गर्ल ऑनलाइन सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मेरी दोस्ती एक वेबसाइट पर एक मैरिड लड़की से हुई. कुछ समय बाद हम दोनों मिले और सेक्स का मजा लिया.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम कार्तिक है. मैं नागौर, राजस्थान का रहने वाला हूं.
मेरी उम्र 23 साल है, लंबाई 5 फुट 10 इंच है. मैं अन्तर्वासना सेक्स कहानी डॉट कॉम का नियमित पाठक हूं.
आज मैं अपनी पहली सेक्स कहानी आपके लिए लिखने जा रहा हूं.
गर्ल ऑनलाइन सेक्स स्टोरी में अगर कोई गलती दिखे, तो माफ़ कर दीजिएगा.
मेरे एक मित्र ने मुझे एक ऑनलाइन सेक्स वेबसाइट के बारे में बताया, वहां पर मैंने अपना अकाउंट बना लिया.
इसके बाद वहां मैंने अपने बारे मैं कुछ जानकारी साझा की और किसी के सन्देश आने का इन्तजार करने लगा.
कई दिन हो गए, मुझको किसी से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
फिर एक दिन जब मैंने ईमेल खोला, तो एक महिला का संदेश आया हुआ था. मैंने उसको जवाब दिया.
उसका नाम रेणु था ये नाम बदला हुआ है. रेणु की उम्र 32 साल लिखी थी.
जब मेरी उससे बातचीत हुई, तो उसने मुझे बताया कि उसने उस व्यस्क साईट पर मेरा एड देखा था.
मैंने उससे पूछा कि आप कहां से हो?
उसने बताया कि मैं राजस्थान से हूं.
मैं इधर उसके शहर और जगह का नाम नहीं बता सकता क्योंकि इससे निजता भंग होने का भय रहता है.
रेणु ने बताया- मैं अपने सास ससुर से अलग एक दूसरे शहर में रहती हूँ. मेरा एक 5 साल का बेटा है. पति एक बिज़नेसमैन है. मेरे पति को बस पैसा कमाने से मतलब है. वो उसके साथ बहुत कम बात करता है. तथा उसकी जरूरत को पूरा नहीं कर पाता है. इसलिए मैं कोई अच्छा बंदा ढूंढ रही थी, जो मेरी शारीरिक जरूरत को पूरा कर सके.
इतना स्पष्ट होने के बाद मुझे ये समझ आ गया कि महिलाएं अपनी चुत की खाज मिटवाने के लिए बिंदास लंड की तलाश करने लगी हैं.
मैं इंटरनेट के इस युग को सराहने लगा कि अब ऑनलाइन छेद के लिए लंड खोजने की व्यवस्था कितनी आसान हो गई है.
मैं रेणु से बात करने लगा.
वो भी यही चाहती थी कि मिलने से पहले हम दोनों एक दूसरे को ठीक से समझ लें.
धीरे धीरे हमारी बातें होने लगीं.
उसने बताया- सेक्स लाइफ को लेकर मेरे पति और मेरे बीच अक्सर लड़ाई होती रहती है.
अब हम दोनों रोज ही सेक्स के मुद्दे को लेकर खुल कर बात करने लगे थे.
जब उसका बेटा स्कूल जाता, तब हम दोनों खुल कर लंड चुत चुदाई की बात करते.
इस तरह से कुछ ही दिनों में हम दोनों बहुत नजदीक आ गए. कुछ ही दिनों बाद हम फोन सेक्स भी करने लगे थे.
मगर मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मुझे लग रहा था कि कब रेणु बुलाए और मैं उसे जाकर चोद दूं.
वो कहते हैं न कि सब्र का फल मीठा होता है, हुआ भी कुछ यू ही.
एक दिन उसने कहा- मेरे पति अपने किसी दोस्त की शादी में जा रहे हैं और मैं इस मौके को गंवाना नहीं चाहती हूँ, मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ.
इधर तो लंड आन्दोलन कर ही रहा था, सो मैंने भी मौका देख कर हां कर दी.
यह बात सर्दियों की है. उन दिनों शादियों का सीज़न चल रहा था, ठंड भी अच्छी पड़ रही थी.
अब इतने दिन बाद उसने मुझे अपने घर का पता बताया. सारा प्रोग्राम तय हो गया कि कब कितने बजे मैं आऊंगा.
इसके बाद मैंने अपनी मम्मी को बताया कि मेरे दोस्त की शादी है. मुझे उसकी शादी में बाहर जाना है. मुझे दो दिन लगेंगे.
घर से जाने की कह कर मैं निकल गया.
मैं उसी दिन रात को लगभग 9 बजे उसके घर के करीब पहुंच गया.
मैंने उसको कॉल किया तो उसने कहा- अभी मेरा बेटा जाग रहा है, मैं उसको खाना खिला कर सुला देती हूँ. तब तक तुम थोड़ा सा इतंजार करो.
मेरे मन में रेणु की चुदाई के लड्डू फूट रहे थे.
फिर एक घंटे बाद उसका कॉल आया कि आ जाओ.
मैंने कहा कि ठीक है तुम दरवाजा खुला रखना मैं सीधे अन्दर आ जाऊंगा.
उसने कहा- ठीक है.
मैं जैसे ही उसके दरवाजे पर पहुंचा तो दरवाजा यूं ही उड़का हुआ था.
मैंने धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया.
सामने वो खड़ी मुस्करा रही थी.
मैं तो उसको देखता ही रह गया. मैंने अपने हाथ पीछे करके दरवाजे को बंद किया और उसकी तरफ प्यार से देखा.
उसने ब्लू नाइटी पहन रखी थी. माथे पर सिंदूर गले में मंगलसूत्र, एकदम मस्त माल लग रही थी.
वो थोड़ा सा मुस्कुराती हुई बोली- आइए जनाब .. आपका स्वागत है.
मैं खुश हो गया और अन्दर आ गया.
उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा.
वो अन्दर चली गई.
मैं उसकी हिलती गांड का नजारा देखता रह गया.
मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कितना ग़दर माल चोदने को मिला है.
एक मिनट बाद रेणु किचन से पानी लेकर आई.
उसने झुक कर पानी दिया तो मेरे सामने उसके दूधिया मम्मे उत्तेजित करने लगे.
मैंने पानी का गिलास लिया, तो उसने मुझसे खाने को बोला.
मैंने मना कर दिया.
वो मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गई. हम दोनों एक दूसरे से हंस कर बातें करने लगे.
उसने यूं ही औपचारिक बातें की कि सफर कैसा रहा.
फिर वो मेरे साथ एक ही सोफे पर आकर बैठ गई.
मैंने कहा- तुमको देख कर मुझे एक गाना याद आ गया.
उसने हंस कर कहा- अच्छा जी, कौन सा गाना याद आ गया … ज़रा मुझे भी सुनाओ.
मैंने उसे कहा आंख मारते हुए गाने बोल सुनाए- तारीफ करूं क्या उसकी … जिसने तुम्हें बनाया है.
यह सुनते ही वो मेरे एकदम नजदीक आ गई और मेरी आंखों में अपनी वासना भरी आंखों से देख कर बोली- हां तो करिए ना तारीफ .. किसने रोका है.
मैंने उसकी आंखों में झांका और उसका हाथ पकड़ कर सहलाने लगा.
वो मेरी आंखों में देखने लगी और बोली- उफ्फ … कितनी प्यारी आँखें हैं तुम्हारी.
मैंने कहा- तारीफ़ मुझे करनी थी और तुम करने लगी हो.
वो खिलखिला पड़ी, तो मैंने उसे अपनी गोद में खींचने का उपक्रम किया.
वो बोली- एक मिनट … मैं अपने बेटे को देख कर आती हूं.
मैं उसके जाते ही लंड सहलाने लगा.
तभी उसने मुझे इशारा करके दूसरे रूम में जाने को कहा.
मैं उठ कर कमरे में आ गया.
मेरे पीछे से वो भी उसी कमरे में आ गई. जैसे ही वो अन्दर आई, मैंने दरवाजा बन्द कर दिया.
अब मैंने उसको पीछे से कसके पकड़ लिया और उसके कान के पास किस करने लगा.
वो भी धीरे धीरे गर्म हो रही थी. उसने मेरे हाथ को कसके पकड़ रखा था.
हम दोनों एकदम से वासना के वशीभूत हो गए थे और मैंने उसे सामने से अपनी बांहों में भर लिया.
उसके बड़े बड़े मम्मे मेरी छाती में गर्माहट देने लगे. मेरे होंठ उसके होंठों से जुड़ गए और हम दोनों एक लम्बे चुम्बन का मजा लेने लगे.
कुछ देर बाद मैंने उसको पलंग पर लेटा दिया और उसको किस करना शुरू कर दिया.
वो भी मेरा साथ दे रही थी. उसे किस करते हुए मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.
इस दौरान मैंने उसकी लिपस्टिक को पूरा चूस लिया था.
वो भी एकदम से बेकाबू होकर मेरे बदन को अपने शरीर से रगड़ने लगी थी.
फिर मैंने उसकी ब्लू नाईटी को निकाल दिया. नाइटी उतरते ही उसको थोड़ी शर्म आने लगी.
उसने पिंक कलर की ब्रा पेंटी पहन रखी थी.
उसने कहा- कार्तिक यार पहले लाइट बन्द कर दो.
मैंने कहा- क्यों मुझसे शर्मा रही हो क्या जान?
वो कुछ नहीं बोली, बस ‘उन्हं लाईट बंद कर दो .. लाईट बंद कर दो ..’ कहती रही.
मैंने एक छोटी लाईट छोड़ कर बड़ी लाइट बंद कर दी.
मैंने जींस और टी-शर्ट को उतार कर एक तरफ रख दिया. वो बिस्तर पर चित पड़ी मुझे देखे जा रही थी.
इस समय पिंक कलर की ब्रा पैंटी में वो एक मस्त पोर्न स्टार लग रही थी.
मैं कपड़े उतार कर उसके ऊपर आ गया.
पहले मैंने उसकी नाभि को किस किया, तो वो सिहर उठी.
उसने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ लिया था.
अब मैं धीरे धीरे उसकी पेंटी की तरफ बढ़ रहा था. पेंटी को ऊपर से किस किया तो मैंने महसूस किया उसकी चुत पानी छोड़ रही थी.
मैंने चुत को पैंटी के ऊपर से ही चाटना शुरू कर दिया.
इससे वो एकदम से मचल उठी और कुछ ही पलों में वो इस क़दर पागल हो चुकी थी कि उसने मेरा सर अपनी चुत पर पूरा दबा दिया.
मैंने उसको पेंटी को थोड़ा साइड में करके अपनी जीभ को चूत के अन्दर डाली ही थी कि उसकी आवाज आई ‘इस्स आह … मर गई … आह.’
उसने जांघों को सिकोड़ कर चुत को ढकने की कोशिश की मगर मैं अब कहां मानने वाला था.
कुछ ही देर में उसने खुद से अपनी चुत खोल दी और अपनी चुत पर मेरी जीभ की रगड़ का मजा लेने लगी.
फिर मैंने उसकी पेंटी को शरीर से अलग किया, तो देखा चुत की झांटें नदारद थीं पूरी चुत के बाल बड़े ही करीने से शेव किये गए थे, बस चुत की फांकों के ऊपर थोड़े से बाल एक मखमली त्रिभुज के आकर में बने हुए थे, जो काफी अच्छे लग रहे थे.
मैंने उससे पूछा- तुम कुछ मुझे भी खुश करोगी!
मेरा मतलब वो झट से समझ गई और मेरा लंड चूसने का इशारा पाकर हां में सर हिलाने लगी.
अब मैं 69 की पोजिशन में आ गया. वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. करीब दस मिनट तक उसकी अपने मुँह से चुदाई की.
कुछ देर बाद वो अपने शरीर को ऐंठते हुए बोली- आह … मेरा होने वाला है.
मैंने और जोर से उसकी चूत चाटी, तभी उसकी सांस तेज़ होने लगी और वो मेरे मुँह में झड़ गई.
अब वो थोड़ी ढीली पड़ गई. उसने मुझसे पूछा- तुम्हारा नहीं हुआ अभी तक!
मैंने कहा- नहीं.
वो बोली- हम्म … अब मेरी बारी है.
वो अभी तक मेरा लंड इतने जोर से नहीं चूस रही थी.
मगर अब उसने मेरा लंड अपने गले गले तक ले जाकर खूब चूसा और मेरे लंड का पानी निकाल दिया.
हम दोनों झड़ चुके थे. हम दोनों 10 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे.
बाद मैं मैंने उसको फिर से गर्म करना शुरू किया. मैं एक हाथ से उसकी चूत सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके स्तन मसल रहा था.
जब मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, तो वो भी गर्म हो गई थी.
मैं इधर पाठिकाओं के लिए बता देना चाहता हूँ कि मेरे लंड का साइज 7 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा है. ये किसी भी औरत को संतुष्ट करने के लिए परफेक्ट है.
वैसे भी किसी भी चुत को शांत करने के लिए लंड का आकार कोई मायने नहीं रखता है, वो तो लंड के देर तक चलने पर निर्भर करता है.
मैंने उसको कंडोम इस्तेमाल करने के लिए पूछा, तो उसने बोला कि मैंने पहले ही प्रोटेक्शन ले रखी है, तुम टेंशन मत लो.
अब मैंने उसकी चूत के नीचे तकिया लगाया और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
उसने कुछ पल बाद ही मुझे लंड चुत के अन्दर डालने का इशारा किया.
मैंने बिना देर किए एक जोर का झटका लगाया और आधा लंड उसकी चूत में समा गया.
उसकी आंखें एक मीठे दर्द से बन्द हो गई थीं और मुँह से हल्की सी आवाज निकली- आह मर गई मम्मी रे.
मुझे उसकी आवाज से ऐसा लगा कि इसकी चुत ने मेरे मोटे लंड का मस्त अहसास किया है.
मैंने एक दो स्लो झटके लगाए और लंड को चुत में सैट कर दिया.
उसने भी टांगों को फैला कर लंड के लिए रास्ता बना दिया.
अब मैंने धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा दी.
मेरे लम्बे स्ट्रोक से वो मस्त सिसकारियां ले रही थी- आह … ओह .. कितने अन्दर तक ठोक रहे हो . आह मजा आ रहा है. मेरी खुजली मिटा दो आह!
मैंने धक्के मारते हुए उसे चूमा और बोला- मज़ा आ रहा है न जान!
उसने बोला- हां मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है … और जोर से चोदो आह .. ओह .. आह ..उंह.
इन्हीं मादक आवाजों के साथ उसकी गांड ने भी नीचे से उठ कर लंड से मोर्चा लेना शुरू कर दिया था.
अब पूरा कमरा ‘फच .. फ़च …’ की आवाज से गूंज रहा था.
करीब दस मिनट बाद वो अपने जिस्म को अकड़ाते हुए झड़ गई. उसके झड़ते ही मैंने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी.
कुछ ही देर बाद वो फिर से मेरा साथ देने लगी और करीब 20 मिनट बाद मैंने भी अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया.
उसने मेरे झड़ते ही मुझको कसके पकड़ लिया और साथ में वो भी दुबारा झड़ गई.
हम दोनों एक दूसरे से इतनी जोर से चिपक गए थे कि हमारे बीच से हवा ही निकलने में असमर्थ थी.
एक मिनट तक हम दोनों अपने स्खलन का मजा लेते रहे.
फिर उसने मुझे चूमते हुए कहा- यार तुम इतनी अच्छी चुदाई कैसे कर लेते हो … सच में अन्दर तक चैन पड़ गया.
चूंकि हमारी ये मस्त चुदाई करीब 20 मिनट चली थी, जिस वजह से उसकी चूत में चैन पड़ गया था.
मैंने उसे चूम कर कहा- मैं एकदम देसी हूं.
वो हंस पड़ी और बोली- तुम सच्चे मर्द हो.
इसके बाद हम दोनों अलग अलग लेट कर प्यार भरी बातें करने लगे.
आधे घंटे बाद फिर से चुदास जागी तो फिर से चुदाई शुरू हो गई. हम दोनों ने उस रात तीन बार चुदाई की.
रात को तीन बजे तक हम दोनों अपनी तीन बार की चुदाई से बेहद थक गए थे.
उसने लम्बी सांस भरते हुए कहा- आज तुमने मुझे अपनी सुहागरात की याद दिला दी. इतनी देर तक चुदाई सिर्फ उसी दिन हुई थी.
हम दोनों ऐसा ही नंगे लेटे थे. पूरी रात हमने बहुत मस्ती की.
अब भोर होने वाली थी तो सोने का कोई मतलब नहीं था.
उसने चाय बनाई और मैं सुबह चार बजे के करीब वहां से निकल गया.
जाते समय उसने मुझे कोई चीज भेंट की और कहा- ये मेरी निशानी के तौर पर रख लो.
मैंने सहर्ष रख ली.
दोस्तो, यह थी मेरी पहली गर्ल ऑनलाइन सेक्स स्टोरी. आपको कैसी लगी, आप कमेंट करके बता सकते हो.
कोई गलती दिखी हो तो प्लीज़ नजरअंदाज कर दीजिएगा.