मेरी उम्र 40 साल है और मैं अपने भाई-भाभी के साथ रहता हूँ। मैं पुष्ट और गठीले शरीर का स्वामी हूँ। कसरत आदि करते रहने से फिट रहता हूँ।
कुछ दिनों से मेरी जवान भतीजी ने मेरे तनबदन में हलचल मचा रखी थी। वह 22 साल की पूर्ण यौवना.. गोरी-चिट्टी व भरे हुए मांसल जिस्म की स्वामिनी है। वो एक खुले स्वभाव की लड़की है, उसे देख कर मेरा मन उसे पाने के लिए बहकने लगता था।
उस दिन उसका कालेज का रिजल्ट आया, वह चहकते हुए आई व ‘मैं पास हो गई.. मैं पास हो गई..’ कहते हुए मुझसे लिपट सी गई।
तब भाभी कहीं पड़ोसन से मिलने गई थी व भैया ऑफिस में थे।
मैंने भी मौका गंवाना उचित न समझा और उसे बधाई देते हुए उसे कसके बांहों में भर लिया। उसके स्पर्श मात्र से मेरे लंड में खलबली मच गई थी।
उसने सलवार सूट पहना था, मेरे हाथ उसकी पीठ पर से होते हुए उसके कूल्हों तक के शरीर का जायजा लेने लगे थे। उसके नर्म मुलायम कसे हुए उरोज मेरे सीने में धंसे जा रहे थे।
मैंने उसे बांहों में भर के गोल चारों तरफ घुमा दिया व कहा- वाह.. फिर तो मेरी तरफ से पार्टी.. चलो आज तुम्हें घुमा कर लाता हूँ, जल्दी से तैयार हो जाओ।
भैया भाभी यूँ उसे ज्यादा बाहर घूमने नहीं देते थे.. इसलिए वह तुरंत ख़ुशी से बोली- ओ थैंक्यू चाचू.. मैं अभी तैयार हो कर आती हूँ।
वह तैयार होकर आई.. तो मैं उसे देखता ही रह गया, सफ़ेद रंग की सामने बटन वाली शर्ट व ब्लू घुटनों तक की स्कर्ट में वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
मेरा लंड फिर से सर उठाने लगा था।
भाभी को शाम देर तक आने का बोल हम बाइक पर निकल पड़े। बाइक पर उसके मांसल जिस्म का स्पर्श मुझे तरंगित करे जा रहा था। वह भी बेझिझक मुझसे सटे जा रही थी।
मैंने उसे शानदार रेस्टारेंट में ट्रीट दी.. जिससे वह और खुश हो गई।
उस दिन मौसम भी बड़ा सुहाना हो रहा था, मैंने कहा- यार शिल्पा.. कहीं पार्क में चलें घूमने?
उसने कहा- हाँ चलिए न.. मुझे भी घूमने का मन हो रहा है।
मैंने तुरंत गाड़ी एकांत में बसे ‘लवर्स पार्क’ की तरफ मोड़ दी.. वहाँ तो नजारा मेरी उम्मीद से भी ज्यादा अच्छा था। मैंने पार्क में घुसते ही भतीजी का हाथ अपने हाथ में थाम लिया था।
एक तरफ घास में पेड़ से सट कर बैठा एक जोड़ा होंठों में होंठ मिलाए चूसने में व्यस्त था। दूसरी तरफ एक अधेड़ आंटी जवान लड़के से उरोज मसलवा कर मस्त हो रही थीं। यह सब देख शिल्पा के जवान तन-मन में भी हलचल होने लगी थी।
हर तरफ जोड़े प्रेम-लीला में मस्त थे।
हम दोनों और आगे गए.. तो वहाँ एकांत में झाड़ियों में तो एक जोड़ा पूर्णतया सम्भोग रत था।
शिल्पा की उम्र की लड़की अपने साथी से बोबे मसलवाते हुए योनि में लंड अन्दर-बाहर करवाने में व्यस्त थी।
मेरी भी इच्छा तो हो रही थी कि यहीं भतीजी के यौवन का रसपान कर लूँ, पर मैं जल्दबाजी नहीं करना चाहता था।
बाकी मेरा काम हो गया था, शिल्पा के हावभाव से लग रहा था कि मैंने उसके मन में सेक्स की आग भड़का दी थी।
फिर हम वापस पार्क से घर की तरफ चल दिए।
घर पहुंचते ही मुझे जैसे मुँहमांगी मुराद मिल गई क्योंकि भाभी बोलीं- मैं अपनी सहेली के यहाँ जा रही हूँ व रात को देर से आउंगी.. तुम्हारे भैया टूर पे निकल गए है.. वे परसों तक आएंगे।
अब घर में हम दोनों अकेले थे, शिल्पा बोली- चाचा मैं थोड़ा आराम करना चाहती हूँ।
यह कह कर वह अपने कमरे में जाकर लेट गई।
इधर मेरा तनबदन उसके हुस्न की आग में जल कर जल्दी से जल्द उसे पाने के लिए मचल रहा था।
मैं फ्रेश हो कर सिर्फ बरमूडा व बनियान पहने उसके कमरे में धीरे से दाखिल हुआ।
मैंने देखा तो वह पीठ के बल लेटी हुई थी, उसकी स्कर्ट घुटनों से ऊपर खिसकी हुई थी व वह आँखें बंद करे सो रही थी। मैंने जाकर उसकी पिंडलियों को सहलाया, फिर उसकी गुदाज जांघों को सहलाने लगा, उसने कोई हरकत नहीं की।
मुझे नहीं मालूम था कि वो सो रही थी या सोने का नाटक कर रही थी.. पर मैं तो अब पूरे मूड में आ चुका था।
उसकी मोटी जांघों को सहलाते हुए मैंने एक हाथ से उसके शर्ट के सामने के बटन को खोल दिया व उसके चिकने पेट को सहला कर उसके तने हुए उरोजों तक मेरे हाथ पहुँचने लगे।
फिर उसके पैरों से.. पिंडली से जांघों को पेट को चूमते हुए ऊपर आया तो ब्रा पर मेरे होंठ रुक गए।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी ब्रा को पास रखी कैंची से काट कर कप अलग कर दिए।
अब उसके गुलाबी भरे-भरे जवान कसे हुए उरोज मेरे सामने थे। मैं खुद को रोक नहीं पाया और ये भूल कर कि वो मेरी भतीजी है, उसके उरोजों को चूसने लगा।
एक बोबे को में चूस रहा था.. दूसरे को हाथ से मसल रहा था।
मेरी एक जांघ उसकी जांघ पर आ गई थी।
अब शिल्पा के लिए भी कंट्रोल करना संभव नहीं हो रहा था, वो कराह उठी- ओह अंकल ये क्या कर रहे हैं आप? क्यों मेरी जवानी की प्यास को ऐसे भड़का रहे हैं।
मैं उसकी पेंटी में हाथ ले जाकर बोला- ओह शिल्पा.. मैं तो कब से तुम्हारे इस गदराए जवान जिस्म का स्वाद लेना चाहता था। अब मुझे मत रोको।
अब हम दोनों खुल कर सेक्स के मूड में आ गए थे, मैंने उसके होंठों पर होंठ रखकर एक हाथ से उसके उरोज और दूसरे हाथ से उसकी बुर को सहलाने लगा, वो मस्त हो कर ‘आहें..’ भरने लगी।
फिर उसने मेरे लंड को हाथ में ले लिया, मेरा लंड फूल के पूरा मोटा हो गया था, मैंने जल्दी से अंडरवियर और बनियान को भी उतार दिया, अब मैं पूरा नग्न था।
मुझे देखकर शिल्पा बोली- वाह चाचू, आपका शरीर तो पूरा ठोस है।
यह कह कर उसने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया।
उसकी इस अदा पे तो मैं मर मिटा।
उसकी लंड चूसने की ललक से मुझे मालूम हो गया कि ये लंड चुसाई के बारे में या तो जानती है या इसने किसी का लंड चूसा है।
वह बड़े प्यार से मेरे मोटे लंड को चूस रही थी और में उसके बोबों को अपने कठोर हाथों से मसलने में लगा था।
फिर मैंने भी उसे पूरी नंगी करके गोद में उठा लिया। शिल्पा ने मेरे गले में बांहें डाल कर मेरे होंठों को चूम लिया और बोली- आई लव यू चाचू.. आप बड़े हैण्डसम और सेक्सी हो!
मैंने शिल्पा को लिटाया और उसकी बुर चाटने लगा, वह मेरे सर में हाथ फिराते हुए कराहने लगी- ओह आअह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… चाचू… क्या कर रहे हो..
मेरी जीभ उसके मोटी गदरायी बुर के भीतर तक जा-जा कर खलबली मचाने लगी थी।
वह अपने शरीर को मरोड़ने लगी।
मुझे बुर के पानी का नमकीन स्वाद और मस्त किए जा रहा था।
फिर शिल्पा तड़फ कर बोली- चाचा अब आ भी जाओ.. मेरी बुर बहुत प्यासी हो गई है। ये आपके कड़क बड़े मोटे लंड के लिए तरस रही है। अब चोद दो मुझे मेरे राजा.. अपनी भतीजी की मस्त बुर को फाड़ डालो आज.. आह.. अब नहीं सहा जाता।
मैंने शिल्पा की दोनों टांगें फैलाईं व उसके उरोजों को मसलते हुए अपने लंड को उसकी चिकनी बुर पर रगड़ने लगा, मेरे लंड में से भी रसीला पानी झलकने लगा था।
फिर उसके होंठों को चूसते हुए हल्का सा धक्का दिया तो लंड आधा शिल्पा की बुर में पहुँच गया, उसने अपनी टांगे और फैला लीं।
मैंने भी आव देखा न ताव.. उसके उरोजों को जोर से मसलते हुए पूरा लंड बुर में घुसा दिया।
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एक पल को शिल्पा अवाक रह गई, उसकी आँखों की पुतलियाँ फ़ैल गईं, एक पल के लिए तो वो मानो पत्थर बन गई। मैं भी लंड को बुर में अड़ाए पड़ा रहा। जब लंड की बुर से सैटिंग हो गई तो उसको कुछ राहत मिली और वो मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैंने चिकनाई से लिपटा लंड थोड़ा सा बाहर निकाल कर फिर जोर से अन्दर पेल दिया, वह कराहते हुए बोल पड़ी- आह चाचू.. तुमने तो मेरी बुर की ऐसी-तैसी कर दी यार.. अओह बड़ा मोटा लिंग है आपका आह..
यह कहते हुए उसने अपनी मोटी जांघें मेरे कूल्हों पर कस दीं, उसके हाथ मेरे पीठ को जकड़े हुए थे।
मुझे अद्भुत अहसास हो रहा था आखिर एक पूरी जवान मांसल बुर मेरे लंड से कुचल रही थी।
फिर उसने अपनी टांगें ढीली करके पूरी फैला लीं। अब मैं पूरे जोर-शोर से अपना मोटा लंड उसकी कसी हुई बुर में अन्दर-बाहर.. अन्दर-बाहर.. करने लगा।
आखिर कमसिन और मदमस्त बुर चोदन का मजा ही ऐसा होता है, पूरा कमरा हमारी आहों और कराहों से भर गया था, हम दोनों एक-दूसरे के नग्न जिस्म से लिपटे हुए भरपूर मजा ले रहे थे।
फिर मेरे लिंग से गरमागरम वीर्य का फव्वारा मेरी भतीजी शिल्पा की योनि में छूट गया, उसकी भी मस्ती चरम पर पहुँच चुकी थी। उसने जांघों से मुझे कस लिया व अपने नाख़ून मेरे पीठ में गड़ा दिए।
हम दोनों चरम सुख प्राप्त कर तृप्त हो गए थे।
शिल्पा मुझे चूमते हुए बोली- वाह अंकल आपने आज मुझे मस्त कर दिया.. अब आप जो चाहोगे मैं वह आपके लिए करूँगी।
उसकी बात सुनकर मेरा मन अब नई योजनाएं बनाने में व्यस्त हो गया.. जिसमें शिल्पा के साथ उसकी तलाकशुदा मौसी भी शामिल थी।
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