मज़हबी लड़की निकली सेक्स की प्यासी- 2

प्यासी चूत एक लड़की की … सेक्स के लिये ब्वॉयफ्रेंड की नहीं मर्द की जरूरत होती है … मुझे सेक्स चाहिये. मैंने कैसे उस बुर्कानशीं लड़की की मदद की?

प्यासी चूत एक लड़की की कहानी के पिछले भाग
मज़हबी लड़की निकली सेक्स की प्यासी- 1

मैंने उससे कहा- अरे भई … सेक्स के लिये ब्वॉयफ्रेंड की नहीं एक लड़के या एक मर्द की जरूरत होती है।
उसने जवाब देने के बजाय घूर कर मुझे देखा।
मैं उसके चेहरे से कोई अंदाजा न लगा पाया कि उसे मेरी बात बुरी लगी थी या भली … लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और फिर वापस मुड़ कर चली गयी।

अब आगे की एक लड़की की प्यासी चूत कहानी:

मुझे लगा कि वह खुद ही श्योर नहीं थी कि उसे चाहिये क्या।
मुझे लगा था कि अब वह कल ही शकल दिखायेगी.

लेकिन करीब डेढ़ घंटे बाद वह फिर हाजिर थी। चेहरे से लग रहा था कि गहरी कशमकश से उबर कर आई थी।
“आज शिरीन का बर्थ डे है, मैंने पंद्रह दिन पहले से प्रोग्राम बना रखा है इस चीज का। उससे भी सेटिंग कर ली थी … आज निकल गया तो फिर पता नहीं कि कब मौका मिले।”
“मतलब जाना ही चाहती हो?”
“हां … मैं इस मौके को खो नहीं सकती।”

“तो ऑप्शन कौन सा चूज किया … ब्वॉयफ्रेंड के साथ थोड़ा वक्त बिताने का? उसके साथ सेक्स करने के लिये वहां जाने का तो कोई मतलब है नहीं। यहां तो बुलाने के मूड में दिख नहीं रही हो।”

“आपने कहा था कि सेक्स के लिये ब्वॉयफ्रेंड की नहीं मर्द की जरूरत होती है … मुझे सेक्स चाहिये।”
वह थोड़ा झिझकते हुए बोली- ब्वॉयफ्रेंड हो या कोई और। बस सेफ हो और बाद में पीछे पड़ने की गुंजाइश न हो।
“चलो।” मैंने उसे ऊपर से नीचे देखते हुए कहा।

वह वापस मुड़ गयी और मैं बाहर आ गया घर से।
बाईक बाहर ही खड़ी थी … थोड़ी देर में वह खुद को नकाब और स्टोल से एक-एक इंच कवर किये बाहर आ कर बाईक पर बैठ गयी।

उसकी अम्मी दरवाजे तक यह देखने आई थीं कि मेरे साथ ही जा रही थी। उन्हें मुझ पर इस वजह से भरोसा था कि वह उम्र में मुझसे पंद्रह साल तो जरूर छोटी होगी, फिर मुझे भाईजान ही कहती थी और तीसरे मैं भी उनकी नजर में एक बेहद शरीफ इंसान ही था।

उसे लेकर मैं चल पड़ा।

कायदे से मेन रोड पर पहुंच कर मुझे तेली बाग जाने के लिये गोमती पार करनी थी लेकिन मैं उल्टा फैजाबाद रोड बढ़ लिया था और वहां से अंदर घुस कर सीधा इंदिरा नगर चला आया था। हिना के अंदाज ने मुझे बता दिया था कि वह किस कदर डेस्प्रेट थी और उधर लॉकडाऊन के कारण घर पड़े-पड़े रोहित और शिवम भी पगला रहे थे तो इस तरह दोनों लोगों का काम हो सकता था।
इत्तेफाक से हिना के आने से पहले उनसे ही बतिया रहा था तो यह भी कनफर्म ही था कि वे घर पर थे।

जिस घड़ी उनके फ्लैट की बेल बजा रहा था, नकाब से झांकती हिना की आंखों में एक बेचैनी थी। यह आसान नहीं था कि एकदम अजनबी लोगों के साथ उस चीज के लिये कदम बढ़ा देना जो बेहद आत्मीय सम्बंधों पर आधारित हो।

रोहित ने दरवाजा खोला और ताज्जुब से मुझे और मेरे साथ खड़ी नकाब में ढकी लड़की को देखने लगा।
“क्या बे … बताया नहीं कि इधर आ रहा है। अभी हम निकल जाते तो।”
“तो वापस बुला लेता।”

मैंने हिना को अंदर आने का इशारा करते हुए कहा और खुद अंदर आ गया। वह भी अंदर आई और रोहित ने दरवाजा बंद कर लिया।

दरवाजा हाल में खुलता था। चार कदम आगे बेडरूम था जहां पहुंचे तो शिवम अंडरवियर में ही पड़ा सिग्रेट फूंक रहा था। मेरे साथ हिना को देखते ही वह बुरी तरह हड़बड़ा गया और सिग्रेट एशट्रे में बुझा कर दोनों हाथों से अपने सामान को छुपाने लगा।
“यह कौन है?” रोहित ने हिना की तरफ इशारा किया।

“एक मुसीबत की मारी जरूरतमंद लड़की समझो, जिसकी ख्वाहिशें कोरोना की भेंट चढ़ गयीं। तुम दोनों पांच मिनट के लिये बाहर जाओगे क्या … थोड़ा सा मुझे इससे अकेले में बात करनी है।”

उनके चेहरों से लगा नहीं कि उन्हें यह बात पसंद आई हो पर फिर भी अनमने भाव से उठ कर बाहर निकल गये और मैं हिना को अपने पास बिठा कर उसे देखने लगा।

“देखो हिना … ये मेरे दोस्त हैं. हालांकि उम्र में मुझसे छोटे ही हैं लेकिन हमारे बीच सब चलता है। हम एक साथ सेक्स भी कर चुके हैं तो हम लोगों के बीच कोई बाधा नहीं है। तुम्हें सेक्स चाहिये तो उसके लिये यह ऑप्शन हैं … तुम चाहो तो दोनों में तुम्हें जो पसंद आया हो, उसके साथ कर लो। या चाहो तो दोनों के साथ कर लो … और कोई लोड मत लो दिमाग पे। नहीं इजी फील हो रहा हो तो अपने ब्वॉयफ्रेंड को यहीं बुला लो, उससे कर लो … या न करने की हिम्मत पड़ रही हो तो भी कोई बात नहीं। वापस चलते हैं … कहने का मतलब यह है कि सब तुम्हारे हाथ है। जैसा चाहे करो।”

वह सोच में पड़ गयी।

“उसे यहां बुलाने का तो कोई मतलब नहीं … क्या सोचेगा वह कि मैं तीन लोगों की जानकारी में उनके घर सेक्स कर रही हूँ. तो तीनों के साथ मेरा रिलेशन कैसा होगा। जो उससे मिलेगा, वह यहीं मिल सकता है तो उसे क्यों बुलाना। उसके साथ फिर कभी देखा जायेगा।” थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा।

“तो इन दोनों में कौन पसंद आया?”
“मुझे कौन सा इनसे शादी करनी है कि इनमें से एक पसंद करूँ। किसी के साथ भी कर लेंगे … पर अजीब लग रहा है कि जब किसी एक के साथ कर रही होऊंगी तो बाहर बैठ कर आप लोग क्या सोच रहे होगे।”
“मेरी टेंशन मत लो। मैं कुछ नहीं सोचता। तुम्हें सेक्स एंजाय ही करना है तो किसी के साथ भी कर लो।”

“आप करोगे?” जाने क्यों पर पूछते वक्त उसकी आवाज कांप सी गयी।
“कह तो रहा हूँ कि तुम्हें जैसे और जिसके साथ भी करना है करो … हमारी अपनी कोई मर्जी नहीं। समझ लो कि यहां जो भी होगा वह तुम्हारी मर्जी से होगा।”

“मुझे बहुत शर्म आ रही है।”
“वह बस थोड़ी देर महसूस होगी। तुमने पहले किया है सेक्स?”
“हां … गांव में … दो बार! तभी तो आग लगी है इतनी।”
“तो क्यों शर्म आ रही इतनी … जैसे तब किया था वैसे अब कर लो।”
“वो तो मामू के लड़के के साथ …”
“यहां भी सबको वही समझ लो।”
“ठीक है।” अंततः उसने हार मानते हुए कहा।

“करना किसके साथ है … किसी एक के या तीनों के ही? उस हिसाब से उनसे बात करूँ।”
“तीनों।” कहते हुए उसने एकदम शर्मा कर चेहरा झुका लिया और उसकी सांसें भारी हो गयीं।

मैं उसके पास से उठ कर बाहर आ गया। दोनों कमीने आंखें तरेरे मुझे घूर रहे थे। मैंने उनके पास बैठ कर उन्हें पूरी बात बताई।

“तू फरिश्ता है मेरे भाई … हम खामखा तुझे गलत समझ लेते हैं। इतना ख्याल तो कोई दोस्त नहीं रख सकता। लव यू मेरी जान।” दोनों भाव विहल होते मुझसे लिपट गये।

“हट नौटंकी मादरचोद … पहले मैं जाकर उसे थोड़ा सहज करता हूँ, तब तक तुम लोग दारू निकाल लो और मूड बनाओ। अंदर बुलाऊं तो मेरा गिलास लिये आना।” मैंने उनके पास से हटते हुए कहा।
दोनों ने फ्लाईंग किस दिया और मैं वापस बेडरूम में हिना के पास आ गया।

“समझा दिया है उन्हें सब … लेकिन वे अभी नहीं अंदर आयेंगे। जब मैं बुलाऊंगा तब आयेंगे। तब तक तुम एक बार फिर अपने मामू जाद भाई का फील ले लो मेरे साथ।” मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।

उसके बदन में एक थरथराहट दौड़ गयी और उसने फिर शर्मा कर निगाहें झुका लीं। मैंने खुद से उसका स्टोल खोल दिया और नकाब उतार कर किनारे डाल दी।

अब तक उसे लेकर मेरे मन में इस तरह के ख्याल नहीं आये थे लेकिन अब उसे देखने मन में अजीब सी उत्तेजना पैदा हो रही थी। उसने सलवार सूट पहना हुआ था जो इतना तो ढीला था कि उससे उसकी फिगर का कुछ पता नहीं चलता था। मुझे लगा कि वह मेरे सामने कपड़े उतारने में सहज नहीं रहेगी तो उसकी शर्म दूर करने के लिये मैंने ही अपने कपड़े उतार दिये।

वह तब तक तो मुझे देखती रही जब तक मेरे शरीर पर अंडरवियर ही बची. फिर नजर हटा ली जैसे आगे देखने की हिम्मत न पड़ रही हो।

मैंने अंडरवियर भी उतार दी और पूरी तरह नंगा हो कर उसके पास बैठ गया। उसने चेहरा साईड में कर लिया था। मैंने उसके हाथ को पकड़ कर अपने लिंग पर रख कर दबा दिया।
वह ऐसे थरथराई जैसे कुछ डराने वाली चीज हाथ आ गयी हो और अपना हाथ हटा लिया।

मैंने उसके गालों पे हाथ लगा कर चेहरा अपनी तरफ कर लिया और फिर उसके हाथों में अपना लिंग पकड़ा दिया।
इस बार उसने हाथ नहीं हटाया और पकड़े रही … उसे कुछ सहज होते देख मैंने उसके सीने पर हाथ रखा और उसकी छातियां टटोलने लगा। अच्छी भरी-भरी छातियां थीं जो काफी हद तक सख्त थीं।

मैंने उसे सहारा दे कर अपने कंधे से टिका लिया और सीधे हाथ से उसकी छातियां मसलने लगा। इस मसलन ने उसमें उत्तेजना का संचार किया और वह भी मुट्ठी में दबे बाबूराव को सहलाने लगी।

उसे गर्म होते देख मैंने हाथ उसकी जम्पर में चाक की तरफ से अंदर घुसा दिया और ऊपर ले आया जहाँ ब्रेसरी में बंद दोनों कबूतरों तक मेरी पहुंच हो गयी।
मैंने ब्रा को ऊपर की तरफ धकेल दिया और दोनों दूधों को बाहर निकाल कर उनके नर्म-नर्म चुचुकों के साथ रगड़ देते मसलने लगा।

अब उसकी सांसें सिसकारियों में ढलने लगी थीं।
फिर हाथ नीचे लाकर मैंने उसकी सलवार के जारबंद के साथ जोर आजमाईश की तो वह भी खुल गया और सलवार एकदम ढीली हो गयी।

हाथ नीचे सरकाया तो पैंटी की इलास्टिक के रूप में एक बाधा सामने आई। मैंने उसके अंदर हाथ घुसा दिया। पेड़ू की चिकनाहट बता रही थी कि आज के प्रोग्राम के मद्देनजर झांटें कल ही साफ की गयी थीं।

नीचे उतरने पर उसकी योनि की रक्षा करती बड़ी बड़ी फांकों ने मुझे सुखद आश्चर्य से भर दिया। वो उतनी बड़ी थीं जितनी आम तौर पर पोर्न फिल्मों में अंग्रेज लड़कियों की दिखती हैं।
जबकि मेरी उंगलियों का वहां स्पर्श पाते ही उसके पूरे बदन में एक लहर दौड़ गयी थी और होंठों से जोर की ‘सी’ निकल गयी थी।

“बहुत बड़ी बड़ी हैं … खूब चुसाई है क्या?” मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा।
उसके होंठों पर दबी-दबी मुस्कराहट तो आ गयी मगर बोली कुछ नहीं।

मैंने उन बड़ी-बड़ी क्लिटोरिस के अंदर उंगली दबाते उसके भगांकुर को ढूंढ लिया और उसे रगड़ने लगा। उसके मुंह से ‘आह-आह’ निकलने लगी।

कुछ देर उसे रगड़ने के बाद मैंने उंगली नीचे सरकाई तो रस छोड़ते छेद तक पहुंचा दी। अंदरूनी दीवारों ने जरूरी लुब्रिकेंट रिलीज कर दिया था।

मैंने उसके छेद में उंगली फिराई तो वह काफी कसावट लिये मिला। लगता नहीं था कि वह इस्तेमाल में रहा हो। वैसे भी उसके हिसाब से उसने दो बार किया था जो पता नहीं कितने पीछे किया हो … तो वापस खुली हुई योनि को टाईट होते भला क्या देर लगती।

अब वह भी बेताबी से अपनी मुट्ठी में दबे लिंग को मसलने लगी।
थोड़ी ही देर में उस पर नशा हावी होने लगा।

फिर जो मैं उसके चेहरे के पास अपना चेहरा ले गया तो उसने चेहरा घुमाने या हटाने की कोशिश नहीं की बल्कि प्यासी निगाहों से मुझे देखने लगी।

मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ टिकाये तो उसने भी समर्पण के अंदाज में अपने रस भरे उभरे-उभरे होंठ मुझे सौंप दिये और उन्हें कुचलते चुभलाते मैं सोचने लगा कि उसे जब पहली बार मैंने देखा था तब दिमाग में एक बारगी यह जरूर आया था कि उसके होंठ चोदने लायक हैं।

हालांकि बाद में उसने भाईजान बुलाना शुरू कर दिया था तो वह ख्याल दिमाग से निकल गया था।
लेकिन आज जब मौका बन गया तो दिमाग फिर उधर ही जाने लगा।

मैंने उसकी सलवार से हाथ निकाल लिया और दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ कर उसके होंठों को चूसने लगा।
साथ ही कहीं मैं उसके मुंह में जीभ घुसा देता तो कहीं वह मेरे मुंह में जीभ घुसा देती और दोनों का पारा चढ़ने लगा।

वह सेक्स में किस हद तक जा सकती थी, कोई अंदाजा नहीं था लेकिन मुझे तो यह देखना था। उसे पहली बार देखने पर उसके होंठों के लिये जो मेरे मन में इच्छा पैदा हुई थी वह पूरी करने का ख्याल आया और मैं उठ खड़ा हुआ।

उसके होंठ बंद हो गये थे लेकिन जब मैंने अपने लिंग को उसके होंठों से लगाया तो वह अजीब सी नजरों से मुझे देखने लगी जैसे फैसला न कर पा रही हो कि मुंह खोले या न खोले।
“कमऑन … जब तुमने सेक्स करने की ठानी ही है तो फिर पूरी तरह करो।” मैंने उसे उकसाने की कोशिश की।

उसने झिझकते हुए होंठ खोले और मैंने लिंग के टाईट सुपारे को अंदर ठेल दिया। शुरुआती झिझक के साथ उसने सिर्फ दांत टच किये लेकिन मैंने आंखों ही आंखों में फरियाद की तो उसने होंठ कस लिये। तब मैं कमर आगे पीछे करते लिंग को अंदर बाहर करने लगा।

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