसके करीब से गुजरने पर वो अपने टॉप या कुरते से दूध दिखाते हुए मुझे रिझाने की कोशिश करती. पर मैं इन सब बातों को इग्नोर कर देता था. तब मुझे पीछे से फुसफुसाहट से मालूम चल जाता था कि लड़कियों के दिल में मेरे लिए क्या चल रहा है. हालांकि बाद में मुझे रेस्टरूम में जाकर मुठ मार कर खुद को शांत करना पड़ता था. मैं अपनी किसी स्टूडेंट के साथ गलत रिश्ता बना कर बदनामी लेना नहीं चाहता था.
मेरा पढ़ाने का काम शुरू हुए अभी आठ महीने ही हुए थे कि वहां रिसेप्शन की जॉब के लिए अर्चना नाम की कयामत ढाने वाली बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लड़की ने ज्वाइन किया. मैंने सुना था कि ऑफिस में किसी सुन्दर लड़की ने रिसेप्शनिस्ट की जॉब के लिए ज्वाइन किया है, लेकिन मैंने उसे देखा नहीं था क्योंकि मैं दो दिन से छुट्टी में चल रहा था.
मैं अगले दिन जब ऑफिस गया, तो मेरी निगाहें उस खूबसूरत परी को खोज रही थीं. मगर मुझे उस वक्त नहीं दिखी. मैं क्लास लेने चला गया. जब मेरी क्लास खत्म हुई और ऑफिस आया, तब देखा एक बहुत ही खूबसूरत बाइस साल की 32-28-32 के फिगर वाली लड़की, बहुत ही गोरी, जिसकी आंखें बड़ी बड़ी और होंठ एकदम गुलाबी थे. उसने इस वक्त खुले बालों में खुद को सजा रखा था. वो एक टाईट शर्ट पहने हुए थी, जिसमें से उसके चूचे तने हुए और बड़े बड़े दिख रहे थे. उसके तने हुए मम्मों को देख कर मेरे दिल की धड़कनें अचानक बहुत ज्यादा बढ़ने लगीं.
उसने मुझे देखा तो उठ कर हैलो कहा. मैंने भी उससे बात की. उसका नाम अर्चना था. इस तरह से अर्चना से मुलाकात हुई और उसको ऑफिस के बारे में बताने कुछ काम समझाने का मौका मिला. इस तरह हमने एक दूसरे के साथ पहला दिन काम समझाने में निकाल दिया.
क्लासेज खत्म होते ही एक दूसरे को बाय बाय करते चले गए. घर जा कर अर्चना को याद कर के मैंने रात में तीन बार मुट्ठ मारी क्योंकि उसकी उठी हुई गांड और तने हुए बूब्स मेरी आंखों के सामने सपने जैसे चल रहे थे.
अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ गया और जल्दी से अच्छे से तैयार होकर ऑफिस पहुंच गया. मेरी निगाहें अर्चना को चारों तरफ खोजने लगीं. चूंकि मेरी क्लास थी तो मैं चला गया. जब पढ़ा कर आया, तो देखा कि आज तो अर्चना भी कुछ अलग ही कयामत ढाने पर तुली है. अर्थात कल से ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी.
मैंने अर्चना को देखते ही कह दिया- मैडम, आज तो आप बहुत ही अच्छी दिख रही हो.
उतने में ही उनका जवाब आया- सर जी, मैं भी आपको बोलने वाली ही थी कि आप बहुत हैंडसम लग रहे हो.
इतना सुनते तो मेरे पैर हवा में होने लगे. मुझे लगा कि मैं इसके ऊपर अभी ही चढ़ जाऊं.
दोस्तो, आज जल्दी के चलते मैं टिफिन नहीं ला पाया था. लंच के समय हम सभी बैठ कर अपने टिफिन का खाना खाते हैं.
लंच टाइम हुआ तो अर्चना ने कहा- सर चलिए.
मैंने उससे कुछ नहीं कहा.
उसने मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखा तो मैंने कहा- अर्चना जी आप खाना खा लीजिए … मैं ऑफिस में बैठा हूं.
तो उसने बोला- सर आप भी साथ में चलिए न?
मैंने बताया- नहीं आप जाइए, मैं आज टिफिन नहीं लाया.
यह जान कर वो तो मेरे पीछे ही पड़ गई कि चलिए चलिए साथ में खाएंगे.
मैं भी उसकी बात रखते हुए उसके साथ हमारे ऑफिस के बगल रूम में चला गया, जहां हम लोग लंच या रेस्ट करने के लिए जाते हैं.
अब हम दोनों ने टिफिन के खाना को खाना शुरू किया.
खाना खाते समय मैंने खाने की तारीफ की, तो वो बहुत खुश हुई और बोली- थैंक्स सर.
मैंने बोला- आप मेरा नाम लीजिए … आप मुझे राहुल बोलिए.
अर्चना ने कहा- ठीक है राहुल.
अब हम धीरे धीरे अच्छे दोस्त बन गए थे. थोड़ा थोड़ा मस्ती मजाक … और एक दूसरे को छेड़ना चालू हो गया था. हमने एक दूसरे से अपने मोबाइल नंबर ले लिए थे और अब हम दोनों व्हाट्सैप पर भी एक दूसरे से जुड़ गए थे.
एक दिन जब कुछ लड़कियां, मुझसे एक विषय में कुछ दिक्कत थी, उसको पूछने आयी थीं, तब अर्चना भी वहीं थी. मैं जब उन लड़कियों को समझा रहा था, तो वो मुझको ही घूरे जा रही थी.
स्टूडेंट्स के जाने के बाद वो बोली- लड़कियां तो दीवानी हैं राहुल जी आपकी.
मैंने हंसते हुए उसकी बात को टाल दिया, मैंने कहा- उनमें कोई भी लड़की आपके जैसी नहीं है.
उसने मुस्कुराते हुए कहा- इसका क्या मतलब हुआ राहुल जी?
मैंने उसकी बात का कोई उत्तर नहीं दिया, तो वो मुस्कराती हुई अपने काम में लग गई.
छुट्टी में घर जाते ही मैंने उसको एक व्हाट्सैप मैसेज किया- थैंक्स अर्चना, टिफिन के लिए.
अर्चना का तुरंत जवाब आया, जैसे वो इंतजार ही कर रही थी- वेलकम राहुल.
हम दोनों उस दिन मूड में थे, सो चैट करने लगे. कुछ देर हम दोनों ने इधर उधर की बात की. फिर हमने रात में खाने के बाद बात करने का वादा करके चैट खत्म कर दी.
मुझसे इंतजार ही नहीं हो रहा था. मैंने उसकी याद में फिर एक बार मुठ मारी. फिर रात में हुए खाने के बाद लगभग बजे उसका मैसेज आया. मैं खुशी से पागल हो गया.
अब हम एक दूसरे से खाना आदि खा लेने के लिए बात करने के बाद फैमिली, पढ़ाई में बात करने लगे.
उतने में उसने बोला- आपकी गर्लफ्रेंड बहुत लकी होगी, जिसे आप जैसा ब्वॉयफ्रेंड मिला है.
इस पर मैंने पलट कर जवाब लिख दिया- किस्मत तो आपके ब्वॉयफ्रेंड की अच्छी है अर्चना … वैसे आपको बता दूं कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
उसने भी लिख दिया कि उसका भी कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है.
अब हम दोनों एक दूसरे से धीरे धीरे पर्सनल बात करने लगे.
तभी मैंने बोला- कॉल करूं क्या अभी?
उसने हां कह दिया.
उस दिन हम दोनों रात चार बजे तक कॉल पर बात करते रहे. मैंने इसी बीच उसको याद करते हुए तीन बार मुठ मारी.
इसके बाद हम दोनों सो गए.
अगले दिन जब हम दोनों ऑफिस पहुंचे, तो एक दूसरे को देख कर ऐसे मिले, जैसे बहुत पुराने प्यार करने वाले मिल गए हों. उस दिन शायद कोई ऐसा अवसर था, जिस वजह से ऑफिस का कोई अन्य स्टाफ आया ही नहीं था.
स्टूडेंट्स भी लंच के बाद नहीं रहने वाले थे. इसके बाद मैंने उसकी तारीफ करते हुए रेस्ट रूम में चलने का उसे इशारा किया. वो भी कोई विरोध किए बिना मेरे पीछे से अन्दर आ गई.
जैसे ही वो अन्दर आई, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके बिल्कुल पास आकर उससे बोला- आपने तो मुझे कल सोने ही नहीं दिया और मेरे दिलो दिमाग में छा गई हो.
मेरे हाथ पकड़ने पर उसका कोई विरोध नहीं हुआ लेकिन वो शर्मा कर बोली- चलो पागल जी अब रहने दो … वरना कोई देख लेगा.
मैंने उसके और पास आते हुए उसको गले से लगाते हुए कहा- ठीक है अब चलता हूँ … तुम अपना ख्याल रखना.
उसने गले लगाने का भी विरोध नहीं किया और बस शरमाते हुए चली गई.
मैं तो सच में खुशी से पागल होता जा रहा था क्योंकि अब इतनी खूबसूरत लड़की को चोदने का मौका मिलने वाला था. मैंने ऑफिस ब्वॉय से भी जाने का कह दिया. अब हम दोनों के सिवाए आज कोचिंग में और कोई नहीं रह गया था.
अर्चना लंच बॉक्स लेकर रेस्टरूम में जा चुकी थी. मैंने मेनडोर बंद किया और अर्चना के बाद मैं भी रेस्टरूम में आ गया. उसे इस बात की खबर ही नहीं लगी कि मैंने मेनडोर बंद कर दिया है.
बिना समय गंवाए मैंने लंच के समय रेस्ट रूम को अन्दर से लॉक करके अर्चना को जोर से कस कर बांहों में भर लिया. न ही उसका कोई विरोध नहीं हुआ और न ही उसने साथ दिया.
उसने मुझसे कहा- चलो पहले खाना खाओ … फिर ये सब कर लेना.
अब क्या बोलना बाकी रह गया था, मैं बोला- खाना तो बाद में भी खा लेंगे मेरी जान.
मैंने उसके रस भरे होंठों को चूसना चालू कर दिया और उसके चूचे को सहलाना भी चालू कर दिया. उसको भी अच्छा लगने लगा और वो भी साथ देने लगी. उसके चूचे बहुत ही मुलायम और बड़े बड़े थे, जिसे मैं अपने पूरी हथेली में भर के सहला रहा था. मैंने उसको वहीं बेड पर लिटा दिया और उसके पेट पर चूमने लगा.
उसकी कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. उससे भी रहा नहीं गया और उसने अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख के सहलाना रगड़ना चालू कर दिया. मैंने प्यार से उसकी शर्ट को उतार दिया. अब वो मेरे सामने लाल ब्रा में थी. उसके चूचे ब्रा से बाहर आने के लिए मचल से रहे थे. मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचे को दबाना चूसना चालू किया.
उसने एक बार किसी के आने की बात कही तो मैंने उसे सब बता दिया कि आज कोचिंग के दरवाजे बंद हो गए हैं और अन्दर सिर्फ हम दो ही हैं.
अब वो बिंदास मेरे साथ सेक्स में लग गई. उसकी ‘ओह आह वाव..’ जैसी मादक सिसकारियां तेजी से आने लगीं. मैंने झट से ब्रा को भी निकाल फेंका. आह मेरे सामने जन्नत की हूर अपने मम्मे खोले पड़ी थी. मैंने देखा कि सफेद दूध जैसे गोरे चूचे और उन पर गुलाबी निप्पल अपनी अलग ही कामुकता बिखेर रहे थे. ये सब देखते ही मेरा लंड बेकाबू होने लगा. मेरा आठ इंच लम्बा और तीन इंच मोटा मेरा लंड लोहे की रॉड जैसा गर्म हो गया था. अर्चना मेरे पैंट को खोल कर मेरे लौड़े को घूरने लगी और थोड़ा घबरा सी गई.
फिर मैंने उसके हाथ में लंड देकर बोला- जान अब ये तुम्हारा है … इसको प्यार करो और किस करो.
उसने पहले मना किया.
फिर मैं बोला- अच्छा अपना ट्राउजर उतारो.
ये कहने के साथ ही मैंने खुद ही अपना पेंट पूरा खोल दिया.
वो शरमाते हुए लेट गई और मैंने उसका पैंट मतलब ट्राउजर उतार दिया. अब वो मेरे सामने सिर्फ लाल पेंटी में थी. उसकी टाईट पेंटी में क्या खूबसूरत गांड और फूली हुई चूत साफ़ दिख रही थी. मैं उसके गुलाबी होंठ चूसते निप्पल पर आया और एक निप्पल को अपने होंठों में दबा आकार चूसने लगा. उसकी सेक्सी और मादक आवाज मेरी कानों में कामुकता का रस घोल रही थी.
मैंने उसके पेंटी को खिसकाते हुए उतार दिया. अब वो पूरी नंगी मेरे सामने पड़ी थी. मुझसे उसकी चिकनी चूत को देख कर रहा नहीं गया. मैंने उसकी चूत को हल्के से फैला कर उस पर होंठ जमा दिए और उसे किस करने लगा.
अर्चना तो चूत पर मेरा स्पर्श पा कर एकदम पागल हो चुकी थी. उसकी मादक सीत्कारें बढ़ने लगीं.
‘आह ओह इस्स …’ की आवाजें कमरे के माहौल को मादक बनाने लगीं. उसको बहुत अच्छा लग रहा था, वो मेरे सर को जोर से अपने चूत में खींच और दबा रही थी. कुछ ही पलों में उसका शुरूआती रस निकलने लगा था.
तभी मैंने उठ कर उसके मुँह के सामने अपना सख्त लौड़ा कर दिया. उसने भी बिना कुछ सोचे सीधे मेरे लंड को चूसना चालू कर दिया. जल्दी ही हम दोनों 69 की पोजिशन में आ गए. हमने एक दूसरे का आइटम चाटना चूसना चालू कर दिया. कुछ ही देर में वो एक बार अकड़ते हुए झड़ गई.
अब वो मेरे से कहने लगी- राहुल मुझसे रहा नहीं जाता … अपना ये मेरे चूत में डाल दो.
मैं भी बिना देरी किए उसके चूत में धीरे से उंगली डाल कर घुमाने लगा.
‘आह आह ओह राहुल … उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ वो मुझे किस किए जा रही थी.
मैंने अपना कड़क लौड़ा उसकी चूत के मुँह पर रख के रगड़ना चालू किया. उसकी सिसकारियां बढ़ गई थीं. मैंने धीरे से उसकी चूत में अपने लंड का टोपा अन्दर धकेला, तो उसकी आह निकल गई और वो चिल्ला दी. मैंने उसके मुँह को अपने हाथों से बंद करके उसको सहलाना चालू रखा. फिर दूसरा जोर का झटका दिया तो मेरे लंड का एक चौथाई हिस्सा उसकी चूत में चुका था. उसकी दर्द से हालत खराब हो रही थी. वो मुझे पेलने के लिए मना करने लगी.
अर्चना- अब बस राहुल, मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
लेकिन मेरा लौड़ा तो बिना चुदाई के मानने वाला नहीं था. सो मैं थोड़ी देर वैसे ही शांत रह कर उसको चूमने लगा. कुछ पल में उसके सामान्य होते ही मैंने फिर से उसको टांगों को ढीला करने बोला और जोर का झटका लगा कर आधे से ज्यादा लौड़ा अन्दर कर दिया.
अब उसकी चूत से खून आने लगा. मैंने उसको नहीं बताया क्योंकि उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे. मैं उसको बातों मैं फंसा करके बहलाने लगा. धीरे धीरे अपने लंड को आगे पीछे करते करते पूरा लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया.
आखिरी झटका बड़ा तेज लग गया था, जिससे उसकी चीख निकल पड़ी और दर्द से रो दी.
मैंने रुक कर उसे पुचकारा और उसके दूध चूसे जिससे वो ठीक हो गई.
अब मैं धीरे धीरे अपने लंड को आगे पीछे करते हुए उसको चोदने लगा. मुझे पता था कि अब मज़ा लेने का समय नजदीक है. मैंने देखा अब उसका खून भी बंद हो गया है और वो भी फिर ‘आह आह ओह …’ की आवाज करने लगी थी.
मैं समझ गया और उसकी चूत को दबा कर चोदने लगा. उसने भी अपनी चूत को मेरे लंड के साथ कदम से से कदम मिलाकर उठाना गिराना शुरू कर दिया. वो मुझे साथ देते हुए पूरी मस्ती से चुदवाने लगी. अर्चना को धीरे धीरे चुदने में इतना मज़ा आने लगा कि उसकी मदभरी आवाजें ‘आह आह राहुल … और तेज चोदो उम्मह..’ आने लगीं.
मैंने उसकी चूत को और फैला कर हचक कर पेलना चालू कर दिया. उसने भी अपनी टांगें हवा में उठा दी थीं. उसकी चूत में जबरदस्त चिकनाई आ गई थी जिस वजह से मेरा लंड सटासट अन्दर बाहर होकर उसकी बच्चेदानी तक जाकर उसको चुदाई का मजा दे रहा था.
मैंने आज उसको चोद कर लड़की से औरत बना दिया था. मैं पूरी ताकत से उसे जोर जोर से चोद रहा था. उतने में उसने जोर से मुझे अपनी ओर खींचा और अकड़ने लगी. मैं समझ गया कि लौंडिया झड़ने की कगार पर आ गई है. मेरे लंड की चिकनाई उसकी चूत को पूरा गीला कर चुकी थी और अब मैं भी बस झड़ने वाला था.
मैंने पूछा- मेरा गर्म गर्म लावा बाहर आने वाला है … कहां लोगी?
अर्चना बोली- मेरा पहला सेक्स है … मुझे पूरा महसूस करना है … सब अन्दर ही छोड़ दो.
यह सुनकर मेरा दिल खुश हो गया. अब मैं झटके लगाने के साथ उसके चूचे पूरी बेदर्दी से मसलता जा रहा था.
तभी मैंने ‘आह अहह बेबी..’ बोलते हुए उसकी चूत में पूरा वीर्य छोड़ दिया. वो भी मुझे पहले झड़ चुकी थी. हम दोनों यूं ही थोड़ी देर नंगे पड़े रहे. फिर उठ कर उसने खुद को साफ़ किया और खून देख कर उसने मुझे प्यार से देखा.
समय काफी हो चुका था. सो बिना खाना खाए हम दोनों रेस्टरूम से बाहर आ गए.
उसके बाद हम जब भी मौका और समय मिलता, तो हम दोनों चुदाई कर लिया करते थे.
दोस्तो, आपको मेरी यह चुदाई की कहानी पसंद आई या नहीं, जरूर कमेंट करना.
मैं जल्दी ही अपनी दूसरी सच्ची कहानी डालूंगा, जिसमें मैंने अर्चना की फ्रेंड एकता को कैसे चोद कर सील तोड़ दी थी.