नमस्कार दोस्तो, मैं राज शर्मा (चंडीगढ़ से) एक बार फिर आप सभी के सामने अपनी एक नई देसी चुदाई की कहानी को लेकर हाजिर हूं। मुझसे फेसबुक पर जुड़ने वाले दोस्तों, सभी गर्म आंटियों और भाभियों का मुझे इतना प्यार देने के लिए दिल से शुक्रिया।
मेरे बारे में तो आप सभी जानते ही हैं। मैं सेक्सी कहानियां लिखने व सेक्स करने का बहुत ज्यादा शौकीन हूँ। मेरे सभी दोस्त मेरी लिखी कहानियों को सिर्फ़ कहानी समझ कर ही अपने लण्ड हिलाएं।
दोस्तो, मैं आपको बता दूं कि मुझे अपने लंड से चूतों की सेवा करना बहुत पसंद है और इसी परमार्थ के फलस्वरूप अब तक मैं तीन भाभियों को मां बना चुका हूं।
मेरी पिछली कहानी थी: फेसबुक से होटल रूम में भाभी की चूत चुदाई तक
यह कहानी मेरे गाँव की ही एक भाभीजी और उनकी बेटी की चूत चुदाई की है। इस कहानी में आप जानेंगे कि कैसे पहले मैंने उसकी बेटी को चुदने के लिये राजी किया और जब वो मेरे लण्ड के नीचे आ गयी तो उसकी मस्त गांड वाली मां को भी पटाकर उसको भी चोद डाला।
बात उस समय की है जब मैं बारहवीं में पढ़ता था। हमारा स्कूल गांव से बहुत दूर था जहां सभी बच्चे पैदल ही जाते थे. बीच में गांव का ही एक जंगल पड़ता था जिसका उपयोग गांव वाले लकड़ियों और जानवर चराने के लिये करते थे।
एक दिन की बात है कि मेरे और मेरे एक दोस्त ने सातवें पीरियड के बाद क्लास बंक करने का प्लान बनाया क्योंकि हमारे पास एक मस्तराम की किताब आयी थी जो क्लास के दूसरे लड़के से मिली थी। उसे पहले मैं पढ़ना चाहता था और मेरा दोस्त भी इसलिए उसने वो किताब मुझे घर नहीं ले जाने दी।
सेक्सी कहानियों की किताब को लेकर हम दोनों के बीच ये समझौता हुआ कि क्लास बंक करके जंगल में दोनों इसे एक साथ पढ़ेंगे। हम दोनों ने क्लास बंक की और जंगल में अन्दर तक निकल लिये और एक अच्छी सी जगह देखकर दोनों किताब पढ़ने लगे।
किताब पढ़ने में है बहुत मजा आ रहा था.
हम दोनों का पूरा ध्यान उस में छपी कहानी पढ़ने में ही था कि तभी मुझे किसी लड़की की हल्की सी आवाज आयी। पहले तो मुझे लगा कि मेरा वहम है. मैंने फिर से अपना ध्यान सेक्सी कहानी पढ़ने में लगाया.
लेकिन थोड़ी देर में ही फिर से खुसर-पुसर की सी आवाज आने लगी. अबकी बार साथ में एक लड़के की आवाज भी थी। अब मेरा माथा ठनका। कोई तो था जो यहाँ जंगल में मंगल कर रहा था।
मैंने अपने दोस्त को कहा- तू किताब पढ़, मैं जरा मूत कर आता हूँ।
दोस्त हँसने लगा और बोला- बड़ी जल्दी खड़ा हो गया तेरा? जा जा मुठ मार के आ जा।
मैं भी मुस्कुराते हुए वहाँ से उठ कर आ गया।
अब जिस तरफ से वो आवाज आ रही थी मैं उस तरफ गया और एक पेड़ की आड़ से छुपकर देखने लगा। अरे वाह, यहाँ तो नजारा ही अलग था। मेरे गाँव की एक लड़की दूसरे गांव के लड़के के साथ बैठी थी। वो दोनों भी स्कूल बंक मार कर आये थे और वो लड़का उसके पास बैठकर उसकी छोटी-छोटी चूचियों को दबा रहा था और वो लड़की बार-बार मना कर रही थी।
लड़के ने अब एक हाथ उसकी टांगों के बीच में डाल दिया तो लड़की कराह पड़ी, बोली- छोड़ो मुझे कोई देख लेगा!
लड़का मान ही नहीं रहा था. उसने उसे वहीं पर लिटा दिया और उसे किस करते हुये उसकी चूचियाँ दबाने में लगा रहा। यहाँ तो माहौल बहुत गर्म हो रखा था। लड़की हल्का-हल्का विरोध भी कर रही थी मगर साथ ही मजे भी ले रही थी।
मैंने भी सोचा कि जब दूसरे गांव का लड़का इस से मजे ले सकता है तो मैं क्यों नहीं? पहले कभी मैंने उसे इस नजर से देखा ही नहीं था लेकिन अभी तो वो मेरे सामने किसी और से मजे ले रही थी। मेरा उसे देखने का नजरिया ही बदल गया। अब वो बस मुझे एक चूत नजर आ रही थी जिसको मुझे अपने लण्ड के नीचे लाना था।
उसका नाम सपना था। मेरे ही गांव की थी। उम्र 18 साल, छोटे-छोटे मम्मे और पतली कमर। पता ही नहीं चला कि कब ये चुदने लायक हो गयी। मेरे होते हुए इस पर कोई और हाथ साफ करे अब ये सहन नहीं हो रहा था।
मैं तुरंत उनके सामने चला गया. जैसे ही उनकी नजर मुझ पर पड़ी दोनों की हालत खराब हो गयी। दोनों फ़टाफ़ट खड़े हो गये और निकलने लगे।
“रुको भागने की कोशिश की तो दोनों के लिए बहुत बुरा होगा। क्या चल रहा है ये?”
“क़ुछ नहीं हम दोनों बात कर रहे थे.” दोनों हकलाते हुए धीमी आवाज में बोले।
“क्या बात कर रहे थे ये मैं बहुत देर से देख रहा था तो मुझे बताने की जरूरत नहीं। बस ये बताओ कब से चल रहा है ये सब?”
“आज ही आये थे और आपने पकड़ लिया!” वो लड़का बोला।
“तू तो बोल ही मत, तुझे तो बाद में देखूंगा। मेरे गाँव की लड़की को चोद रहा था साले, यहाँ गांव में पता चल गया ना तो तुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे, इसलिये तू चुप करके खड़ा रह. मुझे इससे बात करने दे।”
यह सुनते ही उसकी डर से उस लड़के की हालत खराब हो गयी, बोला- भाई माफ कर दो. आज ही पहली बार इससे मिला हूं. आज के बाद कभी ऐसी गलती नहीं करुंगा. बस ये बात फैलनी नहीं चाहिये।
“ठीक है, चल … नहीं बताउंगा, चल निकल ले यहाँ से! मैंने अब कभी इसके साथ तुझे देख लिया तो सोच लेना क्या होगा तेरा …”
वो फ़टाफ़ट वहाँ से निकल लिया।
अब मैं सपना से बोला- ये सब क्या है? कब से चुदवा रही है इससे? सच-सच बता।
वो रोने लगी।
उसने कहा- वो रोज-रोज मुझे चिट्ठी देकर प्रपोज कर रहा था। मुझे भी वो अच्छा लगने लगा तो आज उसने यहाँ मिलने का प्लान बनाया. आज पहली बार ही मिले थे, तुमने पकड़ लिया। अब आगे से ऐसा नहीं होगा. मुझे माफ़ कर दो।
“अरे मैं ना आता तो तू अभी चुदवा ही लेती न। अब रूक, तेरी मां को बताता हूं घर जाकर कि ये लड़की स्कूल में चुदवाने जा रही है, पढ़ने नहीं।”
“नहीं-नहीं, ऐसा मत करना, वरना कल से मेरा स्कूल आना बंद कर देगी मेरी मां। ये बात मेरे बाप को पता चल गई तो, वो तो मुझे जिंदा ही मार देंगे। मैं कसम खाती हूं, आज से उस लड़के से कभी नहीं मिलूंगी। जैसा तुम कहोगे वैसा ही करुंगी. बस इस बार माफ कर दो!”
“अब माफ तो तुझे एक ही शर्त पर करुंगा कि तुझे मेरी गर्लफ्रेंड बनना पड़ेगा। जब तू उसे फ़्रेंड बना कर यहाँ तक आ सकती है तो मैं तो तेरे गांव का हूँ. बोल … शर्त मंजूर है तो बता, वरना चल मेरे साथ घर।”
“तुम जो बोलोगे, सब मानूँगी और ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए वरना मेरी बहुत बदनामी होगी।”
मैंने उसे अपने पास खींच कर कहा- मेरी जान … अब तो तू मेरी है तो तुझे बदनाम थोड़े होने दूंगा. तू कहेगी तो तुझ से शादी भी कर लूंगा. तू तो मुझे पहले से ही पसंद थी. मगर कहा नहीं मैंने कभी. आज तुझे उसके साथ देखा तो मुझे बहुत बुरा लगा.
मैंने उसे अपनी बातों में लपेटने के लिए कहा।
उसने एक बार मेरी तरफ देखा औऱ नजरें झुका लीं। मैंने उसे बांहों में भरकर उसके होंठ चूम लिये।
वो मुझे अपने से छुड़ाने लगी।
“मेरी जान … जब वो चूस रहा था तब तो तू बड़े मजे ले रही थी, मेरे होंठों में क्या काटें लगे हैं?”
“मुझे बहुत शर्म आ रही है।”
“चल ठीक है, तू अभी मुझे एक किस दे और घर चली जा और कल इसी टाइम पर यहीं मिलना और डर मत, मैं उस लड़के के जैसा नहीं हूं जो यहाँ लाकर तुझे चोद दूंगा। मैं तुझे पसंद करता हूँ. थोड़ी देर बातें करेंगे और फिर घर निकल लेंगे।
उसने भी मुझे एक किस दिया और शरमा कर निकल गयी।
लो जी … एक चूत का जुगाड़ हो गया था। बस अब उसे गर्म करके लण्ड के नीचे लाने की देरी थी। मैं भी फ़टाफ़ट दोस्त के पास चला गया. वो भी पढ़ते-पढ़ते अपना लण्ड हिला रहा था। उस बेचारे को तो पता ही नहीं चला कि इतनी देर में मैं अपने लिए नई चूत का जुगाड़ कर आया था।
अब मुझे उस किताब में क्या मजा आना था. मैंने उससे कहा- हिला ले भाई, कोई दिक्कत नहीं। चल घर भी ले जाना अब इसको. जब तू पढ़ लेगा तब मुझे दे देना.
मेरा दोस्त भी मेरी इस दरियादिली पर बहुत खुश हो गया। थोड़ी देर साथ में किताब पढ़ने के बाद हम भी अपने अपने घर के लिए निकल लिये।
अगले दिन मैं टाइम से पहले जाकर सपना का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर में वो आ गयी। मैंने उसे अपने बगल में बैठाया और उसका हाथ अपने हाथों में लेकर उससे प्यार मोहब्बत की बातें करने लगा।
कुछ ही दिनों की मुकालात में मैं उसे अपने शीशे में उतार चुका था. अब उसे मुझ पर पूरा भरोसा था। मैंने धीरे-धीरे उससे अब सेक्स की तरफ धकेलना शुरू किया. उसको कामुक बातों से गर्म करना शुरु किया. कभी उसकी चूचियों को भी सहला देता था.
अब वो भी मेरी बातों और हरक़तों से गर्म होने लगी थी और किसिंग में मेरा पूरा साथ देने लगी थी।
एक दिन मैंने उससे कहा- यार अब नहीं रहा जाता, मैं तुम्हें अब खुल कर प्यार करना चाहता हूं। तुम्हारे इस जिस्म को जी भर कर निहारना चाहता हूं। अब ऐसे बाहर ही बाहर से सहलाने भर से मेरा मन नहीं भर रहा है। मुझे तुम्हारे पूरे जिस्म को बिना कपड़ों के सहलाना, चूसना व चाटना है. बोलो कब का कार्यक्रम रखें?
“यार ये सब तो मैं भी करना चाहती हूं लेकिन यहाँ जंगल में नहीं. यहाँ जैसे मैं पहले तुम्हारे हाथों पकड़ी गई थी वैसे ही अब किसी और ने पकड़ लिया तो मैं तो जीते जी मर जाऊंगी। कहीं जगह का जुगाड़ करो. मैं भी खुल कर प्यार करना चाहती हूं तुमसे।”
अब तो खुद लड़की भी लण्ड चाह रही थी तो जहां चाह, वहां राह।
कुछ दिनों बाद ही हमारी रिश्तेदारी में शादी थी. मेरा सारा परिवार वहां चला गया और मैं पढ़ाई का बहाना बना कर घर पर ही रुक गया। मैंने सपना को भी पहले ही बता दिया था तो मेरे घर वालों के जाते ही वो भी मेरे घर आ गयी। मैंने अच्छी तरह से घर के खिड़की दरवाजे बंद किये और उसे लेकर अपने कमरे में आ गया। कमरे में आते ही मैंने उसे बांहों में भर लिया औऱ बेतहाशा चूमने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।
कुछ ही देर में हम दोनों ने एक-दूसरे के जिस्म से कपड़े अलग कर दिए। वो भी पूरी तैयारी के साथ आयी थी. अपनी चूत को बिल्कुल चिकनी बना कर लाई थी। उसकी छोटी सी गुलाबी चूत देखकर मेरा लण्ड फटा जा रहा था।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैं जल्द से जल्द उसकी मुनिया में अपना लण्ड डालकर उसकी जवानी का भोग लगाना चाहता था। मैंने उसे बिस्तर में लिटा दिया। अब मैं उसके कानों और गर्दन को चूमने लगा और उसकी चूचियों को बारी-बारी से मसलने लगा। उसकी चूचियाँ एकदम कड़क हो गयी थीं. उनके साथ खेलने में बहुत मज़ा आ रहा था।
उसके मुँह से आह्ह ह्ह … ऊऊउम्म … जैसी सिसकारियाँ निकल रहीं थीं।
अब मैं उसके निप्पलों को चाटने लगा और एक हाथ उसकी जाँघ पर घुमाने लगा। सपना भी मेरे लण्ड को सहला रही थी। अब तक सपना भी एकदम गर्म हो गई थी और मेरे बालों को हल्के से खींच रही थी।
अब मैं निप्पल और चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा और उसी समय मेरी बीच वाली उंगली से उसकी चूत को सहलाने लगा। मैंने उसकी गर्म चूत में आखिर में उंगली को घुसा ही दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा। उसको मज़ा आ रहा था। उसकी सिसकारियाँ बढ़ने लगीं। एकदम से उसका सारा शरीर कड़क हो गया। शायद वो झड़ने वाली थी।
मैंने झट से अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया ताकि मैं उसका पहला पानी पी सकूँ और उसकी चूत को जीभ से चाटने लगा। जैसे ही मैंने मेरी जीभ उसकी कुँवारी चूत में डाली, उसने अपना पानी छोड़ दिया।
अब मेरा लण्ड उसकी चूत में जाने के लिए बेक़रार था। थोड़ी देर आराम देने के बाद फिर से मैं उसे गर्म करने लगा. उसकी चूत फिर से पनियाने लगी. मेरा तो पहले से ही बुरा हाल था।
मैंने पूछा- लण्ड को चूत में लेने के लिए तैयार हो?
उसने सिर हिलाकर हामी भर दी।
मैं उसके पैरों के बीच खड़ा हो गया और लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
वह बोली- राज ज़ल्दी करो, अब नहीं रहा जाता।
मैंने लण्ड को सपना की चूत के छेद पर सेट किया। साथ ही उसके होंठों को चूमने लगा और एक हल्का सा झटका मारा। मेरा पूरा सुपारा उसकी चूत में घुस गया, उसके मुँह से ज़ोर की आह निकल पड़ी- आह हहहह राज बाबू … मार दिया रे … आहहह बहुत दुखता है। इसे निकाल लो बाहर, मैं नहीं ले पाऊँगी।
मैंने कहा- सिर्फ़ कुछ पल की बात है। अभी सारा दर्द मजे में बदल जायेगा.
और मैं सिर्फ़ सुपारे को ही बाहर निकाले बिना अन्दर ही अन्दर हिलाने लगा। कुछ देर में सपना को भी अच्छा लगने लगा.
मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और लौड़े को थोड़ा आगे-पीछे किया और ज़ोरदार झटका मारा। उसकी चीख मेरे मुँह में ही घुटकर रह गई। वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उसे पूरी तरह से जकड़ रखा था. मैंने मौक़ा देखते ही दूसरा झटका मारा. इस बार 4 इंच तक लण्ड अन्दर घुस गया। सपना छटपटाने लगी, उसकी आँखों से पानी बहने लगा। दर्द के मारे वो काँप रही थी, मैं ऐसे ही पड़ा रहा और एक हाथ से उसकी चूचियों को सहलाता रहा।
थोड़ी देर बाद जब उसका शरीर थोड़ा ढीला पड़ गया तो मैंने उसके मुँह से अपना मुँह हटा लिया ताकि वो आराम से साँस ले सके। मैंने उसके एक चूचे पर अपनी जीभ फेरनी चालू कर दी और दूसरे को मसलने लगा।
कुछ ही पलों में उसने भी साथ देना चालू कर दिया। उसकी गांड धीरे-धीरे हिलने लगी। अब मेरा रास्ता आसान था, मैंने भी मेरी गांड हिलानी चालू कर दी। मेरा लण्ड सपना की चूत में अन्दर-बाहर होने लगा और मैंने हर धक्के के साथ धीरे-धीरे उसकी चूत के अन्दर अपना पूरा लण्ड डाल दिया। उसकी टाइट चूत मारने में बहुत मजा आ रहा था। भला हो उस लड़के का, जिसकी वजह से आज ये मेरे लण्ड के नीचे आयी थी।
उसके मुँह से सिसकारियां निकल रहा थीं जो मुझे और भी अधिक कामुक बना रही थी। अब मैंने मेरे लण्ड की गति बढ़ा दी। अब सपना भी गांड उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी। कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ गया. उसने फिर से पानी छोड़ दिया।
लेकिन मैंने अपना काम चालू ही रखा। धीरे-धीरे मैंने भी अपने लण्ड के धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। मेरा लण्ड उसकी चूत में काफी तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था।
आखिरकार मेरे झड़ने का वक्त आ ही गया, मेरी साँसें तेज़ होने लगी। पूरा शरीर पसीने से तर था। सपना भी तीसरी बार झड़ रही थी. कुछ ही तेज धक्कों के बाद मैंने अपना सारा वीर्य सपना की चूत में भर दिया। दोनों के तन का मिलन हो चुका था।
हम-दोनों एक-दूसरे से चिपक कर ऐसे ही 10-15 मिनट तक लिपटे रहे। फिर मैं उससे अलग हुआ। सपना तो अब भी आँखें बंद करके लेटी हुई थी।
मैंने उसके नंगे जिस्म को अब गौर से देखा। वो अभी-अभी जवानी की दहलीज पर आयी थी। सुंदर चेहरा, रसीले होंठ, संतरे जैसी चूचियाँ, पतली कमर, छोटी सी चिकनी चूत जिसमें से उसका और मेरा रस बाहर निकल रहा था। जो अभी थोड़ी सी, मेरे लण्ड की चोट खाने से फूल गयी थी।
मैंने कपड़ा लेकर उसकी चूत को साफ किया और फिर से उसके करीब आकर लेट गया। थोड़ी देर आराम करने के बाद मैंने उसकी एक बार और जमकर चुदाई की। अब तो उसकी पूरी चूत फूल गयी थी. उससे तो चला भी नहीं जा रहा था।
थोड़ी देर आराम करवा कर मैंने उसे उसके घर भेज दिया। अब तो जब भी मौका मिलता मैं उसकी देसी चुदाई करने लगा. कभी अपने घर में तो कभी उसके घर पर।
एक बार उसकी माँ कही बाहर गयी थी और मैं उसके घर में जाकर उसकी चूत मार रहा था तो अचानक उसकी माँ वापस आ गयी और उसने मुझे अपनी बेटी की चुदाई करते हुए पकड़ लिया। वो खिड़की से छुप कर सब देख रही थी. उसकी बेटी तो उसे नहीं देख पाई पर मैंने उसे देख लिया।
मैंने सोचा अब इसने देख तो लिया ही है तो आज का तो मजा पूरा ले लूं फिर चाहे आगे मेरे साथ जो भी होगा वो बाद में देखा जायेगा। मैं और तेजी से उसी के सामने उसकी बेटी को चोदने लगा। बेटी को तो कुछ पता नहीं था इस लिए वो भी उछल-उछल कर मेरा लण्ड ले रही थी।
जब मेरा होने को हुआ तो मैंने लण्ड बाहर निकाल कर अपना माल उसकी चूत के ऊपर ही गिरा दिया ताकि उसकी माँ भी मेरा लण्ड देख सके।
मैंने देखा कि उसकी मां भी इतनी मस्त चुदाई देख कर अपनी चूचियों और चूत को सहला रही थी। मैं उसकी मां की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया और उसके घर से चुपके से निकल गया।
मुझे ये तो पता ही लग गया था कि उसकी माँ को अगर मुझे मारना ही होता तो जब मैं उसकी बेटी को चोद रहा था तभी पकड़ कर मार या डांट देती लेकिन वो भी छुप कर हम दोनों की चुदाई देख कर गर्म हो रही थी।
उसकी माँ भी बहुत मस्त माल थी. किसी का भी लण्ड खड़ा कर सकती थी। अब मेरा अगला निशाना उसकी माँ की चूत ही थी। उसकी माँ की चूत मैंने कैसे ली, मैं ये कहानी के अगले भाग में जल्द ही बताऊंगा।
आपको मेरी लिखी कहानियां कैसी लगती हैं आप मुझे मेल करके इसी आईडी पर जवाब दे सकते हैं।
और यह देसी चुदाई कहानी कैसी लगी?
आपके जवाब और अमूल्य सुझाव के इंतजार में आपका अपना राज शर्मा!