देवर भाभी की सेक्सी स्टोरी मेरी मौसेरे भाई की पत्नी के साथ सेक्स अनुभव की है. भाई को एक साल के लिए विदेश जाना था तो मैं उनके घर रहा. इसी बीच क्या हुआ?
नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम प्रेम है. यह मेरी पहली सेक्स कहानी है पर यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है.
अभी मैं एक बहुत ही बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी मैं काम करता हूं.
यह देवर भाभी की सेक्सी स्टोरी उन दिनों की है जब मुझे बीटेक के लिए दिल्ली के एक आईआईटी कॉलेज में दाखिला मिल गया था.
मेरा एडमिशन कॉलेज में हो चुका था परन्तु अभी वहां जाने के लिए एक महीना का समय था.
उसी समय मेरे एक दोस्त ने मुझे अन्तर्वासना सेक्स कहानी डॉट कॉम के बारे में बताया.
पहले मैंने एक दो कहानी पढ़ीं, इन्हें पढ़ने के बाद मुझे आनन्द की अनुभूति हुई और मुझे इतना मजा आने लगा कि अब मैं रोज एक न एक सेक्स कहानी जरूर पढ़ता हूं.
इस देसी भाभी सेक्स कहानी में मैं आपको अपनी भाभी की चुदाई के बारे में बताना चाहता हूं कि मैंने भाभी के साथ किस तरह से चुदाई का मजा उठाया और उनके बांझ होने के दोष को खत्म किया.
उस समय मेरी उम्र इक्कीस साल थी.
मैं देखने में बड़ा ही हैंडसम था. मेरे लंड की लंबाई काफी अच्छी थी और ये तीन इंच मोटा था. मेरी बॉडी भी एथलेटिक थी. सिक्स पैक्स ऐब्स भी थे. मैं स्मार्ट भी था और अब भी हूँ.
पर मैं बहुत ही सीधा था, इतना कि उस समय तक मैंने एक भी गर्ल फ्रेंड नहीं बनाई थी.
ऐसा नहीं था कि मैं बना नहीं पाया.
पर जब भी कोई प्रपोज करती, मैं मना कर देता क्योंकि मुझे पढ़ाई करनी होती थी.
अन्तर्वासना सेक्स कहानी पढ़ने के बाद मेरा लड़कियों भाभियों की तरफ आकर्षण बढ़ने लगा था.
मेरी मौसी उत्तर प्रदेश के एक गांव में रहती हैं. मौसा गांव के सरपंच हैं.
उनके दो लड़के हैं. छोटे का नाम रवि है और बड़े का नाम राजू. दोनों दिखने में ठीक-ठाक हैं.
रवि भैया गांव के पास के शहर में आरटीओ में काम करते हैं … और राजू भैया दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं.
राजू भैया की शादी अनीता भाभी से हुई. उनकी शादी को चार साल हो गए थे पर उनके अभी तक एक भी बच्चा नहीं हुआ था. जिस वजह से भाभी को अपनी सास से ताने सुनने पड़ते थे.
भईया और भाभी अभी दिल्ली में ही रहते हैं.
मेरे दिल्ली जाने में एक महीने का समय था.
मैं फ्री था तो अन्तर्वासना सेक्स कहानी पढ़ने में समय पास करने लगा.
सेक्स कहानियों को पढ़ते पढ़ते कब एक महीना निकल गया, कुछ पता ही नहीं चला.
मैंने दिल्ली जाकर कॉलेज के हॉस्टल में ही रहने का सोचा था.
भैया ने तो बहुत कहा … पर पापा ने कहा कि परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है. आप लोगों फालतू में ही परेशान होना पड़ेगा.
मैं हॉस्टल में रहने लगा.
एक दिन भैया का कॉल आया कि प्रेम टाइम हो तो आज घर पर आ जाओ. तुमसे कुछ बात करनी है.
मैंने जल्दी से गाड़ी उठाई और उनके घर पहुंच गया.
वहां भाभी ने गेट खोला.
मैं अपनी भाभी को पहली बार देख रहा था.
उन्हें देखते ही मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
क्या मस्त लग रही थीं भाभी … ब्लू कलर की साड़ी, ब्लैक ब्लाउज फिगर 34-30-36 का, एकदम कयामत लग रही थीं.
भाभी के चूचे ना ही बड़े … ना ही छोटे.
तभी मेरे कानों में एक मीठी सी आवाज आई- भैया जी, अन्दर तो आइए. क्या यहीं खड़े रहेंगे!
मैं थोड़ा सा हिल गया और अपने आपको संभालते हुए बोला- हंहा हाह … हां भाभी जी.
मैं अन्दर आया तो सामने भैया बैठे थे.
उन्होंने मुझसे बैठने को कहा और मेरे हालचाल पूछने लगे.
फिर इधर उधर की बातें होने लगीं और इसी सबमें दो घंटे बीत गए.
फिर भैया को ध्यान आया कि जिस काम से उन्होंने मुझे बुलाया था वो तो बताना ही भूल गए.
भैया- अरे यार वो ये बताना था कि मेरा प्रमोशन हो गया है.
उनकी बात पूरी होती कि मैंने पहले ही उनको बधाई दे दी.
फिर वो बोले- लेकिन एक समस्या है.
मैंने बोला- वो क्या?
भैया- मुझे एक साल के लिए ट्रेनिंग के लिए यूएस जाना पड़ेगा और तुम्हारी भाभी यहां अकेली रह जाएगी.
मैं- तो क्या हुआ, आप भाभी को गांव भेज दो.
भैया- अरे वो ही तो, तुम्हें पता है कि हमारे कोई बच्चा नहीं है … इस कारण मां का स्वभाव अनीता के खिलाफ ही रहता है. वो हमेशा इसको ताने मारती रहती हैं. फिर अनीता भी जॉब भी छोड़ कर नहीं जाना चाहती.
मैं- तो मैं इसमें क्या कर सकता हूं! मेरे लायक अगर कोई काम हो तो मैं जरूर कर दूंगा.
भैया- अगर तुम्हें ऐतराज ना हो तो तुम यहीं रुक जाओ. सिर्फ एक साल की ही तो बात है.
मेरे मन में तो एकदम उछाल सा आ गया.
पर संभलते हुए मैंने कहा- मैं एक बार पापा से पूछ लेता हूं.
भैया को बस मेरी यही बात पसंद थी कि मैं कोई भी काम बड़ों से पूछ कर ही करता हूं.
तो भैया बोले- वो मैंने पहले ही पूछ लिया, उन्होंने कहा कि मैं शाम को प्रेम को बोल दूंगा. फिर मैंने तुमसे पूछना सही समझा.
ये बात खत्म हुई और मैं कुछ देर बाद भैया के घर से हॉस्टल चला गया.
कुछ देर बाद पापा का फोन आते ही मैंने शाम को हॉस्टल से शिफ्ट कर लिया.
इधर एक कमरे में मैंने अपना सारा सामान सैट कर लिया.
भैया का घर बहुत ही बड़ा था.
मेमसाहब दीदी और सेक्सी कामवाली का अत्यंत भड़काऊ लैसबियन सेक्स!
ये चार कमरों का मकान था. मेरा कमरा ऊपर वाली फ्लोर पर था. वहां सिर्फ एक बेडरूम था.
बहुत ही शानदार घर था.
सामान सैट करते करते रात हो गई.
मैं नीचे खाना खाने आया.
भाभी खाना बना रही थीं और भैया सामान पैक कर रहे थे.
मैं- भैया कब जाना है?
भैया- कल सुबह की फ्लाइट है.
फिर सभी ने खाना खाया और सोने चले गए.
मेरी नींद करीब एक बजे रात को खुली.
मैं पानी पीने नीचे किचन में गया, तो भैया के रूम से लड़ने की आवाज सुनाई दी.
मैंने ध्यान भी दिया … पर किचन से कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.
मैं उनके कमरे के दरवाजे से कान लगा कर सुनने लगा कि क्या चल रहा है.
भाभी- क्या जरूरत ऐसी नौकरी की, वैसे ही तो एक महीने में एक बार कर पाते हैं. ऊपर से अब एक साल. मेरी तो किस्मत ही फूटी है. मुझे पापा की बात मान लेनी चाहिए थी, कम से कम ऐसा मरियल लंड तो नहीं मिलता.
भैया- ज्यादा गर्मी है तेरे अन्दर … तो कोठा खोल ले.
भाभी- तुमसे प्यार करके गलती कर दी.
ये कह कर भाभी रोने लगीं.
भैया उन्हें मनाने लगे.
मैं वापस अपने कमरे में आ गया और भाभी के बारे में सोच सोच कर मुठ मारने लगा.
फिर सो गया.
सुबह जब मेरी नींद खुली, तब सुबह के दस बज चुके थे. आज संडे था इसलिए मुझे कोई चिंता नहीं थी.
फिर याद आया कि आज तो भैया जाने वाले हैं तो मैं भाग कर नीचे आया तो मालूम हुआ कि भैया जा चुके थे.
भाभी- नाश्ता कर लो प्रेम!
जैसे ही मेरी नजर भाभी पर गई, तो मैं फिर से गर्मा गया.
भाभी ने ब्लू जींस और व्हाइट शर्ट पहनी थी. वो एकदम ऐसी हॉट माल लग रही थीं जैसे दिशा पाटनी सामने खड़ी हो.
मैं- हां भाभी, भूख तो बहुत जोर से लगी है.
भाभी ने दो प्लेट में नाश्ता लगाया और हम दोनों नाश्ते के लिए बैठ गए.
अब भाभी बिल्कुल मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठी थी.
मैंने पहली बार इतने करीब से उन्हें देखा था.
मैं तो बस उनके तने हुए चूचे देख रहा था.
भाभी नाश्ता करने में लगी हुई थीं.
जैसे ही उन्होंने मेरी तरफ देखा तो पूछने लगीं- कुछ चाहिए?
मैं- नन ना..ना कुछ नहीं.
मेरी आवाज दब सी गई. वो समझ गईं कि मैं क्या देख रहा हूं, पर उन्होंने कुछ नहीं कहा.
यहां मेरा लंड उफान ले रहा था.
मैंने लंड को हाथों से दबाया, पर वो मेरा लंड था … ऐसे मानने वाला नहीं था.
मैं भाभी से इधर उधर की बातें करने लगा.
मैंने जानबूझ कर कहा- भाभी, भैया का तो प्रमोशन हुआ है, फिर भी आप दोनों लड़ रहे थे!
भाभी- तुम्हें कैसे पता?
मैं- रात में मैं पानी पीने के लिए नीचे आया, तो पता चला कि आप दोनों लड़ रहे थे.
भाभी ने चौंकते हुए कहा- त..त…तो क्या तुमने सारी बातें सुन लीं?
मैंने जानबूझ कर कहा- हां.
भाभी हाथ जोड़कर कहने लगीं कि ये सब किसी को बताना मत प्लीज़ … नहीं तो सब जगह मेरी बेइज्जती हो जाएगी.
मैं- पर ऐसा क्या हुआ जो आपको बच्चा नहीं हुआ?
भाभी को शायद इतनी जल्दी मुझसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी.
वो जवाब देने की जगह रोने लगीं.
मैं उनको चुप कराने के लिए उनके पास आ गया और उन्हें चुप करने लगा.
मैंने पूछा- दिक्कत क्या है भाभी?
भाभी- तुम्हारे भैया का स्पर्म काउंट कम है.
फिर उन्होंने मुझे रिपोर्ट लाकर दिखाई और बोलीं- इसी कारण मैं उनसे लड़ रही थी, पर मैंने तुम्हारे भैया को इसके बारे में अब तक नहीं बताया है.
मुझे मेरा तीर निशाने पर लगता हुआ दिखाई दे रहा था.
मैंने ज्यादा देर ना करते हुए एक और तीर छोड़ा.
मैं- भाभी आप कह रही थीं कि महीने मैं एक दो बार … आप ऐसा ही कुछ बोल रही थीं शायद?
भाभी- तो तुमने वो भी सुन लिया!
मैं- हां, पर मैं किसी को भी नहीं बताऊंगा. आप मुझ पर भरोसा कर सकती हैं. आप मुझे साफ साफ बताएं कि क्या हुआ … शायद मैं आपकी मदद कर पाऊं.
भाभी- व.व.वो … तुम्हारे भैया का छोटा है और पतला है … इस वजह से हमें कोई बच्चा नहीं है. फिर रिपोर्ट तुमने देख ही ली है.
मैं- पर भाभी टेस्ट ट्यूब बेबी भी तो कर सकते हैं न!
भाभी- हां पर स्पर्म डोनेट कौन करेगा. अगर किसी को पता चला, तो तुम्हारे भैया की बदनामी होगी.
अब मैंने डरते हुए कहा- भाभी एक रास्ता है. अगर कोई भरोसे वाला आदमी या आपका दोस्त हो, तो वो ट्राई करके देख सकती हो.
भाभी लगभग चिल्लाती हुई बोलीं- पागल है क्या … तुम मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकते हो!
वे खड़ी हुईं और सीधा कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया.
मैं बहुत डर गया और अपने रूम में जाकर लेट गया. मैं सोचने लगा कि अगर भैया को भाभी ने ये सब बता दिया तो … या मेरी मां को बता दिया तो क्या होगा.
फिर कुछ देर बाद न जाने कैसे मेरा हाथ मेरे लंड पर आ गया और मैं एक बार को सब भूल गया कि भाभी के साथ मेरी क्या गड़बड़ हुई थी.
अगले ही पल मेरा लंड भाभी की उठी हुई चूचियों और भरी हुई गांड याद करके तन्ना गया. हाथ लंड पर चलने लगा और कुछ ही मिनट में लंड ने पानी छोड़ दिया.
वीर्य स्खलन के बाद एकदम से थकान हो गई और मेरी आंखें मुंदती चली गईं.
मुझे गहरी नींद आ गई.
सीधा शाम को मेरी आंख तब खुली जब कोई दरवाजा खटखटा रहा था.
मैंने जैसे ही गेट खोला तो सामने भाभी थीं.
मैं- भाभी सुबह वाली बात के लिए क्षमा कर दो, आगे से नहीं होगा.
भाभी- ऐसी कोई बात नहीं है, माफी तो मुझे मांगनी चाहिए थी. मैं फालतू में ही आप पर गुस्सा हो गई.
मैं चुप रहा.
भाभी- वो सब ठीक है, चलो डिनर कर लो … रात हो गई.
मैंने जैसे ही टाइम देखा तो आठ बज रहे थे.
आठ बजे का समय देखा तो मैं एकदम से चौंक कर बोला- अरे इतना समय हो गया … मुझे होश ही नहीं रहा.
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- ज्यादा थकान से गहरी नींद आ गई होगी.
मैं भाभी की तरफ देखने लगा.
मुझे समझ नहीं आया कि मुझे थकान हो गई थी, ये भाभी को कैसे पता चला.
कहीं भाभी ने मुझे मुठ मारते हुए देख तो नहीं लिया था.
दोस्तो, भाभी के साथ मैं किस तरह से चुदाई का मजा ले सका और उनके बच्चा न हो पाने की समस्या से उन्हें निजात दिला सका.
ये सब मैं आपको देवर भाभी की सेक्सी स्टोरी के अगले भाग में लिखूँगा. आप मेल और कमेंट्स करना न भूलें.
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देवर भाभी की सेक्सी स्टोरी का अगला भाग: हॉट भाभी और देवर की चुदाई