दोस्त की बीवी पूजा को चोदा

मेरा नाम आदित्य है. मेरी अभी तक शादी नहीं हुई है. अभी तक मैंने रंडियां चोद कर ही अपने लंड के टोपे की खुजली को शांत किया है. मगर रंडी तो रंडी ही होती है. शुरू में जब पहली बार मैंने एक रंडी की चूत चोदी तो बहुत मजा आया लेकिन फिर धीरे-धीरे मजा आना कम होता चला गया. अब मेरा मन कुछ नया चाहता था. ढीली चूत मारने में मजा नहीं आता था मुझे. मुट्ठ भी मारता था लेकिन लंड की प्यास थी कि बुझने का नाम नहीं ले रही थी.

मैंने अपने एक बचपन के दोस्त को फोन किया. उसका नाम पवन था. हम दोनों लंगोटिया यार थे. लंगोटिया का मतलब तो आप जानते ही होंगे, लंगोट से लेकर लंड तक की बातें बेझिझक एक-दूसरे के साथ बांट लिया करते थे.

मगर अब पवन की शादी हो चुकी थी. बीवी के आने के बाद उसमें वो पहले वाली बात नहीं रही थी. अब वो परिवार वाला आदमी हो गया था. मगर फिर भी कुछ हद तक हमारे बीच में वही पुराना बचपन वाला दोस्ताना था. मैं उससे किसी नई चूत का इंतजाम करने के लिए कहता रहता था. लेकिन वो अपने काम में कुछ ज्यादा ही बिजी रहने लगा था आजकल.

अक्सर मैं उसके घर चला जाता था. मैं उसकी बीवी को भाभी कहकर नहीं बुलाता था. हमेशा उसको नाम से ही बुलाता था. उसकी बीवी मस्त माल थी. उसका नाम पूजा (बदला हुआ) था. उसने भी मेरे ऊपर कभी भैया या इस तरह के कई और लंड-रोधक शब्दों का प्रयोग नहीं किया था. जब उसके घर जाता था वो बड़े ही प्यार से मुझे बस एक स्माइल पास कर देती थी. ये मैं सिर्फ आप लोगों को बता रहा हूँ. पवन के सामने मैंने कभी इस तरह की भावनाएं जाहिर नहीं की.

वैसे मैंने कभी उसकी चुदाई के बारे में नहीं सोचा था क्योंकि वो मेरे बचपन के यार की बीवी थी. वैसे तो मैं उसकी काफी इज्जत करता था लेकिन जब कभी उसके चूचों की दरार दिख जाती थी तो मन बहकने लगता था. उसके चूचे गोल और तने हुए रहते थे. उसका सूट कई बार उसकी गांड में फंसा हुआ देखा था मैंने. काफी मस्त सी गांड थी उसकी.

पवन के घर उससे मिलने जाता तो रात को कई बार रुकना भी हो जाता था. उसके मां-बाप के साथ भी मेरी अच्छी बनती थी. चूंकि हम बचपन के दोस्त थे इसलिए पवन की उम्र और मेरी उम्र में कोई खास फर्क नहीं था. वो मुझसे एक साल ही बड़ा था. मगर उसके घरवालों ने उसकी शादी जल्दी ही कर दी थी. उस वक्त मैं अपने बी.ए. के फाइनल इयर में था.

पवन एक कम्पनी में काम करता था इसलिए वो अधिकतर मौकों पर मुझे घर से बाहर ही मिलता था. ऐसे ही एक दिन मैं पवन के घर गया तो पूजा अकेली थी.
मैंने पूजा से पूछा- पवन कहाँ है?
उसने बताया- वो तो ट्रेनिंग पर दो महीने के लिए जयपुर गये हैं.

मैं वापस चलने लगा तो पूजा ने मुझे चाय के लिए पूछ लिया. मैंने सोचा कि अब उसके घर आ ही गया हूं तो उसके माता-पिता का हाल ही पूछता चलूं.
मेरे पूछने पर पूजा ने बताया कि पवन के माता-पिता यानि कि उसके सास-ससुर भी किसी प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन के लिए गये हुए हैं.
मैंने सोचा कि जब कोई घर पर है ही नहीं तो फिर मैं यहां रुक कर क्या करूंगा. इसलिए मैंने पूजा को चाय के लिए मना कर दिया और वापस चलने लगा.

पूजा बोली- पानी तो पी लीजिये.
जब उसने कहा तो ऐसे अंदाज में कहा कि मेरे लंड में ठरक सी पैदा हो गई. उसकी आवाज में एक मदहोशी सी का अहसास हुआ मुझे जैसे कि वो मुझे रोकना चाहती है.

मैंने वापस मुड़ कर देखा तो उसकी छाती पर से उसका दुपट्टा उतर चुका था और केवल एक ही कंधे पर लटक रहा था. उसके कसे हुए चूचे मेरी तरफ ऐसे तनकर इशारा कर रहे थे जैसे वो कह रहे हों कि आ जाओ पवन … हम तुम्हारे हाथों तले दबने के लिए तड़प रहे हैं.
शर्ट का गला काफी गहरा था और दोनों चूचों के बीच की दरार काफी खुली दिखाई दे रही थी. मंगलसूत्र की काली डोरी के नीचे उसके गोरे चूचों का उठाव मुझे कामुकता से भरे जा रहा था.

वो हल्के से मुस्कराई और गांड मटकाती हुई किचन में चली गई. पानी का गिलास लेकर वापस आई और मेरे सामने कर दिया. मैंने गिलास पकड़ते हुए उसकी कोमल उंगिलयों को छू लिया. उसने हाथ वापस खींच लिया और मैं वहीं खड़ा होकर पानी पीने लगा.
उसने फिर कहा- आप इतने दिनों के बाद आये हैं, चाय तो पीकर जाइये.
मैंने कहा- ठीक है, अगर दोस्त की बीवी इतना कह रही है तो फिर पी लेते हैं.

मेरे मुंह से हां सुनकर वो हल्के से मुस्कराई और बोली- आइये न, अंदर बैठिए.
वो आगे-आगे चलती हुई मुझे अपने ड्राइंग रूम में ले गई. सोफे पर बैठने के लिए मुझसे कहती हुई खुद सामने बिछे हुए सिंगल दीवान पर बैठ गई.
उसने अपनी छाती के पल्लू को ठीक करते हुए पूछा- बताइये, क्या लेंगे, चाय या कॉफी.
मैंने कहा- आपको क्या पसंद है?
“जी?” उसने जैसे अनजान बनते हुए सवाल किया.
मैंने कहा- जो आपका दिल करे वो ले आइये.

वो उठकर किचन में चली गई और मैं वहीं सोफे पर बैठा रहा. मैं वहीं हॉल में बैठा हुआ यहां-वहां देखते हुए टाइम पास करने लगा. थोड़ी ही देर के बाद वो प्लेट में एक कप चाय लेकर आई.
मेरे सामने आकर वो झुकी तो उसके सूट के अंदर उसकी सफेद ब्रा की पट्टी मुझे दिख गई. मेरा लंड उछल कर रह गया वो नजारा देखते ही. वो मुझे चाय का कप पकड़ाते हुए बोली- ये लीजिए आदित्य जी, आपकी चाय.
मैंने कहा- पूजा जी, मैं आपसे उम्र में छोटा हूं. आप मुझे जी मत कहो.
वो बोली- ठीक है, नहीं कहूंगी.
कहकर वो सामने ही बैठ गई.

उसके माथे पर पसीना आ गया था. पल्लू से पसीना पौंछते हुए बोली- और बताओ आदित्य, घर पर सब कैसे हैं?
मैंने कहा- सब ठीक हैं.
“आपने अपने लिये चाय नहीं बनाई?”
वो बोली- नहीं, मुझे चाय पीना ज्यादा पसंद नहीं है.
मैंने पलट कर पूछा- तो और क्या पसंद है आपको?

वो बोली- मैं जूस पीती हूं.
“किसका?” मैंने अगला सवाल दागा.
“मतलब?” उसने अनजान बनते हुए कहा.
मैंने कहा- मेरा मतलब कौन सा जूस पसंद है आपको?
वो बोली- कोई भी.
“मुझे लगा आप किसी और जूस की बात कर रही हो.”

मेरी बात वो समझ तो गई थी लेकिन वो ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे उसे कुछ समझ ही न आ रहा हो. इसलिए उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया.
फिर बोली- आप कब कर रहे हो शादी?
मैंने कहा- अभी तो पढ़ाई पूरी कर लूं. नौकरी लगने के बाद कोई आप जैसी खूबसूरत सी लड़की पसंद आई तो कर लूंगा.

पूजा ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया.
वो बोली- आप चाय पीजिये, मैं ज़रा नहाने जा रही हूं. जब तक आप बैठे हैं तब तक घर की निगरानी भी हो जायेगी.
मैंने कहा- ठीक है, आप आराम से नहा लीजिये. मैं आपके आने के बाद ही जाऊंगा.

वो उठकर बाहर निकल गई. मुझे समझ नहीं आ रहा था उसका बर्ताव. पहले तो खुद उसने मुझे चाय पीने के लिए जबरदस्ती रोक लिया. अब जब मैं उस पर ट्राई करने की सोच रहा हूं तो वो पीछे हट रही है.

उसके चूचों और गांड के बारे में सोच-सोच कर मेरा लंड सोफे पर बैठे हुए ही कई बार तन चुका था. लेकिन अभी लाइन क्लियर नहीं थी. इसलिए मैंने सोचा कि अभी ज्यादा आगे बढ़ना ठीक नहीं है. कहीं इसने मेरे दोस्त पवन को कुछ उल्टा सीधा बता दिया तो बचपन की दोस्ती टूट जायेगी.
मैं चाय पीकर आराम से बैठ गया. कुछ देर के बाद पूजा नहाकर वापस आ गई. उसने सिर पर तौलिया लपेटा हुआ था और एक जालीदार सा गाउन डाला हुआ था. उसमें से ज्यादा कुछ साफ तो दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन उसकी गोरी बांहें बिल्कुल नंगी थीं.

मेरे पास आकर पूजा बोली- थैंक्यू, हेल्प के लिए.
मैंने कहा- कोई बात नहीं. अब मुझे चलना चाहिए.

मैं उठने ही वाला था कि वो भी कप उठाकर मेरे साथ ही किचन की तरफ बढ़ने लगी. उसके गाउन के अंदर से पीछे उसकी कमर पर ब्रा की पट्टी नज़र नहीं आ रही थी. शायद उसने अभी ब्रा नहीं पहनी थी. मगर मैं हैरान था कि उसके चूचे अभी भी ऐसे उठे हुए थे जैसे उसकी ब्रा ने उनको संभाल रखा है.

उसकी गीली गांड ने गाउन को अपने से चिपका रखा था. मन तो कर रहा था कि अभी इसको दबोच लूं लेकिन किसी तरह मैंने खुद को काबू किया.
वो आगे चल रही थी और मैं उसके पीछे था. अचानक से फर्श पर उसका पैर हल्का सा फिसल गया और कप व प्लेट उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गये. फर्श पर गिरते ही कप और प्लेट के टुकड़े-टुकड़े हो गये.

‘आउच …’ वो उछल कर एकदम पीछे होने लगी तो मुझसे टकरा गयी. उसकी नर्म गद्देदार गांड मेरे लंड के उभार से जा सटी और मैंने उसको अपने हाथों से संभालते हुए गिरने से रोका.
उसके गाउन के इतना करीब आने के बाद मुझे उसके निप्पलों की एक झलक सी मिल गई. स्स्स … हाय … क्या चूचे थे उसके और वो भी नंगे!

मेरा लंड तुरंत तन गया और उसकी गांड पर झटके देने लगा. वो संभली और मुझसे अलग हो गई.
वो बोली- सॉरी … पैर गीले थे इसलिए फर्श पर गीलेपन की वजह से मेरा पैर फिसल गया.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, आपको लगी तो नहीं?
वो बोली- नहीं, मैं ठीक हूं.

वो नीचे बैठकर टूटे हुए कप और प्लेट के टुकड़े उठाने लगी.
मैं भी उसकी मदद करने लगा.
वो बोली- अरे आदित्य, आप रहने दीजिये. मैं कर लूंगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं आपकी मदद कर देता हूं.

मैं भी उसके सामने बैठकर टूटे हुए टुकड़ों को इकट्ठे करने लगा. उसके चूचे उसके घुटने से लगने के बाद जैसे बाहर की तरफ ही निकलने वाले थे. लगभग आधे चूचे तो मुझे दिखाई देने ही लगे थे. उसकी नजर नीचे थी और मेरी उसकी छाती पर.

एक-एक टुकड़ा उठाते हुए मैं उसके कोमल गोरे बदन से अपनी आंखें सेक रहा था. उसने एकदम से नजर उठाई और मेरी तरफ देखने लगी. मैंने नजर नीचे कर ली.

टुकड़े समेट कर वो किचन की तरफ जाने लगी. उसकी गांड में उसका गाउन फंस गया था जिससे गांड की शेप अलग से उभर आई थी. किचन में जाकर वो हाथ धो रही थी. मैं भी अपने खड़े लंड के साथ उसके पीछे ही किचन में हाथ धोने चला गया. मेरा लौड़ा बेकाबू सा हो रहा था. मन कर रहा था इसकी गांड को चोद ही दूं. बहुत मुश्किल था कंट्रोल करना. एक तो वो नंगी थी और ऊपर से घर में भी कोई नहीं था.

मैं बहक गया और मैंने उस पर ट्राई करने की सोची. मैं ठीक उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और अपनी दोनों टांगें थोड़ी सी चौड़ी कर ली. वो मेरी टांगों के बीच में थी. मैंने थोड़ा आगे झुकते हुए उसकी बगल से पानी की टोंटी के नीचे करके हाथ धोना शुरू किया तो वो साइड में हटने के लिए सरकी मगर मेरी दूसरी टांग से टकराने के कारण उसकी गांड मेरे खड़े हुए लंड से आ सटी.

धीरे से मैंने लंड का दबाव उसकी गांड पर बढ़ा दिया. अब तो हवस का पानी सिर के ऊपर से गुजर गया. मैंने उसको बांहों में भरते हुए उसकी कमर को सहला दिया.
वो बोली- आप ये क्या कर रहे हैं?
मैंने कहा- तुम्हें नहीं पता मैं क्या कर रहा हूं?
वो बोली- ये ठीक नहीं है. आप पीछे हट जाइये प्लीज.

अब मेरी अंतर्वासना मेरे नियंत्रण से बाहर थी. मैंने उसकी गांड पर पैंट में तना लंड घिसाना शुरू कर दिया और उसकी गर्दन पर चूमते हुए उसे बांहों में जकड़ने लगा.
उसने कुछ पल तो विरोध जताया लेकिन फिर उसका विरोध समाप्त होता चला गया. मेरे हाथ उसके चूचों पर चले गये.
गाउन के अंदर लटक रहे नर्म और गद्देदार चूचे दबाते हुए मैं उसकी गांड पर अपने लंड की रगड़ दे रहा था. स्स्स … हाय … कितनी सेक्सी हो तुम पूजा! कहते हुए मैंने जोर से उसके चूचों को दबा दिया.

वो कसमसाने लगी और फिर अचानक से मेरी तरफ घूम गई. उसने मेरी आँखों में देखा. मेरी आंखों में एक वहशीपन आ चुका था. अगले ही पल उसने मुझे बांहों में भरते हुए मेरे होंठों पर अपने होंठ सटा दिये और हम दोनों एक दूसरे को वहीं किचन की स्लैब के साथ लग कर चूसने लगे.

जब मुझसे रहा न गया तो मैंने उसके गाउन को ऊपर कर दिया. ओह भगवान् … वो ऊपर से नीचे तक नंगी थी. उसकी बाल रहित चूत जैसे सेब के बीचों बीच लगे चीरे के जैसे दिख रही थी.
उसके चूचे तने हुए थे और उनके निप्पल नुकीले होकर उठ आये थे.

मैंने उसके सिर से तौलिया को खुलवा दिया और उसके गाउन को गर्दन से निकलवा दिया. वो पूरी की पूरी नंगी हो गई.

मैं एकदम से उस हसीन जवाँ जिस्म पर टूट पड़ा. मेरा हाथ उसकी चूत को सहलाने लगा और मेरे होंठ उसके चूचों पर जा धंसे. जोर-जोर से उसके चूचों को चूसते हुए मैं उसकी नंगी चूत पर हाथ फिराने लगा. वो तड़पते हुए स्स्स … स्सस … करने लगी और मेरी गर्दन पर उंगलियां चलाने लगी.

मेरा लंड तो जैसे तनाव के कारण उत्पन्न होने वाले प्रेशर से फटने वाला था. पूजा का हाथ मेरी पैंट पर पहुंच गया और वो मेरे लंड को सहलाने लगी.
आह्ह … उम्म … इतना आनंद … हय… क्या माल थी यार ये पवन की बीवी … पवन तो साला खूब मसलता होगा इसे.

मैंने अपनी जिप खोल कर लंड को बाहर निकाल लिया और पूजा के हाथ में दे दिया. वो मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी. अब मेरा छूटने ही वाला था. मैंने अपनी पैंट खोली और वहीं पर अंडरवियर निकाल कर नीचे से नंगा हो गया. मेरी शर्ट अभी भी मेरी छाती पर थी. मगर नीचे से पैंट मेरे टखनों पर जा गिरी थी. मैंने उसकी टांग को उठाकर अपनी पीठ पर सेट किया और उसके होंठों को काटते हुए अपना लौड़ा उसकी चूत पर लगा कर रगड़े लगा.

“आआह्ह … माँ … स्स्स … आदित्य … डाल दो प्लीज …” पूजा के मुंह से सीत्कार फूटा और मैंने लंड को हाथ से उसकी चूत पर सेट करके स्लैब की तरफ अपना सारा भारा धकेल दिया. लंड उसकी चूत में आहिस्ता से उतर गया.
आह्ह … स्स्स … पूजा डार्लिंग … तुम्हारी चूत कितनी गर्म है. चोद दूं क्या इसको?
वो बोली- हां जल्दी …

मैंने उसकी चूत में धक्का लगाया और वो उचक कर मुझसे लिपट गई. मैंने कमर को आगे धकेलते हुए उसकी चूत में धक्कम धक्का शुरू कर दी. चूत से चिकनाहट छूटने लगी थी. चुदाई की पच्च … पच्च … बाहर आने लगी. लंड तेजी से पूजा की चूत में अंदर-बाहर होने लगा.

“हाय उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्सस … सेक्सी रंडी … तुझे कैसा लग रहा है मेरा लंड?” मैंने आनंद के बहते सागर में गोते लगाते हुए पूछा.
“हम्म … आह … तेजी से चोदो यार … बहुत दिनों बाद चूत को लंड नसीब हुआ है. करते रहो मेरी जान …”

मैं तेजी से उसकी चूत को पेलने लगा और पांच सात मिनट की गर्मा-गर्म चुदाई के बाद मेरे लंड ने उसकी चूत में अपना वीर्य फेंकना शुरू कर दिया. लंड का सारा का सारा रस मैंने उसकी चूत में निचोड़ दिया. मेरे बदन पर पसीना आ गया था.
धीरे-धीरे सांसें सामान्य होने लगीं और हम दोनों ही शांत हो गये.

मैंने मिनट भर के बाद उसकी चूत से लंड को बाहर खींच लिया. वो भी बेसुध सी हो गई थी. शायद वो भी झड़ चुकी थी. मैंने पैंट ऊपर की और उसने अपना गाउन वापस डाल लिया. उसके बाद हम दोनों अंदर बेड पर जाकर गिर गये.

वो मेरी छाती पर आकर लेट गई, बोली- मेरी नज़र तो तुम पर पहले से ही थी. लेकिन कभी कहने की हिम्मत नहीं हुई. चूंकि तुम मेरे पति के दोस्त हो इसलिए मैं आगे नहीं बढ़ना चाहती थी लेकिन आज जब घर पर मैं तुम्हारे साथ अकेली थी तो मैं भी खुद को रोक नहीं पाई.
मैंने कहा- ऐसी बात थी तो मैं पहले ही तुम्हारी प्यास बुझा देता. तुम मेरे दोस्त पवन की ही तो बीवी हो. इतना हक तो बनता है मेरा.

वो बोली- तुम्हारा दोस्त तो मुझे प्यासी ही रखता है. बहुत दिनों बाद मेरी चूत की प्यास बुझी है. उसने केवल तीन-चार बार ऐसी ही चुदाई की थी मेरी. मैं तो उसका इंतजार ही करती रहती हूं लेकिन उसे काम से फुर्सत ही नहीं है.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, अगर दोस्त नहीं तो मैं हूं न? दोस्त का दोस्त!
वो बोली- हां, यह दोस्ताना तो मुझे बहुत पसंद आया.

कहकर उसने मेरे होंठों को चूम लिया. उसके बाद पूजा मेरे साथ खुल गई. मैंने उस दिन तीन बार उसकी चूत चोदी. उसकी चूत दुखने लगी. फिर मैं वहां से आ गया क्योंकि पवन की गैर-मौजूदगी में वहां पर मेरा ज्यादा समय के लिए रुकना ठीक नहीं था.
मगर दोस्त की बीवी की चुदाई करके मेरे लंड की प्यास अच्छी तरह बुझ गई थी. अब भी मैं पवन के बाहर जाने का इंतजार करता रहता हूं ताकि उसकी बीवी की चुदाई कर सकूं.

आपको कहानी पसंद आई हो तो अपना प्यार देना, अगर नहीं पसंद आई हो तो भी बता देना. समय देने के लिए धन्यवाद।