भाभी Xxx हिंदी कहानी में पढ़ें कि मेरे नये किरायेदार कपल ने मुझे डिनर पर बुलाया. भाभी की सहेली भी आई तो मैंने मौके फायदा उठाकर उनको अपनी मर्दानगी की झलक दिखला दी.
दोस्तो, मैं राजेश्वर अपनी स्टोरी आपको बता रहा था. मेरी भाभी Xxx हिंदी कहानी के पहले भाग
बंगालन भाभी को फ्लैट दिला कर चोदा- 1
में आपने पढ़ा था कि दीपिका और शुभेंदू घोष नाम का कपल उस फ्लैट को किराये के लिए देखने आया जिसके आधे भाग में मैं खुद किराये पर रहता था.
दीपिका मुझे पसंद आ गयी और मैं उसको किसी भी हाल में जाने नहीं देना चाहता था. उनको भी फ्लैट पसंद आ गया और वो दोनों एडवांस देकर चले गये.
उनके जाने के बाद मैं दीपिका के बारे में ही सोचता रहा, उसके सेक्सी गुदाज बदन के हर अंग को मैं कल्पना में छूता रहा. दीपिका के इशारों से भी पता लग रहा था कि वो भी अपने पति से खुश नहीं है और वो भी मुझमें रुचि ले रही है.
अब आगे की भाभी Xxx हिंदी कहानी:
रात भर मैं दीपिका और उसकी गदराई जवानी और लाजवाब हुस्न के बारे में सोचता रहा और उसे हासिल करने का ताना-बाना बुनता रहा. उस रात बहुत ही मुश्किल से नींद आई. अंत में सोचते सोचेत मेरा लौड़ा अकड़ गया और मुझे मुठ मार कर उसको शांत करना पड़ा.
अगले रोज़ सुबह 8.30 बजे मेरे फोन की घंटी बजी.
मैंने हेलो बोला तो उधर से बहुत ही रसीली मधुर आवाज आई- राज जी, नमस्कार, मैं दीपिका बोल रही हूँ.
मैं- नमस्कार भाभी जी, कहिये कैसी हैं आप?
दीपिका- राज जी, आपसे कुछ पूछना था, वो कामवाली बाई मिल जाएगी क्या?
मैंने कहा- जी, जो कामवाली बाई मेरे यहाँ काम करती है उसी को बोल दूंगा.
उसने पूछा- वो कितने पैसे लेगी? यहाँ तो हम 5000 रुपये महीना देते हैं.
मैंने कहा- मैं उससे कम में ही करवा दूँगा.
दीपिका कहने लगी- आप तो सब कुछ बहुत ही सस्ते में करवा रहे हो.
वो फिर बोली- राज जी, कामवाली बाई से बोलकर मकान साफ करवा दें तो अच्छा होगा, क्योंकि मैं चाहती हूँ कल सांय तक शिफ्ट कर लें.
मैंने कहा- दोपहर तक साफ सफाई हो जायेगी, आप आ जाएं.
दीपिका कहने लगी- एक बात और पूछनी थी?
मैं- जी पूछिये.
दीपिका- आप उस दिन इतने नाराज क्यों हुए थे?
मैंने कहा- दीपिका जी, मैं लेडीज की इज्जत करता हूँ और आपके हस्बैंड आपसे बद्तमीज़ी से पेश आ रहे थे जो मैं सहन नहीं कर सका.
दीपिका- राज जी, आप बहुत अच्छे इंसान हैं, सबको अपना बना लेते हो.
मैं- मैंने किसको अपना बनाया है?
दीपिका इस बात पर कुछ देर चुप रही.
मैंने फिर कहा- आपने बताया नहीं दीपिका जी?
दीपिका धीरे से बोली- मुझे नहीं पता, अब फोन पर कैसे बताऊं?
मैं- चलो, आ कर बता देना. वैसे आपके हस्बैंड घोष बाबू कहाँ हैं?
दीपिका- वो तो 8.00 बजे ऑफिस पहुंच जाते हैं. राज जी, आप जल्दी में तो नहीं हो?
मैं- बस ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था.
दीपिका- वापस कब तक आते हैं?
मैं- 6.00 बजे तक.
दीपिका- ठीक है, सांय को मिलते हैं.
मैं- ओके, बॉय.
दीपिका के उसी दिन शिफ्ट करने की बात सुनकर मैं खुशी से झूम उठा और रह रह कर मैं उन बातों को याद करता रहा जो बातें मेरे और दीपिका के बीच हुई थी.
सांय को जब मैं सोसाइटी में पहुंचा तो उनका सामान ट्रक से उतर चुका था.
मैंने कहा- आप रात को सोने का कुछ सामान ठीक से सेट कर लो, बाकी सुबह देख लेंगें.
उसी समय मैंने सोसाइटी के सुपरवाइजर को तीन चार मजदूर टाइप के लड़कों को लेकर बुलाया और उसको कहा कि आज और कल में जितना सामान सेट हो सकता है कर दें और ध्यान रखें कि मैडम को ज्यादा काम न करना पड़े.
उन्होंने दो-तीन घंटे में सारा घर सेट कर दिया. इस बीच मैं भी दीपिका की हेल्प करवाता रहा. हेल्प करते हुए हमारे हाथ और बदन कई बार आपस में टकराते रहे और हम एक दूसरे का साथ पाकर रोमांचित होते रहे.
दीपिका ने एक लूज़ पाजामा तथा टीशर्ट पहन रखी थी जिसमें से उसके थरथराते चूतड़ और हिलती हुई बड़ी चूचियाँ मेरे लण्ड को भड़काने के लिए काफी थीं. खाना हमने उस सांय होटल से मंगवा कर मेरे कमरे में बैठ कर खा लिया.
अगले रोज मुझे सुबह ही दो दिन के टूर पर जाना था. जब मैंने दीपिका को टूर पर जाने की बात बताई तो वह बोली- आपके कारण दो दिन का काम कल दो घंटों में हो गया, अब ये तो ऑफिस जा रहे हैं और आप टूर पर?
मैंने कहा- आपको जो भी दिक्कत हो आप मुझे फोन पर बताती रहना, मैं सब कुछ कर दूंगा.
दीपिका उदास हो गई.
मैंने कहा- क्या बात है दीपिका जी, मुझ पर विश्वास नहीं है क्या?
दीपिका बोली- वो बात नहीं है, चलो आप जाइये. आपका टूर पर जाना भी जरूरी है.
मैं टूर पर चला गया.
दीपिका मुझे हर घंटे दो घंटे बाद अपनी प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन आदि की दिक्कतें बताती रही और मैं उसकी दिक्कतें दूर करता रहा.
दो दिन में सारा घर सेट हो गया.
तीसरे दिन सांय 7 बजे मैं टूर से अपने कमरे पर पहुंच गया और होटल से खाना मंगवा कर और खाकर सो गया.
अगले रोज दोपहर को दीपिका का फोन आया- राज जी, आप आज दफ़्तर से जल्दी आ जाना, सांय को आपको डिनर पर बुलाने घोष बाबू को भेजूंगी, मना मत करना.
मैंने कहा- ठीक है, मैं आ जाऊँगा.
मैं 4 बजे ही आ गया और 4.30 पर घोष बाबू मेरे रूम में आये और बोले- दादा, आज सांय का डिनर हमारे साथ करना है, हमने मेरे कोलकाता के एक फ्रेंड बनर्जी और उसकी वाइफ संजना को भी बुलाया है, आप आएंगे न?
मैंने पूछा- कोई खास बात है क्या?
घोष- नहीं बस मिलकर बैठेंगे, खाना पीना हो जाएगा, आप ड्रिंक्स वैगरह ले लेते हैं या नहीं?
मैंने कहा- दादा, थोड़ी बहुत कभी-कभार ले लेता हूँ, लेकिन आप लोगों के बीच में मैं बैठकर क्या करूँगा, आप एन्जॉय करिये, थैंक्स.
वो बोले- इसका मतलब है कि आप हमें अपना नहीं समझते और अभी तक मुझसे नाराज हैं. ठीक है, कोई बात नहीं, मैं दीपिका को बोल देता हूँ. ये डिनर हमने आपको थैंक्स करने के लिए ही अर्रेन्ज किया था, आप नहीं आएंगे तो मैं बनर्जी और संजना को भी मना कर देता हूँ.
मैंने कहा- ठीक है, बताइये कितने बजे आना है?
घोष- बस आप 6.00 बजे तक आ जाएं, वे लोग तो पहुंचने वाले ही हैं.
मैंने कहा- ठीक है, मैं आ जाऊंगा.
घोष चला गया. मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि चलो आज संजना से भी मुलाकात हो जाएगी. मैंने चाय पी और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया.
नहाने के बाद मैंने बॉडी पर अच्छे से एक खुशबूदार लोशन लगाया, जीन्स और एक बहुत ही सेक्सी, सामने से डीप कट की टीशर्ट पहनी जिसमें मेरे छाती के बाल दिखते थे. मैंने जान बूझकर नीचे अंडरवेयर और बनियान नहीं पहनी.
अंडरवेयर पहनने से मेरा लण्ड मुड़ जाता है और ज्यादा दिखाई नहीं देता लेकिन न पहनने से लण्ड पट की ओर सीधा हो कर अपना साइज ठीक रखता है.
मैंने एक इम्पोर्टेड मस्क डीओ लगाया जिसमें आदमी की बॉडी की स्मेल बहुत सेक्सी हो जाती है.
6.30 पर घोष बाबू फिर आये और बोले- आ जाओ दादा, हम सब आपका इंतजार कर रहे हैं.
मैं घोष बाबू के साथ हो लिया.
जब मैं उनके ड्राइंगरूम में पहुँचा तो सभी ने खड़े हो कर मेरा स्वागत किया. घोष ने उन दोनों से मेरा परिचय करवाते हुए कहा- ये मेरे फ्रेंड बनर्जी और ये इनकी वाइफ संजना.
मैंने संजना को देखा तो मेरी धड़कन तेज हो गई. गजब की सेक्सी लेडी थी. 38-34-36 का साइज, एकदम दूध जैसा गोरा रंग, बहुत ही सुंदर नयन नक्श.
संजना ने बहुत ही छोटा सा स्लीवलेस बिना बाजू का ब्लॉउज पहन रखा था और नीचे उसका आधा सुन्दर, नर्म, गुदाज पेट और सुन्दर गोल अंदर धंसी हुई नाभि दिखाई दे रही थी. संजना ने नीचे बहुत ही सुंदर और बहुत ही टाइट साड़ी पहन रखी थी.
कुछ ही देर में मुझे दीपिका दिखाई दी.
दीपिका ने बहुत सुन्दर स्लीवलेस टॉप पहना था जिसमें से उसकी आधी सुडौल चूचियाँ बाहर निकल रही थीं और चूचियों ने टॉप को छतरी की तरह से उठा रखा था. नीचे उसने बहुत ही टाइट कैपरी पैंट पहनी थी.
अंदर कैपरी में से उसकी सुडौल जांघों के बीच उसकी चूत के दोनों बाहरी मोटे मोटे भगोष्ठ अलग से दिखाई दे रहे थे. पैंट की बीच की सिलाई उसकी चूत की दोनों फांकों के बीच में घुसी हुई थी.
कैपरी के नीचे उसकी नंगी, मोटी, गोरी और सुडौल पिंडलियाँ दिखाई दे रहीं थीं. दीपिका के चूचों, चूत के डिज़ाइन और उसके हुस्न को देखते ही मेरे लौड़े में कसाव आना शुरू हो गया, जिसे दीपिका देखने लगी थी.
हम बैठ गए. बनर्जी से कुछ औपचारिक बातें हुईं. बनर्जी सन्यासी टाइप का आदमी लगा जिसे दीन दुनिया की कोई खास नॉलेज नहीं थी. दीपिका मेरे सामने वाले सोफे पर ही बैठी थी और उसकी नजरें मुझ पर जमीं थीं. उसके और मेरे बीच बस एक सेंटर टेबल थी.
कुछ ही देर बाद बियर के गिलास रखे गए और हम तीनों के गिलासों में बियर डाली गई और दो गिलासों में कोल्डड्रिंक डाली गई. दीपिका उठ कर स्नैक्स ले आई. हम लोग ड्रिंक पीने लगे और हल्की फुल्की बातें करने लगे.
दोनों लेडीज़ ने सॉफ्ट ड्रिंक ले लिए.
दीपिका की नज़र तो मुझ पर से हट ही नहीं रही थी. दरअसल पिछले एक हफ्ते भर से मैंने दीपिका की बहुत मदद की थी. उसको घर दिलवाया, घर सेट करवाया और उसके आराम का भी ख्याल रखा था. इसलिए दीपिका मुझ पर पूरी तरह से आसक्त हो चुकी थी.
दूसरी तरफ़ मैं उसे चोदना तो चाहता था लेकिन जल्दबाजी करके हल्का पड़ना नहीं चाहता था. मेरी नजरें उसकी पैंट में से दिखती चूत पर थीं जो उसकी मोटी सुडौल जांघों के बीच से पकौड़ा सी बनी दिखाई दे रही थी. उससे मेरे लण्ड में तनाव बढ़ता जा रहा था.
मैंने अपने आपको थोड़ा हिलाते हुए अपने लण्ड को नीचे से निकाल कर अपने पट के साथ लगा लिया जिससे लण्ड अपने पूरे आकार में मेरे घुटने की तरफ उभर कर आ गया. दीपिका कभी मेरी ओर देखती तो कभी मेरे उभरे लण्ड की ओर देखती.
दीपिका ने अचानक से अपने एक पांव को दूसरे पर रखा और अपनी जांघों को भींच लिया. मैंने और संजना ने उसका जांघों को भींचना साफ नोटिस कर लिया था. उसकी साँसें उखड़ने लगी थीं. दरअसल, जांघों को भींच कर वह अपनी चूत को भींच रही थी.
मैंने मेरे लण्ड के ऊपर अपना हैंकी डाल लिया जिसे दीपिका और संजना ने देख लिया.
दीपिका की हालत देख संजना बोली- अरे राज जी, कुछ लो न, आप तो कुछ खा ही नहीं रहे हो?
फिर वो दीपिका की ओर देखकर बोली- दीपिका, सर्व करो न!
दीपिका उठी और टेबल के ऊपर से मेरी ओर झुककर मुझे खाने को देने लगी तो ऐसा लगा जैसे उसके मम्मे मेरे ऊपर ही गिर जाएंगे. मैंने उसकी आंखों में आंखें डालकर स्नैक्स उठा लिया.
स्नैक्स लेते समय मैंने धीरे से उसकी उंगली को टच कर दिया और उसकी चूत को देखने लगा. मेरा ध्यान उसकी चूत के नीचे वाली जगह गया तो देखा कि वहाँ एक गीला निशान बन गया था.
उस निशान को संजना ने भी देख लिया था.
संजना बोली- अच्छा, दीपिका तुम बैठो, मैं ही देती हूँ.
संजना ने दीपिका को वापस से बैठा दिया.
तभी घोष बाबू कहने लगे- राज जी, बनर्जी और संजना हमारे खास दोस्त हैं. आप इन्हें भी इसी सोसाइटी में फ्लैट दिलवा दो, क्या आप ये सामने वाला ट्राई नहीं कर सकते?
मैंने कहा- इसका मालिक तो विदेश में रहता है.
तभी संजना बोली- राज जी, यदि आप चाहो तो सब कुछ हो सकता है. अब हमें पक्का विश्वास हो गया है कि आप सब कुछ कर सकते हैं. प्लीज, कुछ करो, मैं और दीपिका बहुत अच्छी सहेलियाँ हैं.
उनको भरोसा दिलाते हुए मैंने कहा- ठीक है, मैं कुछ करता हूँ.
दीपिका बड़ी सेक्सी अदा से बोली- कुछ नहीं, सब कुछ करना है राज जी.
मैंने कहा- ठीक है, हो जाएगा.
बनर्जी और घोष एकदम बोले- इसी बात पर एक एक जाम हो जाये?
हमने ड्रिंक शुरू की और कुछ देर बाद खाना खा लिया. इस बीच दीपिका का बुरा हाल हो चुका था. वह सभी के बीच में बैठी बैठी अपनी जांघों को भींचती रही और उसकी चूत पानी छोड़ती रही.
उसे देख देखकर मेरा भी बुरा हाल हो चुका था. संजना बहुत कुछ देख समझ चुकी थी. दरअसल पैंट और टॉप में दीपिका का रूप अलग ही लग रहा था. दीपिका गजब की हॉट लग रही थी और बिल्कुल चुदासी हो चुकी थी.
खाना खा कर बनर्जी और संजना चले गए और मैं अपने कमरे में आ गया. मैं और दीपिका एक ही फ्लैट में रहते हुए भी मिल नहीं पा रहे थे क्योंकि जब मैं ऑफिस से आता तो घोष बाबू भी आ चुके होते थे.
तीन रोज बाद जब मैं ऑफिस से 8.00 बजे आया तो कमरा खोल कर मैंने चाय पी. उसके बाद नहाया. फिर मैंने कपड़े डाल कर जगजीत सिंह की गजलें लगा लीं और बालकॉनी में ड्रिंक करने के लिए बैठ गया.
मैंने आधा पेग ही लगाया था कि दीपिका के बेडरूम का लकड़ी का दरवाजा खुला. (बालकॉनी की साइड से वे लोग दरवाजा बन्द रखते थे) जाली के दरवाजे पर दीपिका ने नॉक किया तो मैंने मुड़कर देखा.
अंदर से दीपिका की आवाज आई- क्या मैं आपको डिस्टर्ब कर सकती हूँ?
मैंने कहा- हाँ भाभी जी, बताइये?
दीपिका- जनाब, मैं बालकॉनी में आने की इजाज़त मांग रही हूँ?
मैं खड़ा हो गया और अपना गिलास छुपा कर बोला- आइये.
दीपिका बाहर बालकॉनी में आ गई. यहां मैं बता दूं कि मैंने बालकॉनी की लाइट नहीं जला रखी थी और मैं अंदर कमरे में से जो खिड़की और दरवाजों से हल्की सी लाइट आती थी, उसी में बैठता था.
दीपिका आई और बोली- बैठ सकती हूँ?
मैंने कहा- हाँ, भाभी बैठिये.
दो बिना आर्म की इजी चेयर और एक छोटी सेन्टर टेबल बालकॉनी में हमेशा बाहर ही रहती थी.
वो साथ में रखी एक चेयर पर बैठ गई और बोली- आप अपना ड्रिंक जारी रखें, मुझे कोई ऐतराज नहीं है.
मैंने उनसे पूछा- घोष बाबू अभी तक नहीं आये क्या?
दीपिका बोली- अभी गए हैं, आज से उनकी नाईट शिफ्ट है. उनकी 15 दिन सुबह 8 बजे से सांय 8 बजे तक ड्यूटी होती है और 15 दिन रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक होती है, अतः आज से नाईट शिफ्ट शुरू हुई है और वे 7.30 पर यहाँ से चले गए थे.
वो बोली- मैं तो समझी थी कि आप अभी तक आये ही नहीं हो लेकिन फिर ये गजलों की आवाज सुनी तो खिड़की का पर्दा हटा कर देखा तो आप आये हुए हैं. फिर मैंने सोचा कि बहुत दिनों से आपसे न बात हुई है और न मुलाक़ात ही हुई, तो आपसे मिल लूँ.
फिर वो हक सा जताते हुए बोली- राज जी, ज़रा बता दिया करो कि आप आ गये हो. हम आपका यहाँ इंतजार कर रहे थे और आप हैं कि अपने ही घर में चुपके से आ गए. एक बात और कहनी थी राज जी, आप अकेले में मुझे दीपिका कह सकते हैं.
दीपिका ने उस समय घुटनों तक की स्कर्ट और ऊपर बिना ब्रा के स्लीवलेस टॉप पहन रखा था. टॉप दीपिका की बड़ी बड़ी चूचियों के ऊपर टंगा हुआ था. स्कर्ट में से दीपिका के चौड़े और सेक्सी घुटने दिखाई दे रहे थे. बैठने से स्कर्ट थोड़ी घुटनों से सरक कर दीपिका के पटों तक आ गई थी.
उसकी की इतनी सारी बातें सुनकर मैं हैरान और रोमांचित हो उठा और कुछ भी नहीं बोल सका, बस अंदर ही अंदर गर्म होने लग गया.
दीपिका फिर बोली- कुछ खाने के लिए लाऊं?
मैंने कहा- नहीं ये सलाद का कचूमर और चिप्स हैं, थोड़ा पनीर है. मैंने आपसे तो पूछा ही नहीं. रुकिये, मैं आपके लिए कोल्ड ड्रिंक लाता हूँ.
यह कह कर मैं अंदर मेरे छोटे फ़्रिज़ में से दीपिका के लिए एक शीतल पेय ले आया और उसे गिलास में डालकर उन्हें दे दिया.
फिर मैंने पूछा- भाभी, घोष भैया को पता लगेगा तो वे नाराज़ नहीं होंगे?
दीपिका मुस्कराकर अदा से बोली- उनको कौन बताएगा? क्या आप बताओगे?
मैंने मुस्करा कर कहा- नहीं, मैं क्यों बताऊंगा.
दीपिका- अच्छा ये बताओ, क्या आप हर रोज ड्रिंक करते हो?
मैं- नहीं, कभी कभी. महीने में दो तीन बार. बस छोटे छोटे दो पेग.
दीपिका- इसको पीने से ऐसा क्या होता है?
मस्त होकर मैंने कहा- इससे थोड़ा माहौल और मूड बदल जाता है. आदमी की थकान उतर जाती है और थोड़ा रोमांटिक हो जाता है. कुछ समय के लिए आदमी बेकार की बातों को भूलकर सुरूर में आ जाता है.
दीपिका कुछ सोचने लगी.
मैंने पूछा- लेने का मूड है क्या?
दीपिका- कुछ होगा तो नहीं ना? मैंने तो आज तक कभी इसे चखा भी नहीं है, लेकिन आज मैं भी कुछ भूलना चाहती हूँ.
मैंने दीपिका से उसका कोल्डड्रिंक का गिलास लिया और उसमें आधा पेग 30 एम.एल. विहस्की डाल दी और दीपिका को कहा- आप चेयर पर पीछे सिर लगा कर बैठ जाओ और आँखें बंद करके इसे बिल्कुल धीरे धीरे सिप करो.
दीपिका ने एक हल्का सा सिप किया और चेयर पर पीछे सिर टिका लिया. कुछ देर बाद दूसरा और फिर तीसरा सिप लिया.
मैंने कहा- साथ कुछ खाती भी रहो. जैसे ही दीपिका कुछ लेने के लिए सीधी हुई उसे हल्का सरूर लगा और बैठते ही बोली- ओह्ह, मुझे कुछ लग रहा है।
मैंने कहा- क्या लग रहा है?
दीपिका- अच्छा लग रहा है.
यह कहते हुए दीपिका ने वह ड्रिंक जल्दी ही खत्म कर लिया और बोली- ओह माई गॉड, वंडरफुल … अच्छा लगा.
दीपिका की जांघों और उसके स्तनों को टॉप में उठा देख कर मेरा हथियार मेरी लोअर में उभार ले चुका था. कम रोशनी में भी मुझे दीपिका के 38 साइज़ के भारी भारी मम्में और उन मम्मों पर तने हुए तीखे निप्पल साफ साफ दिखाई दे रहे थे. मेरे लौड़े ने मेरी लोअर से बाहर आने की बगावत शुरू कर दी थी।
जल्दी ही आप देखेंगे कि उसके बाद दीपिका और मैं दोनों कैसे गर्म हुए.
भाभी Xxx हिंदी कहानी में मजा आ रहा होगा. कहानी को अपना प्यार देना बिल्कुल न भूलें. आप कमेंट्स में अपना फीडबैक दें.
भाभी Xxx हिंदी कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.