पहले प्यार की बेइन्तहा चुदायी

मैंने इंडियन सेक्सी बुर चोदी. कोचिंग में एक लड़की को प्रपोज़ किया पर उसने मेरा प्यार ठुकरा दिया. मैं उससे दूर हो गया. वो कई साल के बाद मुझसे मिली तो …

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम है सनी.
मैं 5’6″ लंबा हूं और शरीर से एकदम फिट हूं।
दिखने में भी अच्छा हूं और लड़कियों या भाभियों को जल्दी ही पसंद भी आ जाता हूं.

मैं लाया हूं आपके लिए अंतर्वासना पर एक तड़कती भड़कती गर्म चुदाई की कहानी।
यह मेरी खुद की कहानी है कि कैसे मैंने अपनी गर्लफ्रेंड की जवानी को ऐसा अद्भुत सुख दिया कि वह आज भी मुझसे बेहिसाब प्यार करती है।

बात आज से 4 साल पहले की है. मैं एक लड़की से बेहिसाब प्यार करता था। उसका नाम श्रुति था. वह मेरी कोचिंग में आती थी और मेरे आगे वाले डेस्क में बैठती थी।

वह बहुत खूबसूरत थी। उसके बड़े बड़े दूध और गोरा बदन हर लड़के को तड़पा देता था। वो बला की खूबसूरती लिये हुई थी।
ऐसी लड़की बहुत फुर्सत से बनाता है ऊपवाला।

कोचिंग का हर लड़का उसे पाना चाहता था। कइयों ने तो उसे प्रोपोज़ भी किया मगर हर बार उसने सबको मना कर दिया।

मैं उस वक्त भोला भाला टाइप का लड़का था। मैं भी उसे मन ही मन चाहने लगा था और सचमुच उससे प्यार करने लगा था।
ऐसा प्यार था कि मैं दिनभर और रातभर उसके बारे में सोचता रहता था.
जब वो सामने होती थी मैं उसका सामना नहीं कर पाता था. बस उसके सपने देखा करता था.

वह कोचिंग का लास्ट दिन था।
मेरे दोस्तों ने मुझे कहा कि आज के बाद वो कभी न मिलेगी, जा उसे अपने दिल की बात बता दे।

उनके उकसाने पर मैं डरता हुआ बड़ी मुश्किल से उसके पास गया.
मैंने कहा- श्रुति आ… आय.. ल .. ल.. लव… य….यू!

इतना सुनते ही उसने कहा- बोल लिए? अब जाओ … मैं नहीं करती तुमसे प्यार!
ये कहकर वो चली गयी.

घर आकर मैं बहुत रोया. मैं उसके बिना नहीं रह सकता था. 10-15 दिन मैं गम में डूबा रहा. मेरा दिल जोर से टूटा था.

धीरे-धीरे मैं उसे भूल गया और आगे की पढ़ाई के लिए मैं दूसरे शहर चला गया और वह यहीं पढ़ने लगी।

फिर मैं अपने घर आया और अचानक एक दिन वो मुझे सामने से आती दिख गयी.

मैं तो नहीं पहचान पाया किंतु वो मुझे देखते ही पहचान गयी।
उसने खुद सामने से बोला- अरे … तुम सनी हो न? कैसे हो? इतने दिनों बाद दिखे हो. अब तो बहुत समार्ट लगने लगे हो.

मैं समझ नहीं पाया उसको क्या बोलूं.
मैंने उससे खास बात नहीं की क्योंकि मेरे मन में अभी भी उसकी बातों के घाव थे.

फिर उसने खुद ही एक पर्ची पर अपना नम्बर लिखा और फिर चली गयी.
मेरे सामने पिछली यादें एक फ़िल्म की तरह सामने आने लगीं।
मैं घर गया और जल्दी से व्हाट्स एप्प में चेक किया.

मैंने उसको हाय लिखकर भेजा और उसके मैसेज का इंतजार करने लगा.
मेरे लिये एक एक पल काटना मुश्किल हो रहा था; बार बार मोबाइल खोल कर चेक कर रहा था.

3- 4 घण्टे बाद उसका रिप्लाई आया।
उसने कहा- बड़े स्मार्ट लग रहे थे आज। तुम तो बदल ही गये हो पूरे!
मैंने कहा- हां, मगर तुम नहीं बदली. आज वैसी ही क्यूट हो जैसे पहले लगती थी.

दरअसल इंजीनियरिंग के 4 सालों ने मुझे बहुत शातिर, स्मार्ट बना दिया था और लड़कियों को पटाने की कला जैसे हजार गुण सिखा दिए थे।
मैं श्रुति के बारे में बता दूं कि वह 5.2 फिट की लंबाई वाली एक बला की खूबसूरत हसीना था.

उसका फिगर 36-28-36 का था. उसको देखकर ही लड़कों के लंड से पानी निकल सकता था.
मैंने सोच लिया था कि अब तो कुछ भी हो जाये मैं इसको अब हाथ से नहीं जाने दूंगा.

मैं धीरे धीरे उससे चैट करने लगा और बात बढ़ते-बढ़ते अब दिन रात होने लगी।
अब फ़ोन पर भी बात शुरू हो गयी।

एक हफ्ते बाद मैंने उससे कहा- चलो कहीं चलते हैं।
उसने कहा- ठीक है.

दूसरे दिन हमारा मिलने का प्लान हुआ।
वो मिलने आई. उसने जीन्स और टॉप पहना हुआ था. देखने में बिल्कुल अप्सरा जैसा हुस्न था.
मेरा मन किया कि उसको देखता ही रहूं.

फिर हम बाइक पर कहीं दूर निकल गये और वहां पर खुले में बैठकर बातें करने लगे.
मैंने उससे अपने दिल की बात बोल दी.
वो भी कह उठी कि वो भी मुझे चाहने लगी है.

बस फिर क्या था … मैंने उसे हग कर लिया। उसके सुर्ख लाल गुलाबी होंठों को अपने होंठों से जोड़ दिया।
क्या अद्भुत आनंद आ रहा था … मैं तो जन्नत में था.

मैंने उसके होंठों को खूब चूसा और काटा. कभी उसकी जीभ मेरी जीभ से टकराती तो कभी मेरी जीभ उसकी से।
उसके मुँह में स्मूच करते करते लार से पूरा चेहरा गीला हो गया।
चूस चूस कर उसके होंठों को मैंने लाल कर दिया।

हम बीच बीच में सिर्फ सांस लेने के लिए रुकते थे और फिर दोबारा से जुड़ जाते थे।
बहुत प्यास भरी थी दोनों के अंदर।

मेरा लन्ड इतना तन गया कि खड़े होते ही नहीं बन रहा था। बड़ी मुश्किल से पैण्ट में हाथ डालकर लन्ड को मैंने सेट किया और फिर हम चले।

बाइक मैं चला रहा था। वो पीछे बैठ कर मुझे पकड़ कर बात कर रही थी और मेरे गाल पर किस भी कर रही थी.
मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपनी पैंट के अंदर डाल लिया.

उसने हाथ खींच लिया. मैंने उसे डांटा और दोबारा उसका हाथ पैंट में डलवा दिया.
उसने इस बार मेरे लंड को पकड़ लिया. लंड मेरा पूरा तना हुआ था.

मैंने कहा- ये तुम्हारा बेबी है, इसको प्यार करो.
फिर उसने धीरे से लन्ड को पकड़ा और मैं ढीला होकर गाड़ी चलाने लगा ताकि उसका हाथ अच्छे से मेरे लंड को पकड़े रहे.

ठंड का मौसम था तो जैकेट पहना हुआ था. जैकेट में हाथ डालकर मैंने उसके हाथ को नीचे छुपा रखा था ताकि किसी को कुछ दिखाई न दे. फिर उसने लन्ड को खोलकर उसमें उंगली चलाई और पूरा लन्ड खोल दिया।

अब वो मजे से मेरे लन्ड से खेल रही थी. कभी मेरी गोटियां दबा देती थी तो कभी लंड को दबा देती थी.
फिर मैंने उसको कहा- थोड़ा सा थूक लगा कर गीला कर लो इसे.

उसने थूक को हाथ में लिया और लंड पर मलने लगी. फिर उसने लंड को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया.
मैं किसी तरह खुद को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा था.

कुछ देर तक उसके हाथ की कोमलता को झेलने के बाद मेरा नियंत्रण छूट गया और मैं अपनी चड्डी में ही स्खलित हो गया.
उसके हाथ पर भी वीर्य लग गया और उसने अपने दुपट्टे से उसे पौंछ दिया.

फिर मैंने उसको उसके घर छोड़ दिया.

हम दोनों उस दिन के बाद से खुलने लगे. हमारे बीच में अब खुले तौर पर लंड चूत की बातें होने लगीं.
वो मुझे अपनी सेक्सी फोटो भेजती थी और मैं उसको देखकर मुठ मारता था.

मैं भी उसको अपने लंड की फोटो भेजता था. उसका मन भी मेरा लंड देखने को करता था. अब हम अकेले में मिलने का मौका देख रहे थे ताकि एक दूसरे के जिस्मों की प्यास को शांत कर सकें.

जब भी उससे मिलना होता था तो केवल किस ही कर पाते थे हम. मेरा लंड प्यासा रह जाता था और मैं किसी तरह मुठ मारकर खुद को शांत कर लेता था. वो भी डरती थी कि कहीं कोई देख न ले.

फिर मैंने अपने गांव के खेत में बने फार्महाउस में मिलने का जुगाड़ कर लिया।
वो जगह सबसे सेफ भी थी और अच्छी भी।
हमने सारा प्लान बनाया।

वो कॉलेज के लिए निकली और मैं उसे अपनी बाइक पर बैठाकर फार्महाउस ले गया।
वहां मेरा कजिन भाई पहले से था और उसने सारी व्यवस्था कर दी थी.

पोर्न फिल्म और अन्तर्वासना सेक्स कहानी डॉट कॉम की कहानियां देख पढ़कर मैं इतना समझदार हो गया था कि मुझे अपने इस ज्ञान को अब सही जगह इस्तेमाल करना था.

रूम में मैं अंदर गया और उसे बेड पर बिठा दिया और दरवाजे को लॉक कर लिया।
मैं उसकी ओर गया उसके बगल में बैठ गया।
मैंने कहा- श्रुति … मैंने इस दिन का बहुत इन्तजार किया है …आई लव यू!

इतना बोलकर मैंने उसे टाइट हग कर लिया. फिर मैंने अपनी उंगलियां उसके बालों में, कान के पीछे, गाल पर और गर्दन पर फेरना शुरू किया।
फिर मैंने उसके होंठों पर अपनी उंगलियां फेरीं और अपने होंठों से लगा कर स्मूच करने लगा।

उसके होंठों को चूमते चूमते मैं उसके पूरे जिस्म पर उंगलियां चला रहा था।

मैंने ऊपर से ही उसके दूध दबा दिए। वो सिसकार उठी.
फिर मैं उसके गालों को चूमता हुआ उसके होंठों पर आ गया।

फिर मैंने उसकी गर्दन पर किस करना शुरु किया और करते करते उसके कान के पीछे चला गया और कान पर हल्की सी बाइट कर दी।
इससे वो गर्म होने लगी।

पैंट में मेरे लण्ड का बुरा हाल था मगर मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था।

मैंने कहा- बेबी … ये टॉप उतार दो.
उसने टॉप उतार दिया।

मैंने जैसे ही उसके दूधों को देखा तो मैं दंग रह गया।
इतने बड़े दूध थे कि हाथ में नहीं आ रहे थे। मैं तो अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था. अब मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसके भी।

अब हम दोनों सिर्फ चड्डी में थे।
उसके चूचों को दबाते हुए मैं उसके निप्पलों को मुंह में लेकर चूसने लगा और वो सिसकारने लगी- आह् … सनी … मुझे कुछ हो रहा है … आह्ह … आईई … उम्म!

ऐसे करते हुए वो मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी.
ये सब सुनकर मुझे बहुत मजा आ रहा था.

फिर मैं नीचे आया और उसकी नाभि को चूमते हुए उसकी पैंटी के पास किस किया. उसके बाद मैंने उसके हाथों को उठाया और उसकी कांख में चूमा.

उसके पसीने की भीनी भीनी खुशबू मुझे बहुत अच्छी लग रही थी. उसकी खुशबू ने मुझे ऐसा मदहोश किया कि मैं पागल हो गया।

अब मैं और नीचे आया और जैसे ही उसकी चड्डी उतारने लगा उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।

मैंने कहा- मेरा हक़ है। तुम नहीं रोकोगी मुझे!
फिर मैंने चड्डी उतार दी और उसकी रसभरी चूत मेरे सामने थी.
मैं उसकी चूत देखकर पागल हो रहा था।

उसकी चूत मेरे फोरप्ले के कमाल से पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उंगलियों से उसकी कोमल चूत को छुआ ये जांचने के लिए कि मैं सच में देख रहा हूं या मेरा कोई सपना है. उसकी चूत पर लगी रस की गीली बूंदों को मैंने चूम लिया.

मैं इस पल का पूरा मजा लेना चाहता था।
मैंने चूत के भरपूर दर्शन किये. फिर मैंने उसे उल्टा किया और उसकी गांड को देखा।
क्या बड़े बड़े चूतड़ थे।
मैंने चूतड़ों में किस किया और चाटने लगा।

फिर उसने मेरी चड्डी उतारी और मेरा लन्ड देख कर आंखें बंद कर लीं।
मेरा लण्ड बिल्कुल कड़क होकर उफान मार रहा और एक दो बूंद वीर्य की उसके टोपे पर से टपक रही थी।

मैंने उसे पौंछा और एकटक उसकी गुलाबी चूत को देखने लगा. फिर मैंने अपने होंठों को उसकी चूत में लगा दिया और उसका रसपान करने लगा.
दोस्तो, चूत चाटने में वो मजा है जो बयां नहीं किया जा सकता।

फिर मैंने आहिस्ता-आहिस्ता उसकी दोनों फांकों को अलग किया और अंदर जीभ डाल दी।

वो कसमसा गयी। उसने कहा- बस करो … मुझे कुछ हो रहा है।

मैंने उसकी बातों को दरकिनार करते हुए उसकी चूत के ऊपर जो दाना रहता है जिसे क्लिटोरिस कहते हैं, उसे छेड़ना शुरू किया।
उस पर जीभ फेरते फेरते कब श्रुति चरम पर पहुंच गयी पता ही नहीं चला।

जीभ से चूत चाटने की कला भी बड़ी मुश्किल से आती है। पहले उंगलियों से चूत की फांकों से खेलना, फिर क्लिटोरिस के दाने को मसलना और चूत में आग भड़काना.

मैं चूत को अपनी जीभ से रगड़ रहा था। पहले जीभ को ऊपर से नीचे लाता, फिर नीचे से ऊपर लेकर जाता.
उसके बाद मैंने एक उंगली उसकी चूत में धीरे से अंदर डाल दी।

उंगली जाते ही उसे कामरस की ऐसी अनुभूति हुई कि उसकी आह्ह निकल गयी.
वो बोली- ओह्ह … मजा आ रहा है यार … ऐसा मैंने इससे पहले कभी महसूस नहीं किया.

मैं उसकी चूत के दाने को प्यार से रगड़ रहा था। क्लिटोरिस में हजारों छोटी छोटी नसें रहती हैं जो लड़कियों को चरम पर पहुंचाने में मदद करती हैं.

अब मैं भी अपना आपा खो रहा था. मैं उसके जी-स्पॉट पर हमला करने जा रहा था. यहीं से लड़कियों को स्खलन का परम सुख मिलता है.

मैंने बीच की दो उंगलियों को चूत में डाला और थोड़ा ऊपर करके उसके जी-स्पॉट पर प्रेशर दिया.

दो मिनट की मेहनत के बाद ही श्रुति ने मेरे हाथ पर सुसू (कामरस की धार) कर दिया. उसकी चूत बहती ही जा रही थी और फिर वो निढाल होकर लेट गयी.

फिर मैंने अपने लन्ड को उसके हाथ में दे दिया।
लन्ड की फूली हुईं नसें साफ-साफ दिख रही थीं और सुपारा फूलकर बहुत बड़ा हो गया था.

मेरा गोरा सा लंड उसने अपने मुंह में ले लिया और उसको प्यार से चूसने लगी.
जब उसने अपने होंठों से लन्ड के सुपारे पर जब जीभ फिराई तो मुझे लगा कि मैं बस गया।
मैंने काफी कंट्रोल रखा खुद पर.

लड़के जानते हैं कि ऐसी स्थिति में काबू नहीं रहता. उन्हें लगता है कि बस बाकी सब गया मां चुदाने और लन्ड चूत में डाल दो बस।

मगर दोस्तो, उस तरीके से सिर्फ आप ही मजा ले सकते हो, आपका पार्टनर नहीं।
पार्टनर के लिए आपको उसकी इच्छा का भी ध्यान रखना पड़ता है.

दोस्तो, उसका लन्ड चूसना भी क्या लाजवाब था। वो जीभ से सुपारे को छूती और फिर गले में पूरा अंदर तक डाल लेती।
लन्ड मुंह में डालते वक़्त सावधानी रखती कि कहीं रगड़ न लग जाये।

ये सब बातें मैं उसे बताता जा रहा था।

2 मिनट में ही मुझे वह आनंद आने लगा जिसके लिए मैं 1 घण्टे से मेहनत कर रहा था।
मैं चरम पर पहुंच गया और मेरा माल निकलने को हो गया.

मैंने तुरंत लन्ड निकाल कर उसके दूधों में पूरा माल गिरा दिया और निढाल होकर लेट गया।
माल गिरते ही मुझे लगा जैसे मुझे स्वर्ग मिल गया।

इतना स्टैमिना मुझे बहुत दिनों तक मुठ न मारने की वजह से मिला।

अब मैंने उसके होंठों पर फिर से किस करना शुरू किया. फिर दूधों को दबाया.
वो फिर से गर्म होने लगी।

5 मिनट में मेरा लन्ड भी तन गया और श्रुति भी तैयार हो गयी।
मैंने कहा- श्रुति तुम तैयार हो न?
उसने कहा- हां।

मैंने लन्ड में पहले थूक लगाया. उसकी चूत वैसे भी इतनी गीली थी कि ज्यादा जरूरत नहीं पड़ी.
अपने लन्ड को मैंने 2-3 बार चूत पर रगड़ा और धीरे-धीरे डालने लगा।

डालते ही मुझे समझ आ गया कि यह उसका पहली बार है क्योंकि इतना अनुभव तो था कि मैं पहचान सकूं।
उसे भयानक दर्द हो रहा था मगर मैंने भी उसे प्यार से किस करना चालू रखा।

अंगूठे से उसके क्लिटोरिस को सहलाते सहलाते मैंने उसकी चूत में गप से आधा लन्ड डाल दिया.
डालते ही श्रुति की आह .. सुनाई दी।

मैंने कुछ देर लन्ड डाले रखा।
2 मिनट बाद मैंने लन्ड निकाल कर फिर अंदर डाला।

फिर हर झटके में 1 से.मी तक लंड अंदर डालता और निकालता और ऐसा करते करते पूरा लन्ड डाल दिया।
अब श्रुति को भी मजा आने लगा और उसने भी मेरा साथ देना शुरू किया।

मैं उससे बातें करता जा रहा था- तुमको कैसा अच्छा लगता है ? क्या करने में ज्यादा अच्छा फील कर रही हो?

क्योंकि दोस्तो, हर लड़की एक ही तरीके से चरम तक नहीं पहुंचती. सबके बदन में कुछ अलग क्रियाएं होती हैं … कुछ विशिष्ट संवेदनाएं होती हैं जो कहीं किसी खास जगह सहलाने या दबाने से ही आती हैं.

जब मैं लन्ड से उसकी चूत चोद रहा था और उंगली से उसकी क्लिटोरिस को रगड़ रहा और दूध पी रहा था तो वह टाइम उसके लिए अमृतपान से भी बढ़कर था।

लन्ड और चूत के मिलन से फच फच की आवाज आ रही थी।
10 मिनट के अतुलनीय आनंद के बाद हम दोनों अन्तिम चरण में आ गए।
मैंने श्रुति से कहा- कहां गिराना है?
वो बोली- पेट पर!

मैंने लन्ड उसकी चूत से निकालकर उसके पेट पर रखा और फच … से पूरा माल गिरा दिया और उसको किस करता हुआ लेट गया।
वाह … दोस्तो, वो पल इतने आनंद भरे थे कि ऐसा अद्भुत आनंद देवताओं को भी दुर्लभ है।

उस पल को मैंने भरपूर जी लिया।

श्रुति भी बहुत खुश थी। उसने ऐसा अनुभव ज़िन्दगी में पहली बार महसूस किया था.

वो कुछ देर लन्ड के साथ खेलती रही। उसको चूमती और बोलती- मेरा राजा बेटा!
मैं उसकी तरफ देखता और हंस देता।

फिर हम दोनों उठकर एक दूसरे को साफ करने लगे और फिर हमने अपने कपड़े पहन लिये.
उसने मेरे माथे पर किस किया और बोली- मैं तुम्हें कभी नहीं छोडूंगी। आई लव यू मेरे सनी।

उस दिन से वो मेरी दीवानी है. मैं भी उसको बहुत प्यार करता हूं.
मेरी किस्मत बहुत अच्छी है कि मुझे उसके जैसी प्यार करने वाली लड़की मिली.
वर्ना आजकल की लड़कियां आज इसके साथ सोती हैं तो 15 दिन बाद किसी और की बांहों में होती हैं.

दोस्तो, ये थी मेरी गर्लफ्रेंड के साथ मेरी पहली चुदाई की कहानी.
आपको हम दोनों की चुदाई की मधुर दास्तां कैसी लगी मुझे जरूर बताना. आपका सही रेस्पोन्स आया तो श्रुति के साथ के और भी किस्से मैं आपको बताऊंगा. धन्यवाद।