बेकाबू जवानी की मजबूरी

दोस्तो, मैं राज एक बार फिर सबका स्वागत करता हूँ. आप सब के कमेंट पढ़कर प्रसन्नता होती है कि आप सब इतना प्यार देते हो. यही प्यार लिखने को मजबूर भी करता है और उम्मीदे भी जगाता है.

आज की ये कहानी थोड़ी अलग है. बताना नहीं चाहता था लेकिन विनीता (बदला हुआ नाम) के कहने पर लिखनी पड़ी क्योंकि वो चाहती थी कि लोग विनीता की कहानी पढ़ कर उसके बारे में बताएं कि उसने सही किया या गलत किया?

कहानी के दो पहलू हैं. एक जिसमें लोगों को विनीता गलत नज़र आयेगी और दूसरे पहलू से देखने पर सही. अब क्या सही है क्या गलत ये सब आप सभी के ऊपर है. तो आईये चलते हैं कहानी की ओर.

मैं रोज की भांति मेल चेक कर रहा था, तभी एक पाठिका का मेल देखा जिसमें लिखा हुआ था- हैलो राज जी, मैं विनीता हूं. प्यार से मुझे विन्नी बुलाते हैं. मैं एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका हूं. मेरी उम्र 32 वर्ष है. मैं काफी समय से अन्तर्वासना की कहानियों को पढ़ती आ रही हूं. आपकी कहानियां मुझे काफी पसंद आती हैं.

विनीता को मैंने भी उसका जवाब धन्यवाद में दिया.

उसके बाद उसने मुझसे मेरे बारे में पूछा. मैंने विन्नी को हेंगआउट्स में आने को कहा क्योंकि वहां बिना नम्बर दिए आसानी से बात हो जाती है.

फिर उसका कोई जवाब न पाकर मैनें भी कोई मेल देना ठीक नहीं समझा.

एक रात में किसी कपल से बात करते वक्त मुझे हेंगआउट्स पर एक मैसेज आया. हैलो में जवाब देने के बाद उसने बताया कि वो विन्नी है.

उसके बाद बातों का सिलसिला चल पड़ा. उसने बताया कि उसके पति सरकारी टीचर थे. अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया. उनका एक बेटा भी है पांच साल का. पति के बाद नौकरी विनीता को मिल गई. बेटा देहरादून में ही दादा दादी के साथ है.

विनीता को पहाड़ में पोस्ट किया गया है. घर चलाने के लिए नौकरी करनी जरूरी थी. इसलिए मन मार कर अपने बेटे को छोड़ यहाँ आ गई. यहाँ कमरा लिया हुआ है स्कूल के पास ही.

विनीता कहने लगी कि दिन स्कूल में कट जाता है और शाम के समय वो कुछ गरीब और पढ़ने में तेज बच्चों को निशुल्क पढ़ाया करती है, ताकि वो सफल हो सकें और इस बहाने उसका भी मन लग जाता है लेकिन फिर तन्हाई में रात काटनी मुश्किल हो जाती है.

शादी के बाद से ही उसके पति नौकरी पर रहे. वो सास ससुर की सेवा में लगी रही और फिर बच्चा हो जाने के बाद तो इन सब बातों के लिए फुरसत ही नहीं मिल पाई.

वो कहने लगी- हम दोनों पति पत्नी जब बात करते थे तो सोचते थे कि जैसे तैसे दिन कट जाएंगे, फिर वो अपना ट्रांसफर देहरादून या पास ही कहीं करा लेंगे लेकिन हमारे अरमानों पर पानी फिर गया. अब अकेलापन खाने को दौड़ता है! आपकी कहानी पढ़-पढ़ कर कई बार खुद को सन्तुष्ट कर चुकी हूं.

विनीता ने कहा- मेरे मन में सेक्स की भूख है. स्कूल के टीचर भी लाइन मारते हैं लेकिन मैं बदनामी से भी डरती हूं. बहुत सोचने के बाद मैंने आपको मैसेज किया है, क्या आप मुझसे दोस्ती करेंगे? आप मेरे लिए और मैं आपके लिए अनजान हैं. स्कूल में भी बदनामी का डर नहीं होगा और मेरा अकेलापन भी दूर होगा.

मैं विन्नी की बातों से प्रभावित हो गया और मैंने भी उसकी मित्रता को स्वीकार कर उसके द्वारा की जा रही गरीब बच्चों की मदद के लिए उसकी सरहना की.

अब विन्नी और मैं काफी बात करने लगे. हेंगआउट्स के साथ साथ नम्बर शेयर कर दिया. अब व्हाट्सएप पर वीडियो काल कर बातें होने लगीं. हम अब सेक्स के बारे में भी बात करने लगे. फोन में सेक्सी बातें करते करते ही विन्नी अपना पानी निकाल ऐसे सो जाती जैसे नींद की गोली खा ली हो.

अब हम खुल कर सेक्स के बारे में बात करने लगे थे. एक रात मैंने विन्नी से कहा- कल मैं श्रीनगर गढ़वाल यूनिवर्सिटी आ रहा हूँ, मुझे कुछ काम है. क्या तुम मिलने आ सकती हो?

विन्नी ने हम्म … हम्म … में जवाब दिया.
उसका जवाब सुनकर मैं समझ गया कि वो मिलने में संकोच कर रही है. मैंने दोबारा पूछना उचित नहीं समझा.

कुछ देर और बातें हुई और हम दोनों एक दूसरे को गुडनाइट कहकर सो गए. सुबह जब नींद खुली तो व्हाट्सअप पर विन्नी का मैसेज पढ़ा जिसमें लिखा था- मैं श्रीनगर के लिए निकल रही हूं. तुम्हारा इंतजार करूंगी.

दोस्तो, अगर आप लोग किसी काम से जा रहे हो और आपको पता लगे कि आपकी कोई मित्र भी आपको मिलने आ रही है तो सफर का मज़ा ही दोगुना हो जाता है और जब सफर पहाड़ों का हो तो क्या कहने!

आज देहरादून से श्रीनगर का सफर ऐसा लग रहा था मानो बहुत दूर हो. जाने की जल्दी ही इतनी थी. श्रीनगर पहुंचने पर मैंने होटल में रूम लिया और फिर मैंने विन्नी को कॉल की. मगर उसका नम्बर नहीं लग रहा था!

मैं जिस काम से आया था, वहाँ जाकर अपना कार्य करने लगा.

तभी विन्नी का मैसेज आया- मैं श्रीनगर में हूँ राज, तुम कहाँ हो?

मैं विन्नी से मिलने की जल्दी में अधूरा काम कर तुरन्त बाहर आ गया. विन्नी से फोन पर उसकी जगह पूछते हुए उसके सामने जा पहुँचा.

मैडम कुर्ती और लैगिंग पहने मेरे सामने खड़ी थी. उसका गोल गोल चेहरा और गोरा रंग, छोटी छोटी पहाड़ियों जैसी आँखें थीं. उसको देख कर दिल से एक गहरी हाय निकली. सोचने लगा, तभी तो बोलते हैं कि खूबसूरती तो हमारे पहाड़ों में ही बसती है.

मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा- हैलो विन्नी जी!
विन्नी- हैलो राज! कैसे हो तुम?
कहते हुए उसने हाथ मिलाया. उसकी मीठी बोली बहुत रोमांचित कर रही थी.

मैंने हाथ को पकड़े रखा और उसकी तरफ देखता रहा.

विन्नी- क्या हुआ? ऐसे क्या देख रहे हो?
मैं- देखने तो दो कुछ देर, बड़ी मुश्किल से दिन में चांद नज़र आता है.
विन्नी मुस्कराते हुए- अच्छा जी!
मैं- ह्म्म … जी।

मैं- तुमने कुछ खाया?
विन्नी- नहीं।
मैं- चलो कुछ खा लेते हैं. मैं उसे अपने होटल के रेस्तरां में ले आया.

वेटर को खाने का ऑर्डर दिया तो वेटर बोला- सर आप रूम में चलिए, खाना वहीं पहुँचा दूंगा मैं.

विन्नी की तरफ देख कर मैंने पूछा- आपको कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना मेरे रूम में खाने में?
उसने ‘न’ में जवाब दिया.

मैं और विन्नी अब रूम में आ गए. मैंने दरवाजा लॉक कर दिया और विन्नी के पास आकर उससे पूछा- आपको डर तो नहीं लग रहा?
विन्नी ने शर्माते हुए सर मेरे सीने में रख दिया. मैंने भी उसको कमर से पकड़ कर अपनी तरफ कस लिया.

विन्नी के मुंह से सिसकारी निकल गयी- स्स्स… अम्म्म। मैं समझ गया कि पराये मर्द की छुअन से विन्नी मचल रही है. मगर मैं जानता था कि ये उसकी सेक्स के लिए बेचैनी है. अंदर से वो मेरे साथ सहज ही थी. लिहाज़ा मैं ज्यादा देर न करते हुए विन्नी को लेकर कुर्सी पर बैठ गया. विन्नी मेरी गोद में थी.

मैं विन्नी के गले पर चूमते हुए उसकी गर्दन को सहला रहा था. विन्नी भी अब मेरे साथ साथ मेरे गले मे दोनों हाथ डाल सर झुकाए मेरी गोद में बैठी थी. अब दोनों एक दूसरे के शरीर को सहला कर एक दूसरे को सेक्स के लिए गर्म कर रहे थे.

तभी डोरबेल बजी और विन्नी एकदम से हड़बड़ाती हुई उठ खड़ी हुई.

उसका डरना भी लाज़मी था. वो पहली बार किसी और मर्द के साथ होटल के कमरे में थी. उसने मेरी तरफ प्रश्नवाचक निगाह से देखा. मानो पूछ रही हो कि कौन आया है?

मैंने उसे इशारों में समझाया- रुको मैं देखता हूँ.
मैंने गेट खोला तो वेटर हाथ में खाने की ट्रे लिये खड़ा था.
मैंने बोला- अंदर रख दो.

वेटर ट्रे रख कर चला गया. मैंने गेट लॉक किया और विन्नी को पीछे से पकड़ कर उसके गालों पर किस करते हुए पूछा- तुम ऐसे क्यों डर गयी? तुम्हें क्या लगा कि मैं किसी और को भी लाया हूँ साथ में?

विन्नी मुस्कुराते हुए बोली- नहीं राज, मुझे तुम पर पूरा यकीन है. तभी तो तुम्हारे साथ पहली बार की मुलाकात में ही रूम में आग गयी लेकिन पुलिस का डर था. डर रही थी कि कहीं बदनामी हो जाये.

मैंने उसको अपनी तरफ घुमाते हुए उसके माथे पर किस किया और कहा- कुछ नहीं होगा.

उसने फिर से अपना सर मेरे सीने में रख दिया. अब मैंने उसे आराम से बिस्तर में लिटा दिया. उसकी धड़कनें तेज हो रही थी. गला सूख रहा था. मैं धीरे धीरे उसके गालों को अपनी उंगलियों से छूने लगा.

कभी उसकी गर्दन, कभी गाल, कभी होंठ छूते हुए उसके होंठों के पास जाकर मैं उसके गालों को चाटने लगा. विन्नी के हाथ मेरी गर्दन पर आ गये. उसने अपनी दोनों टांगें आपस में रगड़ना शुरू कर दी थी.

मैं धीरे से उसके गालों को चाटते हुए उसके होंठों पर भी जीभ से चाटने लगा. ये सब करते हुए मेरी निगाहें विन्नी की नज़रों में टिकी थीं. मैं देखना चाहता था कि विन्नी को मज़ा आ रहा है या नहीं, अगर आ रहा है तो कितना आ रहा है?

देखना चाहता था कि मेरे साथ वो सहज है या नहीं क्योंकि सेक्स में महिला की सहजता का होना आवश्यक है तभी उसे आनन्द आएगा. वो सहज ही नहीं होगी तो न उसे सेक्स में मज़ा आएगा न ही वो खुश रह पायेगी और न ही सामने वाले का साथ दे पायेगी.

मगर विन्नी सहज थी और गर्म होती जा रही थी. विन्नी के होंठ चाटते वक्त विन्नी ने अपनी आँखें बंद कर दीं. उसके दोनों हाथ मेरी गर्दन को जकड़ कर मुझे उसके होंठों की ओर खींचने लगे थे. उसने उठ कर मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसना शुरू कर दिया.

मैंने भी उसके होंठों को चूसना चालू रखा. अब मैंने धीरे धीरे एक हाथ उसके गले से अंदर डाल कर उसके स्तनों को सहलाना चालू कर दिया. विन्नी की आँखें बंद थीं. वो बिस्तर में तड़प रही थी जैसे मानो मछली को जल से बाहर निकाल दिया हो और जब तक पानी में नहीं डालो तब तक वो छटपटाती ही रहेगी.

अब मैंने दूसरा हाथ उसके शर्ट के नीचे से डाल दिया और फिर उसकी ब्रा के उपर से ही उसका जिस्म सहलाने लगा. अब विन्नी कमर उठा उठा कर सहयोग कर रही थी. उसने मेरी टीशर्ट को उतार दिया, मानो मुझे आगे बढ़ने का संकेत मिल चुका था.

फिर मैंने भी उसकी कुर्ती उतार कर फर्श पर फेंक दी. अब विनीता के कामुक स्तन ब्रा से बाहर आने को बेचैन थे. मैंने विनीता के दोनों हाथ ऊपर कर उसकी ब्रा के बाहर से ही उसके स्तनों को चूमना शुरू कर दिया. विनीता अब मचल रही थी और धीरे धीरे खुल रही थी.

मैंने विन्नी की नाभि पर चूमते हुए एक हाथ उसकी लैगी में डाल दिया और उसकी जांघों को सहलाने लगा. आप सोच रहे होंगे कि ब्रा नहीं खोली. हाथ जब पैंटी के अंदर जा सकता था तो वहां नहीं डाला? जब विन्नी चुदने को तैयार है तो पूरी तरह उसको निर्वस्त्र क्यों नहीं किया?

दोस्तो, ऐसा मैंने इसलिए नहीं किया क्योंकि मुझे अकेले को केवल अपनी ही भूख नहीं मिटानी थी. उसकी भूख ऐसे मिटानी थी कि विन्नी को मज़ा भी पूरा आये, भूख भी मिट जाए लेकिन आगे के लिये भी उसकी भूख फिर से बढ़ जाए.

कामुक स्त्री को जितना सेक्स के लिए तड़पाओगे उसे उतना ही ज्यादा सेक्स का मज़ा आता है. यदि उसके गर्म होते ही उसको चोद दोगे तो आंनद तब भी आयेगा किंतु उतना नहीं आएगा. जो चीज़ मुश्किल से मिलती है कद्र भी उसकी ही होती है इसीलिये मैं विन्नी को केवल सुख नहीं बल्कि चरमसुख देना चाहता था.

विन्नी की जांघें सहलाते हुए उसकी नाभि चाटते हुए मैं नीचे गया और उसकी पैंटी चूमते हुए उसकी लैगी के अंदर ही सर डाल दिया और उसकी जांघों को चूमने लगा. विन्नी दोनों टांगें शांत रख मज़ा लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे जो मज़ा आ रहा था वो उसकी टांगों को शांत नहीं रहने दे रहा था.

बेचैन होकर विन्नी अपनी लैग्गिंग उतारने लगी. मैं यही तो चाहता था कि वो इतनी व्याकुल हो जाये कि खुद ब खुद नग्न हो जाए. उसने घुटने तक हाथ से धकेल कर उसके बाद एक एक पैर से खुद ही पजामी उतार दी.

अब मैं भी अपनी जीन्स उतार कर उसकी टांगों की तरफ से जा बैठा और उसके एक पैर को हाथ में लेकर उसके पैर के अंगूठे को चूमते हुए उसकी ऐड़ी और फिर घुटने और उसके बाद उसकी जांघों तक को चाटने लगा.

मेरा हाथ उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को छेड़ रहा था. मैं उसकी जांघों तक चूमता चाटता रहा. मैंने एक उंगली पैंटी के अंदर भी डाल दी लेकिन चूत पर नहीं गया और उसकी पैंटी उठा कर जीभ से उसकी चूत के अगल बगल चाटने लगा.

विन्नी थी तो एक स्त्री ही, कब तक लाज का गहना पहन कर रखती? और वो भी तब जब वो स्वेच्छा से पराये मर्द के नीचे आधी नंगी हो चुकी हो. अब उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत में लगाना चाहा लेकिन मैंने भी पहले से ही इरादा बना रखा था कि मुझे क्या करना है.

कामदेव की कृपा से ऐसे तरसाकर चूत मारने में मज़ा कुछ अलग ही होता है. विनीता के हाथ मेरे सर को उसकी चूत में ले जाने के लिए कोशिश करते रहे लेकिन सफल नहीं हो पाए. अंत मे विनीता ने अपनी पैंटी उतार दी.

अब मैं उसकी नंगी हो चुकी कोमल चूत को देखने लगा. वो बाल साफ करके आई थी. उसकी चूत से निकलता पानी उसके कामुक होने का प्रमाण था. अब विनीता ने आव देखा न ताव और बेधड़क होकर अंडरवियर के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और मसलने लगी.

मैंने विनीता के कंधे पर चूमना चाटना शुरू कर दिया. विन्नी ने मेरा अंडरवियर भी उतार दिया और मेरे लन्ड को सहलाने लगी. अब विन्नी ने अपनी पीठ से ब्रा का हुक खोल कर अपने स्तनों को आजाद कर दिया और मेरी गोद में बैठ कर मेरे मुंह में अपने बूब्स को चुसाने लगी.

जोश में आकर मैं भी उसकी चूचियां जोर जोर से चूसते हुए उस पर थप्पड़ से मार दे रहा था. अब विन्नी ने मेरे लन्ड को अपनी चूत में सेट करते हुए धीरे धीरे उस पर बैठने की कोशिश की. लन्ड का सुपारा उसकी चूत को खोलता हुआ अंदर जा रहा था और उसके साथ ही साथ विनीता का मुंह भी खुलता जा रहा था.

उसे दर्द और मज़ा दोनों एक साथ मिल रहे थे. विनीता ने दोनों हाथों को मेरी गर्दन में रख कर मुझे कस लिया और धीरे धीरे मेरे लन्ड पर बैठ गयी. पूरा लन्ड अंदर जाते ही विनीता कुछ देर रुकी. इस दौरान उसने मेरे होंठ चूसने जारी रखे.

वो कभी मुझे पूरी जान से कस लेती और कभी मेरी गर्दन तो कभी कंधे पर काट लेती. उसके अंदर सेक्स का जो गुबार भरा हुआ था. अब वो धीरे धीरे बाहर आ रहा था.

मैं विनीता को नीचे लेटा कर चोदना चाहता था लेकिन विनीता चाहती थी कि वो मेरे ऊपर ऐसे बैठ कर ही सेक्स करे. मैं उसे निराश नहीं करना चाहता था. लिहाज़ा मैंने उसका सहयोग करना शुरू कर दिया. वो एक बार फिर से उठी. पूरा लन्ड बाहर निकाल कर उसने फिर से चूत में सेट किया और झटके से बैठ गयी.

उसके मुंह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं- स्स्स … आआआह … राज!

मैंने उसकी गर्दन को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसने चूमना शुरू कर दिया. वो मदहोश होकर अपनी यौन सुख की भड़ास मुझसे निकाल रही थी.

विनीता के मुख पर यौन सुख का मज़ा मिलने से जो सुकून दिख रहा था उसे देख कर मुझे खुद पर गर्व सा होने लगा और मैं मन ही मन खुद से कह रहा था ‘राज, आज तू किसी जरूरतमंद के काम आया है.’

विनीता ने अब ऊपर नीचे होने की स्पीड तेज कर दी.

उसके ऊपर नीचे होने से उसके स्तनों को भी उछाल मिलने लगी. विनीता ने मेरा एक हाथ अपने स्तनों पर रख दिया और मेरा दूसरा हाथ अपनी गाँड पर रखने लगी. मैं उसके इशारे समझ चुका था. मैंने उसके स्तनों को मसलते हुए उसकी गांड पर जोर जोर से थप्पड़ से मारना चालू कर दिया.

विनीता ने अब और तेजी से कामुक सिसकारियां लेना शुरू कर दिया. अब उसकी मादक अदाओं से बचना मेरे लिए भी मुश्किल हो रहा था. मेरे कड़क लन्ड पर विनीता की गीली चूत जोर जोर से प्रहार कर रही थी.

मैंने अब विनीता की कमर को कस लिया और विनीता ने भी मुझे अपने सीने से जकड़ लिया. हम दोनों जोर जोर से धक्के लगाने लगे और तभी विनीता ने दोनों टांगों को मेरी कमर पर लपेट कर मुझे अपनी ओर खींचते हुए और ज्यादा कस लिया.

इसके नतीजन उसकी चूत और टाइट हो गयी. मैंने जोश में विनीता को कमर से पकड़ कर जोर जोर से अपने लन्ड पर पटकना शुरू कर दिया और विनीता के नाखून मेरी पीठ पर गड़ते चले गए. उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में बंद कर लिया और अकड़ने लगी. उसकी पकड़ ढीली पड़ते ही मैंने भी तेज तेज झटके मारे और हम दोनों स्खलित हो गए.

विनीता मुझसे लिपट गयी, मानो मैंने उसके जिस्म में एक नई जान डाल दी हो. होता भी क्यों नहीं, मैंने उसे चरमसुख की अनुभूति जो करा दी थी और मुझसे उसे किसी भी प्रकार का डर भी नहीं था. मेरे मन में भी उसको या किसी भी अन्य महिला को किसी भी प्रकार की परेशानी देने का खयाल नहीं आता.

मेरी आप सभी से भी यही प्राथना है कि सेक्स करो, मज़ा करो लेकिन उसके बाद किसी भी कपल या महिला को परेशान न किया जाए. यही एक समझदार पुरुष की पहचान है.

इस प्रकार विनीता और मेरे बीच में प्रथम बार सेक्स हुआ.
उसके बाद ये सिलसिला जारी रहा. वो जब भी देहरादून आती तो हम चुपके से मिलते. कभी मसूरी जाते तो कभी कभी मेरे मकान मालिक के घर पर न होने पर मेरे कमरे में ही हम सेक्स करते. तो दोस्तो, विनीता ने ही ज़िद की ये कहानी लिखने के लिये.

अब मैं सभी पाठक और पाठिकाओं के सामने विनीता का सवाल रख रहा हूं जो वो पूछना चाहती थी. उसको आप सभी बतायें कि उसने ये सब ठीक किया या गलत किया? पाठिकाओं से विशेष अनुरोध है कि वो खुद को विनीता की जगह रख कर एक बार जवाब जरूर दें. धन्यवाद.

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