दोस्तो, मेरी पहली चुदाई की गर्म कहानी के पहले भाग
कुवारी जवान बुर की चुदाई की लालसा-1
में आपने पढ़ा कि मैं अपनी मौसी के घर गयी हुई थी. मौसी मौसा को कहीं जाना पडा तो मैं पड़ोस के अंकल के साथ अकेली थी उनके घर में. अंकल ने मुझे अपनी कुवारी बुर में ऊँगली करते देख लिया था और मुझे सेक्स के लिए मानसिक रूप से राजी कर लिया था.
अंकल ने मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरे होंठ भी चूसे.
अब मैं अपनी सेक्स स्टोरी का अगला भाग लेकर फिर से हाज़िर हूँ।
मैंने और अंकल ने रात के खाने के बाद कुछ देर टीवी देखा क्योंकि अभी इस समय तक कोई न कोई आ सकता था।
करीब 10 बजे अंकल ने घर का दरवाजा बंद किया।
उसके बाद अंकल ने मुझे एक गोली दी. मुझे नहीं पता वो कौन सी गोली थी. मगर उन्होंने मुझे उसे खाने के लिए कहा और मैंने उसे खा ली।
फिर बाद में उन्होंने भी एक गोली खाई मगर वो कुछ अलग थी।
मेरे पूछने पर उन्होंने मुझे बताया- आज तुम्हारा पहली बार है, तुमको कुछ दिक्कत न हो इसलिए ये तुम्हें दी है।
उसके बाद लगभग 30 मिनट बाद उस टेबलेट ने अपना असर दिखाना शुरु किया। मेरे बदन में अज़ीब सी गर्मी महसूस होने लगी, मेरे गुप्तांगों में एक खुजली सी होने लगी, मेरा मन अपने आप किसी साथी को पाने के लिए बेक़रार होने लगा।
तब मैंने फिर से उनसे पूछा तो उन्होंने बताया- तुम मुझसे खुल कर सेक्स नहीं करती और पहली बार तुम्हें मुश्किल न हो इसलिए तुम्हारे अन्दर जोश बढ़ाने की दवा दी थी तुमको।
उसके बाद मैं कुछ ही पल में बेचैन हो गई. अंकल ने मुझे अपनी ओर खींच लिया और मुझे अपनी बांहों में लेकर बोले- आज तेरी जवानी की हर प्यास बुझाना है! तू बहुत प्यासी है।
अंकल ने मेरे होंठों पे चूमते हुए उन्होंने मेरी कुर्ती उतार दी और तुरन्त ही मेरी लैगी भी। उन्होंने भी अपने सारे कपड़े उतार फेंके बस अपनी चड्डी रहने दी.
चड्डी के उभार से ही मुझे उनके बड़े लंड का अहसास हो रहा था।
उसके बाद तुरन्त ही उन्होंने मेरी ब्रा पैंटी उतार कर मुझे पूरी नंगी कर दिया। मेरा गोरा चिकना बदन और बड़े बड़े दूध देख कर ही अंकल बेकाबू से हो गए।
अंकल ने तुरंत मुझे गोद में उठा लिया और अन्दर कमरे की ओर जाते हुए बोले- चल मेरी रानी, आज तुझे चुदाई का असली मजा देता हूँ।
कमरे में पहुँच कर अंकल ने मुझे खड़ा कर दिया और मेरे बदन से लिपट गए. मैं भी पूरे जोश में थी और उनसे चिपक गई। वो मुझे हर तरफ चूमने चाटने लगे, मेरे दूध को बहुत ही बेरहमी से दबा रहे थे। मेरी गदराई गांड सहलाते हुए बीच बीच में एक आध चपत भी लगा देते।
अंकल ने मेरे होंठ, गाल, गले, सीने, हर जगह चुम्बन की झड़ी लगा दी थी।
मुझे पहली बार ये सब अनुभव हो रहा था। बहुत मजा आ रहा था। मेरे हाथ भी उनकी पीठ पर चले गए और उन्हें अपने सीने की तरफ खींचने लगे।
वो समझ गए थे कि मैं उनका पूरा साथ देने के लिए तैयार थी।
मेरे अंदर तो सेक्स का तूफान खड़ा हो चुका था। नंगी फिल्में देखने और उंगली करने बस से सेक्स का मजा नहीं मिलता; आज ये समझ आ रहा था।
आज तो न घर वाले थे और न कोई दूसरा कोई जो मुझे रोक पाता। मेरे घर वालों की लाख बंदिशों के बाद भी आज मैं चुदने वाली थी। अंदर से तो मैं बहुत खुश थी मगर एक डर भी था मेरे अंदर कि पता नहीं आज क्या हो जाये।
अंकल बहुत देर तक मेरे बदन से खेलते रहे फिर एकाएक मुझे बिस्तर पर गिरा लिया।
मेरे दोनों पैर पलंग से नीचे झूल रहे थे।
वो मेरे पास आये और मेरे दोनों पैर के पास झुक गए, दोनों पैर अपने कंधे पर रख कर उंगलियों से मेरी छोटी सी चूत को सहलाने लगे।
फिर अंकल धीरे से अपनी जीभ मेरी कुवारी नाजुक कोमल बुर में लगा दी और मलाई की तरह उसको चाटने लगे.
मेरी तो आह निकल गई- ऊऊऊ ऊऊईईई ईईई माँ माआआ आआ आहहह नहीईईई नाआआ उफ़ अऊऊऊ आआऊऊच!
बस यही शब्द मेरे होंठों से निकल रहे थे।
मैं तो इतनी ज्यादा गर्म हो गई थी कि कुछ ही पल में झड़ गई। मगर अंकल बस लगे हुए थे कुछ ही समय लगा कि मैं फिर से गर्म हो गई, मेरे दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखे हुए मेरी गोरी गोरी जांघों को सहलाते हुए बस मेरी चूत को चाटे जा रहे थे।
मैं अपनी आँखों को बंद किये इस पल का पूरा मजा ले रही थी।
कुछ पल के बाद वो उठे और मुझे बिस्तर पर सीधा लेटा दिया और बिस्तर पर आ गए और अपनी चड्डी को निकाल दी।
मैंने पहली बार अंकल का लंड देखा, ज्यादा लंबा तो नहीं था लगभग 6 इंच का मगर मोटा तो काफी था।
उनका सामने का सुपारा ही इतना बड़ा दिख रहा था कि मेरी आँख फटी की फटी रह गई।
मैंने लंड के बारे में बस सुना था और पोर्न विडियो में देखा था, आज असल में देख भी लिया कि लंड किस तरह का होता है।
अंकल मेरी अनछुई बुत चाट रहे थे और मैं चूत चाटने से बहुत ज्यादा उतेजित हो गई थी, बस अब मन कर रहा था कि जल्दी से मेरी चूत में लंड चला जाये।
वो भी इस बात को समझ चुके थे और जल्द ही मेरे ऊपर आ गए. अंकल ने अपने होंठ मेरे होंठ पे लगा कर मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।
मैंने भी अंकल का लंड थाम लिया और आगे पीछे करने लगी.
सच में दोस्तो उनका लंड इतना टाइट और गर्म था कि किसी लोहे की छड़ की तरह लग रहा था।
फिर मैंने लंड को अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया। मेरी चूत का हाल ऐसा था कि मानो हज़ारो चीटियां काट रही हों।
कुछ देर बाद उन्होंने लंड को खुद मेरी चूत पर सहलाना शुरू कर दिया और मेरे कान में बोले- अब तैयार हो जा जन्नत में जाने के लिए।
अंकल ने मेरे होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया, लंड के सुपारे को चूत के छेद में लगा दिया, मेरे दोनों हाथ कस लिए और लंड पर जोर लगाने लगे.
मगर अंकल का लंड तो मेरी बेचारी सी चूत के अंदर जा ही नहीं रहा था।
फिर उन्होंने मेरे हाथ छोड़ दिये और मेरी पीठ पर हाथ ले जा कर मुझे अपने सीने से लगा लिया. अपने दोनों पैरों से मेरे दोनों पैर फैला दिए और अचानक से एक धक्का लगा दिया.
मेरी तो जान अटक गई … आँखों के सामने अंधेरा छा गया.
पता नहीं कितना लंड चूत में गया … मगर मेरी हालत खराब हो गई थी।
मेरी आँखों से आंसू की धारा फूट पड़ी.
उन्होंने मुझे बिल्कुल कस लिया था, कसम से इतना दर्द कभी भी नहीं हुआ था मुझे।
वो इतने में भी नहीं रुके और दूसरा धक्का भी लगा दिया. अब तो मानो लंड मेरे पेट तक ही चला गया, ऐसा लगा।
मैं उनसे छूटने की बहुत कोशिश कर रही थी मगर उनकी ताकत के आगे मैं कुछ नहीं कर पा रही थी। मेरी जाँघें बुरी तरह काप रही थी, मैं पसीने से बुरी तरह तर हो गई थी।
अब वो बहुत ही धीरे धीरे से लंड को अंदर बाहर करने लगे बहुत ही धीरे … मेरी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे साफ साफ पता चल रहा था उनके लंड का।
मेरी चूत ने तेज़ी से पानी निकालना शुरू कर दिया। चूत पूरी चिपचिपा गई।
उनके हल्के हल्के अंदर बाहर करने से कुछ ही पल में मेरा दर्द शांत हो गया।
मेरी पकड़ भी अब कम हुई, तब उन्होंने मेरे मुंह से अपना मुंह हटाया और मेरे मुँह से आवाज निकली- आआआहहह!
वो बोले- अब दर्द नहीं होगा, जितना होना था हो गया. अब तुम जिंदगी भर मजे लो चुदाई का।
अब उन्होंने अपने धक्के की रफ्तार तेज करनी शुरू कर दी और मुझे भी हल्के दर्द के साथ मजा आने लगा। लंड और चूत की भीनी भीनी महक आ रही थी, मेरी आँखें बंद होने लगी और उनकी रफ्तार तेज होती जा रही थी।
मेरे हाथ अपने आप उनकी कमर को दबाने लगे और मैं उन्हें अपनी ओर खींचने लगी।
मेरे मुंह से बस यही निकल रहा था- आहह ऊऊईईई ईईई आआऊऊच आआहहह ओहह!
पूरे कमरे में मेरी मादक सिसकारियां गूंज रही थी।
उनका लंड पूरी ताकत से मेरे बच्चेदानी से टकरा रहा था। अब वो भी अपनी पूरी रफ्तार से मुझे चोद रहे थे।
जल्द ही मैं उनसे लिपट गई और झड़ गई मगर वो बिना रुके लगातार मेरी चुदाई किये जा रहे थे।
10 से 12 मिनट तक चुदने के बाद मैं फिर से झड़ चुकी थी. इस बार मेरी चूत की गर्मी वो भी सह नहीं पाए और मेरे अंदर ही अपना सारा पानी निकाल कर झड़ गए और वैसे ही मेरे ऊपर लेट गए।
कुछ पल में लंड अपने आप चूत से बाहर निकल गया और वो मेरी बगल में लेट गए।
मैं उनसे दूसरी तरफ अपना मुंह करके लेट गईं मेरी गांड अब उनकी तरफ थी। उंगली करने और असली चुदाई में कितना बड़ा फर्क होता हैं आज मुझे पता चल गया था।
मैंने अपने हाथ से अपनी चूत को छुआ और सोचते हुए मन में कही की इतने दिन से जिसका इतंजार था इस चूत को आज इसे मिल गया।
इतने में ही अंकल पीछे से मुझसे लिपट गए।
एक हाथ से मेरी जांघ को सहलाते हुए बोले- कैसा लगा मेरी रानी को?
मैं बिल्कुल शांत लेटी रही।
उनका लंड एक बार फिर से कड़ा हो गया और मेरी गांड के बीच चिपक गया। हम दोनों के बीच एक बार फिर से आलिंगन शुरू हो गया।
और जब चुदाई का समय आया तो उन्होंने मुझे बिस्तर से नीचे लाये और मुझे खड़ा कर दिया, मेरे दोनों पैर फैला दिए और चूत में लंड लगा कर मेरी कमर को पकड़ लिया और लंड चूत में उतार दिया।
और वैसे ही मुझे चोदने लगे
मुझे इस तरह और भी ज्यादा मजा आ रहा था।
बीच बीच में मेरे गदराए दूध को मुख में भर लेते जिससे मेरा मजा दोगुना हो जाता।
फिर उन्होंने मुझे झुका कर कुतिया बनाया और मेरे गांड की तरफ़ से मेरी और भी जोरदार चुदाई की।
सारी रात ये खेल रुक रूक कर चलता रहा।
5 बार चुदाई होने के बाद मैंने उनसे कहा- बस अंकल, अब नहीं मेरी अब एक भी हिम्मत नहीं है।
और हम दोनों सो गए।
अगले 2 दिनों तक यही खेल रात में चलता रहा।
ऐसा कोई पोजीशन नहीं बची होगी जिसमें मैं उन दो दिनों में न चुदी होऊंगी।
इसके बाद शबाना आंटी वापस आ गई और फिर मेरी मौसी मौसा भी!
मगर कभी भी अंकल और मैंने उन लोगों को इसकी भनक लगते नहीं दी कि ऐसा कुछ हम दोनों के बीच हुआ है।
मैं 2 महीने वहाँ रही फिर अपने घर आ गई।
आज मेरी शादी हो चुकी है, बच्चे हैं. मगर अंकल और अपने पति के अलावा किसी और से मैंने सेक्स नहीं किया।
दोस्तो, कहानी आप लोगों को कैसी लगी