चाचू ने चोदकर मेरी चुत फैला दी

मैं सानिया दिल्ली से हूँ। मेरी फ़ैमिली बड़ी है और हम सब एक साथ ही रहते है। मैं अभी कॉलेज में पढ़ाई करती हूँ। मेरी उम्र 18 साल हो चुकी है। कुछ ही दिनों पहले की बात है। एक रात चाचू ने मेरी कुँवारी तो नही कहूंगी क्योंकि मैंने अपनी चुत में खूब उँगली और सब्जियाँ घुसाई थी पर मेरी चुत में पहला लंड मेरे चाचू का ही घुसा था।

मैं अब सीधा आप सभी को कहानी पर ले आती हूँ। बात कुछ दिनों पहले की है। गर्मियों के दिन चल रहे थे। रोज की तरह ही उस रोज का दिन भी गुजरा पर गर्मी इतनी थी कि बदन पर कपड़े भी बर्दाश्त नही हो रहे थे। उस दिन मैंने गर्मी से तंग आकर मैंने बिना चड्डी और ब्रा के ही सूट सलवार पहन रखा था।

रात का खाना खाने के बाद सब सोने चले गए मैं भी रोज की तरह अपने भाई बहनों के साथ सोने कमरे में चली गयी। हम भाई बहनों का कमरा बड़ो के कमरों से अलग था। मतलब हम अपने माँ बाप से अलग सोते थे।

हम सब सो चुके थे। अचानक रात में मुझे गर्मी लगने लगी तो मेरी नींद खुल गयी। लाइट चली गयी थी मेरा पूरा बदन पसीने से भीग गया था। मैं गर्मी से चिढ़ते हुए कमरे से बाहर निकल आयी और बरामदे में आकर खड़ी हो गयी।

खड़े-खड़े मुझे नींद आ रही थी। और गर्मी के चलते कमरे में जाने का मन भी नही कर रहा था। वही कुछ दूरी पर मेरे चाचू खटिये पर सोये हुए थे। बाहर ठंढी हवा चल रही थी। तो मैं चाचू के तरफ बढ़ी और चारपाई पर ठंढी हवा में बैठ गयी।

आधी रात हो चुकी थी तो मुझे नींद बहुत ज़ोरो की आ रही थी। बार-बार मैं चारपाई पर बैठी उबासियाँ ले रही थी। पता नही कब मैं चारपाई पर लेट गयी और मुझे नींद आ गयी। मैं और चाचू एक ही चारपाई पर लेटे हुए थे। मैं अपने चाचू जिनकी उम्र 40 के ऊपर ही होगी उनके साथ लेट गयी थी।

नींद में ही मुझे अपनी गांड पर गुदगुदी महसूस हुई मैं समझ चुकी थी कि वो क्या चीज है। मैंने जब हल्का सा अपने सर उठाकर अपनी कमर के तरफ देखा तो मैं सन्न रह गयी मेरी सलवार की डोरी खुली हुई थी और मेरी गोरी गांड पीछे से बिल्कुल नंगी थी।

पर मैं चुप रह गयी थोड़ी देर बाद मेरे चाचू ने अपना लंड मेरी गांड पर दबाना शुरू किया मुझे गुस्सा तो आ रहा था। पर मन में चाहत हो रही थी कि देखु आगे क्या होता है। तो मैं नींद में होने का नाटक करने लगी। चाचू बीच बीच मे थोड़ा विराम ले-लेकर मेरी गांड से खेल रहे थे।

फिर चाचू ने मेरी गांड पर अपना हाथ रखा और अपनी बीच वाली उँगली को मेरी गांड की दरार में डाल दिया और मेरी गांड की छेद को टटोलने लगे। मेरी तो डर से सांसे फूलने लगी कि कही ये मेरी गांड न मारे क्योंकि मैंने अपनी सहेलियों से सुना था। कि गांड चुदने से बहुत दर्द होता है।

फिर चारपाई ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी मैं समझ नही पा रही थी कि क्यों एक हाथ से मेरे चाचू मेरी गांड की दरार में उँगली कर रहे थे एक हाथ से वो शायद अपना लंड हिला रहे थे। 10 मिनट ऐसे ही चारपाई हिली फिर मेरे चाचू ने अपना लंड मेरी गांड की दरार में डाला और मेरी गांड की छेद पर अपना माल गिराने लगे।

मैं ये सब देख तो नही पा रही थी पर महसूस सब हो रहा था। कुछ ही देर में मेरी गांड की दरार में उनके लंड का पानी भर गया और उनका वीर्य मेरी गांड पर बहने लगा। मैं डर चुकी थी पर मन में ये लालसा भी हो रही थी कि देखु आगे क्या होता है।

मैं सोच रही थी कि अब चाचू का पानी निकल गया है तो वो मुझे छोड़ देंगे पर मैं गलत थी। वो अपना लंड मेरी गांड की दरार में फसाये हुए अपनी कमर लहराने लगे। जिससे उनका लंड मेरी गांड की दरार में ऊपर नीचे हो रहा था।

फिर उन्होंने अपनी कमर और भी मेरी गांड के नजदीक सटा ली और पीछे से मुझे अपनी बाँहों में पकड़ लिया। मैं डरी और चुपचाप अपने सोने का नाटक जारी रखा। वो ऐसे ही मेरी गांड को स्पंज की तरह अपने लंड से दबाते रहे।

कुछ ही देर में मुझे थोड़ा अजीब सा लगने लगा मुझे गुदगुदी होने लगी उनका लंड सख्त और मोटा होने लगा था। मेरी गांड तो उन्होंने चट-चट कर ही दी थी। फिर उन्होंने अपना लंड मेरी गांड की दरार से हटाया और एक दो बार अपने हाथों से ही अपना लंड मुठिया लिया।

फिर मेरी सलवार को सरकाते हुए उन्होंने मेरी सलवार को मेरी जाँघों के नीचे कर दिया और मेरी दोनों जांघो के बीच झाँकने लगे वो मेरी चुत को देख रहे थे। मैं अपनी हड़बड़ाहट को दबाने की कोशिश कर रही थी। फिर चाचू ने मेरी दोनों जाँघों के बीच अपना हाथ डालकर फिर मेरे पीछे लेट गए।

और मेरी एक जांघ को आगे करके उन्होंने जांघो के बीच से ही अपना हाथ मेरी चुत के ऊपरी पेट के हिस्से पर रखा और मेरी कमर को पीछे खींच लिया। जिससे उनका तना हुआ लंबा लंड मेरी दोनों जांघो के बीच से होता हुआ मेरी चुत पर रागड़ाते हुए मेरी नाभि तक पहुँच गया।

जब उनका गर्म लोहे जैसा लंबा लंड मैंने देखा तो मैं घबरा गई सच कहूँ तो मेरी गांड फटने लगी थी। मेरी रोने जैसी शक़्ल हो रही थी। पर सच कहूँ तो मेरा चुदने का मन भी कर रहा था। मेरी भी चुत में पानी आ चुका था।

चाचू ने मेरी चुत के दोनों चिपके हुए पट्टों को अपनी उँगलियाँ से फैलाया और थोड़ा विराम लेने के बाद उन्होंने मेरी चुत पे अपना लंड रगड़ा जिससे मेरी चुत के पट्टे अलग हो गए और चुत की छेद खुल गयी। फिर चाचू ने मेरी चुत की छेद में लंड लगाया और धीरे से धक्का मारा जिससे लंड का अगला गोला मेरी चुत में घुस गया।

मेरी तो मानो उस हिस्से से ही जान निकल गयी मैं चींखना चाहती थी पर मैंने अपने मुँह को दबा लिया और इंतज़ार करने लगी फिर थोड़ी देर में जब चाचू को लगा कि सब ठीक है। तो उन्होंने फिर एक धक्का दिया चुत में आये पानी से उनका लंड आसानी से घुस गया।

मुझे मेरी चुत में तेज दर्द हुआ फिर वो धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करने लगे और मेरी चुत में उनका लंड अंदर बाहर होने लगा। कुछ ही देर में मेरी चुत का दर्द दूर हो गया और मुझे मज़ा आने लगा। फिर चाचू ने अपनी कमर मेरी गांड से सटा दी।

और आगे से मेरी पेट को पकड़ के मेरी चुत के अंदर अपना लंड रगड़ने लगे उनकी कमर मेरी गांड पर इतनी दबी हुई थी कि उनकी झाँटे मेरी चूतड़ों पर गड रहे थे। जिससे मुझे और मज़ा चढ़ रहा था।

फिर वो मेरी कमर को पकड़ के धीरे – धीरे अपने कमर को आगे पीछे लेने लगे जिससे मेरी चुत में उनका लंड अपनी जगह बनाते हुए मेरी चुत को चोदने लगा।

चाचू ने मेरी गांड को अपनी कमर से ऐसे चिपका लिया था कि उनके लंड के आड़ूओ तक का हिस्सा मेरी चुत में धसा हुआ था। पहली बार मुझे असली लंड से चुदाई मिल रही थी। मैं अपनी चींखें दबा सकती थी पर अपनी चुत पर काबू नही कर पाई

10 मिनट की चुदाई के बाद ही मेरी चुत ने पानी झाड़ दिया और चाचू को पता चल गया कि मैं झड़ चुकी हूँ। पर मैं अभी सोने का नाटक ही कर रहीं थी। मेरी चुत अब कुँवारी नही रही थी पहली बार इसमें कोई लंड गया था। तो पानी का झड़ना तो नार्मल बात है। पर चाचू ने शायद ये बात नोटिस कर ली थी।

तो चाचू ने अपना लंड मेरी चुत से निकाल लिया और मेरी चुत का पानी बहने दिया फिर उन्होंने बड़े सहज के साथ मुझे सीधा लिटाया और थोड़ी देर इंतेज़ार करने के बाद जब मैंने कोई हरकत नही की टैब उन्होंने मेरी टैंगो में से सलवार निकाल दी और मुझे नीचे से पूरा नंगा कर दिया।

और फिर उन्होंने मेरी दोनों टाँगों को मोड़कर फैला दिया और खुद मेरी दोनों टाँगों के बीच घुटनों के बल बैठ गए। और अपना लंड मेरी चुत में घुसा दिया और बड़े आराम से मेरे कंधो के दोनों तरफ अपने हाथ रख दिया और मुझे बिना छुए हवा में अपनी कमर लहराकर मेरी चुत मारने लगे।

मैं अपनी आंखें बंद किये चुदाई के मौज़ ले रही थी। करीब 5 मिनट बाद चाचू मेरी चुत पेलते हुए ही मेरी चुत में झड़ गए मैं मन ही मन दुआ कर रही थी। कि प्लीज चाचू अपना लंड निकलना मत और चोदो मुझे और चोदो ऐसा ही हुआ चाचू का लंड मेरी चुत में झड़ता रहा चाचू मेरी चुत मारते रहे।

मेरी चुत की गर्मी से दुबारा उनका लंड सख्त हो गया और वो लगातार मेरी चुत मारते रहे ऐसी रात मेरी जिंदगी की यादगार रात थी। बिना मुहरत मेरी सुहागरात हो रही थी। अब चाचू का लंड मेरी चुत को अपने मोटाई का कर चुका था। मुझे अब बस मज़ा आ रहा था। चाचू ज्यादा जोर से चोद भी नही सकते थे जिससे मुझे तकलीफ हो

वो भी शायद नही चाहते थे की मैं जाग जाऊ इसलिए वो आराम आराम से ही मुझे चोद रहे थे। जिससे मुझे बस मज़ा आ रहा था। इतने में ही मैं फिर से झड़ गयी उसके बाद चाचू भी झड़ गए उन्होंने अपना लंड मेरी चुत से निकाल लिया लेकिन उनके लंड का पानी मेरी चुत में ही छूट गया था।

उन्हीने अपना लंड मेरी चुत से निकाला जिससे अभी भी वीर्य निकल रहा था। फिर उन्होंने मेरी सलवार से अपना लंड पोंछा मैं वैसे ही लेटी हुई दबी आंखों से सब देख रही थी। भोर हो चुकी थी चुदाई के बाद मेरी आँख लग गयी सुबह जब मेरी नींद खुली तो मेरी सलवार मेरी कमर पर बंधी हुई थी। शायद चाचू ने मुझे सलवार पहना दिया था।

नींद खुलते ही मेरे चेहरे पर एक अलग सी मुस्कुराहट थी। ऐसा लग रहा था। मानो सालों की टेंशन दूर हो चुकी थी। मन एकदम हल्का लग रहा था। मुझे बहुत ज़ोर की पिसाब लगी थी। तो मैं झट से उठकर बॉथरूम में अपनी सलवार खोलकर बैठ गयी।

तो मेरी चुत से पेसाब की धार की गिरने लगी और साथ ही मेरी चुत से सफ़ेद गाढ़ा वीर्य गिरने लगा जो मेरी चुत की छेद से पेसाब के साथ मिलते हुए बॉथरूम में फैल गया। मुझे वीर्य देखकर रात का सारा सीन याद आने लगा। मैं उन सपनों में खो गयी और अपनी चुत में उँगली करने लगी।

मेरे मन में फिर से चाचू के लंड से चुदाई करवाने के ख्याल आने लगे पर इस बार सब खुल के करना चाहती थी। मैं अभी भी बस इसी खयाल में हूँ। कि कौन सी तरकीब लगाऊँ की फिर से चाचू मेरी चुत को अपने लंड से चोदे।

अगर फिर से मैं अपने चाचू से चुदने में कामयाब हुई तो मैं आप सभी को अगली कहानी में बताऊंगी। अगर आप लोगों को मेरी ये कहानी पसंद आई हो तो कमेंट करें। ताकि मैं अपनी अगली कहानी यहाँ लिखूं। उम्मीद करती हूँ। कि आप लोग कॉमेंट करोगें।