ज़ारा की मोहब्बत- 2

आप मेरी गांड चोदना चाहते हो ना? आज मैं तैयार हूँ … मुझे दर्द होगा, होने दो! मैं कितना भी चीखूं-चिल्लाऊं लेकिन आप मत रुकना! समझ गये?

ज़ारा- क्यों जनाब! शेर खत्म हो गये या बाकी हैं मुझ नाचीज के लिए?
मैं- हां ज़ारा, शेर खत्म हो गये. और मैं एक अहम मसले पर तुमसे बात करना चाहता हूं!
ज़ारा- यही कि ज़ारा मुझे छोड़ कर चली क्यों नहीं जातीं, यही ना?
मैं- ज़ारा मेरी बात तो …

ज़ारा मेरी बात बीच में ही काट कर गुस्से में फुनकती हुई बोली- आप एक बात कान खोल कर सुन लीजिये! आज है ना? आज तो फैसला हो ही जायेगा! आपने हजारों बार मुझसे ये बात की है और हर बार मैंने मना किया है! लेकिन, अब ये आखिरत है कि आप आइंदा ये बात नहीं करेंगे क्योंकि मैं आपको छोड़कर नहीं जाने वाली!

दोस्तो, ये बात कहते-कहते वो रोने लगी!

अब मैंने उसे मेरे पास खींचा और छाती से लगाकर उसकी पीठ सहलाने लगा. वो मेरे कंधे को गीला करती रही!

मैं- ज़ारा! मेरा वो मतलब नहीं था!
ज़ारा- तो क्या मतलब था?
मैं- पहले नॉर्मल हो जाओ!

उसे उठाकर मैंने सोफे पर बिठाया और उससे कुछ दूरी बनाते हुए मैं भी बैठ गया.
ये देख वो फिर रोने लगी!

ज़ारा- हां बैठ गये ना मुझसे दूर! याल्ला! क्यों ये ही आदमी लिखा था मेरी किस्मत में?
मैं- मेरी बात तो सुनो जरा!
ज़ारा- क्या बात सुनूं? कोई अपनी गर्लफ्रेंड से इतना दूर भी बैठता है?

मैं- सुनो तो जरा …
ज़ारा- क्या सुनूं? वही आपकी घिसी-पिटी पुरानी बातें?
मैं- तुम पहले नॉर्मल हो जाओ!
ज़ारा- मैं तो नॉर्मल हूं लेकिन आप अबनॉर्मल हो गये हो!

अब पहली बार मुझे चिल्लाना पड़ा उस पर- ज़ारा! किसने कहा कि तुम मेरी महबूबा हो और मैं तुम्हारा आशिक?
ज़ारा- क्या मैं आपकी महबूबा नहीं हूं? अरे ये कहने से पहले कुछ सोच तो लेते!
ज़ारा फिर रोने लगी तो मुझे नर्म पड़ना पड़ा!

मैं- यार एक बात बताओ मैं तुम्हारे साथ कभी बाहर गया हूं?
ज़ारा- नहीं, बल्कि मैं तो कहती हूं कि चलो!

मैं- तुमने कभी ये सोचा कि मैं क्यों नहीं जाता?
ज़ारा- कंजूस भी तो हो आप! शायद इसलिए नहीं जाते!

मैं- ज़ारा, तुम मेरे लिए एक मैना जैसी हो जिसे मैंने पाला है! फर्क तुम में और एक परिंदे में सिर्फ इतना है कि परिंदा रोज कमाता है तो खाता है वहीं तुम एक अमीर बाप की बेटी हो!
ज़ारा- मतलब मेरे पापा अमीर हैं इसलिए आप मेरे साथ बाहर नहीं जाते?

मैं- ज़ारा पहले सुनो! समझो! फिर कुछ कहो! तुम्हारे पापा अमीर हैं और तुम खूबसूरत भी तो हो! जब मेरे साथ बाहर निकलोगी पता है दुनिया क्या कहेगी? मैं पतला-दुबला सा ऊपर से बदसूरत और कहां तुम बला की हसीन! कोई व्यवहार ही नहीं बनता!

ज़ारा- कोई भी व्यवहार मुझे आपसे अलग नहीं कर सकता!
मैं- कानून तो कर सकता है ना?
ज़ारा- कानून मुझे आपसे तो अलग कर देगा लेकिन मेरी रूह को तो नहीं कर सकता! और एक बात कहूं कि अलहैदगी की बातें आप ना ही करो तो सही है!

इतना कहकर ज़ारा मेरी गोद में चढ़ गयी और किस करने लगी!
कौन मर्द होगा जिसका इतनी खूबसूरत लड़की की चूत के नीचे लंड नहीं खड़ा हो!

मैं किस कर रहा था और उसके गोरे कूल्हों पर भी हाथ फिरा रहा था अचानक मैंने उसकी गांड में उंगली कर दी तो वो उछल पड़ी और मेरे गाल पर काट खाया!
ज़ारा- क्यों शायराना हुये थे?
मैं- ज़ारा, यार तेरी गांड चोदने का मन था!
ज़ारा- तो चोद लो!

मैं- मेरी जान! तुम्हें बहुत ज्यादा दर्द होगा! तकलीफ होगी!
ज़ारा- आपको मजा आयेगा ना?
मैं- आयेगा! लेकिन तुम्हारी तकलीफ को कैसे सहन करूंगा?
ज़ारा- यही सोच कर कि ज़ारा खुद अपनी गांड चुदवाना चाहती है!

मैं- तुम्हें बहुत दर्द होगा!
ज़ारा- अगर आपका लंड होगा तो मैं बर्दाश्त कर लूंगी लेकिन कोई और मेरी गांड की सील तोड़े ये मुझे गवारा नहीं!

मैं- ज़ारा … अभी भी सोच लो बहुत ज्यादा दर्द होगा!
ज़ारा- चूत फटने से भी ज्यादा?
मैं- नहीं … लेकिन शायद उतना ही!
ज़ारा- तो डालिये आप! क्या हमारी सुहागरात भूल गये हैं?
मैं- तुम उस रात को सुहागरात ना ही कहो तो बेहतर है!
ये सुनते ही वो मेरी गोद से उतरकर नीचे खड़ी हो गयी!

ज़ारा- मुझे पता है और यकीन भी है कि आप मोहब्बत का ‘म’ भी नहीं जानते!
मैं- हां! मैं ‘म’ शायद नहीं जानता लेकिन मोहब्बत को तुमसे ज्यादा जानता हूं!
ज़ारा- हां वो तो जानेंगे ही आखिरकार फिलॉस्फर जो ठहरे! पता नहीं कितनी लड़कियों के साथ बिस्तर गर्म किया होगा?

ये सुनकर आया मुझे गुस्सा! मैं उठा और खींच कर दिया एक थप्पड़ उसके गाल पर!
मैं- ज़ारा! क्या कह रही हो?
वो एक हाथ से गाल सहलाती हुयी रोने लगी और नीचे बैठ गयी- फिलॉस्फर करते हैं ऐसा मैंने तो इसलिए कहा था!

अब इतना हसीन नंगा बदन आपके सामने घुटनों पर झुका हो और हसीना की आंखों में मोटे मोटे आंसू हों तो किसी का भी पिघल जाना लाजमी है तो मैं नीचे बैठकर उसके आंसू पौंछने लगा!

मैं- ज़ारा मैं इस धरती पर केवल दो से प्यार करता हूं!
ज़ारा- मुझे क्या पता?
मैं- तुम उन दो में से एक हो! और तुम्हारे सिर पर हाथ रख कर कसम खाता हूं कि मैं किसी तीसरी के साथ आज तक भी बिस्तर पर नहीं गया! अब तुम चाहो तो मेरा यकीन करो नहीं तो नहीं!

ये सुनते ही वो एकदम से खड़ी हुई और मुझे बांहों में भर लिया! चूमने लगी इधर से उधर, चेहरे का कोई हिस्सा नहीं छोड़ा!

मैं- क्या हुआ इतनी वाइल्ड तो कभी नहीं हुई तुम?
ज़ारा- आज आपने दोहरी खुशी दी है इसलिए जानेमन!
मैं- दोहरी खुशी! लेकिन कौन सी?

ज़ारा- आज की ही तारीख में मुझे जान का कहा था और आज की ही तारीख में आप मुझे अपना प्यार भी कह रहे हो! दूसरा ही सही! मेरे लिए काफी है!
ये सब सुनकर मेरा कलेजा जैसे फट पड़ा!
इतनी मोहब्बत! इतना प्यार!
हे भगवान मैं काबिल नहीं हूं किसी भी तरह से!
क्यों ज़ारा मेरी जिंदगी में डाल दी भगवन?
और वो भी ऐसी ज़ारा जो इतना टूटकर प्यार करती है!
आपका फैसला आपके हाथ!

अब ज़ारा के चेहरे पर एक अलग ही नूर था! वो फिर से मेरी गोद में चढ़ गयी!

ज़ारा- आप मेरी गांड चोदना चाहते हैं ना?
मैं- तुम इतनी जल्दी क्यों मान जाती हो?
ज़ारा- क्योंकि मैं आपसे रूठ ही नहीं सकती!

मैं- मतलब?
ज़ारा- देखिए आज भी आप यकीन तो करने से रहे लेकिन प्यार है आपसे और सच्चा प्यार!
मैं- ज़ारा …
ज़ारा- श्ह … अब कुछ मत बोलो!

और ज़ारा मेरी गोद से नीचे उतर कर लंड चूसने लगी.
कभी गले तक ले जाए! कभी टट्टे चूसे! मतलब कुल मिलाकर चुदाई का माहौल बना दिया!

अब मेरे से रहा नहीं गया तो मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटाया और जैसे ही उसकी चूत पर लंड रखना चाहा तो उसने चूत पर हाथ रख लिया!
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- आप कुछ भूल रहे हो!
मैं- क्या?
ज़ारा- आप तो मेरी गांड चोदने वाले थे?

मैं- ज़ारा …
ज़ारा- दर्द होगा, होने दो! मैं कितना भी चीखूं-चिल्लाऊं लेकिन आप मत रुकना! समझ गये?

मैं- ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी! क्रीम लेकर आओ!
ज़ारा- क्रीम का क्या करना है?
मैं- कुंवारी गांड को चोदने से पहले उसे चुदने के लिए तैयार करना पड़ता है!
ज़ारा- ओह! हां याद आया! आपने कामसूत्र में पढ़ाया था! अभी लाती हूं!

मैंने माथे पर हाथ मारा, वो बिस्तर से उतरी और रुक गयी!
ज़ारा- लेकिन एक बात बताइये? ऋषि वात्स्यायन ने तो गुदामैथुन को कुदरत के खिलाफ कहा था!

मैं- ये बात कामसूत्र में नहीं कोकशास्त्र में थी और कोका पंडित ने क्या कहा था गुदामैथुन के बारे में भूल गयी? डफर!
ज़ारा- ओह! हां उन्होंने कहा था कि वक्त के साथ तौर-तरीके भी बदलते हैं!

मैं- अब कान पकड़वाकर मारूं डंडे तुम्हें?
ज़ारा- सॉरी जान, सॉरी! मैं क्रीम लेकर आती हूं!
और वो भागती चली गयी अपने कमरे में! कुछ ही देर में क्रीम लेकर आ गयी!

ज़ारा- क्या करना है इसका?
मैं- मुझे दो और छाती के बल लेट जाओ!

ज़ारा छाती के बल लेट गई और मैंने उसके कूल्हे फैलाये तो सामने दिखा भूरा-कत्थई रंग का गांड का छेद!
मैंने उसकी गांड में क्रीम की ट्यूब का मुंह घुसाया और आधी ट्यूब उसी गांड में ही खाली कर दी!
वो थोड़ा सा उचकी!

अब थोड़ी सी क्रीम अपनी उंगली पर लगाई!
मैं- ज़ारा!
ज़ारा- जी?
मैं- मैं तुम्हारी गांड में उंगली डाल रहा हूं! तुम से सिकोड़ना मत बस बाहर की तरफ फैलाती रहना और अपनी क्लिट को सहलाती रहो!
ज़ारा- ठीक है!

अब मैंने उसकी गांड में उंगली डाली!
मैं- दर्द तो नहीं हुआ?
ज़ारा- अभी तो नहीं!

अब मैंने दो उंगलियां डालने की कोशिश की तो ज़ारा चिहुंक गयी!
ज़ारा- जान हल्का-हल्का दर्द हो रहा है!
मैं- अभी कुछ देर होगा फिर मजा आने लगेगा!

अब मैंने तीन उंगलियों का शंकु बनाकर डाला तो वो उचक गयी!
ज़ारा- दर्द हो रहा है!
मैं- थोड़ा तो बर्दाश्त करना ही पड़ेगा!
ज़ारा- ज्यादा हो रहा है!
मैं- अभी होगा, बाद में मजा भी आएगा!

ज़ारा- ठीक है डालो आप! लेकिन एक बात याद रखना!
मैं- क्या?
ज़ारा- आज आप मुझ पर कोई रहम नहीं करेंगे और मेरी गांड चोदेंगे मतलब चोदेंगे!
मैं- ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी!

अब मैंने उसकी गांड में तीनों उंगलियां डाल दीं! उसे दर्द हुआ, वो चीखी लेकिन मैं नहीं रुका और ना ही उसने रोका!
मैं उंगलियां अंदर-बाहर करता रहा और वो अपनी क्लिट को सहलाती रही!

कुछ देर बाद वो बोली- जान मुझे अभी लंड चाहिये! आह … आप कहीं भी डालो लेकिन मुझे लंड चाहिये!
मैं- चूत में डालने से तो तुम खुद मना कर चुकी हो!
ज़ारा- चूस लूंगी!
मैं- लेकिन मैं तो नहीं चुसाऊंगा!
ज़ारा- तो मेरी गांड में डाल दो!
मैं- पक्का?
ज़ारा- हां जान डाल दो! अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है!
मैं- तो घोड़ी बन जाओ!

ज़ारा घुटनों के बल हो गयी और मैं उसकी गांड के छेद पर लंड फिराने लगा! जैसे ही गांड के निशाने पर लंड होता वो पीछे धक्का देती लेकिन मैं लंड को हटा लेता!
दो-तीन बार ऐसा हुआ तो वो ठुनक पड़ी- जान डाल दो ना!
मैं- हां अब डालूंगा!

और ज़ारा की गांड के छेद पर लंड का सुपारा टिकाया तो ज़ारा ने पीछे की तरफ झटका दिया!
मैं- क्या इतनी जल्दी है?
ज़ारा- बहुत ज्यादा!
मैं- मरने की?
ज़ारा- आपके लंड से मरूंगी तो सुकून ही मिलेगा!

मैं- इतनी जल्दी ना कर ज़ारा!

वो रुकी तो मैंने लंड घुसाना शुरू किया उसकी गांड में!
ज़ारा- जानू दर्द हो रहा है!
मैं- अभी तो सुपारा गया है!
थोड़ा और धकेला!

ज़ारा- बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है!
मैं- अभी तो थोड़ा सा गया है!
ज़ारा- कितना बचा है?
मैं- आधे से ज्यादा!

एक और झटका मारा और आधा अंदर!
ज़ारा- आ … जा … न … मैं मर जाऊंगी!
मैं- तुमने ही कहा था मेरे लंड से मरोगी तो सुकून पाओगी!

ये कहकर एक और झटका मारा और आधे से ज्यादा घुसा दिया ज़ारा की गांड में!

वो चीखी-चिल्लाई … लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया!

ज़ारा- कितना बचा जान?
मैं- लगभग एक इंच!
ज़ारा- तो इसे क्यों छोड़ा? जब सारा लिया है तो?
मैं- लो फिर एक इंच!

क्योंकि उसकी गांड को मैंने बहुत ज्यादा चिकना और चुदने के लिये तैयार कर दिया था इसलिए उसे दर्द तो हुआ लेकिन बहुत ज्यादा नहीं!

ज़ारा- आह जान! यही तो जन्नत है कि आपसे चुद रही हूं!

लगभग बीस-पच्चीस मिनट ज़ारा की गांड चुदायी चली कभी मैं धक्के मारता कभी वो अपनी गांड झटकती!

मैं- ज़ारा … मैं आ रहा हूं पलट जाओ!
ज़ारा- नहीं जान … मुंह में और चूत में तो मैंने आपको महसूस किया है आज गांड में भी महसूस करना चाहती हूं!

कुछ और झटके मारने के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया!

वो लेट गयी और बिना लंड निकाले ही मैं भी उसके ऊपर ही लेट गया!

कुछ देर बाद जब लंड मुरझा कर बाहर आ गया तो मैं उसके कान में बोला- सुनो! ज़ारा?
ज़ारा- हां!
मैं- शाम हो गयी है!
ज़ारा- तो?
मैं- अरे शाम की चाय का वक्त हो गया है!

ज़ारा- तो मैं क्या करूं जान?
मैं- उठो चाय बना लो!
ज़ारा- नहीं उठ सकती!
मैं- क्यों नहीं उठ सकती?
ज़ारा- क्योंकि आप मेरे ऊपर हो!
मैं- ओह सॉरी!

और मैं उसके ऊपर से उठकर साइड में हो गया अब ज़ारा उठी और उठते ही एक दर्दीली आह भरकर वापस बैठ गई!
मैं- क्या हुआ?
ज़ारा- गांड में बहुत दर्द हो रहा है!

दोस्तों, आपको ये घटना कैसी लग रही है मुझे जरूर बतायें!
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!