ऑफिस गर्ल सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैं office के काम से बंगलूरु गया तो मेरी मुलाक़ात एक पुरानी सहयोगी से हुई. उसने कैसे मुझे सेक्स के लिए उकसाया.
लेखक की पिछली कहानी: गैंगबैंग चुदाई की गंदी कहानी
ये ऑफिस गर्ल सेक्स स्टोरी तब की है, जब मैं किसी काम से बैंगलोर गया हुआ था. वहां ऑफिस में एक ज़रूरी काम था. मुझे वहां दो रात रुकना था.
मैं ऑफिस में गया, तो मेरा काम पहले दिन में ही निपट गया था.
इस काम के दौरान वहां मैं एक औरत से मिला था. वो पहले हमारी टीम में हुआ करती थी. उससे हमेशा फ़ोन पर बात हुई थी मगर मैं कभी मिला नहीं था.
मेरी उससे बातचीत शुरू हुई, तो उसने बताया कि वो तलाकशुदा है.
काफी देर तक बात हुई मगर इस बातचीत तक मेरा उससे कुछ सैट नहीं हुआ था. वो मुझे चोदने लायक माल तो लगा था, मगर मैं उसकी मर्जी के खिलाफ कैसे कुछ कर सकता था.
जब उसको पता लगा कि मैं अकेला आया हूँ, तो उसने मुझे अपने दोस्तों के साथ एक रेस्तरां में खाने पर बुलाया.
मैंने इसे औपचारिक निमंत्रण माना और चला गया. उधर हमारी और भी अच्छे माहौल में बात हुई.
खाने के बाद रात में उसने कहा कि चलो मैं तुम्हें तुम्हारे होटल में ड्राप कर देती हूँ.
हम दोनों होटल आए, तो मैंने उसे ऑफर किया कि यदि तुम चाहो तो ड्रिंक एन्जॉय कर सकती हो.
वो ड्रिंक करती थी, तो उसने हां कर दी.
मन बन जाने के बाद वहां के बार में हम दोनों बैठ गए. वो कुछ ज़्यादा ही बड़े बड़े पैग ले रही थी.
मैंने उसे टोकते हुए कहा- तुम्हें घर भी जाना है.
उसने कहा कि मैं घर पर ज़्यादातर अकेली ही पीती हूँ. अगर तुम्हें मेरी कंपनी पसंद नहीं, तो मैं चली जाती हूँ.
मैंने कहा- नहीं … ऐसी बात नहीं है.
पांच पैग पीने के बाद उसकी हालत चलने लायक नहीं रह गई थी.
उसने कहा- आज ज्यादा हो गई है, मैं अब घर नहीं जाना चाहती.
मैं उसे मना भी नहीं कर सकता था.
मुझे लगा कि ये बात तो सही नहीं है. गाड़ी चलाते समय कुछ गड़बड़ भी हो सकती है. मेरे सामने उसे अपने कमरे में रुक जाने की कहने के अलावा और कोई चारा भी नहीं था.
हम दोनों ऊपर मेरे कमरे में आ गए. वो जाकर मेरे बेड पर लेट गयी.
नशे में शायद वो अपने पुराने पति को याद कर रही थी और कुछ बुदबुदा रही थी.
मैं काउच पर जाकर लेट गया. मुझे नशा हो रहा था, तो मेरी आंखें मुंद गईं. थोड़ी देर में मुझे एहसास हुआ कि काउच में कुछ हलचल हो रही है.
मैंने देखा तो वो मेरे पास आने को हो रही थी.
मैं समझ गया कि इसके मन की वासना अंगड़ाई ले रही है. मैंने उससे कहा- अभी नहीं … तुम होश में नहीं हो.
मगर वो मानी ही नहीं. फिर मैंने भी उसे अपने आगोश में ले लिया.
धीरे धीरे हम एक दूसरे को प्यार से सहलाने लगे.
अब हम दोनों के बीच हवस का सिलसिला चालू हुआ. मैंने उसके जिस्म से अपने हिस्से का सारा रस चूसना चालू कर दिया था.
वो भी ऐसे लगी थी कि जैसे ये चीज आज के बाद मुझे मिलेगी ही नहीं.
उसके होंठों से बाहर आता हुआ उसकी लार मुझे और भी उत्तेजित किए जा रही थी.
उत्तेजना होती भी क्यों नहीं, उसकी लार में शराब जो मिली थी.
करीब दस मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला, तो बाकी के दो हुक झटके से ही खुल गए. हुक खुले तो एकदम से उसके एक एक किलो के मुम्मे बाहर उछल आए.
एकदम परफक्ट शेप वाले मुम्मे थे, मेरा नशा बढ़ गया और मैं एक को पक्स कर चूसने लगा, दूसरे को मैंने हाथ के हथेली में भर कर मसलना चालू कर दिया.
मम्मों के साथ मस्ती चालू हुई, तो उसके अन्दर की चुदास भी बढ़ गयी. वो अपने हाथ से अपने दूध पकड़ पकड़ कर पिलाने लगी.
कुछ देर के बाद मैंने उसे अपने नीचे लिटा लिया और लंड पर कंडोम चढ़ा लिया.
वो बड़े बहशियाना भाव से मेरे लौड़े को देख रही थी और हाथ से पकड़ने की कोशिश कर रही थी.
कंडोम चढ़ाने के बाद मैंने उसकी चुत को बड़े प्यार से हाथ से सहलाया.
इससे उसकी सिसकारी बढ़ती जा रही थी.
वो शायद बहुत टाइम से चुदाई की भूखी थी. इसीलिए उसको ये और भी मस्त लग रहा था.
मैंने अपने लंड को उसकी चुत के छोटे से छेद में जैसे ही प्रवेश करवाया. उसने दर्द की अधिकता से मेरे हाथों पर अपने नाखून गड़ा दिए.
मैंने बिना रुके पहले तो दस से बारह झटके जोर जोर से ऐसे लगा दिए जैसे वो कोई औरत नहीं … सेक्स डॉल हो.
कुछ देर बाद उसको ये सब पसंद आने लगा था. अब वो अपनी टांगें हवा में उठाए हुए लंड चुत में ले रही थी.
उसके बाद मैंने स्पीड धीरे धीरे कम कर दी. वो पूरे मज़े लेकर मुझसे चुदवा रही थी.
उसके अन्दर काफी दिनों की भूख जमा थी.
मैंने उत्तेजना में उसको कई चांटे भी लगाए … मगर वो इसके मजे ले रही थी और प्यार से चुदने में मेरा साथ दिए जा रही थी.
उसने अपने दोनों पैर मेरी कमर में कैंची लगा कर जकड़ बढ़ा दी और ‘हुम्म हां हां ..’ करके चुदवाती रही.
कुछ देर बाद मैंने उसको फिर प्यार से चूसना चालू कर दिया. उसके काले काले निप्पल मैंने बहुत देर रगड़ते हुए चूसे.
कभी अपनी जीभ से निप्पल चाटने लगता, तो कभी दांतों से पकड़ कर खींच लेता. कभी उनको मसल देता … कभी उंगलियों से पकड़ कर मरोड़ देता.
इस सबसे उसकी चीख निकल जाती.
फिर मैंने उसे घोड़ी बना दिया और चोदते वक़्त उसके चूतड़ों को झापड़ मार मार कर इतने लाल कर दिए कि अब उसको वहां हाथ लगाने में भी दर्द हो रहा था.
काफी देर तक चुदाई का ये खेल खेलने के बाद हम दोनों झड़ गए और कब सो गए … पता ही चला.
सुबह आंख खुली, तो पता लगा मेरे लंड पर कुछ हलचल हो रही है.
वो सुबह सुबह ही मेरा लंड चूस रही थी.
ये लंड चुसाई वाली फीलिंग मिलना सपना ही था. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था. सुबह सुबह उसका नंगा और गोरा शरीर एकदम चांदी सा चमक रहा था.
अब बारी थी मेरी … मैंने उसे उठा कर बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया. उसके हाथ कसके पीछे पकड़े और उसके बाल खींच कर उसका मुँह उठा दिया.
मैंने उसके कान में कहा- अकेले अकेले मज़े नहीं ले सकती हो. तुमको सुबह सुबह मेरे जानवर को जगाने का अंजाम तो भुगतना ही पड़ेगा. तुम्हारे इस जिस्म में बहुत मांस है और मैं सिर्फ यही मांस पसंद करता हूँ. आज मेरा नाश्ता तुम बनोगी.
वो हंस दी.
मैंने भी सीधे उसकी गांड में उंगली डाल दी ताकि उसकी गहरायी पता लग पाए.
उंगली से वो मचल गयी … मगर वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े में थी.
मैंने उसके कंधे पर जोर से काटा और उसके मुँह अपने हाथों से दबा कर अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर लगा दिया.
वो मुँह से कुछ नहीं बोल पा रही थी. मगर छटपटा रही थी. मैंने धीरे धीरे उसकी गांड में अपना लंड डाला. आधे लंड में ही उसकी चीख निकल गयी और उसने जोर से मेरी उंगली काट ली.
साली ने बहुत जोर से काटा था … मेरी उंगली से खून निकलने लगा था. मगर उस टाइम मुझे ये सब होश कहां था.
मैंने उसकी गांड तब तक मारी, जब तक वो बेहाल नहीं हो गयी.
बाद में उसके बगल में लेट कर बड़ी देर तक मैंने उससे अपना लंड चुसवाया.
हमने सुबह के पांच बजे ये सब चालू किया था. हर आधे घंटे में उसने मेरा लंड चूसा. मैं उसकी चूत चुदाई करता फिर लंड चुसवाता. फिर मैं दुबारा से उसकी गांड में उंगली करने लगता. उसने भी बड़ी मस्ती से अपने मुम्मे चुसवाए.
हम दोनों को ये सब करते करते दोपहर के बारह बज गए थे. इस बीच हम दोनों ने नाश्ते में सिर्फ चाय और ब्रेड टोस्ट ही लिए थे.
एक बार हम दोनों ही फ्रेश हो गए थे.
बारह बजे के बाद मुझे लगा अब वो नहा-धोकर अपने घर चली जाएगी. मगर शॉवर में जाने के बाद उसने मुझे फिर अन्दर बुला लिया और अपनी चूत चाटने के लिए बोलने लगी.
वो बाथरूम में नीचे फर्श पर लेट गयी और मुझसे चूत चटवाने लगी.
मैंने फिर से करीब आधे घंटे उसे शॉवर में रख कर चोदा.
नहा-धोकर जब हम दोनों बाथरूम से बाहर निकले, तो वो बोली- तुम यहां कब तक हो?
मैंने कहा- बस आज रात और हूँ. मेरी सुबह की फ्लाइट है.
वो मुझे बाय कहकर वहां से निकल गयी.
उसका शाम को फिर से फ़ोन आया और मुझे घर पर आने के लिए कहने लगी.
मैं काम से थका हुआ था … तो मैंने जाने से मना कर दिया और होटल में अपने कमरे में बैठकर पीने लगा.
थोड़ी ही देर में दरवाज़े पर दस्तक हुई … मैंने अन्दर आने का कहा, तो वो ही थी.
हम एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए. हम कुछ देर बैठ कर बात करते रहे और साथ में पीते भी रहे.
थोड़ी देर में वो मुझे घूर कर देखने लगी. फिर से मौका आ गया था कि सब कुछ फिर से होना तय ही गया था.
वो मेरी गोद में आकर बैठ गई और मेरी गले में अपनी बांहें डाल दीं.
उसका बदन तप रहा था. शायद सुबह से अब तक उसकी चुत की भूख फिर जाग चुकी थी.
वो उस रात का कोई भी पल बर्बाद नहीं करना चाहती थी.
उसने मेरे होंठों से अपने होंठों को लगाया और बेतहाशा चूसने लगी.
मैंने भी उसके बदन पर कपड़ों के ऊपर से ही हर जगह हाथ फिराया और कसके उसके निप्पल मसल दिए.
उसने दर्द से कराहते हुए मेरे हाथों को ऐसा करने से रोका.
मैंने कहा- तुम अपने मन की करो और मुझे अपना काम करने दो. हां निशान नहीं बनेंगे, वो मैं देख लूंगा.
फिर तो मैंने उसके मम्मों को ऐसे चूसा, जैसे गर्मी में कोई पहली बार गूदे वाला आम खा रहा हो.
जब आई थी, तो उस समय तो मेरा मन हुआ कि दो चार धक्के मारके इसे वापस भेज दूँगा. क्योंकि मैं थक गया था.
मगर उसकी जवानी को देखते हुए मुझे लग नहीं रहा था कि ये मुझे आसानी से छोड़ेगी.
बरहराल मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाया और देखा कि आज वहां कोई बाल नहीं था. उसने सुबह से अब तक मैं झांटें शेव कर ली थीं. मतलब की वो पक्का थी कि मेरे से मिलेगी ही.
मैंने उसे लिटा दिया और उसकी चूत में अपनी जीभ लगा दी.
मैं जितनी अन्दर जीभ डाल सकता, डाल कर उसकी चुत को मस्त चूसा.
वो सिसक सिसक कर आहें भरे जा रही थी.
उसकी कामुक आवाजों से मेरी कामोत्तेजना बढ़ती जा रही थी.
थोड़ी ही देर में मैं मस्त हो चुका था. अब बारी आ गई थी उसकी चूत मारने की. मैंने लंड पर कंडोम पहना.
इतने में वो मेरे सामने घोड़ी बन गयी. मैंने उसके चूत के छेद में डालने की कोशिश की, मगर उसने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी गांड के छेद में लगा दिया.
मुझे कोई दिक्कत नहीं थी.
मगर इस बार वो अपने बैग में वैसलीन लायी थी. मैंने थोड़ी सी वैसलीन उसकी गांड के छेद पर लगा दी.
उसने छेद बिल्कुल टाइट कर लिया था. लंड एक बार में अन्दर गया ही नहीं.
उसके बाद मैंने बाहर निकाल कर थोड़ा सा ऊपर करके अन्दर दबाया और तेजी से घुसा दिया. इसके साथ ही वो उछल कर आगे को हो गयी.
मैंने कमर पकड़ कर कहा- इतना आसान नहीं होता है.
मगर वो बोली- नहीं, मुझे गांड में ही करवाना है.
मैंने इस बार फिर उसके हाथ फंसा लिए और बाल पकड़ कर उसके मुँह में उसकी ब्रा ठूंस दी. उसके बाद एक झटके में आधा लंड गांड में पेला ही था कि वो जोर से चिल्ला पड़ी. उसकी उस चीख ने मुझे और उत्तेजित कर दिया. मैंने जानवरों की तरह उसकी गांड जोरों से मारी.
दस मिनट तक गांड मारने के बाद मैंने लंडरस कंडोम में निकाला और अलग हो गया.
उसे अलग किया, तो वो वाशरूम में चली गयी.
मैं सोने को होने लगा.
वो आकर मेरे बगल में लेटी और मेरा मुँह अपने मम्मों के बीच दबा दिया.
उसके बाद वो रजाई में अन्दर नीचे चली गयी और मेरा लंड चूसने लगी.
इतनी थकान के बाद चाहे आपने कितनी ही चूत या गांड मारी हो, जब लंड को ये सब मिलता है, तो वो एक बार अपना फाइनल वार करता ही है.
मैंने उसे अपने ऊपर बिठा लिया और फिर से उसकी चूत मारने लगा.
उस रात में चार बार उसकी चुदाई करने के बाद मैं सो गया और वो भी पता नहीं कब मेरा लंड चूसती हुई कब सो गयी, पता ही नहीं चला.
सुबह मैं समय पर उठा. वो सो रही थी मैंने एक लैटर लिख कर रख दिया कि मेरी फ्लाइट थी, इसलिए मैं जा रहा हूँ होटल के काउंटर पर पेमेंट करके निकल जाऊंगा. तुमसे फोन पर बात करूंगा.
इतना करके मैं वापस घर आ गया.
बाद में उसका फोन आया, तो हम दोनों ने फ़ोन पर बहुत देर बात की.
अब मेरी उससे सेक्स चैट होने लगी थी.
ऐसे में एक बार हम दोनों का कोलकाता जाना हुआ.
मगर इस बार मैं कोलकाता अपनी एक बंदी के साथ गया था. उसको भी पता लग गया कि मैं वहां हूँ. वो मुझे मिलने के लिए फोन पर बोलने लगी.
उससे बात हुई तो मेरे दिमाग में कुछ फिल्मी करने का मन हो गया था. मैंने उससे मिलने के लिए हामी भर दी.
उस रात मज़ा लेने के लिए प्लान बनाया. बारिश होने लगी थी, तो गाड़ी में ही ड्रिंक ले ली.
दारू के नशे में मुझे उसका वो प्यारा सा चेहरा नजर आने लगा. उसके वो मुम्मे, जिनका नाप मेरे हाथों ने पूरी मस्ती से लिया था, वो भुलाया ही नहीं जा रहा था.
गाड़ी में ही मैंने उसे उसके होटल से ले लिया. वो अन्दर आई तो मैंने उसे प्यार से अपनी बांहों में ले लिया.
हम दोनों मेरे होटल की तरफ निकल आए.
होटल से कुछ पहले मेरी नज़र उसकी टी- शर्ट पर पड़ी. उसने रात में पहनने वाली ढीली सी टी-शर्ट पहन रखी थी. उसकी इस टी-शर्ट में से मुझे उसके मुम्मे नज़र आ गए.
मैंने अपने दिमाग को बहुत समझाया कि अभी नहीं … अभी नहीं. मगर इतने में उसने मेरी साइड वाले दरवाज़े से बोतल निकालने की कोशिश की. इस कोशिश में उसके मुम्मे मेरे मुँह को छूते हुए निकले तो साली ने खुद ही झुक कर अपने मम्मे मेरे चेहरे पर रगड़ दिए.
मुझसे रहा ही न गया और मैंने एक हाथ को उसके मम्मों पर रख दिया. बस अब काम खराब हो गया था.
मैंने उसके मुम्मे को छोड़ा ही नहीं. वो हंसने लगी और हाथ हटाने के लिए कहने लगी. मैंने भी आव देखा न ताव, उसे वहीं जकड़ लिया.
वो बोली- क्या सोच रहे हो?
मैंने बोला- गाड़ी यहीं अंधेरे में साइड लगा रहा हूँ.
वो नाटक करने लगी.
मैंने कहा- अब तो यहां ही करना पड़ेगा. इतना सब्र नहीं है मुझमें.
वो बहुत ढीली पड़ गयी और मेरे पास आ गयी.
मैंने उसके मुम्मे कसके दबाये और उसे मम्मों के बल अपने पास खींच लिया. आराम से उसके जिस्म के हर अंग को नापा … अपनी जीभ से चखा. हर मादक अंग का स्वाद लिया.
फिर बारी आयी उसकी चूत का काम करने की. मैंने अपनी सीट पीछे करके लिटा दी और उसको नीचे लिटा दिया.
उसके बाद मैंने अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया. धकापेल चुदाई शुरू हो गई.
मैंने चुदाई के दौरान अपने दांतों के कई निशान उसके जिस्म पर बना दिए थे.
इससे वो मेरे जाने के बाद मुझे याद करके आहें भरने वाली थी. साथ ही अपने जिस्म को देखकर वो मुझे कोसने भी वाली थी.
पूरे दो घंटे मेरे साथ अपनी प्यास मिटाने के बाद वो जाने के लिए कहने लगी. उसने मुझे होटल छोड़ने को कहा.
इसके बाद हमें बहुत टाइम बाद मिलना था. मैंने होटल की पार्किंग में गाड़ी लगा दी और थोड़ी देर उसके होंठों को चूसा.
उससे अपना लंड भी चुसवाया. जाने का उसका मन भी नहीं था और मेरा भी नहीं था … मगर मुझे तो ऊपर होटल में जाकर अपनी वाली के साथ भी शिफ्ट लगानी थी.
मैं वहां से चला गया और वो भी अपने कमरे में जाकर सो गयी.
चुदाई की कहानी कल भी चलने वाली थी. इस ऑफिस गर्ल सेक्स स्टोरी में थ्री-सम सेक्स कहानी का मजा भी आया था, जिसे आपकी इच्छा पर मैं लिखूंगा. आप कमेंट करें.