अब तक की मेरी इस सेक्स कहानी के प्रथम भाग
कॉलेज टीचर के साथ फर्स्ट टाइम सेक्स का मजा- 1
में आपने पढ़ा था कि श्रेया मैडम मुझसे चुदने के लिए चुदासी हो चली थीं. हम दोनों झील के किनारे सुनसान सी जगह में आ गए थे.
अब आगे:
वहां बैठ कर हमने बातें शुरू कर दीं. वो मेरे परिवार के बारे, पढ़ाई के बारे में पूछ रही थी.
मैं जबाब दे रहा था. फिर मैंने भी उससे उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा. उसने बताया कि वो एमफिल और एमएड है … तथा दो विषयों में नेट पास है. हम काफी देर तक टहलते रहे, बातें करते रहे. मैं बीच बीच में उसका हाथ पकड़ लेता. वो भी कुछ ना कुछ रेस्पांस देती रही. फिर हम वापस गाड़ी से झील के किनारे किनारे लगभग 1 किलोमीटर दूर आ गए थे. फिर उसने समय देखा 4:15 बज रहे थे.
उसने कहा- चलो वापिस चलते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर हम वापिस आने लगे.
रास्ते में उसने कहा- क्या तुम आज रात मेरे साथ रुक सकते हो?
मैंने कहा- कुछ होगा तो नहीं. आपके पड़ोसी कोई कुछ बोलेगा तो नहीं?
उसने कहा- तुम 8 बजे तक इधर उधर टाइम पास कर लेना … फिर 8 बजे तक सभी लोग अपने घर में चले जाते हैं. मेरा रूम थोड़ा सा अलग है, मुख्य दरवाजे पर किसी की नज़र नहीं पड़ती, तुम आम राहगीरों की तरह आना और चुपचाप मेरे दरवाजे में दाखिल हो जाना. मैं कोशिश करूँगी कि बिटिया को जल्दी सुला दूं.
मैंने कहा- ठीक है.
मैंने घर में फोन कर दिया कि आज मैं घर नहीं आऊंगा. अब मेरा रास्ता साफ था. आज चुत मिलने वाली थी. मेरे अन्दर खुशी और डर के मिश्रित भाव थे.
हम दोनों ने गाड़ी में एक बार 2-3 मिनट तक चुम्बन किया और घर की ओर चल पड़े. कोई 15 मिनट की ड्राइव के बाद हम मेन रोड पर आ गए.
मैंने उससे कहा कि तुम मुझे यहीं उतार दो, मैं तुमको 7 बजे के करीब फोन करूँगा.
मैं वहीं बस स्टॉप पर उतर गया. अभी 5 बज रहे थे. मैंने थोड़ी देर सोचा और एक रेस्टोरेंट में चला गया. वहां कुछ खाने का आर्डर दिया. कुछ मिनट में आर्डर आ गया. मैंने खाया और फिर एक और आर्डर दिया.
दो आर्डर खत्म करते करते मुझे 5:45 हो गए. अभी भी मुझे 2 घंटे कहीं बिताने थे.
मैं बाहर निकला और बस स्टॉप पर खड़ा हो गया. वहां ज्यादा देर खड़ा रहना, मुझे अच्छा नहीं लगा … तो मैंने एक बस ले ली और 15 किलोमीटर दूर एक स्टेशन का टिकट ले लिया. बस वहां 6:30 बजे पहुंची. वहां पहुंच कर मैंने वापिस कॉलेज का टिकट लिया. बस वहां से 7 बजे चली और 7:45 पर मैं वापिस कॉलेज वाले बस स्टॉप पर उतर गया.
मुझे ताज़्ज़ुब हुआ कि दिन में जिस जगह इतनी चहल पहल होती है, वहां इस समय सन्नाटा था. मैं वहीं बस स्टॉप पर बैठ गया और श्रेया को फ़ोन किया.
उसने फ़ोन उठाया और बोली कि 10 मिनट इंतज़ार करो, मैं बिटिया को सुला रही हूं.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं वहीं बैठे बैठे इंतजार करने लगा. कोई 10-15 मिनट बाद उसका कॉल आया और उसने मुझे अपने घर की लोकेशन बताई.
मैं उसके बताए हुए रास्ते पर चल पड़ा. दस मिनट चलने के बाद में एक मैं एक कॉलोनी में पहुँचा. कॉलोनी के बीचों बीच एक पार्किंग स्थल और थोड़ी सी खाली जगह थी. वहीं एक हल्की सी स्ट्रीट लाइट लगी थी. सारी कॉलोनी शांत थी, घरों के भीतर से कुछ कुछ कुकर की सीटी इत्यादि की आवाजों के अलावा कुछ नहीं था.
मैंने फ़ोन किया, तो उसने उठाया और बोला कि पार्किंग से गली की तरफ आओ.
मैं गली की तरफ बढ़ गया. गली में अंधेरा था और एक घर का जाली का दरवाजा खुला था. जैसे ही मैं दरवाजे के सामने पहुंचा, वो सामने आ गयी और मुझे अपने पीछे बुलाया.
मैं दरवाजे में दाखिल हुआ. तो उसने दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया. अन्दर से लकड़ी का दरवाजा बंद करके चिटकनी लगा दी. अब मेरी उसके घर में घुसने की टेंशन खत्म हो गयी. पर अभी असली टेंशन शुरू होने वाली थी. उसके घर में 2 कमरे एक लॉबी, किचन और लॉबी के साथ अटैच्ड बाथरूम टॉयलेट था. उसने मुझे एक कमरे में बिठा दिया.
दो मिनट में वो पानी ले आयी. मैंने पानी पिया और वो वापिस गिलास रखने चली गयी. वो फिर आयी और मेरे पास आ कर बैठ गयी.
उसने पूछा- क्या खाओगे.
मैंने कहा- जो भी बना हो.
फिर वो बोली- मैंने पनीर प्याज़ के परांठे बनाए हैं … खाओगे?
मैंने हां बोला, तो वो दो प्लेटों में 2-2 परांठे और दो गिलास दूध के ले आयी. हमने खाना खाया.
फिर उसने मुझे एक कुर्ता पजामा दे दिया और कहा- इजी हो जाओ.
वो किचन में बर्तन धोने चली गयी. मैंने कपड़े बदले और किचन में जा पहुंचा और उसको पीछे से पकड़ लिया.
वो बोली- यार इतनी भी क्या जल्दी है.
मैंने कहा- जल्दी तो नहीं है पर फिर भी मन मान नहीं रहा है.
उसने कहा- बिटिया बिना दूध पिये ही सो गई है, मैं उसको दूध पिला दूँ अगर उसने पी लिया … तो हम आधी रात तक फ्री हैं.
मैंने कहा- पिला दो.
उसने बोतल में दूध डाला और चली गयी. मैं भी आकर कमरे में बैठ गया और फ़ोन चलाने लगा. फिर 5 मिनट बाद वो आ गयी. मेरे पास बैठ कर बोली- अब एक बार 3 बजे दूध पिलाना है बाकी सारी रात हमारी है.
ये कह कर वो मेरी गोद में आ बैठी और बांहों का घेरा मेरे गले में डाल दिया. उसने टॉप और ढीला सा लोअर पहन रखा था. मैंने एक हाथ अपने गले से निकाला और चूमने लगा. वो भी मूड में ही थी, उसने बहुत ही अच्छे से बारी बारी मेरे दोनों होंठ चूमे.
अब मेरे हाथ उसके टॉप में जा पहुंचे थे और उसके मम्मों को टटोल रहे थे. धीरे धीरे मैंने उसका टॉप उतार दिया, उसने अन्दर आसमानी नीले रंग की ब्रा पहनी थी. उसने भी मेरा कुर्ता उतार दिया था. वो बार बार मेरे लंड को छू रही थी.
फिर मैंने उसका लोअर उतारा और उसने मेरा पजामा. उसने लाल रंग की पेंटी पहनी थी. अब हम दोनों केवल अपने अंडरगारमेंट्स में थे. मैं उसके शरीर को छू रहा था, जहां मौका मिलता … मैं चुम्बन ले लेता. वो भी यही कर रही थी.
अब मैं उसकी ब्रा खोलने को हुआ. तो उसने मुझसे कहा- वी मस्ट टेक आ बाथ बिफोर वी गो अहेड (हमें आगे बढ़ने से पहले नहा लेना चाहिए).
मैंने कहा- जैसी मैडम की मर्जी.
हम दोनों उठे और बाथरूम की तरफ चल पड़े. बाथरूम में जाकर उसने फव्वारा चालू कर दिया और पानी का तापमान सैट किया. अब उस फव्वारे में से मस्त पानी आने लगा. उसने मेरा अंडरवियर बनियान उतार दिए और मैंने उसकी ब्रा पेंटी. अब हम पूरी तरह से नंगे हो चुके थे. उसने बालों को पॉलीथिन कवर लगाया और फिर हम दोनों फव्वारे के नीचे चले गए. सच पूछो तो ये बहुत ही शानदार अनुभव था. मेरा लंड पूरे उफान पर था.
थोड़ी देर की चूमा चाटी के बाद वो घुटनों पर बैठ गयी और मेरे लंड से खेलने लगी.
खेलते खेलते उसने लंड मुँह में डाल लिया. क्या बताऊँ मेरे तो होश फाख्ता हो गए. खुद पर बिल्कुल काबू नहीं रहा. ऐसा लग रहा था कि मानो मैं आकाश में उड़ रहा हूँ. जोश के मारे मैंने उसका सिर पकड़ लिया. वो अपने काम में लगी रही. पानी ऊपर से बहता रहा. बस 2-3 मिनट में ही मेरा निकलने वाला हो गया था.
मैंने उसे बताया, तो उसने कहा- कोई बात नहीं.
मेरा निकल गया. ऐसा लग रहा था कि दुनिया में इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. उसने सारा माल अपने मुँह में ले लिया. जब तक सारा निकल नहीं गया वो लंड के टोपे को चूसती रही. फिर उसने सारा माल थूक दिया और फव्वारे से मुँह में पानी लेकर 2-3 बार कुल्ला किया. फिर खड़े होकर मुझे गले से लगा लिया.
मैंने उससे कहा- इट वाज वन्डरफुल (ये बहुत शानदार था).
वो मुस्कुराई और मेरे होंठों को चूमने लगी. अब मैं थोड़ा सा झुक कर एक हाथ से उसका निप्पल मसलने लगा और एक निप्पल मुँह में डाल लिया. उसके हाव भाव से लग रहा था कि उसे मज़ा आ रहा है. अब मैंने धीरे धीरे अपना हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ा दिया. चूत पर एक भी बाल नहीं था, एकदम चिकनी थी, शायद उसने सुबह ही अपनी झांटें साफ़ की थीं.
मैंने उसे दीवार के साथ खड़ा कर दिया और अपने घुटनों पर बैठ कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया. उसने बाल्टी उलटी कर एक पैर उस पर रख दिया, तो मुझे चाटने के लिए अच्छा स्पेस मिल गया.
अब मैं लगातार उसकी चूत चाट रहा था और वो सिहर कर आह की आवाज कर रही थी. मैं बीच बीच में अपनी उंगली भी चूत में डाल देता … तो वो और भी ज्यादा सिहर जाती. वो बीच बीच में अपने दूधों को मसल रही थी … तथा निरंतर आह की आवाज निकल रही थी.
पांच मिनट ये सब करने के बाद अचानक उसने अपने हाथों से मेरे बालों को पकड़ लिया. उसका शरीर ऐंठने लगा था. वो जोर जोर से करहाने लगी- आंआह … कम ऑन … ऊंह … करते रहो … मैं झड़ रही हूँ.
मैं और जोश में आ गया और जोर से चूत चाटने लगा. अब मैंने चूत में कुछ कुछ अतिरिक्त नमकीन पानी महसूस किया. शायद वो झड़ चुकी थी. उसने मुझे रोका और बांहों में कस कर पकड़ लिया. फिर उसने मुझे थैंक्स बोला.
मैं मुस्कुराया और उसके होंठों को चूम लिया.
अब उसने साबुन लिया और थोड़ा थोड़ा दोनों के शरीरों पर मल दिया. एक दूसरे के शरीर पर हाथ मलते हुए हम दोनों नहाये. फिर उसने एक तौलिये से मेरा और मैंने उसका शरीर पौंछा.
इसके बाद हम दोनों नंगे ही बाहर आ गए. मेरा लंड अभी बैठा हुआ ही था. कमरे में आकर उसने एक गद्दा नीचे डाल दिया और उस पर चादर बिछा दी.
इसके बाद उसने मुझसे कहा- एक मिनट रुको … मैं किचन में जा कर आई.
ये कह कर वो चली गयी. मैंने घड़ी की तरफ नज़र डाली अभी 9:30 बज चुके थे. मैं सारे घटनाक्रम को सोचते हुए जोश में आ रहा था और अपनी किस्मत को सराह रहा था. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोच था कि पहली चूत इस तरह मिलेगी और इतनी स्पेशल होगी. ये सब सपने जैसा लग रहा था.
वो लगभग 10 मिनट में कमरे में दाखिल हुई. उसके हाथ में दूध के दो गिलास थे. उसने एक गिलास मेरी तरफ बढ़ा दिया. मैंने देखा कि वो ब्रा और पेंटी पहन कर आई थी … पर मैं अभी भी नंगा खड़ा था.
हम गद्दे पर बैठे और दूध पिया. दूध में घी और छुआरे पड़े हुए थे.
मैंने उसे गोद में लेते हुए अपनी बांहों में भर लिया और उसने मुझे समेट लिया. फिर हमारी चूमाचाटी का सिलसिला शुरू हो गया. मैंने धीरे से उसकी ब्रा निकाल दी और उसके दूधों को मसलने लगा. हम थोड़े से अलग हुए और उसने मेरा लंड पकड़ लिया. मेरा लंड जाग चुका था, उसके पकड़ने के बाद लंड पूरा सख्त हो गया.
मैं उसकी पैंटी खोलने लगा, तो उसने चूतड़ उठा कर मेरा सहयोग किया. फिर मैंने उसे लेटने को कहा और जैसे ही वो लेटी, मैं अपना सिर उसकी टांगों में ले गया और चूत चाटने लगा, वो चूतड़ उठा कर मेरा साथ देने लगी.
थोड़ी देर में उसने कहा- आई कांट होल्ड इट एनी मोर, कम ऑन इन. (मैं अब ओर नहीं सह सकती, अन्दर डालो).
मैं उठा, तो उसने झट से एक तकिया अपने चूतड़ों के नीचे रख लिया. मैंने अपना लंड पकड़ा और उसकी चूत के साथ सटा कर हल्का सा धकेल दिया, वो दर्द व उत्साह के मिश्रित भावों से सिहर उठी. मैंने भी जोश में आ गया और पूरा लंड अन्दर पेल दिया. उसकी चूत टाइट थी, परन्तु गीली थी, अन्दर डालने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. लंड खाते ही उसने मुझे जोर से पकड़ लिया. हम दोनों को ही आनन्द की ऐसी अनुभूति हो रही थी कि शब्दों में बयान करना मुश्किल है.
मैं धीरे धीरे कमर हिलाने लगा. वो भी मेरा साथ दे रही थी. जैसे जैसे समय बढ़ता गया, धक्कों की स्पीड बढ़ती गयी. तभी अचानक उसका शरीर ऐंठने लगा. उसने टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया तथा अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को दबाने लगी.
वह पूरे जोश से झड़ रही थी और कह रही थी- आह … यू आर टू गुड, फक मी लाइक एनीथिंग (तुम बहुत अच्छे हो, मुझे पूरे जोर से चोदो).
मैं झटके मारता रहा. अब उसकी चूत से फच फच की आवाजें आने लगी थीं. लगभग एक मिनट बाद वो शांत हो गयी.
फिर उसने कहा- लेट अस चेंज द पोजीशन. (आओ पोजीशन बदल लेते हैं).
मैं उससे अलग हुआ. उसने एक कपड़े से चूत को साफ किया, मेरे लंड को भी पौंछा और वो घोड़ी बन कर मेरे सामने आ गयी.
मैंने लंड उसकी चूत पर सटाया और पेला परन्तु वो फिसल गया. मैंने 3 बार कोशिश की, पर मैं असफल रहा.
वो हंस पड़ी और कहने लगी- अनाड़ी हो.
मैंने कहा- हां जी.
फिर वो बोली- कोई नहीं … मैं सब सिखा दूँगी.
अब उसने मेरा लंड पकड़ा और उसे चूत पर सटाया और झटका मारने को कहा. मैंने धक्का लगाया, तो लंड सीधा चूत में घुस गया. मैंने कुछ झटके मारे, पर कुछ खास मजा नहीं आ रहा था. इस बात को वो भी भांप गयी और उसने मुझे नीचे लेटने को कहा.
अब मैं नीचे लेट गया और वो आकर मेरे लंड पर बैठ गयी. ये अनुभव भी शानदार था. अब वो ऊपर नीचे होने लगी. मुझे बहुत मजा आ रहा था. उसके चेहरे के हाव भाव से लग रहा था कि उसे भी मज़ा आ रहा था.
दो मिनट में ही मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूं. मैंने उसे बता दिया. उसने बोला- कोई बात नहीं, अन्दर ही झड़ना.
मेरे झड़ने की बात सुन कर उसे और भी जोश चढ़ गया. थोड़ी देर में जैसे ही मेरा निकलने को हुआ, तो वो मेरे ऊपर लेट गयी और मेरे होंठों चूसते हुए चूतड़ हिलाने लगी. हम दोनों का साथ में काम तमाम हो रहा था. सच पूछो तो मेरे लिए ये घड़ी अभी तक के बिताये हुए सारे समय में सबसे खूबसूरत थी.
मैंने उसे जोर से हग किया और उसने मुझे. ऐसा लग रहा था, जैसे हम दोनों एक दूसरे में समा गए हों.
काफी देर तक वैसे ही लेटे रहे. कोई 15 मिनट बाद अलग हुए. मेरा लंड अब ढीला पड़ने लगा था. मेरा माल उसकी चूत से निकल कर मेरे टट्टों पर बहने लगा था.
वो मुझसे अलग हुई और उसने एक कपड़े से अपनी चूत व मेरा लंड साफ किया. फिर वो उठ कर वॉशरूम में चली गयी. मुझे भी पेशाब आ रही थी … मैं भी उठ कर वॉशरूम में आ गया. उसने दरवाज़ा बन्द नहीं किया था. मैं दरवाजे पर खड़ा हो गया. उसने पहले मूता, फिर ज़ेटर से अपनी चुत अच्छे से साफ की और आ गयी.
मैं टॉयलेट सीट के पास गया और मूतने लगा. जब मैं मूत कर वापस आने लगा, तो उसने कहा- इसे अच्छी तरह से धो लो.
मैंने वही किया.
अब हम दोनों वापिस आए और नीचे बिछे हुए गद्दे पर चादर डाले एक दूसरे को बांहों में नंगे ही लेट गए.
अब फिर से हमारी बातों का सिलसिला शुरू हुआ.
उसने पूछा- बताओ कैसा रहा पहला सेक्स अनुभव?
मैंने कहा- शानदार. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि पहला अनुभव इतना स्पेशल होगा. तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद. अब तुम बताओ तुम्हें कैसा लगा. तुम्हें मज़ा आया या नहीं.
उसने कहा- सच बताऊं, तो तुम्हारे साथ करने पर बिल्कुल नहीं लगा कि तुम्हारा पहली बार है. तुम बहुत कॉन्फिडेंट लग रहे थे. सेक्स से अधिक, जो रोमांस हुआ … उसमें तो सच में बहुत मज़ा आया. अच्छे सेक्स के साथ साथ तुमने चूत भी बहुत अच्छे से चाटी.
अपनी तारीफ सुन कर मैं खुश हुआ.
फिर मैंने पूछा- पति के साथ तुम्हारे संबंध कैसे हैं?
वो बोली- आज मैंने पूरे 187 दिनों के बाद सेक्स किया.
मैं हैरान हो गया. मैंने पूछा- इतना गैप क्यों?
उसने बताया- मेरे ससुर पिछले 6 महीनों से बीमार चल रहे थे. जो 1 महीना पहले गुजर गए. उनकी बीमारी के समय घर का माहौल बहुत तनाव पूर्ण था. मैंने बीच में कोशिश भी की थी, परंतु सफल नहीं हुई. फिर जब मैंने कर्म कांड के बाद अपनी सेक्स की इच्छा पति को बताई, तो उन्होंने ये कह कर मुझे बुरी तरह दुत्कारा कि मेरा बाप मरा है और तुझे सेक्स सूझ रहा है. बस इसी बात ने मुझे हर्ट कर दिया. इतने दिनों तक सेक्स नहीं कर सकने के तनाव ने मुझे तुम्हारे करीब ला दिया.
मैंने पूछा- मैं ही क्यों?
उसने कहा- जब से तुम्हें देखा था, तुम पर क्रश आ गया था. तुम्हारे हाव भाव और बोलचाल से लगा कि तुम सही आदमी हो. ऐसे संबंधों में मर्द अक्सर संबंध बना भी लेते हैं और औरतों को बदनाम भी कर देते हैं. तुम्हारे साथ इस मामले में मुझे सुरक्षित महसूस हुआ, तो मैंने तुम्हें संपर्क में ले लिया. उम्मीद है तुम मुझे समझोगे.
मैंने कहा- मैं विश्वास दिलाता हूं कि ये बात मैं किसी से नहीं कहूंगा.
उसने मुझे चूम लिया. बातें करते करते कब हम दोनों को नींद आ गयी, पता ही नहीं चला. रात को नींद खुली, तो मैंने पाया कि श्रेया मेरे साथ नहीं है.
मैंने उठ कर समय देखा … तो 3 बज रहे थे. मैं उठा और कच्छा बनियान पहन कर वॉशरूम में गया और मूत कर वापिस आ गया. मुझे लगा कि शायद वो बच्ची के पास सो गई होगी.
मैं आकर लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा. अभी कोई 10 मिनट ही हुए होंगे कि श्रेया आ गयी और मेरे साथ चादर में घुस गई.
मैंने पूछा कि उठ कर कब चली गयी थीं, पता ही नहीं चला.
उसने कहा कि बिटिया को नींद में ही दूध पिला दिया. अब वो सुबह 7-8 बजे ही उठेगी. वो अभी भी नंगी ही थी. मेरे अंडरगारमेंट्स पहने देख कर बोली- बहुत जल्दी लगी है क्या कपड़े पहनने की?
मैं हंस पड़ा. वो मुझे चूमने लगी और हम उठ कर बैठ गए. उसने मेरे कपड़े निकाले तथा मेरा लंड चूसने लगी. फिर हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए.
थोड़े देर के बाद उसने कहा- डाल दो … अब नहीं रहा जा रहा.
मैं सीधा हुआ और जल्दी से लंड चूत में पेल दिया. वो सीत्कार भरने लगी और 1 मिनट में ही झड़ गयी. उसका शरीर ऐंठ गया और उसने मेरे कंधे पर दांत गड़ा दिए. मैं रुक गया.
उसने मुझे लेटने को कहा. अपनी चूत साफ की और फिर मेरी छाती, पेट, गर्दन आदि को बारी बारी से चूमने लगी. फिर वो अपनी चुत मेरे मुँह पर ले आयी और चूत चाटने का कहा.
मैंने चूत चाटना शुरू किया और वो मजे लेने लगी. उसकी मादक आवाजें मेरे अन्दर जोश भर दे रही थीं. थोड़ी देर चूत चटवाने के बाद वो मेरे लंड पर बैठ गयी. वो पूरी मुझ पर लेटी हुई थी और मैं नीचे से झटके मारने लगा. अब कभी वो ऊपर से करती, कभी मैं नीचे से धक्का देता.
हम दोनों को ही स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति हो रही थी. मैं झड़ने वाला था, जैसे ही मेरी पहली पिचकारी छूटी, वो भी झड़ने लगी. हम दोनों फिर साथ में झड़े. थोड़ी देर उसी पोजीशन में लेटे रहने के बाद हम अलग हुए और उसने कपड़े से हम दोनों को साफ किया. फिर हम सो गए.
सुबह उसने मुझे उठाया, तो 6 बज चुके थे. उसने मुझसे कहा- जल्दी से फ्रेश हो जाओ.
मैं उठा और जल्दी से बाथरूम में घुस गया. शौच आदि से निवृत्त होकर नहा कर वापिस आया.
उसने चाय और बटर टोस्ट तैयार रखा था. मैंने खाया पिया. घड़ी में समय 6:30 हो गए थे. मैं जाने के लिए तैयार था.
वो बाहर गयी और अन्दर आकर बोली- सब क्लियर है … तुम जा सकते हो.
मैं उसके घर से निकला और बस स्टॉप से बस ली. मैंने 15 किलोमीटर की टिकट ले कर जाना आना किया. तब तक 8:30 बज चुके थे. इसके बाद मैंने एक ढाबे पर जा कर थोड़ा सा ब्रेकफास्ट किया. भूख तो नहीं थी, बस टाइम पास करना था. ठीक 9:15 पर मैं कॉलेज पहुंच गया.
ये थी मेरी फर्स्ट टाइम सेक्स की कहानी … मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको पसंद आई होगी.
आपके कमेंट की प्रतीक्षा रहेगी.